Tuesday 22 October 2019

233. आग के बेटे- वेदप्रकाश शर्मा

वो आग में नहीं जलते थे।
आग के बेटे- वेदप्रकाश शर्मा

"विजय मुझे आग के बेटों का पत्र मिला है।"
"जरूर मिला होगा प्यारे।"
"विजय, प्लीज गंभीर हो जाओ।"
"गंभीर तो आज तक हमारा बाप भी नहीं हुआ प्यारे तुलाराशि।"
"विजय, उन्होंने इस बार व्यक्तिगत रूप से मुझे धमकी दी है, भयानक चैलेंज दिया है।"
"अबे प्यारे लाल, बको भी, क्या चैलेंज दिया है?"
"उन्होंने तुम्हारी भाभी का अपहरण करने की धमकी दी है।"
"क्या....रैना भाभी....?"- विजय चौंक उठा।
(पृष्ठ-...)
              स्वयं को जनकल्याणकारी कहने वाले आग के बेटे कौन थे, जिन्होंने पूरे शहर पर अपना आतंक जमा रखा था।
जानने के लिए पढें- वेदप्रकाश शर्मा जी का उपन्यास आग के बेटे
       राजनगर में 'आग के बेटे' कहे जाने वाले कुछ लूटपाट करते हैं। और आग के बेटे हैं कौन? आप भी पढ लीजिएगा
-उनके संपूर्ण जिस्म आग की लपटों में घिरे हुए थे। समस्त जिस्म से आग लपलपा रही थी। मानो किसी ने उनके जिस्मों पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी। (पृष्ठ-23)
               आग के बेटों पर किसी हथियार का कोई असर नहीं होता वे जनकल्याण के नाम पर लूट करके चले जाते हैं और प्रशासन असहाय सा देखता रह जाता है।
एक बार रघुनाथ को पत्र मिलता है की उनकी पत्नी, विकास की मम्मी रैना का अपहरण आगे के बेटे करेंगे।
रघुनाथ की अपील पर विजय इस केस को देखता है लेकिन आग के बेटों के सामने वह भी निरुपाय सा हो जाता है। लेकिन विजय तो आखिर विजय है और वह विजय ही प्राप्त करता है।
लेकिन स्वयं विजय भी बहुत से ऐसे प्रश्नों से जूझता है जो दिमाग को घूमा देते हैं।
1. पहला रहस्य वह लड़की जो बैंक मैनेजर के सामने धुआं बन गई।
2. आग के बेटे आग में क्यों नहीं जलते?
3. आग के बेटे सागर में कैसे लुप्त हो जाते हैं?
4. अधेड़ व्यक्ति कौन है?
5. सबसे बड़ा रहस्य विकास था।

उपन्यास में दो पात्र विशेष रूप से ध्यान आकृष्ट करते हैं। एक तो अधेड़ आदमी और एक नकाबपोश। दोनों ही रहस्यमयी है और दोनों की कार्यप्रणाली हैरत में डालने वाली है।
आगे के बेटे हैं- जर्फीला, दर्बीला और गर्मीला जैसे कुछ पात्र तो वही आग का स्वामी भी उपस्थिति है।
विजय तो खैर उपन्यास का प्रमुख पात्र है ही साथ में विकास भी है। विकास के कारनामे देख कर तो विजय भी अचरज करता है।
प्रत्येक कदम पर उसे विकास एक नये रूप में नजर आता। रूप भी ऐसा जो रहस्यपूर्ण होता, हैरतअंगेज होता। आखिर ये लड़का बना किस मिट्टी का है?(पृष्ठ-67)

-आग के बेटे कौन है?
- जनकल्याण के नाम पर लूटपाट क्यों करते हैं?
- क्या रैना का अपहरण हो पाया?
- क्या रहस्य था आग के बेटों?
- अधेड़ आदमी और नकाबपोश कौन थे?
- विकास ने क्या कारनामे दिखाये?
- विजय को कैसे सफलता मिली

इन प्रश्नों के उत्तर तो उपन्यास पढकर ही मिल सकते हैं।
प्रस्तुत उपन्यास एक्शन और संस्पैंश से भरपूर है। हालांकि कथा का स्तर कुछ कमजोर है। लेकिन यह एक दौर विशेष का उपन्यास है उस समय ऐसे एक्शन उपन्यास ही चलते थे।
159 पृष्ठ का यह उपन्यास पढा जा सकता है कभी निराश तो नहीं करेगा लेकिन लंबे समय तक याद भी नहीं रहेगा।
एक्शन पाठकों और विजय-विकास के प्रशंसकों के लिए यह उपन्यास अच्छा हो सकता है।
                                      -   

उपन्यास- आग के बेटे
लेखक-    वेदप्रकाश शर्मा
पृष्ठ- -      159
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स

1 comment:

  1. इस उपन्यास को बहुत पहले पढ़ा था. उस समय उतना अच्छा नहीं लगा था. वेद जी के जितने पढ़े, उनमें यही थोडा कमजोर लगा. बाकी तो सब फर्स्ट क्लास थे. लेकिन बहुत साल पहले पढ़ा था. अब इसे दोबारा पढ़ना चाहूँगा.

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