Wednesday, 5 June 2019

201. काली रोशनी- निरंजन चौधरी

काली रोशनी के खतरनाक पुजारी।
काली रोशनी- निरंजन चौधरी, जासूसी उपन्यास

जासूसी उपन्यास जगत में निरंजन चौधरी का विशिष्ट नाम है। उनके लिखे उपन्यास आज भी पाठकों में महत्व रखते हैं। मुझे निरंजन चौधरी के तीन उपन्यास 'काली रोशनी, अंधेरे का तीर और तलाश हत्यारे की' मिले।
अब बात करते हैं उपन्यास 'काली रोशनी' की। यह एक जासूसी उपन्यास है जो बहुत ही रोचक है।

उपन्यास की कहानी कुछ ऐसे लोगों पर आधारित है जो काली रोशनी के पुजारी हैं। उनकी वारदातें शहर में भय का वातावरण बना देती हैं। शहर से बच्चों का अपहरण और उनका का वीभत्स तरीके से कत्ल होना।

एस.पी.होमीसाइड निरंजन ठाकुर के पास यह केस आता है की शहर से कुछ बच्चे गायब हो रहे हैं।
शहर में बच्चों के अपहरण की घटनाएं बढ रही थी। पुलिस की तमाम सरगर्मियों के बावजूद अपहरण की घटनाएं जारी थी और पुलिस विभाग की बौखलाहट बढती जा रही थी।
        ठाकुर साहब जासूस सम्राट नागपाल की मदद लेते हैं और नागपाल अपने साथी कैप्टन दिलीप और सिगार उसमानी के साथ इस अभियान पर निकल पड़ते हैं।

         प्रत्येक बुधवार को शहर की सड़क पर एक बच्चे की लाश मिलती थी। रक्तविहिन और शरीर पर घाव। - अगर यह खून चोरी का मामला था तो लाश के सीने पर इतने सारे नश्तर क्यों लगाये जाते थे? (पृष्ठ-13)
          वही शहर के प्रतिष्ठित परिवार की लड़की तरला दीवान के साथ एक हादसा पेश आता है और वह अर्द्धपागल हो जाती है। वह बार-बार एक ही शब्द रटती रहती है -काली रोशनी, काली रोशनी, काली रोशनी।

     जासूस सम्राट नागपाल भी बहुत परेशान था। - अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद वह मालूम नहीं कर सका कि बच्चों के कत्ल वाले मामले का तरला दीवान के पागलपन से क्या ताल्लुक था? वास्तविक स्थिति यह थी कि दोनों मामले अलग-अलग मालूम होते थे, इन दोनों के मध्य में केवल एक शब्द था- काली रोशनी ।
मगर काली रोशनी क्या बला थी।
       
      आखिर काली रोशनी और बच्चों के अपहरण के बीच का रिश्ता था। इसी संबंध की पहचान जब खुलती है तो एक आदमखोर इंसान का पर्दाफाश होता है।
उन के शरीर पर कपड़े की एक चिंदी भी नहीं थी, केवल चेहरों पर काले नकाब पड़े हुए थे- उन के सामने धरती पर एक बच्चे की नंगी लाश पड़ी थी। (पृष्ठ-128,29)

      उपन्यास को छोटे-छोटे खण्डों में बांटा गया है और प्रत्येक खण्ड का एक नाम है। जैसे- सिरफिरी लड़की, दिलचस्प डाक्टर, मंगलवार की रात, नंगे पुजारी।

        बात करें उपन्यास के क्लाईमैक्स की तो इस उपन्यास का समाप्त आगामी उपन्यास की एक हल्की सी आहट देकर खत्म होता है लेकिन इस उपन्यास के सारे रहस्य इसी उपन्यास में खत्म हो जाते हैं। अगर इस उपन्यास का कोई आगे पार्ट भी होगा तो वह अलग कहानी होगी हां, पात्र यही हो सकते हैं।
यह उपन्यास चंदन पॉकेट बुक्स, सूरत(गुजरात) से प्रकाशित है। मेरे विचार से कुछ चुनिंदा शहरों (दिल्ली, इलाहाबाद, मेरठ, आगरा आदि) के अतिरिक्त सूरत में किसी पॉकेट बुक्स का नाम पहली बार सुना है। इस पॉकेट बुक्स से एम. एल. द्विवेदी, चंदर, लाट साहब जैसे लेखकों के उपन्यास प्रकाशित होते रहे हैं। लाट साहब स्वयं गुजरात के निवासी थे।

निष्कर्ष-
निरंजन चौधरी का उपन्यास 'काली रोशनी' बच्चों के अपहरण और कुछ रहस्यमय घटनाओं का जाल सा है। जिसे जासूस सम्राट नागपाल हल करते हैं।
लघु कलेवर का यह उपन्यास दिलचस्प है।

उपन्यास- काली रोशनी
लेखक- निरंजन चौधरी
प्रकाशक - चंदन पॉकेट बुक्स, सूरत (गुजरात)
पृष्ठ- 155
काली रोशनी- निरंजन चौधरी


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