Thursday, 16 February 2023

553. जुर्म का आगाज- जयदेव चावरिया

अण्डरवर्ल्ड और एक लाल सूटकेस
जुर्म का आगाज- जयदेव चावरिया

दावत होटल में एक बिजनेस पार्टी के दौरान हीरा वर्मा और नाजिम खान, राजनगर के दो बड़े बिजनेसमैन, रेड सूटकेस की डील कर रहे थे पर कोई तीसरा मास्टरमाइंड उनकी नाक के नीचे से रेड सूटकेस उड़ा ले गया। लोग सिर्फ यह जानते थे कि रेड सूटकेस के मालिक का नाम डेविल है जिसे किसी ने कभी नहीं देखा और जिसने डेविल को देखा वह किसी को बताने के लिए जिन्दा नहीं बचा। हीरा वर्मा और नाजिम खान को अब जल्द से जल्द रेड सूटकेस ढूँढना था वरना उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ता। 
- कौन था वह मास्टरमाइंड जिसने हीरा वर्मा और नाजिम खान की नाक के नीचे से रेड सूटकेस उड़ा लिया ?
-  रेड सूटकेस में ऐसा क्या था जिसे हासिल करने के लिए सारा माफिया पीछे पड़ा था ?
- हीरा वर्मा और नाजिम खान का रेड सूटकेस से क्या संबंध था ?
- क्या वे रेड सूटकेस को हासिल कर सके ?
- रेड सूटकेस का मालिक डेविल आखिर कौन था ? जानने के लिए पढ़िए ये उपन्यास।

            'माय फर्स्ट मर्डर केस' के बाद अपने द्वितीय उपन्यास 'जुर्म का आगाज' के साथ जगदेव चावरिया जी ने लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में अपनी पुनः उपस्थिति दर्ज करवायी है। 'जुर्म का आगाज' एक थ्रिलर उपन्यास है, जो एक 'रेड सूटकेस' और अण्डरवर्ल्ड की दुनिया पर आधारित 'हाहाकारी' उपन्यास है।

    उपन्यास का आरम्भ दो अपराधी बिजनेस मैंन नाजिम खान और हीरा वर्मा से होता है। होटल दावत में नाजिम खान अपने अंगरक्षक सुनील के साथ और हीरा वर्मा अपने अंगरक्षक इन्द्रेश त्यागी के साथ डील करने पहुंचते हैं। लेकिन एक घटना के दौरान उनके हाथ से वह रेड सूटकेस गायब हो जाता है, जिसकी यहाँ दोनों के मध्य डील होनी थी।

      रेड सूटकेस भी नॉर्मल सूटकेस के तरह ही था पर उसका आकार कोई एक फिट का था। जहाँ लॉक का ऑप्शन होता है वहाँ पर एक स्क्रीन थी जिसकी लंबाई छह इंच और चौड़ाई चार इंच थी। रेड सूटकेस ओपन करने के लिए उसमें पासवर्ड डाला जाता है। अगर आपने उसमें गलत पासवर्ड डाला तो समझो रेड सूटकेस में अपने आप आग लग जायेगी। रेड सूटकेस का कार्ड किसके पास है ? यह कोई नहीं जानता। रेड सूटकेस की गोपनीयता को बनाए रखना ही रेड सूटकेस के मालिक डेविल के लिए एक सबसे बड़ी चुनौती थी। जिसमें वह लगभग सफल भी रहा है। यह कोई भी नहीं जानता है कि रेड सूटकेस में आखिर क्या है ?

            रेड सूटकेस का मालिक डेविल एक अज्ञात व्यक्ति है। जिसके विषय में कोई नहीं जानता। डेविल रेड सूटकेस के माध्यम से ही हर डील करता है और जिसने भी रेड सूटकेस को चुराने की कोशिश की वह जान से मारा गया।
अब नाजिम खान और हीरा वर्मा को वह रेड सूटकेस ढूंढना था अन्यथा डेविल दोनों को खत्म कर देता।
 
