एक साधारण सी मर्डर मिस्ट्री
जासूसी फंदा- नकाबपोश भेदी
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में एक समय ऐसा भी था जब Ghost writing का परचम फहराता था। हर एक प्रकाशन ने अपना-अपना छद्म लेखक (Ghost writer) मैदान में उतार रखा था। इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'भयंकर जासूस' में एक लेखक थे नकाबपोश भेदी। नाम से ही स्पष्ट होता है यह छद्म लेखक थे। नकाबपोश भेदी साहब जासूसी उपन्यास लेखन करते थे। इनका उपन्यास 'जासूसी फंदा' उपन्यास पढा जो की मर्डर मिस्ट्री आधारित रचना है। उपन्यास नायक हैं इंस्पेक्टर वर्मा। उस रात इन्स्पेक्टर वर्मा को कुछ काम नहीं था। दो ही दिन पहले वे एक भयानक षड्यन्त्र का पता लगा कर निवृत हुये थे। उसी दिन उनका सहकारी रमेश १५ दिन की छुट्टी लेकर बाहर चला गया था। शाम को भोजन करने के बाद सिनेमा देखने चले गये थे। वहाँ से टहलते हुए वे अपने फ्लैट की ओर जा रहे थे। सिनेमा खत्म होते ही बड़े शहरों में कम से कम सुबह चार बजे तक के लिये सन्नाटा छा जाता है। जरूरी सामान लाने ले जाने वाली एक दो गाड़ियां आती-जाती हैं।
घर लौटते हुये इंस्पेक्टर वर्मा को कोई जबरन अपने साथ ले गया और काम था हत्या की पहेली को हल करना।
मिल मालिक अनंग शमशेर बहादुर अपने घर पर मृत पाये गये, उनके पुत्र जंग शमशेर सिंह का मानना था यह कत्ल है और इस कत्ल की जाँच के लिए वह जबरदस्ती से इंस्पेक्टर वर्मा ले आये।
और इंस्पेक्टर वर्मा ने लाश देखकर कहा- "लेकिन मैं असलियत को तो नहीं बदल दूंगा अगर आत्महत्या ही हुई है तो खूनी कहाँ से मिल जायगा।"
"खूनी मिलेगा और हजार बार मिलेगा जी। चाहे तुमको कुछ भी करना पड़े। अगर जिन्दा नहीं मिलता तो मुझे उसकी लाश ही लाकर दे दो जी। नहीं तो उसके हाथ से लिखवा कर ला दो कि उसी ने खून किया है। दूसरा कोई उपाय ही नहीं है। सुन लिया न ?”
सनकी जंग शमशेर साहब का कहना है उसके पिता अनंग शमशेर बहादुर के कातिल को ढूंढा जाये। कत्ल हुआ या नहीं, पर उन्हें तो कातिल चाहिये।
".....सामने एक जिद्दी आदमी खड़ा है, जो अपनी के आगे दूसरे की सुनने को तैयार ही नहीं है। उनके का ब शमशेर के वही शब्द गूँज रहे थे। चाहे मेरे पिता ने आत्म हत्या की या उनकी हत्या हुई मगर तुम्हें खूनी तलाश करना ही पड़ेगा ।"
वे सोच रहे थे अगर इस पागल की बात नहीं मानता तो न जाने यह क्या कर डालेगा। मैं इस वक्त पूरी तरह इसके कब्जे में हूँ। शायद बाहर की दुनिया को पता ही न लग सके कि जासूस वर्मा कौन से संसार में निवास कर रहे हैं। (उपन्यास अंश)
अजीब समस्या से घिर गये इंस्पेक्टर वर्मा। और इस समस्या को हल करने के लिए वह निकल पड़े इस मर्डर मिस्ट्री को हल करने।
अनंग शमशेर बहादुर का भी अजीब किस्सा है। नेपाल से मात्र अपने पुत्र जंग शमशेर के साथ भारत आया तो यहीं का होकर रह गया और होता भी क्यों ना, यहाँ वह अमीर आदमी जो बन गया। बेटे को विदेश पढने भेजा और स्वयं पीछे से जिंदगी के मजे लूटने लगा। एक दो शादियाँ भी की और पुत्र के स्वदेश लौटने से पूर्व वह पूर्णतः पहले जैसा जीवन जीने लगा। लेकिन लगी हुयी आदत इतनी जल्दी नहीं छूटती। इसलिए एक एंग्लो इण्डियन लड़की को प्राइवेट सेक्रेटरी अमेलिया को रख लिया। वहीं चीफ क्लर्क हरडे भी अमेलिया की तरफ आकृष्ट नजर आता है और मिल मैनेजर हार्वे,जो की पुलिस सार्जेंट रह चुका है, अमेलिया और हरडे को पसंद नहीं करता।
