किस्सा तीन हत्याओं का
क्लब में हत्या- जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा
क्लब में हत्या- जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा
उपन्यास साहित्य में जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा का नाम विशेष सम्मान के साथ लिया जाता है। जितना सम्मान पाठक ओमप्रकाश शर्मा का करते हैं उतने ही सम्मानजनक इनके पात्र होते हैं। शर्मा जी का एक विशेष पात्र है राजेश। प्रस्तुत उपन्यास 'क्लब में हत्या' राजेश -जयंत शृंखला का है। जो की एक मर्डर मिस्ट्री कथा है।राजेश और जयन्त संयोगवश इस मामले में सम्बन्धित हुये । वह दोनों झाँसी से लौट रहे थे और घटना रात के ग्यारह बजे की है जब उनकी कार दिल्ली की सीमा में प्रविष्ट होकर मथुरा रोड पर दौड़ रही थी। जयन्त कार चला रहा था और राजेश पिछली सीट पर बैठे एक उपन्यास पढ़ने में तल्लीन थे । रास्ते में एक एक्सीडेंट देखकर दोनों को रुकना पड़ा था। जयंत ने राजेश को भी वहाँ बुला लिया।
" राजेश, जरा आओ तो ।”
- "क्या बात है ?"
-"एक्सीडेंट है एक, बिल्कुल अजीब-सा एक्सीडेंट ।” राजेश उठे। उनकी कार के आगे लगभग दस कारें खड़ी थीं । उसके बाद...... उसके बाद था एक ट्रक और ट्रक के पिछले पहियों में दबा हुआ था एक नवयुवक।
वहाँ उपस्थित सब इंस्पेक्टर चतरसेन का मानना था की यह एक दुर्घटना है। लेकिन परिस्थितियों का विश्लेषण करने के पश्चात राजेश ने घोषणा की कि यह महज एक दुर्घटना नहीं बल्कि सोच- समझकर किया गया कत्ल है।
चतुर चतुरसेन ने राजेश से अनुरोध न किया की वह इस मामले में उसकी मदद करे। वहीं बाद में केन्द्रीय खूफिया विभाग ने भी राजेश को इस केस पर नियुक्त कर दिया था।
मृतक का नाम प्रमोद कुमार था और वह 'विश्राम लोक क्लब, नई दिल्ली' में असिस्टेंट मैनेजर था। राजेश- जयंत और सब इंस्पेक्टर की जाँच का केन्द्र अब विश्राम क्लब था। क्लब प्रमोद कुमार की शोक सभा में ही जब राजेश ने यह घोषणा की कि कातिल इस क्लब में ही उपस्थित है तो एक बार वहां सन्नाटा छा गया।
क्लब के अवैतनिक मैनेजर रंगबिहारी लाल और मालकिन मोहिनी देवी नहीं चाहते थे की क्लब की बदनामी हो। लेकिन उनके चाहने न चाहने से कुछ नहीं होने वाला था।
राजेश की जाँच अभी चल ही रही थी कि क्लब में हत्या हो गयी। इस बार हत्यारे ने क्लब के सदस्य को क्लब में ही मार दिया, हंगामा तो होना ही था।
और राजेश ने यह प्रण किया की वह शीघ्र असली अपराधी तक पहुंच जायेगा।
राजेश तनिक मुस्कराए— “ आप बिल्कुल बजा फरमाते हैं. मिर्जा साहब, सवाल सिर्फ हत्यारे की खोज का नहीं है। सवाल यह है कि शमा ने खुद जलकर कितने परवाने जला दिए ? मुझे इसका हिसाब जानना है और यकीन कीजिए मिर्जा साहब ! हिसाब जानकर ही रहूंगा।
और एक हंगामें के चलते राजेश भी अपराधियों की गिरफ्त में आ गया। और यही अपराधियों के लिए खतरनाक साबित हुआ।
उपन्यास मर्डर मिस्ट्री कथा पर आधारित है। उपन्यास में कुल तीन हत्याएं होती हैं।
उपन्यास का जो सशक्त पक्ष है वह है जासूस राजेश। शर्मा जी द्वारा रचित पात्रों में राजेश सबसे अलग है। अन्य जासूस साथी भी राजेश का अत्यंत सम्मान करते हैं।
राजेश का नैतिक पक्ष अत्यंत मजबूत है। वह अपराधी के साथ भी क्रूरता नहीं करता।
राजेश का प्रमोद की पत्नी को बहन कहकर संबोधित करना, उस के साथ यह वायदा करना की प्रमोद से संबंधित कोई भी अनुचित बात जनता नहीं पहुंचेगी।
राजेश एक जासूस है और जासूस अपने बुद्धिबल से कार्य करता है। राजेश की जो कार्यशैली वह इसलिए भी प्रभावित करती है की वह एक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़कर शेष अपराधियों तक अपने चातुर्य और बुद्धि से पहुंचता है।
उपन्यास के अंत में राजेश और प्रमोद की पत्नी रत्ना का संवाद अत्यंत प्रभावशाली है। (पृष्ठ संख्या 105)विशेष कथन-
धरती का आकर्षण, जो भी आवारा घुमक्कड़ तारा धरती की आकर्षण परीक्षा में आ जाता है, बिना जले रहता नहीं । जलता है और फिर राख होकर धरती के अंक में समा जाता है ।
- कौन जान सकता है, पुरुष के भाग्य को और स्त्री के चरित्र को ?
