Monday, 21 July 2025

THE डेड MAN'S प्लान - समीर सागर

जो मरकर भी लोगों को मार रहा था
THE डेड MAN'S प्लान - समीर सागर

मेरा नाम अजय शास्त्री है! एक सीधी साधी और प्यारी सी बेटी का बाप। वीणा, मेरी बच्ची ! मेरी मासूम चिड़िया। जिसके बिना में एक पल भी नहीं रह सकता। पर मुझे अपनी उस लाड़ली से हमेशा के लिए दूर जाना होगा। इतनी दूर जहां से वो मुझे कभी बुला नहीं पाएगी। मुझे जाना ही होगा। क्योंकि जो खेल मैंने रचा है, वो मेरी मौत के बिना शुरू नहीं हो सकता और मेरी मौत ही इस खेल की पहली आहुति है। जी हाँ, पहली। क्योंकि मेरी मौत के बाद इस शहर में मौत का एक ऐसा खेल शुरू होगा, जो इस दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा। जिन लोगों की मौत मैंने तय कर दी है, मैं उन्हें मरने के बाद भी मारता रहूँगा। कानून अपनी पूरी ताकढत लगा ले उन्हें बचाने के लिए, पर मैं उन्हें मारता रहूँगा। अब क़ानून का मुकाबला एक ऐसे खिलाड़ी के साथ है, जो अपनी हर एक चाल, हर मोहरा अपनी मौत से पहले ही चल चुका है। और ये मरा हुआ आदमी, तुम्हें जीतने नहीं देगा।
अगर तुम ये जान लो कि मौत का ये खेल मैंने क्यूँ रचा, तो शायद मुझे रोक लो, पर मेरे इस खेल का मजा ही ये है कि, मुझे जितना हराओगे, मैं अपनी जीत के उतने करीब पहुँचता जाऊँगा। अब मेरे दोस्त, अगर आपको लगता है कि शायद आप मुझे रोक सकते थे,
तो खुद को आजमा कर देख लो !