वहीं जंग शमशेर का कहना है कुछ लोग उसकी पिता की मृत्यु से खुश होंगे।
और इन सबके बीच उलझा है इंस्पेक्टर वर्मा। जिसे इस सनकी आदमी से बचना है और कथित कातिल को तलाशना है।
और बनना आरम्भ होता है इंस्पेक्टर वर्मा की जासूसी का फंदा जो असली अपराधी के गले की तलाश में था। इस तलाश के दौरान ज्यादातर तो इंस्पेक्टर वर्मा बयान ही लेते हैं,वहीं एक दो जगह वह इस कार्य के अन्य लोगों से भी मिलते हैं जैसे पत्रकार तुलसीदास।
अनंत: उनकी खोज सफल होती है।
इंस्पेक्टर वर्मा एक दक्ष व्यक्ति है, और उनकी प्रतिभा को उपन्यास के दौरान देखा जा सकता, कैसे वह एक-एक कड़ी मिलाते हुये असली अपराधी तक पहुँच जाते हैं। इसलिए इंस्पेक्टर वर्मा के विषय में लिखा है।
किसी जासूस के चार आंखें हों या न हों मगर वर्मा के तो चार क्या आठ और सोलह आँखें भी मान ली जायें तो थोड़ी है। सपने में भी कोई बात उनकी नजरों के सामने से गुजर जाये फिर क्या मजाल जो वे उसको हर पहलू से उसकी तह और चोटी देखे बिना चैन से बैठ जायें।
उपन्यास में अमेलिया के माध्यम से फिल्म जगत में फैले भ्रष्टाचार पर भी सार्थक टिप्पणी नजर आती है।
जासूसी फंदा- नकाबपोश भेदी
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में एक समय ऐसा भी था जब Ghost writing का परचम फहराता था। हर एक प्रकाशन ने अपना-अपना छद्म लेखक (Ghost writer) मैदान में उतार रखा था। इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'भयंकर जासूस' में एक लेखक थे नकाबपोश भेदी। नाम से ही स्पष्ट होता है यह छद्म लेखक थे। नकाबपोश भेदी साहब जासूसी उपन्यास लेखन करते थे। इनका उपन्यास 'जासूसी फंदा' उपन्यास पढा जो की मर्डर मिस्ट्री आधारित रचना है। उपन्यास नायक हैं इंस्पेक्टर वर्मा। उस रात इन्स्पेक्टर वर्मा को कुछ काम नहीं था। दो ही दिन पहले वे एक भयानक षड्यन्त्र का पता लगा कर निवृत हुये थे। उसी दिन उनका सहकारी रमेश १५ दिन की छुट्टी लेकर बाहर चला गया था। शाम को भोजन करने के बाद सिनेमा देखने चले गये थे। वहाँ से टहलते हुए वे अपने फ्लैट की ओर जा रहे थे। सिनेमा खत्म होते ही बड़े शहरों में कम से कम सुबह चार बजे तक के लिये सन्नाटा छा जाता है। जरूरी सामान लाने ले जाने वाली एक दो गाड़ियां आती-जाती हैं।
घर लौटते हुये इंस्पेक्टर वर्मा को कोई जबरन अपने साथ ले गया और काम था हत्या की पहेली को हल करना।
मिल मालिक अनंग शमशेर बहादुर अपने घर पर मृत पाये गये, उनके पुत्र जंग शमशेर सिंह का मानना था यह कत्ल है और इस कत्ल की जाँच के लिए वह जबरदस्ती से इंस्पेक्टर वर्मा ले आये।
और इंस्पेक्टर वर्मा ने लाश देखकर कहा- "लेकिन मैं असलियत को तो नहीं बदल दूंगा अगर आत्महत्या ही हुई है तो खूनी कहाँ से मिल जायगा।"
"खूनी मिलेगा और हजार बार मिलेगा जी। चाहे तुमको कुछ भी करना पड़े। अगर जिन्दा नहीं मिलता तो मुझे उसकी लाश ही लाकर दे दो जी। नहीं तो उसके हाथ से लिखवा कर ला दो कि उसी ने खून किया है। दूसरा कोई उपाय ही नहीं है। सुन लिया न ?”
