बलराज गोगिया का तीसरा कारनामा
बारूद की आंधी- अनिल सलूजा
"अब क्या ख्याल है ?*
"कैसा ख्याल?"
"भई विदेश जाने का।
"वो तो जाना ही है, यहां रहा तो कभी न कभी पुलिस के हत्थे चढ़ जाऊंगा और अगर में एक बार पकड़ा गया तो इस बार कोई अवतार सिंह या इकबाल बचाने के लिए नहीं आने वाला और अदालत भी जल्द से जल्द फांसी पर चढ़ाने का हुक्मनामा जारी कर देगी।"
"एक जरिया था। एक वही दोस्त था लेकिन यह भी हरामजदगी दिखा गया।" एक लंबी सांस छोड़ते हुए राघव बोला।
"इसमें तेरा क्या कसूर था और फिर तूने उसे उसकी गद्दारी की सजा खुद अपने हाथों से दे दी थी।" बलराज गोगिया रुमाल निकालकर मुंह पौंछते हुए बोला।
गंगानगर पुलिस के हाथों आते-आते बचे थे बलराज गोगिया और राघव अगर ऐन वक्त पर वे इन्दिरा गांधी नहर में छलांग न मार गए होते तो दोनों की लाशें, वहीं पुल पर हो बिछी नजर आती।
"कैसा ख्याल?"
"भई विदेश जाने का।
"वो तो जाना ही है, यहां रहा तो कभी न कभी पुलिस के हत्थे चढ़ जाऊंगा और अगर में एक बार पकड़ा गया तो इस बार कोई अवतार सिंह या इकबाल बचाने के लिए नहीं आने वाला और अदालत भी जल्द से जल्द फांसी पर चढ़ाने का हुक्मनामा जारी कर देगी।"
"एक जरिया था। एक वही दोस्त था लेकिन यह भी हरामजदगी दिखा गया।" एक लंबी सांस छोड़ते हुए राघव बोला।
"इसमें तेरा क्या कसूर था और फिर तूने उसे उसकी गद्दारी की सजा खुद अपने हाथों से दे दी थी।" बलराज गोगिया रुमाल निकालकर मुंह पौंछते हुए बोला।
गंगानगर पुलिस के हाथों आते-आते बचे थे बलराज गोगिया और राघव अगर ऐन वक्त पर वे इन्दिरा गांधी नहर में छलांग न मार गए होते तो दोनों की लाशें, वहीं पुल पर हो बिछी नजर आती।