एक दहशत की घटना- कुआं
वह कुआं एक श्राप था, ऐसी मान्यता थी कि एक राजा ने वो कुआं तब बनवाया था, जब वो ये फैसला लेने को तैयार हुआ कि सजाए मौत से बढकर किसी को कोई सजा दी जा सकती है।
कुआं...जो एक रहस्य था....कहते हैं वो कुआं क्रूरता का एक सूचक था। एक ऐसा कुआं, जहाँ मौत भी दुहाई मांगती थी। शायद वो एक प्रतीक था हैवानियत का। जहाँ कैदियों सजा के नाम पर मौत से भी बढकर सजा दी जाती थी। ऐसा भी माना जाता था है कि आजतक वहाँ से कोई बचकर कभी नहीं निकला। समय के साथ-साथ उसके आसपास बना बीहड़ और वो कुआं रहस्यमयी और हैवानियत का घर बनता गया। कहा जाता है, ये उन कैदियों की आत्माएं हैं, जिन्हें उस कुएं में फेंका गया था और जिन्हें मौत तो मिली मुक्ति नहीं।
दो दोस्त अजय और सतीश अपने गाँव जाते हैं। रास्ते में एक कुआं है। अजय उस कुएं पर चला जाता है और वहीं से कुछ खौफनाक घटनाओं का आरम्भ हो जाता है।
एक दोस्त के शरीर में प्रविष्ट शैतानी आत्मा अपना प्रतिशोध लेना चाहती है।
- कुएं का राज क्या था?
- आत्मा किससे प्रतिशोध लेना चाहती थी?
- कौन था असली गुनहगार?
- अजय और सतीश का क्या हुआ?
आदि प्रश्नों के लिए 'कुआं' नामक किताब पढनी होगी। जो की हाॅरर श्रेणी की कथा है।
देखा जाये तो 'कुआं' कोई कहानी नहीं है, यह मात्र एक घटना का विवरण मात्र है। जैसे अखबार/ मौखिक किसी से कोई हम घटना पढते/ सुनते हैं। कुआं उसी तरह की एक घटना प्रधान कथा मात्र है। इस कथा का आरम्भ अवश्य होता है लेकिन कोई अंत नहीं कहा जा सकता।
कथा का आरम्भ बहुत रोचक तरीके से होता है लेकिन अंत नहीं। एक अधूरापन सा छोड़ कर कहानी 'अतार्किक' रूप से खत्म हो जाती है और पाठक ठगा सा रह जाता है।
लेखक/प्रकाशक चाहते तो इस कहानी को एक क्लाईमैक्स तक ले जा सकते थे।
किताब में शाब्दिक गलतियाँ बहुत है। मेरे पास fly dreams publication की पांच किताबे हैं और सभी में शाब्दिक गलतियाँ देखने को मिलती हैं। इस तरफ ध्यान देना आवश्यक है। कुछ उदाहरण देखें
थुक (पृष्ठ-12), दुसरे(पृष्ठ-16), "...तो ये साच है।" (पृष्ठ-42)
"तब पण्डित जी, कहां है लड़का?" (पृष्ठ-23) (अब पण्डित... होना था।)
"रुको अभी आरती होने तक नहीं करना है कुछ।" (पृष्ठ-23)
"कमरे में पंखे के आवाज..." (पृष्ठ-26)
मेरे विचार से 49 पृष्ठ की किताब पर 75₹ खर्च करना उचित नहीं है।
लघु उपन्यास- कुआं
लेखक- ब्रजेश कुमार
संस्करण- सितंबर- 2018
पृष्ठ- 49
मूल्य- 75₹
प्रकाशक- FlyDream Publication, Patna
Email- teamflydreams@gmail.com
वह कुआं एक श्राप था, ऐसी मान्यता थी कि एक राजा ने वो कुआं तब बनवाया था, जब वो ये फैसला लेने को तैयार हुआ कि सजाए मौत से बढकर किसी को कोई सजा दी जा सकती है।
कुआं...जो एक रहस्य था....कहते हैं वो कुआं क्रूरता का एक सूचक था। एक ऐसा कुआं, जहाँ मौत भी दुहाई मांगती थी। शायद वो एक प्रतीक था हैवानियत का। जहाँ कैदियों सजा के नाम पर मौत से भी बढकर सजा दी जाती थी। ऐसा भी माना जाता था है कि आजतक वहाँ से कोई बचकर कभी नहीं निकला। समय के साथ-साथ उसके आसपास बना बीहड़ और वो कुआं रहस्यमयी और हैवानियत का घर बनता गया। कहा जाता है, ये उन कैदियों की आत्माएं हैं, जिन्हें उस कुएं में फेंका गया था और जिन्हें मौत तो मिली मुक्ति नहीं।
दो दोस्त अजय और सतीश अपने गाँव जाते हैं। रास्ते में एक कुआं है। अजय उस कुएं पर चला जाता है और वहीं से कुछ खौफनाक घटनाओं का आरम्भ हो जाता है।
एक दोस्त के शरीर में प्रविष्ट शैतानी आत्मा अपना प्रतिशोध लेना चाहती है।
- कुएं का राज क्या था?
- आत्मा किससे प्रतिशोध लेना चाहती थी?
- कौन था असली गुनहगार?
- अजय और सतीश का क्या हुआ?
आदि प्रश्नों के लिए 'कुआं' नामक किताब पढनी होगी। जो की हाॅरर श्रेणी की कथा है।
देखा जाये तो 'कुआं' कोई कहानी नहीं है, यह मात्र एक घटना का विवरण मात्र है। जैसे अखबार/ मौखिक किसी से कोई हम घटना पढते/ सुनते हैं। कुआं उसी तरह की एक घटना प्रधान कथा मात्र है। इस कथा का आरम्भ अवश्य होता है लेकिन कोई अंत नहीं कहा जा सकता।
कथा का आरम्भ बहुत रोचक तरीके से होता है लेकिन अंत नहीं। एक अधूरापन सा छोड़ कर कहानी 'अतार्किक' रूप से खत्म हो जाती है और पाठक ठगा सा रह जाता है।
लेखक/प्रकाशक चाहते तो इस कहानी को एक क्लाईमैक्स तक ले जा सकते थे।
किताब में शाब्दिक गलतियाँ बहुत है। मेरे पास fly dreams publication की पांच किताबे हैं और सभी में शाब्दिक गलतियाँ देखने को मिलती हैं। इस तरफ ध्यान देना आवश्यक है। कुछ उदाहरण देखें
थुक (पृष्ठ-12), दुसरे(पृष्ठ-16), "...तो ये साच है।" (पृष्ठ-42)
"तब पण्डित जी, कहां है लड़का?" (पृष्ठ-23) (अब पण्डित... होना था।)
"रुको अभी आरती होने तक नहीं करना है कुछ।" (पृष्ठ-23)
"कमरे में पंखे के आवाज..." (पृष्ठ-26)
मेरे विचार से 49 पृष्ठ की किताब पर 75₹ खर्च करना उचित नहीं है।
लघु उपन्यास- कुआं
लेखक- ब्रजेश कुमार
संस्करण- सितंबर- 2018
पृष्ठ- 49
मूल्य- 75₹
प्रकाशक- FlyDream Publication, Patna
Email- teamflydreams@gmail.com
No comments:
Post a Comment