Saturday 15 October 2022

537. युगांतर - दिलशाद अली

युग बदला, पर नहीं बदला प्रेम और प्रतिशोध
युगांतर- दिलशाद अली

सुनते आए हैं कि मोहब्बत जब हद से बढ़ जाए, तो इबादत बन जाती है। बिल्कुल ऐसे ही, जैसे दर्द एक हद को पार करके दवा बन जाता है।
कुछ ऐसी ही मोहब्बत थी बाहर ग्रह से आई फूली सी नाजूक, परियों की सुंदर,  विद्युत सी चपल चंद्रिका की और पृथ्वी के साधारण से लड़के तारा की।
             सच्ची मोहब्बत हो और इम्तिहान ना ले, ऐसा संयोग विरला ही देखने में आता है।  तारा, और चंद्रिका की मोहब्बत भी सच्ची थी। न सिर्फ सच्ची थी, बल्कि इबादत
की सूरत भी अख्तियार कर चुकी थी।
             लिहाजा इम्तिहान की शक्ल में उनके हिस्से में युगों- युगों की जुदाई आई, और जुदाई भी ऐसी कि दोनों न सिर्फ एक दूसरे को, बल्कि खुद को भी भूल गए।
क्या हुआ जब याददाश्त खो चुके चंद्रिका और तारा का युगों बाद आमना-सामना हुआ ?
वृहद कालखंड में फैली एक लोमहर्षक विज्ञान फंतासी युक्त प्रेम कहानी।
(किंडल से)
लेखक दिलशाद अली जी के साथ, मेरठ 17.09.2022

उत्तर प्रदेश के हापुड़ शहर के युवा लेखक दिलशाद अली जी की द्वारा रचना 'युगांतर' शब्दगाथा प्रकाशन से प्रकाशित हुयी है।
   यह कहानी है प्रेम और प्रतिशोध की जो सदियों तक फैलाव लिये हुये है। कहानी का आरम्भ यह वृद्ध और एक बालक से होता है।
पृथ्वी पर
वर्तमान
सन 1960
दादा जी...दादा जी !”-छोटा लड़का जिसकी उम्र लगभग दस साल रही होगी, दौड़ता हुआ अस्तबल में पहुँचा। अस्तबल में एक व्यक्ति घोड़ों के लिए चारा बना रहा था। व्यक्ति की उम्र लगभग पचपन के आस-पास थी।
“तू तो ऐसे भागा आ रहा है, जैसे किसी भूत को देख लिया हो। कैसे गला फाड़ रहा है हींगे?” -कार्य को बिना रोके व्यक्ति ने पूछा।
“दादा जी, दादा जी, आज मैंने चमत्कार देखा।”-लड़के की आँखों में अविश्वास के भाव तैर रहे थे।
“क्या तूने हिंदुस्तान में पिरामिड देख लिया ?”-व्यक्ति ने बिना मुड़े मुस्कुराते हुए पूछा।

  'युगांतर' में तीन समांतर कहानियाँ चलती हैं‌। तीनों के पात्र समान हैं। तीनों कहानियाँ अलग- अलग हैं और यह पृथ्वी तथा गेटिजटर ग्रह पर घटित होती हैं।
सन् 1860
सन् 1910
सन् 1960 वर्तमान समय
   
सन् 1910
कहानी है याददाश्त खोये एक लड़के और एक लड़की की। संयोग से दोनों एक जगह टकरा जाते हैं लेकिन दोनों इस बात से भी चकित होते हैं की दोनों की स्मृति गायब है। आखिर कैसे?
"क्या तुम बता सकते हो कि म...मैं कौन हूँ और कहां रहता हूँ।?''- लड़के के मुँह से बरबस ही निकल गया।
अब लड़की का भी हाल देख लीजिए।
" मैं कहां से आई हूँ? मेरा घर कहां है? मुझे कुछ खबर नहीं।..."
सन 1493

