कौन था पारसी समुदाय का दुश्मन
गहरी चाल- कर्नल रंजीत
उपहार
सोनिया ने एक बहुत ही सुंदर फूलदार मोमी कागज और चार रंगों के रिबन में लिपटे हुए उस चौड़े बक्स को खोलने के लिए हाथ बढ़ाया तो मेजर बलवंत ने उसका हाथ पकड़ लिया "इस सुंदर बक्स को देखकर पागल क्यों हुई जाती हो ? यह बक्स खतरनाक भी हो सकता है। हो सकता है कि हमारे किसी शत्रु ने भेजा हो। इसमें कोई बम, कोई सांप या कोई खतरनाक यंत्र हो यह बक्स मैं खोलूंगा।"
सोनिया ने भयभीत होकर तुरंत अपना हाथ पीछे हटा लिया।
मेजर ने उस सुंदर बक्स को ध्यान से देखा। उसे उस बक्स में. कोई असाधारण बात नजर न आई। उसने कागज काटने वाली छुरी उठाकर उस बक्स के रिबन काट दिए । उसने फूलदार मोमी कागज उतारकर बक्स खोला। बक्स के भीतर टिशू पेपर की तह थी। उसके ऊपर एक खूबसूरत कार्ड था, जिस पर लिखा था- 'मेजर साहब की सोनिया के लिए।'
सोनिया भी वह कार्ड पढ़ चुकी थी और मुस्करा रही थी। मेजर ने टिशू पेपर हटा दिया। उसने सबसे पहली चीज उठाई। वह एक नये डिजाइन की अंगिया थी, जो बढ़िया किस्म के दोहरे कपड़े से बनी थी। मेजर ने वह अंगिया सोनिया की ओर फेंकते हुए कहा, "तुम्हारे जोबन का गिलाफ।"
सोनिया खिलखिलाकर हंस पड़ी। उसे वह अंगिया बहुत अच्छी लगी। बक्स में अंगिया के नीचे से क्रोशिए की कढ़ी हुई जालीदार शिफ्ट अर्थात बनियान के स्थान पर पहनने वाली छोटी कमीज निकली। मेजर ने उसे भी सोनिया की ओर फेंकते हुए कहा, "तुम्हारी केंचुली।" सोनिया को मेजर की यह बात पसंद न आई तो मेजर हंसा। उसने कहा, "सोनिया। सुंदरता को उजागर करने की बजाय उसे ढांपने वाली हर चीज से मुझे नफरत है। इसीलिए मैंने शिफ्ट को केंचुली कहा है।" यह कहकर मेजर ने एक जांघिया सोनिया की ओर उछाल दिया और बोला, "यह है..." लेकिन सोनिया ने मेजर के मुंह पर हाथ रख दिया । अब मेजर ने बक्स में से दूसरा कार्ड निकाला और पढ़ना शुरू कर दिया 'मेजर बलवंत! ब्यूटीफुल गारमेंट्स की ओर से सोनिया के लिए यह उपहार स्वीकार कीजिए और आज रात को साढ़े सात बजे सोनिया और अपने अन्य मित्रों के साथ 18, लैम्पशेड बिल्डिंग हार्नबी रोड पर पधारिए। हम अपनी एक नई शाखा खोल रहे हैं। हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे।'
"क्या आप चलेंगे?" सोनिया ने पूछा।
"तुम जाना चाहती हो तो जरूर चलेंगे।"
"मेरा ख्याल है कि हमें चलना चाहिए।" सोनिया ने परामर्श दिया ।
'गहरी चाल' कर्नल रंजीत का नई पृष्ठभूमि पर लिखा गया अत्यंत रोचक जासूसी उपन्यास है। इसमें अपने हित के लिए देश-हित को भेंट चढ़ाने वाले एक खूंखार गिरोह की दिल दहला देने वाली काली करतूतों की बड़ी ही रोमांचक कहानी है। इस षड्यंत्र का भंडाफोड़ करने में मेजर बलवंत जैसे कुशल जासूस को भी अपनी जान की बाजी लगा देनी पड़ी; और अंत में जब रहस्योद्घाटन हुआ तो सभी आश्चर्यचकित रह गये।
नमस्ते पाठक मित्रो,
एक बार फिर आपके लिए प्रस्तुत है कर्नल रंजीत के उपन्यास 'गहरी चाल' की समीक्षा । और कर्नल रंजीत के उपन्यास पर लिख गयी मेरी सोोलहवीं समीक्षा है। इस से पूर्व में पन्द्रह समीक्षाएं लिख चुका हूँ।
प्रस्तुत उपन्यास मर्डर मिस्ट्री रचना है जिसे कर्नल रंजीत अपनी टीम के साथ हल करता है।
उपन्यास का आरम्भ 'ब्यूटीफुल गारमेंटस' के शुभारंभ से होता है। ब्यूटीफुल गारमेंटस के शुभारंभ पर मेजर बलवंत और सोनिया दोनों ही पहुंचते हैं।
गारमेंटस की कर्मचारी मिस शाहिना दस्तूर के पिताजी के जानलेवा हमला होता है और मिस शाहिना गारमेंटस का कार्यक्रम बीच में छोड़ कर घर चली जाती है और फिर पौने घण्टे बाद वह गारमेंटस की मालकिन मिसेज कापरे को बताती है की उसके पिताजी की मृत्यु हो गयी ।
मिसेज कापरे मेजर बलवंत से प्रार्थना करती
"वह अपने पिता के साथ अकेली ही रहती थीं। उनकी माता का देहांत हो चुका है। माता-पिता की इकलौती संतान हैं। मेजर साहब ! शाहिना की सहायता कीजिए। बड़ी प्यारी लड़की है। रुपये-पैसे, मेरा मतलब है, खर्च की चिंता न कीजिए।"