      THE डेड MAN'S प्लान- समीर सागर 

नमस्ते पाठक मित्रो,
आपके लिए प्रस्तुत है एक रोमांच से भरपूर उपन्यास 'THE डेड MAN'S प्लान' की संक्षिप्त समीक्षा । संक्षिप्त इसलिए की इस उपन्यास के विषय में एक पंक्ति में सब कुछ कहा जा सकता है और वह एक पंक्ति है अजय शास्त्री की -"मेरी मौत के बाद इस शहर में मौत का एक ऐसा खेल शुरू होगा, जो इस दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा।"
जी हां एक एक अद्भुत जाल ही है जिसे बुना है अजय शास्त्री ने, उस अजय शास्त्री ने जो इस दुनिया से जा चुका है लेकिन वह एक ऐसा जाल बुनकर गया है और उस जाल में उलझ चुके आदमी की मृत्यु तय है अर्थात् अजय शास्त्री कुछ लोगों की मौत तय कर इस दुनिया को अलविदा कह गया ।
   अब प्रश्न यह है की अजय शास्त्री ने ऐसा क्यों किया और किन लोगों के लिए किया, किन लोगों की मौत तय की और वह तय मौत क्या संभव थी ।
जब एक मृत्यु आदमी किसी की मौत तय कर सकता है तो जीवित व्यक्ति पुलिस, कानून, वकील, जासूस कोई तो उस जाल को तोड़ने का प्रयास करेगा ।
प्रयास किया पुलिस ने वह भी तब जब अजय शास्त्री ने मरने वाले के विषय में पुलिस को पहले ही सूचित कर दिया।
   'भूषण गायकवाड का क़त्ल मैंने ही किया है, और अभी इस शहर में ऐसे कई क़त्ल होने वाले है। अब बारी है अपना वादा निभाने की जो पिछले खत में मैंने तुम लोगों से किया था। मेरा नाम अजय शास्त्री है। उम्र 62 साल। तुम बहुत आसानी से मुझे ढूंढ लोगे। और मैंने यह खत अपने हाथों से लिखा है। तो जब तुम मुझे ढूंढ लो तो मेरी हैण्ड-राइटिंग मिला कर तसल्ली कर लेना कि यह दोनों खून वाकई मैंने ही किये हैं या नहीं। और अब अपना पूरा ज़ोर लगा दो क्योंकि मैं तीसरा क़त्ल भी करने वाला हूँ और तुम मुझे रोक नहीं पाओगे। जब तुम लोग मेरा घर ढूंढ लो तो मेरे घर की छत पर चले जाना, वहाँ मैंने तुम्हारे लिए एक तोहफा रख छोड़ा है। ऊपर जाने के लिए सीढ़ियाँ आँगन के आख़री में हैं और इस बार तो पडे ने आख़िर में अपना नाम भी लिखा था, अजय शास्त्री ।"
           शहर में कत्ल पर कत्ल हो रहे थे, चुनौती देकर कत्ल हो रहे थे, मीडिया और पुलिस को पूर्व सूचना देकर कत्ल हो रहे थे और पुलिस और प्रशासन कुछ भी नहीं कर पा रहे थे।
ऐसे समय में इंस्पेक्टर अर्जुन राणा ने याद किया विभा जिंदल को Sorry आभा पण्डित को।
वह आभा पण्डित जिसने अपने पति के हत्यारे को खोजा था।
और उसी आभा पण्डित ने वादा किया- "मैं आभा पंडित... आपसे यह वादा करती हूँ, कि जब इस केस की डायरी बंद होगी... जब यह फाइल क्लोज़ होगी... तो इसके आख़री पन्ने पर आपका ही नाम होगा श्री अर्जुन राणा। इस कहानी का अंतिम अध्याय आप ही लिखेंगे।"
  और अब संघर्ष था पुलिस प्रशासन, आभा पण्डित और मृत्यु अजय शास्त्री के मध्य । यह संघर्ष बहुत ही रोमांच था। एक तरफ एक मृत्यु व्यक्ति लोगों की हत्याएं कर रहा था और दूसरी तरफ प्रशासन जी जान लगाकर भी कुछ कर पाने में असमर्थ था।
यह कहानी है उपन्यास 'The डेड man's प्लान' की । एक मरे हुये आदमी के प्लान की।
उसने यह प्लान क्यों किया और किस के लिए किया और उस प्लान को अंजाम कैसे दिया यह सब जानने के लिए आपको समीर सागर का उपन्यास 'the डेड man's प्लान' पढना होगा और यकीन मानिए आपको भरपूर मानसिक संतुष्टि प्रदान करेगा ।
  उपन्यास के विषय में कहने को और बहुत कुछ लेकिन ज्यादा कहने से अच्छा है उपन्यास आप स्वयं पढें और आनंद लीजिए ।
  उपन्यास के विषय में कुछ और बातें-
वेदप्रकाश शर्मा जी का उपन्यास त्रयी 'कातिल हो तो ऐसा' 'शाकाहारी खंजर' और 'मदारी' उपन्यास आपने पढा है तो यह उपन्यास उसी श्रेणी का है।
दोनों उपन्यासों की थीम चाहे एक जैसी हो परंतु कहानियों में बहुत अंतर है।
  उपन्यास 'The डेड man's प्लान' की पात्र आभा पण्डित वेदप्रकाश शर्मा जी की प्रसिद्ध पात्र 'विभा जिंदल' से पूर्णतः समानता रखती है।
पता नहीं लेखक महोदन ने वेदप्रकाश शर्मा जी के पात्र को मात्र नाम परिवर्तन के साथ क्यों अपनाया। अपनाया तो अपनाया उसे विभा जिंदल की तरह धनाढ्य, विधवा और अपने पति के हत्यारे की खोजकर्ता भी दिखा दिया ।
इस से अच्छा तो यह होता आभा पण्डित का नाम विभा जिंदल कर दिया जाता । खैर....
  जासूसी उपन्यासों में शेयर मार्केट लगभग गायब है लेकिन यहाँ शेयर मार्केट का इस्तेमाल अच्छा प्रयास है। वहीं वर्तमान मीडिया जिस तरह TRP के चक्कर में सही- गलत को नजरअंदाज करता है उसका यहाँ अच्छा प्रयोग लेखक महोदय ने कया  है। 
लेखक महोदय की एक और अच्छी बात सुन लीजिए-
  