    हीरा वर्मा और इन्द्रेश त्यागी रेड सूटकेस की प्राप्ति हेतु अण्डरवर्ल्ड बाॅस यशवंत राणा से मिलने पहुंचते हैं।  यशवंत राणा पूरे राजनगर का बाप था जिसके इशारे के बिना पूरे माफिया में एक पत्ता भी नहीं हिलता। यशवंत राणा ड्रग्स का सबसे बड़ा सरगना था और यशवंत राणा की उन धंधों में ही दिलचस्पी थी जिनमें मोटा पैसा हो। यहाँ इनके मुलाकात सागर सहगल से होती है। सागर सहगल, यशवंत राणा की गैंग का एक मेंबर था। सागर सहगल, यशवंत राणा का बाया हाथ था। सारी पार्टियों से सागर सहगल ही डील करता था।
    वहीं सागर सहगल के पास रेड सूटकेस की खबर अनूप सिन्हा द्वारा पहुंच चुकी थी। अनूप सिन्हा माफिया का एक बहुत बड़ा मुखबिर था और अनूप सिन्हा कोई छोटा-मोटा गली का मुखबिर नहीं था। वह माफिया से अपनी हर खबर की मुँह माँगी रकम वसूल करता था। माफिया में अनूप सिन्हा का काफी नाम था।
        राजनगर माफिया में श्यामनारायण पाण्डेय का तीसरा नम्बर था। श्याम पाण्डेय और उसका भाई दिलशाद दोनों यशवंत राणा के जानी दुश्मन थे। जब दोनों को रेड सूटकेस की खबर लगी तो 'चोर पर मोर' की कहावत चरितार्थ करने को तैयार बैठे थे।

   राज नगर अण्डरवर्ल्ड में दो नम्बर पर नाम आता है आबिद का। आबिद साहब कोई 40 वर्ष का व्यक्ति था। शरीर इस उम्र में भी काफी मैनेज कर रखा था। आबिद साहब राजनगर के माफिया में दूसरे नंबर पर आते थे। आबिद साहब बड़ा ख़ूँख़ार आदमी था। वह आदमी को गाजर-मूली की तरह काटने के लिए बहुत फेमस था। 

आबिद साहब का विशेष सहयोगी है उसका साला रहमत अली।  आबिद के साथ इन दिनों एक समस्या थी कि उसका माल पुलिस द्वारा पकड़ लिया जाता था। इस बार भी उसके पास यह खबर पहुंची- “आदिब भाई, आज फिर अपना माल पकड़ा गया।”
   जैसे ही आबिद को रेड सूटकेस के विषय पर पता चलता है तो वह भी रेड सूटकेस प्राप्ति की दौड़ में शामिल हो जाता है।- "अब कैसे भी करके वह रेड सूटकेस हमें हासिल करना है।"
     वह रेड सूटकेस करोड़ों का था जिसे प्राप्त करने के लिए राजनगर अण्डरवर्ल्ड में घमासान मच गया था।
राजनगर के सभी माफिया रेड सूटकेस के पीछे हाथ धोकर पड़ गए थे। पर रेड सूटकेस को ढूँढना कोई हँसी खेल नहीं था। क्योंकि जिसने भी वह रेड सूटकेस चुराया था वह कोई ऐरा-गैरा शख्स नहीं था। वह था कोई मास्टरमाइंड।
     रेड सूटकेस का किस्सा और सुनाऊं या रहने दू?  क्योंकि उपन्यास के विषय में अभी और कुछ कहना भी बाकी है। जैसे प्रेम प्रसंग। प्रेम प्रसंग भी इतने उलझने पैदा करतॆ हैं कुछ समझ में ही नहीं आता की कौन किस के साथ है और कौन कहां किसे धोखा दे रहा है।
    यहाँ खलपात्रों के प्रेम प्रसंग भरपूर है और उनमें धोखे की मात्रा भी उसी अनुपात में है। कौन किसकी पत्नी है, कौन किसकी प्रेमिका और कौन किस को कहां धोखा दे रही है, कुछ समझ में ही नहीं आता।
  अब उपन्यास में इतने सारे खलपात्र हैं तो एक नायक होना तो जरूरी है। भारतीय कथानक बिना नायक के कहां पूर्ण होते हैं। तो यहाँ मिस्टर विनाश (आप नाम पर जायें) उपस्थित हैं।   आखिर यह उपन्यास में क्यों है, यह भी न सोचे, जहाँ इतने पात्र हैं तो एक और बढ जाये तो क्या फर्क पड़ता है‌। अच्छा एक ऐसा और पात्र भी है वह है नीलम फिल्म कम्पनी का मालिक।‌

