वैज्ञानिकों की हत्या का रहस्य
बोलते सिक्के - कर्नल रंजीत
अप्रैल 2025 में मैंने कर्नल रंजीत के उपन्यास पढें हैं और यह सिलसिला जारी है। कभी-कभी यह कोशिश होती है एक ही लेखक के स्वयं के पास उपलब्ध समस्त उपन्यास पढ लिये जायें हालांकि यह प्रयास कभी कभार ही पूरा होता है।जैसे इस बार कर्नल रंजीत के उपन्यास पढने आरम्भ किये तो कुछ छुपे हुये उपन्यास और सामने आ गये। अब उनको कब तक पढा जायेगा यह कहा नहीं जा सकता। फिर भी कोशिश जारी है।
कर्नल रंजीत का उपन्यास '11 बजकर 12 मिनट' के साथ एक और उपन्यास संलग्न था जिसका नाम है 'बोलते सिक्के'।
यह उपन्यास उन लोगों की कहानी है जो धन-दौलत के लिए अपना मान-सम्मान सब कुछ बेचने को तैयार हो जाते हैं।
अब चलते हैं 'बोलते सिक्के' उपन्यास के प्रथम दृश्य की ओर, अध्याय का नाम है 'भयंकर तूफान'
भयंकर तूफान
रात आधी से अधिक बीत चुकी थी।
चारों ओर घटाटोप अंधियारा छाया हुआ था, जिसे आकाश के सीने को रौंदकर उमड़ती-घुमड़ती दैत्याकार काली-कजरारी घटाओं ने और अधिक भयावह बना दिया था।
हवा इतनी तेज चल रही थी जैसे आंधी चल रही हो। पहले हल्की-हल्की बौछारें पड़ती रही थीं लेकिन अब वे हल्की-हल्की बौछारें मूसलाधार बारिश में बदल गई थीं।