Saturday, 6 August 2022

529. पीला तूफान - कुमार रहमान

नयी कहानी पुराना अंदाज
पीला तूफान - कुमार रहमान

एक शक्ल के तीन लोग, ऐसा कैसे हो सकता है! आखिर यह मामला क्या है, दो की मौत हो चुकी है और अब यह तीसरी...यह सब यहाँ इस शहर में क्या कर रहे हैं, आखिर क्या मकसद है इसका...सलीम खड़ा सोचता रहा।
    लोकप्रिय जासूसी उपन्यास साहित्य में एक नया नाम सामने आया है - कुमार रहमान। वैसे तो कुमार रहमान जी के उपन्यास Social Network पर काफी समय से दिखाई दे रहे हैं, लेकिन किसी प्रकाशन संस्थान से प्रकाशित होने वाला 'पीला तूफान' प्रथम उपन्यास है।
पीला तूफान एक थ्रिलर उपन्यास है जो आपको 'इब्ने सफी साहब' के समय की याद ताजा करा देगा।
     उपन्यास का आरम्भ एक शहर में आये पीले रंग के तूफान से होता है।
वह शाम अजीब थी। शाम होने पर आसमान सिंदूरी हो जाता है या फिर अक्सर लाल। उस शाम ऐसा नहीं हुआ था। बादलों से भरा आसमान पीला-पीला सा दिख रहा था। शुरू में लोगों ने कुछ खास ध्यान नहीं दिया...जब यह पीलापन बढ़ने लगा तो लोगों की जिज्ञासा खौफ में बदलती चली गयी।
     हर कोई आसमान की तरफ ही देख रहा था। लोग चलते-चलते रुककर ऊपर की तरफ देखने लगते। आसमान पर पीलापन बढ़ने लगा तो लोगों पर खौफ तारी हो गया। लोग छत की तलाश में तेजी से इधर-उधर पहुँचने की कोशिश करने लगे। 'बादलों का रंग इतना पीला कैसे हो सकता है भला?' हर किसी के मन में यही सवाल था।
  
     पीला तूफान तो आकर गुजर गया। पर उस रात की सुबह एक और सनसनी के साथ सामने आयी।सुबह होते-होते बारिश खत्म हो गयी और सुनहरी धूप निकल आयी। लेकिन सुबह जैसे एक नयी सनसनी का इंतजार था। शहर कोतवाली के सामने एक लाश पड़ी मिली थी... एक विदेशी महिला की लाश। इस लाश पर कोई भी कपड़ा नहीं था। 
           ताज्जुब में डालने वाली बात यह थी कि पूरे जिस्म पर पीला पेंट पुता हुआ था। कोतवाली के सामने लाश मिलने से पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी।

    इस केस की जिम्मेदार इंस्पेक्टर मनीष को दी जाती है, लेकिन अभी यह केस हल भी न हुआ और पुलिस कमिश्नर के कार्यालय के समक्ष एक और विदेशी महिला की लाश मिली।
      और आश्चर्यजनक बात तो यह थी दोनों मृतकों की शक्ल एक जैसी थी।
ऐसा कैसे हो सकता है।” मनीष धीरे से बुदबुदाया। “एक दम एक जैसी दो लाशें, हे भगवान!”
    