मैं कहानीकार नहीं हूँ, सिर्फ एक बिजनसमैन हूँ। जिसने कहानी के रूप में एक ऐसी पहेली लिखी है जिसका जवाब आपको पहले पन्ने पर ही मिल जायेगा, लेकिन इसके बावजूद आप अंत तक इसको सुलझाते ही रहेंगे। अगर मैं इस कहानी के आखरी पन्ने तक आपको बाँध कर नहीं रख सका तो ये मेरी लिखी पहली और आखरी किताब होगी। ये मेरा आपसे वादा है, और में अपने वादे कभी नहीं तोड़ता।
  यह लेखक का दावा है । और यहाँ दावा ही नहीं बल्कि उपन्यास में एक पहेली भी है और वह चैलेंज भी है। आप उस पहेली का आनंद ले सकते हैं और जीत सकते हैं पुरस्कार भी दो लाख, पचास हजार, पच्चीस हजार के अतिरिक्त एक लाख के और भी पुरस्कार ।
उपन्यास  पहेली परिचय
धन्यवाद मित्र संदीप जुयाल का जिन्होंने यह उपन्यास मुझे पढने को दी और यह भी कहा की इस पर समीक्षा भी लिखनी है।
चलते -चलते प्रथम पृष्ठ के प्रथम दृश्य का आनंद लीजिए-
   शहर : पुणे (महाराष्ट्र)
दिनांक 19-दिसंबर-2017
समय : शाम 05:15
वो किसी पुरानी सी वीरान इमारत का एक कमरा था, जिस इमारत को शायद किसी वजह से सालों पहले अधूरा छोड़ दिया गया था। जिसको देख कर ही गुमान होता था कि एक लंबे वक़्त से किसी को इस इमारत की याद तक नहीं आई थी। दीवारों पर प्लास्टर नहीं था और ईटो का लाल रंग उस कमरे को एक भयानक सा रूप दे रहा था। खिड़कियों के लिए छोड़ी गयी जगह से, कमरे में हवा की आवाज़ सीटी की तरह गूँज रही थी और उस कमरे के बीचों-बीच इस समय लोहे की एक टंकी रखी हुई थी, जिसके अंदर से उठती हुई आग की तेज़ लपटें उस पूरे कमरे को गर्म कर रही थीं। और साथ ही तप रहा था वह चेहरा, जो उस आग के पास खड़ा हुआ था। लपटों की रौशनी में उसका गोरा चेहरा भी आग की ही तरह लाल नज़र आ रहा था। उसके बिखरे हुए बाल, चेहरे पर बड़ी हुई दाढ़ी, अंगारों की तरह दहकती हुई उसकी आँखें और उसके भींचे हुए जबड़े चीख-चीख कर कह रहे थे कि वह आग सिर्फ आग नहीं बल्कि किसी ज्वालामुखी के फटने की शुरुआत है।
वह आदमी एक-एक कर उस आग में स्याही से गुदे हुए कागज़ के टुकड़े डालता जा रहा था, जो उस आग को बुझने नहीं दे रही थी। उन कागज़ों में कई बड़े कागज़ के पन्ने थे, तो ढेर सारी छोटी-छोटी पर्चियाँ भी थीं और बहुत सारी तस्वीरें भी। कुछ पर हाथों की लिखाई नज़र आ रही थी तो कुछ पर कंप्यूटर टाइपिंग। लेकिन वह आग बिना किसी भेदभाव के हर कागज़ को एक जैसे ही अंजाम तक पहुँचा रही थी, जली हुई खाक।
फिर उस आदमी ने अपने बैग से कुछ कंप्यूटर हार्ड डिस्क निकालीं और उस आग के हवाले कर दी। लेकिन शायद उसका काम अभी ख़त्म नहीं हुआ था क्योंकि उसने अपने बैग से बहुत से बिजली के उपकरण, बहुत सारे सिम कार्ड और कुछ भरी हुई तो कुछ खाली बोतलें निकालीं और उनको एक-एक कर उस अग्नि में स्वाहा करता चला गया।
जैसे-जैसे वह आग तेज़ होती जा रही थीं और उसमें पड़ी हुई आहुतियाँ पूरी तरह से भस्म होती जा रही थीं। उस आग की हर एक उठती हुई लपट के साथ उस अधेड़ के चेहरे की मुस्कान और भी गहरी होती चली जा रही थी।
फिर अचानक वह आदमी उठ कर कमरे की खिड़की पर जाकर खड़ा हो गया और डूबते हुए सूरज की गुलाबी खूबसूरती को निहारने लगा। आसमान में सूरज ढलता जा रहा था और साधारण सी सफ़ेद शर्ट पहने हुए उस अधेड़ के होंठों पर मुस्कान बिखरती जा रही थी। अब उसके चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव थे। उसका चेहरा किसी मासूम बच्चे की तरह बिल्कुल शांत और निर्विकार नज़र आ रहा था। वह जी भर के इस नज़ारे को देख लेना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि आसमान में डूबता हुआ यह सूरज उसके जीवन का आखरी सूरज है। उसको पता था कि यह सूरज तो कल भी उगेगा, लेकिन इस सूरज को देखने के लिए कल वो खुद नहीं होगा। वह जानता था कि इस सूरज के ही साथ उसके जीवन का सूरज भी आज डूबने वाला है। वह जानता था कि कल वह नहीं होगा लेकिन...
वो यह भी जानता था कि कल उगने वाले सूरज के साथ एक ऐसा खूनी खेल शुरू होने वाला है, जिसको यह शहर कभी भूल नहीं पायेगा। उसकी मौत के साथ ही शुरू होने वाला एक ऐसा खेल जो खुद उसने रचा है और जो इस शहर के हर आदमी को उस खेल का एक मोहरा बना देगा।

मनोरंजन से भरपूर, दिमाग को हिला देने वाला एक रोचक उपन्यास । पठनीय रचना और आपको पढना भी चाहिए।