उपन्यास सिर्फ एक्शन से भरपूर ही नहीं बल्कि उपन्यास में हास्य की मात्रा भी लेखक महोदय ने भरपूर दी है।
एक दृश्य अंश देखें-

गाड़ी चले अभी मुश्किल से पाँच मिनट भी नहीं हुए थे कि गाड़ी पिछली सीट को चीरता हुआ डिक्की से सुनील बाहर आया और हीरा वर्मा के सिर पर रिवॉल्वर रख दी।

उपन्यास पात्र- 
उपन्यास में पात्रों का क्या वर्णन करें पात्र है ही इतने ज्यादा की पात्रों का वर्णन करते-करते आप एक लघु उपन्यास तो लिख ही सकते हैं। यह लेखक महोदय का कमाल है जो इतने सारे पात्रों को याद रखा और उन्हें कथा अनुसार प्रयोग भी किया। बस समस्या तो पाठकों को है जो भूल जाते हैं की कौन सा पात्र पहले कहां और किस प्रसंग में आया था।

नाजिम खान- राजनगर का डाॅन, डेविल का एजेंट
सुनील- नाजिम खान का अंगरक्षक
नरेश रावत- एक व्यापारी
सीमा- नरेश रावत की पुत्री
आबिद- राजनगर का विलेन
रहमत अली - आबिद का साथी और साला
सय्यद- रहमत अली का साथी
यशवंत राणा- राजनगर का एक नम्बर का डाॅन
सागर सहगल- यशवंत राणा का साथी
अनूप सिन्हा- अण्डरवर्ल्ड का खबरी
श्याम नारायण पाण्डेय- राजनगर का तृतीय नम्बर का डाॅन
आलिया- श्याम नारायण पाण्डेय की पत्नी
दिलशाद - श्याम नारायण पाण्डेय का भाई, 28वर्ष
पायल - दिलशाद की प्रेयसी
सतीश सक्सेना- पायल का पिता
रेखा- पायल की माँ
काजल- पायल की सहेली
गुरप्रीत सिंह- नीलम फिल्म प्रोडक्शन मालिक
मनिद्रर त्रिपाठी- फिल्म डायरेक्टर
सपना- फिल्म हेरोइन
विनाश-सपना का प्रेमी
हीरा वर्मा- एक गुण्डा
इन्द्रेश त्यागी- हीरा वर्मा का साथी
हितेश कौशल- एक स्मग्लर, समग्लर
शबनम- श्याम नारायण पाण्डेय की प्रेयसी
रामदीन- एक ट्रक ड्राइवर
रुंडा- एक गुण्डा, गौण पात्र
चिंटू- एक गुण्डा
डेविड- एक और गुण्डा, शानदार रोल में।
संजय वर्मा- एक बिजनेस मैन
सरिता- संजय वर्मा की पत्नी
जिम्मी- सरिता का प्रेमी
दीपक- जिम्मी का दोस्त

प्रस्तुत उपन्यास एक्शन- थ्रिलर उपन्यास है। जिसकी कहानी का केन्द्र बिन्दु एक लाल रंग का सूटकेस है जिसे अण्डरवर्ल्ड के लोग प्राप्त करना चाहते हैं और कुछ अण्डरवर्ल्ड के लोगों की आपसी संघर्ष का चित्रण है।
यह पूर्णतः एक 'मसाला उपन्यास' है
उपन्यास- जुर्म का आगाज़
लेखक- जयदेव चावरिया
प्रकाशक- सूरज पॉकेट बुक्स’ पुस्तक संख्या- 138
प्रथम संस्करण: जनवरी 2023

लेखक संपर्क-
फ़ोन - 9034735152
​​Facebook: jaidev.author
​​ईमेल -  jaidev5152 @ gmail com
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