   इस कठिन केस को हल करने की जिम्मेदार खुफिया विभाग के इंस्पेक्टर कुमार सोहराब और सार्जेंट सलीम के जिम्मे आती है।
    इस केस को सुलझाते वक्त सार्जेंट सलीम के सामने एक और आश्चर्य आता है। जिसे देखकर वह हैरान था -बिल्कुल उन दो शक्लों जैसी, जो अब इस दुनिया में नहीं थीं... यानी तीसरी हमशक्ल।
     इंस्पेक्टर सोहराब जल्दी ही सार्जेंट सलीम को इस तृतीय हम शक्ल लड़की की सुरक्षा की जिम्मेदारी देते हैं, लेकिन सार्जेंट सलीम‌ के होते हुये भी इस लड़की पर कई जानलेवा हमले होते हैं।
  सार्जेंट सलीम के जेहन कई सारे सवाल दौड़ रहे थे।
- आखिर एक जैसी तीन हमशक्ल औरतें कैसे हो सकती हैं?
- यह तीसरी हमशक्ल कौन है?
- कौन लोग हैं जो तीसरी हमशक्ल की जान लेना चाहते हैं?
- इंस्पेक्टर सोहराब क्यों उससे ही उसकी निगरानी करा रहा है
?
     वहीं शहर में एक अज्ञात बूढा भी सक्रिय है। उसका किरदार उपन्यास में बहुत कम दर्शाया गया है लेकिन जब भी वह सामने आता है तो लगता है जैसे वह सनकी है।
  और अंत में इंस्पेक्टर कुमार सोहराब अपनी तीव्र बुद्धि से इस केस को हल करता है।
   उपन्यास के विषय में ज्यादा लिखने से उपन्यास के वास्तविक आनंद से पाठक वंचित हो सकता है, इसलिए उपन्यास का वास्तविक आनंद लेने के लिए कुमार रहमान द्वारा रचित 'पीला तूफान' उपन्यास पढें और खो जाये लोकप्रिय साहित्य के उस सुनहरे दौर में जब आश्चर्यजनक घटनाएं घटित होती थी, जासूस महोदय सीटी बजाकर केस हल करते थे, कुछ विदेश ताकतें भारत के विरुद्ध सक्रिय होती थी।
       'पीला तूफान' कुमार रहमान जी दिया रचित एक मर्डर मिस्ट्री उपन्यास है। अगर आपने 'इब्ने सफी, कर्नल रंजीत, गुप्तचर' जैसे लेखकों को पढा है तो यह उपन्यास पूर्णतः उसी श्रेणी का है। उपन्यास में पूर्णतः उसी तरह का वातावरण दर्शाया गया है। जैसे पीले रंग का तूफान आना, खूफिया पुलिस, सार्जेंट, प्रत्येक चैप्टर का शीर्षक, डांस क्लब, मेकअप द्वारा चेहरा परिवर्तन, विदेशी खलनायक, कथानक का किसी भी रहस्य को स्पष्ट न कर‌ना और अंत में एक कहानी सुना कर स्पष्टीकरण इत्यादि। 
  कुमार रहमान साहबने पुरानी परंपरा को पुनः जीवित किया है, वह भी नये अंदाज में।
उपन्यास की कथावस्तु रोचक और तीव्र है, कहीं भी नीरसता नहीं है।
मैं साहित्य का विद्यार्थी रहा हूँ, भाषा विज्ञान भी पढा है। शब्दों के अर्थ परिवर्तन, शब्दों का बदलना जैसे तथ्य मुझे बहुत रोचक लगते हैं। प्रस्तुत उपन्यास में भी एक ऐसा प्रसंग पढने को मिला।
यह कोठी फंटूश रोड पर थी। अँग्रेजों के जमाने में इस सड़क के आगे नदी किनारे सन बॉथ कराने वाला एक क्लब हुआ करता था। उस क्लब का नाम ‘फन टू सन’ था... क्लब के नाम पर ही इसे ‘फन टू सन रोड’ कहा जाने लगा।  बाद में लोगों ने अपनी सुविधा के हिसाब से तीनों शब्दों को जोड़ दिया। ‘सन’ का ‘न’ अक्षर हटाकर फंटूश बना दिया और अब यह सड़क फंटूश रोड कही जाने लगी। हालाँकि फंटूश स्कॉटिश भाषा का शब्द है, इसका मतलब होता है भड़कीला या दिखावटी, लेकिन यह शब्द हिंदी जैसा ही लगता है।
'पीला तूफान' एक मर्डर मिस्ट्री युक्त उपन्यास है। एक शहर में दो हमशक्ल लड़कियों की हत्या से शुरु हुआ यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैला नजर आता है।
    उपन्यास का कथानक रोचक और तीव्र है। उपन्यास 'इब्ने सफी साहब' के समय के दौर की याद ताजा करवाता है।
उपन्यास - पीला तूफान
लेखक -    कुमार रहमान
फॉर्मेट -     eBook on kindle
उपन्यास लिंक - पीला तूफान



5 comments:

  1. बेहतरीन समीक्षा। जल्द पढ़ता हूँ।

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  2. उपन्यास रोचक लग रहा है। पढ़ने की कोशिश रहेगी।

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  3. संजय आर्य7 August 2022 at 21:03

    अभी तक एक भी उपन्यास लेखक के नही पढ़ सका पर इस उपन्यास को अवश्य पढूंगा , समीक्षा के लिए धन्यवाद

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  4. वाकई लाजवाब समीक्षा......

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  5. Upanyas to rochak lg rha h Pdhenge

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