उपन्यास- THE डेड MAN'S प्लान
लेखक-    समीर सागर
पृष्ठ-        370
प्रकाशक- Self Published
मूल्य-      599₹
ISBN: 978-93-5987-974-1
द्वितीय संस्करण- 2023

2 comments:

  1. रोचक। किताब थोड़ा महंगी लग रही है। किंडल अनलिमिटेड में आई तो पढ़ने की कोशिश रहेगी।

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  2. इस उपन्यास के विषय में 1 अगस्त 2023 को ही लिख चुका हूं


    पात्र परिचय (कहानी के रूप रंग से परिचय हेतु )

    अर्जुन राणा - पुलिस डिपार्टमेंट का सबसे ईमानदार और कर्मठ अधिकारी । खुद के अंदर अनगिनत रहस्यों को समाए हुए कहानी का एक मजबूत स्तंभ ।

    अजय शर्मा - ऐसी शख्शियत जिसको ना जानना भी जानने के बराबर है । उसके बारे में जानना, चौतरफा नुकसान या छःतरफा फायदा है । एक साथ 32 प्लान बनाना उसकी मानसिक शक्ति को दर्शाता है । इस उपन्यास को आपसे जबरदस्ती पढ़वा लेना भी उसके ही प्लान का हिस्सा है ।

    वाणी - अजय शर्मा की बेटी ।

    अग्नि - रहस्यों से बनी एक अद्भुत लड़की । जितनी देर कहानी में रहेगी ,रहस्य ,रोमांच का तूफान जारी रहेगा ।

    विशाल - सीबीआई अधिकारी ।

    अजातशत्रु –उपन्यास के शुरुवात से अंत तक कहानी के साथ मिलेगा। किसी प्रकार 377 पृष्ठों का रहस्य रोमांच समाप्त होते ही अपने असली रूप में आएगा और मजबूर करेगा फिर से इस उपन्यास को पढ़ने का या लेखक महोदय से संपर्क करने का ।

    आभा पंडित – वेद जी के एक चरित्र विभा जिंदल का हूबहू आधुनिकीकरण ।


    हैलो मित्रों !
    आमतौर पर 300 पृष्ठों का कोई उपन्यास देखते ही एक ही बैठक में पढ़ना असंभव नजर आता है , परंतु एक उपन्यास सभी धारणाओं के धुर्रे उड़ाने को तैयार है । एक बार पढ़ना शुरू करने के बाद ही आपका एक ही काम होगा । दो पन्ना पढ़ना और तुरंत ही आंख बंद करके रिवाइज करना ।

    कहानी की शुरुआत बड़े रहस्यमय तरीके से होती है । उसके बाद एक दो पन्ने के भावनात्मक घटनाओं के बाद शुरू हो जाता है रोमांच का सफर ।
    शहर में होने लगते हैं कत्ल पर कत्ल !
    एक कत्ल की पुलिसिया जांच पड़ताल कहीं खिसके उससे पहले ही अगला कत्ल ।
    बड़े अनुभव और बुद्धि के इस्तेमाल के बाद कातिल का पता भी चल जाता है । मगर फायदा क्या अपराधी तो मर चुका है । अब पुलिस और सीबीआई का सामना कातिल से नहीं बल्कि उस कातिल के बनाए प्लान से होता है ।
    अब दिक्कत यह है कि उस कातिल के प्लान के अंदर भी अनगिनत प्लांस है । और यह सब बताने या समझाने के लिए वह व्यक्ति है ही नहीं । सबसे खतरनाक बात यह कि मृतक कातिल को हरा देना भी उसी की सफलता होगी ।

    अनगिनत रहस्यों से निपटते निपटते जब तक आप उपन्यास के अंतिम पृष्ठ तक पहुंचेंगे तब तक एक आखिरी रहस्य आपकी नींदें उड़ाने के लिए तैयार बैठा है । अब शुरू हो जाइए फिर से इस उपन्यास को पढ़ने के लिए ।

    कहानी के प्रस्तुतिकरण का तरीका सबसे अद्भुत है । उपन्यास का थोड़ा महंगा होना ही इसकी एकमात्र कमी है । परंतु कई आदरणीय लेखकों पर हम इससे ज्यादा भी लुटा चुके हैं और कुछ हाथ भी नहीं लगा , इस नजर से यह उपन्यास काफी सस्ता है साथ ही संग्रहणीय है ।
    लेखक महोदय का यह पहला उपन्यास है मगर यह एहसास मीलों परे रहेगा । कहानी का अंत आपको एक अलग ही इमोशन के लेवल पर ले जायेगा जो कि लेखक की सफलता को दर्शाता है ।

    10 में से 10 अंक इस उपन्यास को ।

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THE डेड MAN'S प्लान - समीर सागर

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