एक खतरनाक यात्रा
विकास मैकाबर के देश में
मैकाबर सीरीज का द्वितीय भाग
वेदप्रकाश शर्मा जी की 'मैकाबर' एक एक्शन सीरीज है, जिसके तीन भाग हैं। यहाँ इस सीरीज के द्वितीय भाग 'विकास मैकाबर के देश में' की चर्चा करते हैं।
यह कहानी 'विकास और मैकाबर' उपन्यास का द्वितीय भाग है। प्रथम भाग में मैकाबर की दहशत संपूर्ण विश्व पर छा जाती है और मैकाबर कुछ जासूसों को गायब कर देता है।
शेष बचे जासूस मित्र मैकाबर नामक खतरनाक संस्था को खत्म करने की यात्रा पर निकलते हैं। प्रस्तुत उपन्यास उसी यात्रा पर आधारित है। इस उपन्यास को मुख्यतः चार भागों में बांट सकते हैं।
प्रथम - वायुमार्ग से यात्रा करने वाले जासूस
द्वितीय- जलमार्ग से यात्रा करने वाले जासूस
तृतीय- विकास और चीनी जासूस फुचिंग की लडा़ई
चतुर्थ- कजारिया देश का वर्णन जिसमें मैकाबर संस्था का वर्णन, लार्बिटा, अलफांसे आदि। उपन्यास में जासूस मण्डली मैकाबर नामक खतरनाक संस्था का अंत करने के लिए कजारिया नामक देश की यात्रा पर निकलती है। जासूस मित्र दो अलग-अलग राह से यात्रा करते हैं।
फांगसान, माइक, ग्रिफित और रहमान विमान द्वारा वायुमार्ग से जाते हैं और विजय-विकास, बागरोफ और अकरम जलमार्ग द्वारा।
मैकाबर भी पल-पल इन पर नजर लगाये बैठा है और वह इनके राह में अनेक कठिनाइयाँ पैदा करता है।
उपन्यास में यही पठनीय है की मैकाबर को इनकी खबर कैसे लगती है और जासूस मित्र इन कठिनाइयाँ से कैसे जूझते हुये अपनी यात्रा करते हैं।
उपन्यास में विकास और फुचिंग के संघर्ष को काफी विस्तार दिया गया है। इसके अतिरिक्त बागारोफ का किरदार बहुत हास्यजनक है जो प्रभावित करता है।
उपन्यास में बंदर...Sorry.. Sorry...धनुष्टकार भी है और उसके जलवे भी।
उपन्यास शीर्षक- जैसा की उपन्यास का शीर्षक है 'विकास मैकाबर के देश में' तो यह शीर्षक भ्रामक है।अभी विकास मैकाबर के देश में नहीं पहुंचा है, वह इस उपन्यास में तो रास्ते ही है।
विकास मैकाबर के देश में
मैकाबर सीरीज का द्वितीय भाग
वेदप्रकाश शर्मा जी की 'मैकाबर' एक एक्शन सीरीज है, जिसके तीन भाग हैं। यहाँ इस सीरीज के द्वितीय भाग 'विकास मैकाबर के देश में' की चर्चा करते हैं।
यह कहानी 'विकास और मैकाबर' उपन्यास का द्वितीय भाग है। प्रथम भाग में मैकाबर की दहशत संपूर्ण विश्व पर छा जाती है और मैकाबर कुछ जासूसों को गायब कर देता है।
शेष बचे जासूस मित्र मैकाबर नामक खतरनाक संस्था को खत्म करने की यात्रा पर निकलते हैं। प्रस्तुत उपन्यास उसी यात्रा पर आधारित है। इस उपन्यास को मुख्यतः चार भागों में बांट सकते हैं।
प्रथम - वायुमार्ग से यात्रा करने वाले जासूस
द्वितीय- जलमार्ग से यात्रा करने वाले जासूस
तृतीय- विकास और चीनी जासूस फुचिंग की लडा़ई
चतुर्थ- कजारिया देश का वर्णन जिसमें मैकाबर संस्था का वर्णन, लार्बिटा, अलफांसे आदि। उपन्यास में जासूस मण्डली मैकाबर नामक खतरनाक संस्था का अंत करने के लिए कजारिया नामक देश की यात्रा पर निकलती है। जासूस मित्र दो अलग-अलग राह से यात्रा करते हैं।
फांगसान, माइक, ग्रिफित और रहमान विमान द्वारा वायुमार्ग से जाते हैं और विजय-विकास, बागरोफ और अकरम जलमार्ग द्वारा।
मैकाबर भी पल-पल इन पर नजर लगाये बैठा है और वह इनके राह में अनेक कठिनाइयाँ पैदा करता है।
उपन्यास में यही पठनीय है की मैकाबर को इनकी खबर कैसे लगती है और जासूस मित्र इन कठिनाइयाँ से कैसे जूझते हुये अपनी यात्रा करते हैं।
उपन्यास में विकास और फुचिंग के संघर्ष को काफी विस्तार दिया गया है। इसके अतिरिक्त बागारोफ का किरदार बहुत हास्यजनक है जो प्रभावित करता है।
उपन्यास में बंदर...Sorry.. Sorry...धनुष्टकार भी है और उसके जलवे भी।
उपन्यास शीर्षक- जैसा की उपन्यास का शीर्षक है 'विकास मैकाबर के देश में' तो यह शीर्षक भ्रामक है।अभी विकास मैकाबर के देश में नहीं पहुंचा है, वह इस उपन्यास में तो रास्ते ही है।
मैकाबर सीरीज के द्वितीय भाग 'विकास मैकाबर के देश में' मूलतः विकास के खौफनाक व्यक्तित्व को ही दर्शाया गया है।
यह भाग प्रथम और तृतीय भाग मध्य की एक कड़ी मात्र है, उपन्यास में कोई विशेष कथानक नहीं है।
एक्शन के तौर पर पढा जा सकता है, कहानी के स्तर पर नहीं।
उपन्यास- विकास मैकाबर के देश में
लेखक- वेदप्रकाश शर्मा
शृंखला- विजय- विकास
मैकाबर सीरीज का द्वितीय भाग
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