#हैशटैग- सुबोध भारतीय
लेखक सुबोध भारतीय जी के साथ |
प्रस्तुत कहानी संग्रह '# हैशटैग' में कुल आठ कहानियाँ हैं जो शहरी परिवेश के विविध रूप पाठक के समक्ष प्रस्तुत करती हैं। जो रोचक हैं, मार्मिक हैं, हास्यजनक है और संवेदनशील है।
इस संग्रह की प्रथम कहानी है -'क्लाइंट'। विश्वास, अविश्वास और प्यार पर आधारित यह कहानी वर्तमान परिवेश को बहुत अच्छे से स्पष्ट करती है। आधुनिक समय में हर व्यक्ति दूसरे को मूर्ख बना कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहता है, इसलिए वह दूसरे की भावनाओं का इस्तेमाल करने से भी नहीं हिचकता।
ऐसा ही होता है कथानक देव के साथ।
प्यार में पागल देव के लिए सब कुछ अच्छा है,
जब बदन पोंछने के लिए तौलिया लिया तो देखा वह बनियान पहने ही नहा लिया था।(पृष्ठ-29)
यह था देव पर प्यार का नशा। लेकिन जब यह नशा टूटा तो देव का ही नहीं पाठकों का भी मन भर आता है।
'खुशी के हमसफर' संग्रह की द्वितीय कहानी है। यह कहानी हमारे सामाजिक परिवेश, हमारी सोच को दर्शाती है।
खबर सारी सोसायटी में जंगल की आग की तरह फैल गयी। जिसने भी सुना दांतों तले उंगली दबा ली। इस उम्र में ये करतूत ! 16 नंबर वाली मिसेज निरुपमा वर्मा 19 नंबर वाले राजेन्द्र तनेजा के साथ लिव-इन में रहने लगी हैं।
यह कहानी है एकांकी जीवन जी रहे दो व्यक्तियों की। अकेला रहना बहुत ही मुश्किल काम है, जीवन में अवसाद पैदा करता है। जब उस एकांकी जीवन से निकलने की कोशिश की तो उनके जीवन में क्या-क्या परेशानियां आयी यह पठनीय है।
यह कहानी चाहे 'लिव-इन' पर आधारित है, पर यह 'लिव-इन' वर्तमान में भौतिकवादी जीवन से बहुत अलग है। जो भौतिक विषय-वासना से हटकर मनुष्य को सामाजिक जीवन का एक अलग रूप दिखाता है।
यह कहानी हमें जीवन के प्रति सचेत रहने को प्रेरित करती है।
'बिन बुलाये मेहमान' एक मार्मिक रचना है। वर्तमान शहरी और ग्रामीण लोगों की विचारधारा को बहुत ही खूबसूरती के साथ इस रचना में अंकित किया गया है।
'अम्मा' इस संग्रह की एक संवेदनशील रचना है। अम्मा एक रेखाचित्र है। लेखन ने बहुत ही खूबसूरती के साथ अम्मा के चरित्र को उभारा है और वह भी अम्मा की कार्यशैली से।
'अम्मा' को पढते वक्त पाठक के मस्तिष्क में अनायास ही महादेवी वर्मा के पात्र घूमने लगते हैं।
'डाॅजी:- खुशियों का नन्हां फरिश्ता' एक नन्हें कुत्ते पर आधारित भावुक रचना है। आपने महादेवी वर्मा के जानवरों से संबंधित संस्मरण पढे होंगे। यह भी उसी श्रेणी का एक संस्मरण मान सकते हैं।
एक परिवार का एक जानवर के साथ किस हद तक संबंध जुड़ जाता है यह आप इस रचना में देख सकते हैं। एक नन्हा प्राणी भी घर का एक पारिवारिक सदस्य बन जाता है।
नन्हां डाॅजी ही नहीं यह कहानी भी पाठक के साथ संबंध स्थापित कर लेती है। डाॅजी के चले जाने का जितना दर्द पात्रों को होता है उतना ही पाठक को।
यह लेखक महोदय की विशेषता है की उन्होंने शब्दों के जाल से पाठक को कहानी और पात्रों के साथ बाँध लिया है।
'हम ना जायेंगे रेस्टोरेंट कभी' यह एक हास्यजनक रचना है। वर्तमान समय में लोग घर का खाना छोड़ कर बाहर के खाने को महत्व देने लगे हैं।
खाने को लेकर हास्यजनक शैली में लिखी गयी यह कहानी इस संग्रह की सबसे अलग रचना है।
मेरी दृष्टि में यह कहानी न होकर एक प्रचलित चुटकुले का विस्तृत रूप है।
इस संग्रह में कुछ आठ कहानियाँ है मेरे विचार से दस कहानियाँ तो होनी ही चाहिये। उम्मीद है आगामी संस्करण में आठ से दस कहानियाँ हो जायें।
इस संग्रह की एकमात्र कहानी 'हम न जायेंगे रेस्टोरेंट कभी' इस संग्रह की बाकी कहानियों से की स्तर की नहीं है।
इस संग्रह की भाषाशैली इस की एक विशेष पहचान है। भाषा बहुत ही सरल और सुबोध है। भाषा में कहीं का अतिरिक्त आडम्बर नहीं है। पाठक सहजता से कहानी पढ और समझ सकता है। एक अच्छे लेखक की यह विशेषता होनी चाहिए की वह भाषा सामान्य पाठक तक के अनुकूल लिखे।
"#हैशटैग' सुबोध भारतीय जी द्वारा रचित शहरी जीवन की कहानियाँ का मार्मिक संकलन है। इस संग्रह की कहानी जहाँ संवेदनशील हैं वहीं बहुत से विषयों पर गहरी चोट करती हैं और हमें सोचने को भी विवश करती है। हम वर्तमान आधुनिकता में आखिर कहा जा रहे हैं,क्यों हमारी संवेदनाएं खत्म होती जा रही हैं। यह कहानी संग्रह वर्तमान भौतिकवादी जीवन शैली का सही विश्लेषण करता है।
लेखक राम पुजारी जी का धन्यवाद, जिन्होंने यह किताब मुझे दी।
पुस्तक- #हैशटैग
लेखक- सुबोध भारतीय
प्रकाशक- सत्यबोध
पृष्ठ- 176
मूल्य- 200₹
प्राप्ति लिंक- #हैशटैग
बेहतरीन समीक्षा के लिए धन्यवाद और आभार
ReplyDeleteशानदार , गुरप्रीत जी साहित्य की ऊंचाई के लिए दिलो जान से जुटे हैं, फ्रॉम दिलशाद
ReplyDeleteपुस्तक के प्रति उत्सुकता जगाता आलेख। पढ़ने की कोशिश रहेगी।
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