Monday, 30 September 2019

227. बाकी की बात- नंदिनी कुमार

छोटी छोटी पर रोचक कहानियाँ
बाकी की बात- नंदिनी कुमार, कहानी संग्रह

नन्दिनी कुमार का कहानी संग्रह 'बाकी की बात' पढा, यह एक रोचक कहानियों का दिलचस्प संग्रह है। आकार में चाहे ये कहानियाँ छोटी क्यों न हो लेकिन इनका प्रभाव खूब है। कहीं हास्य है तो कहीं रूदन, कहीं प्रेम है तो कहीं आक्रोश, ये सब इन कहानियों में पढने को मिलेगा। 
    इस संग्रह की प्रथम कहानी है 'शर्मा जी' यह कहानी में हास्य रस होने के साथ-साथ स्त्री स्वतंत्रता की बात भी शामिल है। “शर्मा जी, शादी के एक साल बाद तो हम बाहर निकले हैं, चलो न कहीं घूम आएँ।” मिसेज शर्मा बिस्तर पर लेटती हुईं अपने पति से बोलीं।
यह कहानी यह यात्रा के दौरान घटित जुछ घटनाओं पर आधारित है।
      हास्यरस और मार्मिकता लिए एक और कहानी है 'दावत' शीर्षक से। - "लकड़ियों की ज़रूरत मरे हुए से ज़्यादा ज़िंदा लोगों को होती है।”
       जिम्मेदारी से भागते और औरत ले शरीर की चाह रखने चाले लोगों को बेनकाब करती एक सार्थक रचना है- चंदा।
साराह मेरी भी बेटी है, तुम शायद भूल रही हो।” “इस बात से मैंने कभी मना नहीं किया।
 “लेकिन तुम एक ज़िम्मेदार माँ नहीं हो, न दो साल पहले थी, न अब हो।”
कहने को ये शब्द बहुत सरल हैं लेकिन एक औरत ही समझ सकती है दर्द को। वह औरत जो अपने बच्चों का पालन पोषण भी करती है और पुरुष वर्ग उसे धिक्कार देता है।
भीख - आपकी औरतें मुझे देखकर ऐसे नाक-मुँह सिकोड़ती हैं, कि मन करता है उनका मुँह पकड़कर चूम लूँ। साड़ियों में लिपटी हुई वे कोमल-सी सुंदरियाँ जैसे मेरा मन पढ़ लेती हैं, और बदले में इतनी मोटी गालियाँ देती हैं कि मज़ा आ जाता है। लेकिन ख़ुदा गवाह है अगर मैंने कभी उन्हें छेड़ा हो।
   एक भिखारी और उसकी शारीरिक आवश्यकताओं पर आधारित है भीख कहानी।

'छोटी सी बात' कहानी चाहे छोटी सी है लेकिन विद्यार्थी वर्ग के सामने फैले प्रेम और वासना की की पतली सी परत का वह सत्य बयान करती है जिसे सुनकर पाठक ठहर सा जाता है। आज प्रेम के नाम पर जो वासना फैली है उसका कच्चा चिट्ठा 'छोटी सी बात' में व्यक्त है।
      'दीवाली की शाम' भी एक मार्मिक रचना है। भूख और लाचारी सड जूझते माँ- पुत्र की कहानी है।
इस संग्रह की शेष कहानियाँ कहीं न कहीं समाज की उन विसंगतियों‌ पर चोट करती हैं जो उपर से अच्छी और अंदर से बुरी हैं।

संग्रह की कहानियाँ
घड़ी - 
छोटी-सी बात 
आज़ाद ब्यूटी पार्लर 
दिवाली की शाम 
राज़ की बात 
कामवाली 
लड़कियों वाले 
झूला 
भूत 
यादों की बारात 
भूख

छोटी छोटी कहानियों का यह संग्रह काफी रोचक है और इसमें विभिन्न रंगों की कहानियाँ समाहित है। कहानियाँ ज्यादा गंभीर न होकर हल्की फुल्की सी हैं और यही इस संग्रह की विशेषता है और इसी वजह से यह कहानी संग्रह सभी वर्ग जे पाठकों को प्रभावित करता है।


कहानी संग्रह- बाकी की बात
लेखक- नंदिनी कुमार
प्रकाशन तिथि- आज़ादी की शाम (2017)
प्रकाशक- 
ईमेल: kumar.nandini04@gmail.com

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