Sunday, 26 May 2019

190. छोटू- अरुण गौड़

कुछ संवेदनशील कहानियाँ
छोटू- अरुण गौड़

फ्लाईड्रिम्स पब्लिकेशन पटना द्वारा प्रकाशित 'छोटू' अरुण गौड़ जी का एक 'छोटा' सा कहानी संग्रह है। कहानी संग्रह चाहे छोटा है लेकिन कहानियों की संवेदना का फलक विस्तृत है।

इस संग्रह में कुल चार कहानियाँ है और चारों कहानियाँ ही बच्चों से संबंधित है। कहानियों के पात्र चाहे बच्चे हैं लेकिन कहानियों में व्याप्त भाव सभी सहृदय को प्रभावित करने में सक्षम है।

1. गुलामी का पट्टा
              इस संग्रह की प्रथम कहानी, एक ऐसे बच्चे की कहानी है जो परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण मजदूरी करने को विवश हो जाता है।
        कथा का मुख्य पात्र किशन बिहार के एक गाँव में एक चौधरी के खेत पर काम करता है। चौधरी मजदूरों का शोषण करता है और उन्हें बंधुआ मजदूर की तरह रखता है।
ज्वर पीडित किशन के मन में इस बंधन से मुक्त होने की इच्छा है।
    किशन अपनी मुक्ति के लिए क्या प्रयास करता है, वह जैसे आजाद होता है। यह सब रोचक है। एक छोटे से बच्चा का शोषण और उसकी कोमल भावनाओं को खत्म करने वाला चौधरी। फिर भी किशन के मन में स्वतंत्रता की उमंग है।    यह कहानी मात्र एक कहानी न होकर वास्तविक घटना की तरह हैं। आज भी बहुत सी जगह ऐसे बाल मजदूर मिल जायेंगे जिनका बहुत शोषण होता है।
यह कहानी बहुत ही भावुक है। किशन सहज ही पाठक के मन को छू लेता है।

2. छोटू
           लड़का दस या बारह साल का होगा, नाम था जिसका छोटू.......जैसा अक्सर ढाबों और दुकानों पर काम करने वाले लड़कों का होता है।
           यह कहानी भी एक ऐसे बच्चे की है जो छोटी उम्र में काम‌ करने लग जाता है। वहीं एक कार्यालय में कार्यरत आरती को बच्चे की बाल मजदूरी पर तरस आता है।
आरती जब यथार्थ से टकराती है तो वास्तविक का पता चलता। वह वास्तविकता जो बहुत ही कठोर है।

ऐसे छोटे-छोटे बच्चे अक्सर बहुत सी जगहों पर काम करते मिल जाते हैं। लेकिन उनके पीछे जो मजबूरी होती है उन तक कोई नहीं पहुंच पाता है। यह कहानी बाल मजदूर के कारणों की खोज करती एक सार्थक रचना है।
     अंत तो इसका हृदय को छू लेता है।

3. नयी पहचान
          देखा गया है की अक्सर लोग आर्थिक स्थिति मजबूत होते ही गरीब वर्ग से बोलना छोड़ देते हैं। इस कहानी के बहाने एक वास्तविक घटना का जिक्र करता हूँ। यह वास्तविकता हमारे स्कूल साथियों की है।
       तीन मित्र एक बार अकस्मात एक जगह एकत्र हो गये। एक बेरोजगार था, दूसरा हाॅमगार्ड में सर्विस करता था। दोनों मित्र की तरह मिले और बातें करते रहे। संयोग से वहाँ उनके एक और सहपाठी भी आ गया। वह पुलिस सर्विस में था।
हाॅमगार्ड ने कहां चलो अपने साथी से मिलते हैं। दोनों पुलिस साथी से मिले। पुलिस साथी में हाॅमगार्ड से हाथ मिलाया और दूसरे मित्र की तरफ देखा ही नहीं।
हाॅमगार्ड ने कहा-"क्या बात है इसे पहचाना नहीं? "
पुलिस वाले ने बहुत ही निकृष्ट उत्तर दिया- "सर्विस लगने के बाद मैंने लोगों को पहचानना छोड़ दिया है।"

ऐसी ही एक मिठी और कड़वी सच्चाई को व्यक्त करती है कहानी 'नयी पहचान'। लेकिन कहानी उक्त उदाहरण की तरह तो बिलकुल नहीं। यह तो एक सुखद नयीी पहचान स्थाापि करने की कथा। यह तो मानव के मानव होने की  कथा।

 
4. छलावा
         इस संग्रह की अंतिम कहानी है 'छलावा'। यह बालपन की शरारतों‌ और भोलेपन को व्यक्त करती एक अच्छी कहानी है।
जब मनोरंजन के साधन नहीं थे।‌बच्चे दोपहर को खेलने गांव- जंगल में चले जाते थे। ऐसे ही चार दोस्त जब जंगल में गये तो उनके साथ एक डरावना और हास्य से पूर्ण हादसा पेश आया। वह था छलावा। छलावे के डर से उपजी एक हास्य कथा है। "अरे, यार नंगे हो जाओ। नंगे होकर ही जान बच सकती है। मैंने सुना है कि जब कुछ ना हो तो नंगे हो जाना चाहिए। नंगे आदमी से डरता है छलावा। (पृष्ठ-47)
     - कैसे छलावे से जान बची?
    -  क्या था छलावे का डर?
    - क्या नंगे आदमी के पास छलावा नहीं आता?
चार मित्रों की रोचक कथा पठनीय है।


इस संग्रह की चारों कहानियाँ ही रोचक है। प्रथम दो कहानियाँ 'गुलामी का पट्टा' और 'छोटू' वास्तविकता के बहुत करीब हैं। दोनों कहानियाँ पाठक की आँखों‌ को नम करने में सक्षम है। हमारी चेतना को छू जाती है।
        'नयी पहचान' जहाँ होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान सजा देती है तो वहीं 'छलावा' पाठक को खुलकर हँसने को मजबूर करती है।

इस कहानी संग्रह के मूल्य की बात करें तो यह बहुत ज्यादा है। चार कहानियाँ और मूल्य 75₹ है। एक कहानी 18.75₹ की है। अगर किताब के पृष्ठ 55 माने तो एक पृष्ठ ही 1.36₹ का है। अगर किताब online मंगवाई जाये तो 50₹ डिलीवरी चार्ज अलग से लगता है।
पृष्ठ का स्तर और मुद्रण बहुत अच्छा है। लेकिन फिर भी कहानी संग्रह का मूल्य अखरता है। बहुत से संस्थानों से 'पेपरबैक संस्करण' भी पचास रूपये में उपलब्ध हैं।

एक अच्छे कहानी संग्रह और बेहतरीन पेपर क्वालिटी और मुद्रण के लिए लेखक और प्रकाशक महोदय को हार्दिक धन्यवाद।
        एक रोचक कथा संग्रह, पठनीय रचनाए।

कहानी संग्रह-  छोटू
लेखक-          अरुण गौड़
संस्करण- ‌‌      सितंबर, 2018
पृष्ठ- ‌‌‌             51
मूल्य-            75
प्रकाशक-       flydreams publication

'छोटू' कथा संग्रह का आवरण पृष्ठ


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