सनकी जंग शमशेर साहब का कहना है उसके पिता अनंग शमशेर बहादुर के कातिल को ढूंढा जाये। कत्ल हुआ या नहीं, पर उन्हें तो कातिल चाहिये।
".....सामने एक जिद्दी आदमी खड़ा है, जो अपनी के आगे दूसरे की सुनने को तैयार ही नहीं है। उनके का ब शमशेर के वही शब्द गूँज रहे थे। चाहे मेरे पिता ने आत्म हत्या की या उनकी हत्या हुई मगर तुम्हें खूनी तलाश करना ही पड़ेगा ।"
वे सोच रहे थे अगर इस पागल की बात नहीं मानता तो न जाने यह क्या कर डालेगा। मैं इस वक्त पूरी तरह इसके कब्जे में हूँ। शायद बाहर की दुनिया को पता ही न लग सके कि जासूस वर्मा कौन से संसार में निवास कर रहे हैं। (उपन्यास अंश)
अजीब समस्या से घिर गये इंस्पेक्टर वर्मा। और इस समस्या को हल करने के लिए वह निकल पड़े इस मर्डर मिस्ट्री को हल करने।
अनंग शमशेर बहादुर का भी अजीब किस्सा है। नेपाल से मात्र अपने पुत्र जंग शमशेर के साथ भारत आया तो यहीं का होकर रह गया और होता भी क्यों ना, यहाँ वह अमीर आदमी जो बन गया। बेटे को विदेश पढने भेजा और स्वयं पीछे से जिंदगी के मजे लूटने लगा। एक दो शादियाँ भी की और पुत्र के स्वदेश लौटने से पूर्व वह पूर्णतः पहले जैसा जीवन जीने लगा। लेकिन लगी हुयी आदत इतनी जल्दी नहीं छूटती। इसलिए एक एंग्लो इण्डियन लड़की को प्राइवेट सेक्रेटरी अमेलिया को रख लिया। वहीं चीफ क्लर्क हरडे भी अमेलिया की तरफ आकृष्ट नजर आता है और मिल मैनेजर हार्वे,जो की पुलिस सार्जेंट रह चुका है, अमेलिया और हरडे को पसंद नहीं करता।
वहीं जंग शमशेर का कहना है कुछ लोग उसकी पिता की मृत्यु से खुश होंगे।
और इन सबके बीच उलझा है इंस्पेक्टर वर्मा। जिसे इस सनकी आदमी से बचना है और कथित कातिल को तलाशना है।
और बनना आरम्भ होता है इंस्पेक्टर वर्मा की जासूसी का फंदा जो असली अपराधी के गले की तलाश में था। इस तलाश के दौरान ज्यादातर तो इंस्पेक्टर वर्मा बयान ही लेते हैं,वहीं एक दो जगह वह इस कार्य के अन्य लोगों से भी मिलते हैं जैसे पत्रकार तुलसीदास।
अनंत: उनकी खोज सफल होती है।
इंस्पेक्टर वर्मा एक दक्ष व्यक्ति है, और उनकी प्रतिभा को उपन्यास के दौरान देखा जा सकता, कैसे वह एक-एक कड़ी मिलाते हुये असली अपराधी तक पहुँच जाते हैं। इसलिए इंस्पेक्टर वर्मा के विषय में लिखा है।
किसी जासूस के चार आंखें हों या न हों मगर वर्मा के तो चार क्या आठ और सोलह आँखें भी मान ली जायें तो थोड़ी है। सपने में भी कोई बात उनकी नजरों के सामने से गुजर जाये फिर क्या मजाल जो वे उसको हर पहलू से उसकी तह और चोटी देखे बिना चैन से बैठ जायें।
उपन्यास में अमेलिया के माध्यम से फिल्म जगत में फैले भ्रष्टाचार पर भी सार्थक टिप्पणी नजर आती है।
उपन्यास में जंग शमशेर का चरित्र सबसे अलग हटकर है। वह एक अमीर और सनकी व्यक्ति है। वह अपने पिता के खूनी की तलाश के लिए इंस्पेक्टर वर्मा को जबरन खोज पर लगा देता है यहाँ तक की इंस्पेक्टर वर्मा को धमकाता भी है।
रोचक कथन-
दुनिया क्या है?, हवस के गुलाम भेड़ियों से भरा हुआ एक जंगल है जिसको देखिये जबान ही चटखाता हुआ नजर आता है।
नकाबपोश भेदी द्वारा रचित 'जासूसी फंदा' एक मर्डर मिस्ट्री उपन्यास है। कहानी सामान्य स्तर की है, कहीं-कहीं अनावश्यक विस्तार कथा को बोझिल बनाता है।
उपन्यास एक बार पढा जा सकता है।
उपन्यास- जासूसी फंदा
लेखक - नकाबपोश भेदी
प्रकाशक- भयंकर भेदिया (पत्रिका) इलाहाबाद
रोचक कथन-
दुनिया क्या है?, हवस के गुलाम भेड़ियों से भरा हुआ एक जंगल है जिसको देखिये जबान ही चटखाता हुआ नजर आता है।
नकाबपोश भेदी द्वारा रचित 'जासूसी फंदा' एक मर्डर मिस्ट्री उपन्यास है। कहानी सामान्य स्तर की है, कहीं-कहीं अनावश्यक विस्तार कथा को बोझिल बनाता है।
उपन्यास एक बार पढा जा सकता है।
उपन्यास- जासूसी फंदा
लेखक - नकाबपोश भेदी
प्रकाशक- भयंकर भेदिया (पत्रिका) इलाहाबाद
रोचक।
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