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Monday 13 December 2021

482. माय फर्स्ट मर्डर केस- जयदेव चावरिया

जयदेव चावरिया का प्रथम उपन्यास
माय फर्स्ट मर्डर केस- जयदेव चावरिया

जूलरी शॉप के मालिक अशोक नंदा को एक रात किसी ने वक़्त से पहले परलोक पहुंचा दिया। पुलिस को पक्का शक था कि खून उसके दोनों बेटो में से किसी एक ने ही किया है । फिर कहानी में दखल होता है ऐसे जासूस का जिसका अशोक नंदा मर्डर केस पहला मर्डर केस था। जिसने जासूस को यह केस सौंपा उसे खुद यकीन नहीं था कि वह यह केस हल कर पायेगा।
-अशोक नंदा का खून किसने किया ?
- क्या पुलिस कातिल को पकड़ पाई ?
- क्या जासूस अपना पहला मर्डर केस हल कर सका ?
-  या यह केस उसका आखिरी केस साबित हुआ ?
एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री जिसमें आप उलझकर रह जायेंगे। 
माय फर्स्ट मर्डर केस- जयदेव चावरिया
नमस्कार पाठक मित्रो,
      लोकप्रिय साहित्य के आकाश में एक और सितारा उदय हुआ है और वो है हरियाणा का युवा जयदेव चावरिया। 
     जयदेव चावरिया जी सोशल मीडिया पर लम्बे अर्से से सक्रिय है, उन्होंने अपने लेखन की शुरुआत जासूसी कहानियों से की है। उनकी कहानियाँ जब पाठकों के मध्य चर्चा का केन्द्र रही तो उस से प्रेरित होकर उन्होंने उपन्यास लेखन में भी हाथ आजमाया है।
उनका प्रथम उपन्यास 'माय फर्स्ट मर्डर केस' है जो सूरज पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुआ है। जैसा की नाम से ही विदित होता है यह लेखक का प्रथम उपन्यास है और वह भी मर्डर मिस्ट्री। वर्तमान समय में अधिकांश लेखक मर्डर मिस्ट्री ही लिख रहे हैं और उसी क्रम में यह एक और उपन्यास पाठकों के लिए उपस्थित है।
   यह कहानी है राजनगर के एक धनाढ्य अशोक नंदा के परिवार की। अशोक नंदा का भरापूरा परिवार है और उनके दो ज्वैलरी शारूम भी हैं। अशोक नंदा के परिवार में उनकी पत्नी मोहिनी, बड़ा बेट बलवंत उसकी पत्नी ललिता, बेटा विनय उसकी पत्नी संजना, छोटा बेटा राॅकी और एक बेटी है साक्षी‌। कुल आठ सदस्यों का यह परिवार ऊपर से जितना खुशहाल दृष्टिगत होता है वह अंदर से परस्पर द्वेष भी रखता है। जहाँ विनय और उसकी पत्नी संजना अपना एक अलग घर बसाने की सोचते हैं, वहीं राॅकी एक आवारा और नशेड़ी युवक है। सभी को अलग-अलग रुपयों की आवश्यकता है। जिसके चक्कर में आपसी द्वेष बना रहता है।
   एक रात अशोक नंदा का उसके बेडरूम में खून हो जाता है और उनकी safe तिजोरी से सारे रुपये गायब हो जाते हैं।
  तब कहानी में प्रवेश होता है इंस्पेक्टर नवनीश का।जो कातिल को जल्द पकड़ने का दावा करता है-“आप यकीन मानें बलवंत जी, हम कातिल को जल्द ही पकड़ लेंगे। कातिल ज्यादा दिन तक आजाद नहीं घूमेगा। कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं। हर कातिल सोचता है कि कत्ल करके कानून की आँखों में धूल झोंक देगा। पर ऐसा होता नहीं है। मैं आपको यकीन दिलाता हूँ हम जल्द से जल्द कातिल को पकड़ लेंगे।”