जनप्रिय ओमप्रकाश शर्मा जी द्वारा लिखित 'क्लब में हत्या' एक मर्डर मिस्ट्री रचना होने के साथ-साथ एक सामाजिक संदेश भी है। हत्या क्यों होती है? इसका कारण जो प्रत्यक्ष होता है, आवश्यक नहीं की वही हो, अप्रत्यक्ष कारण भी बहुत होते हैं।
एक पठनीय मार्मिक मर्डर मिस्ट्री है।
" राजेश, जरा आओ तो ।”
- "क्या बात है ?"
-"एक्सीडेंट है एक, बिल्कुल अजीब-सा एक्सीडेंट ।” राजेश उठे। उनकी कार के आगे लगभग दस कारें खड़ी थीं । उसके बाद...... उसके बाद था एक ट्रक और ट्रक के पिछले पहियों में दबा हुआ था एक नवयुवक।
वहाँ उपस्थित सब इंस्पेक्टर चतरसेन का मानना था की यह एक दुर्घटना है। लेकिन परिस्थितियों का विश्लेषण करने के पश्चात राजेश ने घोषणा की कि यह महज एक दुर्घटना नहीं बल्कि सोच- समझकर किया गया कत्ल है।
चतुर चतुरसेन ने राजेश से अनुरोध न किया की वह इस मामले में उसकी मदद करे। वहीं बाद में केन्द्रीय खूफिया विभाग ने भी राजेश को इस केस पर नियुक्त कर दिया था।
मृतक का नाम प्रमोद कुमार था और वह 'विश्राम लोक क्लब, नई दिल्ली' में असिस्टेंट मैनेजर था। राजेश- जयंत और सब इंस्पेक्टर की जाँच का केन्द्र अब विश्राम क्लब था। क्लब प्रमोद कुमार की शोक सभा में ही जब राजेश ने यह घोषणा की कि कातिल इस क्लब में ही उपस्थित है तो एक बार वहां सन्नाटा छा गया।
क्लब के अवैतनिक मैनेजर रंगबिहारी लाल और मालकिन मोहिनी देवी नहीं चाहते थे की क्लब की बदनामी हो। लेकिन उनके चाहने न चाहने से कुछ नहीं होने वाला था।
राजेश की जाँच अभी चल ही रही थी कि क्लब में हत्या हो गयी। इस बार हत्यारे ने क्लब के सदस्य को क्लब में ही मार दिया, हंगामा तो होना ही था।
और राजेश ने यह प्रण किया की वह शीघ्र असली अपराधी तक पहुंच जायेगा।
राजेश तनिक मुस्कराए— “ आप बिल्कुल बजा फरमाते हैं. मिर्जा साहब, सवाल सिर्फ हत्यारे की खोज का नहीं है। सवाल यह है कि शमा ने खुद जलकर कितने परवाने जला दिए ? मुझे इसका हिसाब जानना है और यकीन कीजिए मिर्जा साहब ! हिसाब जानकर ही रहूंगा।
और एक हंगामें के चलते राजेश भी अपराधियों की गिरफ्त में आ गया। और यही अपराधियों के लिए खतरनाक साबित हुआ।
उपन्यास मर्डर मिस्ट्री कथा पर आधारित है। उपन्यास में कुल तीन हत्याएं होती हैं।
उपन्यास का जो सशक्त पक्ष है वह है जासूस राजेश। शर्मा जी द्वारा रचित पात्रों में राजेश सबसे अलग है। अन्य जासूस साथी भी राजेश का अत्यंत सम्मान करते हैं।
राजेश का नैतिक पक्ष अत्यंत मजबूत है। वह अपराधी के साथ भी क्रूरता नहीं करता।
राजेश का प्रमोद की पत्नी को बहन कहकर संबोधित करना, उस के साथ यह वायदा करना की प्रमोद से संबंधित कोई भी अनुचित बात जनता नहीं पहुंचेगी।
राजेश एक जासूस है और जासूस अपने बुद्धिबल से कार्य करता है। राजेश की जो कार्यशैली वह इसलिए भी प्रभावित करती है की वह एक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़कर शेष अपराधियों तक अपने चातुर्य और बुद्धि से पहुंचता है।
उपन्यास के अंत में राजेश और प्रमोद की पत्नी रत्ना का संवाद अत्यंत प्रभावशाली है। (पृष्ठ संख्या 105)विशेष कथन-
धरती का आकर्षण, जो भी आवारा घुमक्कड़ तारा धरती की आकर्षण परीक्षा में आ जाता है, बिना जले रहता नहीं । जलता है और फिर राख होकर धरती के अंक में समा जाता है ।
- कौन जान सकता है, पुरुष के भाग्य को और स्त्री के चरित्र को ?
जनप्रिय ओमप्रकाश शर्मा जी द्वारा लिखित 'क्लब में हत्या' एक मर्डर मिस्ट्री रचना होने के साथ-साथ एक सामाजिक संदेश भी है। हत्या क्यों होती है? इसका कारण जो प्रत्यक्ष होता है, आवश्यक नहीं की वही हो, अप्रत्यक्ष कारण भी बहुत होते हैं।
एक पठनीय मार्मिक मर्डर मिस्ट्री है।
उपन्यास रोचक लग रहा है। पढ़ने की कोशिश रहेगी।
ReplyDeleteमेरे प्रिय लेखक. राजेश सीरिज के उपन्यास बेहद शानदार होते हैं. अच्छी समीक्षा. हिन्दी उपन्यासों में जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी के उपन्यास मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं. वैसे मेरे हिसाब तो ओमप्रकाश शर्मा जी ने डैन ब्राउन और जे के रोलिंग के स्तर का लिखा है
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