गेटिजटर ग्रह
पृथ्वी कैलेंडर के अनुसार सन 1690
पृथ्वी से अरबों किलोमीटर दूर ।
गेटिजटर ग्रह पृथ्वी के अनुरूप जीवन से भरपूर है। पृथ्वी के अनुरूप यहाँ की श्रेष्ट संरचना 'वारथा' है, जो पृथ्वी की मानव जाति के समान ही है। ‘वारथा' जाति का रंग पृथ्वी वासियों से कुछ अलग है। 'वारथा' जाति का रंग चमकदार भूरा है। विशेष परिस्थिति में शरीर का रंग भूरे से तेज नीला होकर चमकने लगता है। गेटिजटर ग्रह की भाषा रहस्यमयी और विचित्र है।

   यहाँ के राजा वुलचा और रानी हानी की एकमात्र संतान चंद्रिका है। वहीं राजा के दोनों भाई नीकसा और बहवा की नजर राजगद्दी पर होती है। वह हर समय षड्यंत्र रचते रहते हैं राज्य हथियाने को। गेटिजटर के षडयंत्र से बचने के लिए राजा अपनी‌ पुत्री चंद्रिका को पृथ्वी पर भेज देते हैं।
     वहीं एक कहानी चलती है तारा नामक युवक की। जो टीचर नामक खलपात्र से टकाराता है। प्रथम हिंसक मुठभेड़ को लेखक महोदय ने बिलकुल हाॅलीवुड की फिल्मों की तरह चित्रित किया है। एक-एक दृश्य जीवंत लगता है।
   धीरे-धीरे सभी कहानियाँ आगे बढती हैं और एक मोड़ पर सब रहस्य स्पष्ट हो जाते हैं।
    इस अजीब कथानक के विषय में ज्यादा लिखने का अर्थ है कथा का रोमांच खत्म करना। आप उपन्यास पढें और रोमांच की एक अनोखी दुनिया में खो जायें।
हिंदी रोमांच साहित्य में फतांसी उपन्यासों की जो कमी है उसे दिलशाद जी ने पूर्ण किया है। वह चाहे इनका प्रथम उपन्यास 'सीटी आॅफ इविल' हो या द्वितीय उपन्यास 'युगांतर'।
'युगांतर' दिलशाद अली जी द्वारा लिखित 'प्रेम और प्रतिशोध' पर आधारित रोमांच से परिपूर्ण कहानी है। जिसमें एक तरफ अजनबी युवक- युवती हैं जो अपनी स्मृति खो चुके हैं। वहीं एक ग्रह गेटिजटर का वर्णन है जहाँ सत्ता प्राप्ति हेतु संघर्ष चलता है।
  इन दो कहानियों के अतिरिक्त एक और कहानी चलती है वह कहानी है तारा नामक एक रहस्यमयी पात्र की। जिस पर कोई गोली, हथियार प्रभाव नहीं डालता।
   तीन अलग-अलग समय की तीन कहानियाँ है जो उपन्यास के अंत में जाकर ही एक होती हैं। मेरे विचार से अगर यह कहानी उपन्यास के मध्य या मध्य पश्चात एक हो जाती और फिर एक ही कहानी आगे बढती तो पाठक की बुद्धि चक्कर काटने से बच जाती। क्योंकि तीन अलग-अलग कहानियाँ, अलग समय पर समान पात्रों को समझना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
       उपन्यास का आवरण पृष्ठ उपन्यास के अनुरूप नहीं है। इस पर अतिरिक्त परिश्रम की आवश्यकता है। 
उपन्यास कथा के स्तर पर बहुत अच्छा और रोचक है। लेखक महोदय धन्यवाद के पात्र हैं जो उन्होंने एक अलग विषय पर उपन्यास लिखा है।
उपन्यास- युगांतर
लेखक-   दिलशाद अली
प्रकाशक- शब्दगाथा
पृष्ठ-
मूल्य

प्राप्ति लिंक- शब्दगाथा
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1 comment:

  1. उपन्यास रोचक लग रहा है। मँगवा दिया है। जल्द ही पढ़ने की कोशिश रहेगी। आभार।

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