   लेकिन घटनाएं और तीव्रता से घटित होती है और नंदा परिवार पर मुसीबतों का आक्रमण होता है। तब साक्षी अपनी सहेली प्रियंका के साथ जासूस सम्राट के शिष्य जासूस जयदेव को इस केस को हल करने के लिए आमंत्रित करती है।
  जयदेव यहाँ चैलेंज करता है कि वह सात दिवस के अंदर कातिल को पकड़ लेगा। लेकिन यह इतना आसान न था, क्योंकि जासूस जयदेव और इंस्पेक्टर नवनीश में भी परस्पर दुश्मनी थी। और यह दुश्मनी भी उपन्यास में कई नये दिखाती है।
   जयदेव इस केस को जितना सुलझाने की कोशिश करता है यह केस उतना ही उलझता चला जाता है- जयदेव सोचने पर मजबूर हो गया। यह मेरी ज़िन्दगी का पहला मर्डर केस है और इतना उलझा हुआ कि जितना मामले कि गहराई में जाता हूँ उतना ही उलझ जाता हूँ।
    लेकिन अनेक मुसीबतों से जूझता जासूस जयदेव अंत में रहस्य को उजागर कर ही देता है और एक लम्बे संघर्ष के पश्चात वह वास्तविक अपराधी को पकड़ पाता है।
    उपन्यास में‌ कुछ प्रश्न अधूरे रह गये हैं। जैसे जयदेव और इंस्पेक्टर नवनीश की क्या दुश्मनी थी। शायद यह रहस्य इन दोनों के अगले उपन्यास में स्पष्ट हो।
- प्रथम दृश्य में बेहोश उर्वी को कमरे से कौन लेकर गया?
-  शाॅरूम का काँच टूटा। क्या शोरूम के शटर नहीं था?
- एक करोड़ दस लाख के गहने जब एक औरत खरीदने जाती है तो वह न तो औरत के लिए संभव है न दुकानदार के की वह तुरंत उपस्थित कर दे। विवाह की‌ खरीददारी पहले डिजाइन वगैरह तय होते हैं फिर सुनार उनको बना कर देता है।
  उपन्यास के कथानक की बात करें तो यह एक परम्परागत विषय मर्डर मिस्ट्री पर आधारित है। एक कत्ल और फिर कातिल की तलाश। लेकिन लेखक ने अपनी लेखन सक्षमा से प्रस्तुतीकरण बहुत अच्छा रखा है। कहानी का तेज प्रवाह, लघु संवाद और ट्विस्ट पर ट्विस्ट कहानी को रोचकता प्रदान करते हैं।
  उपन्यास में शाब्दिक त्रुटियाँ, 'अति ट्विस्ट' और क्लाइमैक्स पर क्लाइमैक्स कहानी‌ का कमजोर पक्ष हैं। उपन्यास का समापन कई बार होता है और फिर एक नया पक्ष सामने आता है और फिर समापन और फिर नया पक्ष, इस कारण से उपन्यास यथार्थ से नाटकीय हो जाती है।
   यह लेखक का प्रथम प्रयास है, जो सराहनीय और पठनीय है। उम्मीद करते हैं भविष्य में लेखक महोदय का लेखन और भी उज्ज्वल होकर आयेगा।
उपन्यास- माय फर्स्ट मर्डर केस
लेखक-    जयदेव चावरिया
प्रकाशक-  सूरज पॉकेट बुक्स, मुम्बई
प्रकाशन तिथि-
अमेजल लिंक- my first murder case
किंडल लिंक-  my first murder case


3 comments:

  1. उपन्यास के प्रति रुचि जगाने वाला आलेख। जल्द ही पढ़ने की कोशिश रहेगी।

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    1. सर उम्मीद करता हूं आप जल्द ही मेरा पहला उपन्यास पढ़ेंगे।

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  2. सर आपका बहुत बहुत धन्यवाद । उम्मीद करता हूं सर आपको मेरे दूसरे उपन्यास में शिकायत का कोई मौका नहीं मिलेगा ।

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