डाक्टर दस्तूर हरमजजी के डाक्टर मित्र फरामरज जी को भी जान से मारने की धमकी दी जाती है।
कुछ और घटनाओं के पश्चात-
एक अखबार ने इस ओर इशारा किया था कि शहर के पारसी समुदाय में यह जबरदस्त अफवाह फैली हुई थी कि शहर की सारी बिरादरी के नामवर घरानों के चुनिंदा व्यक्तियों की हत्या की संगठित साजिश की जा रही थी।
मुम्बई शहर में भाषागत/ क्षेत्रवाद को लेकर दंगे होते रहे हैं और प्रस्तुत उपन्यास में भी लेखक महोदय ने ऐसा ही कुछ चित्रित करने का अल्पप्रयास किया है। मुम्बई शहर में शीघ्र ही पारसी समुदाय की 'अग्निसेना' और दूसरी मुम्बई की मालिक 'गणेशसेना' का उदभव होता है और दोनों अपने समुदाय की रक्षा संकल्प के पोस्टर दीवारों पर चिपकाती हैं।
वहीं मेजर बलवंत का कहना है की यह अब प्रायोजित है वास्तविकता कुछ और ही है। उनके अनुसार कोई प्रायोजित ढंग से मुम्बई शहर की सदभावना को क्षति पहुंचा कर स्वार्थ सिद्ध करना चाहता है। और फिर मेजर बलवंत अपनी टीम और पुलिस के सहयोग से असली अपराधी को खोज निकालता है।
जैसा की कर्नल रंजीत के पाठकों को पता ही है मेजर बलवंत उपन्यास के अंत में सभी पात्रों को एकत्र कर के कहानी सुनाता है और अपराधी के चरित्र पर मनोवैज्ञानिक प्रकाश भी डालता है।
मेजर बलवंत ने अपने भाषण का प्रारंभ करते हुए कहा, "यह मानव-जाति का दुर्भाग्य है कि आए दिन किसी न किसी मनुष्य का मस्तक फिर जाता है और वह अपने हित के लिए देश-हित को मेंट चढ़ाने पर तैयार हो जाता है। वह इस बात की परवाह नहीं करता कि कितने मासूम और बुद्धिमान लोगों का खून होता है। उसके सामने एक ही उद्देश्य रहता है कि केवल उसे ही सुख-सम्पदा का अधिकार है। मौजूदा हत्याकाण्ड की कहानी व्यापारिक इजारादारी या प्रभुता प्राप्त करने की कहानी है।"
और जब कहानी खत्म हो गयी, अपराधी पकड़े गये तो मेजर बलवंत की प्रशंसा तो होनी ही थी-
अगले दिन सुबह समाचारपत्रों ने मेजर के कारनामे की खबर खूब रंग चढ़ाकर प्रकाशित की और मेजर की भूरि-भूरि प्रशंसा की कि मेजर एक ऐसा गुप्तचर है जो देश के हित को हमेशा प्रधानता देता है।
मेजर बलवंत की टीम में सुधीर, सोनिया, डोरा, मातली और वफादार प्रशिक्षित कुत्ता क्रोकोडायल हैं जो मेजर के कार्य को अंजाम देते हैं। प्रस्तुत उपन्यास में मातली और क्रोकोडायल मेजर बलवंत को मौत के मुँह से बचाकर लाते हैं।
कर्नल रंजीत के उपन्यासों में हत्याएं हमेशा ही विचित्र ढंग से होती हैं। यहाँ भी देख लीजिए-
मालती ने कहा, "डॉक्टर की लाश इस प्रकार अकड़ी हुई क्यों है?"
"मालती! डॉक्टर फरामरजजी की हत्या बड़े विचित्र ढंग से की गई है। डॉक्टर के चेहरे और पैरों पर एक लेप किया गया है जिसमें विष था ऐसा विष जो बड़ी तेजी से मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है। यही कारण है कि डॉक्टर फरामरजजी की लाश हद से ज्यादा अकड़ गई है।"
मेजर बलवंत को शे'र कहने की आदत है। उनके शे'रों का आनंद आप भी लीजिए-
मर्द अब लंगोटियां पहनें तो रहता है वकार,
औरतों के लहंगे अब घुटनों से ऊंचे हो गए।"
एक और 'शे'र का आनंद लीजिए-
लड़कियां और लड़के यूं करते हैं बूढ़ों को खफा,
लेते हैं भरपूर बस में छेड़खानी का मजा ।"
मेजर बलवंत के कुछ डायलॉग-
मारग्रेट ने ड्राइंगरूम में आकर कहा-"आप क्या पीजिएगा ?"
"क्या इस दुनिया में व्हिस्की के सिवा कोई और चीज भी पीने की है ?"- मेजर ने मुस्कराकर कहा ।
- "... रोटी के बाद मनुष्य की दूसरी महत्वपूर्ण जरूरत क्या होती है ?"- मिसेज तहमीना ने कहा ।
" सेक्स ।"- मेजर ने संक्षिप्त उत्तर दिया।
कर्नल रंजीत द्वारा लिखित 'मेजर बलवंत सीरीज' का प्रस्तुत उपन्यास 'गहरी चाल' वास्तव में अपराधी द्वारा रची गयी एक अत्यंत गहरी चाल ही है जिसे मेजर बलवंत जैसा धुरंधर जासूस ही सुलझा सकता है।
हालांकि यह उपन्यास कर्नल रंजीत के अन्य उपन्यासों जैसा उलझाव, रोचकता वाला नहीं है।
उपन्यास- गहरी चाल
लेखक- कर्नल रंजीत
प्रकाशक- मनोज पब्लिकेशन्स, दिल्ली
पृष्ठ- 122
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