साबरमती का संत- यशपाल जैन
2 अक्टूबर 1869 इस्वी को गाँधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। 02 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाते हैं। तो मेरी हार्दिक इच्छा थी इस माह गांधी साहित्य को पढने की। मेरे विद्यालय पुस्तकालय में गांधी साहित्य से संबंधित पुस्तकों की संख्या काफी है। मैंने दो पुस्तकों का चयन किया था पर पढ एक ही पाया।
'साबरमती के संत' पुस्तक गाँधी जी के जीवन और विचारों का संक्षिप्त संकलन है, इस पुस्तक के लेखक हैं यशपाल जैन।
इस पुस्तक के दो खण्ड हैं प्रथम खण्ड है जीवन झाँकी और द्वितीय खण्ड है में विचार, शिक्षा और आज के प्रश्न समाहित हैं।
हालांकि इस रचना में गाँधी जी के जीवन का संक्षिप्त वर्णन है फिर भी बहुत कुछ समेटा गया है। गाँधी जी के जीवन का आरंभ, दक्षिण अफ्रीका का संघर्ष, भारतीय राजनीति में प्रवेश, स्वतंत्रता संग्राम और मृत्यु तक। मुझे लगता है गाँधी जी करीब के आगे की कड़ी थे, जिन्हें समझा थोड़ा सा मुश्किल अवश्य है लेकिन असंभव नहीं। लेखक महोदय लिखते हैं-गाँधी जी अब राजनेता नहीं, स्वेच्छा से अपनाई गरीबी, सादगी, विनम्रता और साधुता आदि गुणों के कारण अतीत काल के ऋषि जैसे लगते थे। (पृष्ठ-36)
जब गाँधी जी राजनीति में आये तो वे एक नये प्रयोग सत्याग्रह के साथ आये। जब ब्रिटिश सरकार ने भारत में हिन्दू, मुस्लिम और दलित वर्ग में पृथक निर्वाचन की व्यवस्था की तो गांधी जी इसके खिलाफ आमरण अनशन पर उतर आये। गांधी जी के इस साहसिक निर्णय पर गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था- "भारतीय समाज का अंग-विच्छेद रोकने के लिए गांधी जी एक व्यक्ति की, स्वयं अपनी, बलि दे रहे हैं। यह अहिंसा की भाषा है। क्या इसीलिए पश्चिम इसका अर्थ नहीं लगा सकता?" (पृष्ठ-39)
महात्मा गाँधी ने मात्र राजनीति पर ही नहीं और भी विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये हैं। निर्धन और असहाय जनता के लिए उनके विचार देखें- - "दुनिया के सभी धर्मों में ईश्वर को मित्र-विहीनों का मित्र, बेसहारों का सहारा और दुर्बलों का रक्षक कहा गया है। भारत के अछूत कहे जाने वाले चार करोड़ हिंदुओं से अधिक मित्र-विहीन, बेसहारा और दुर्बल कौन हो सकता है।" (पृष्ठ-39)
इस पुस्तक में गाँधी जी के जीवन संघर्ष को समझने में बहुत कुछ मिल सकता है। कैसे एक सामान्य इंसान उस बर्बर समय में अहिंसा और सत्याग्रह के दम पर राजनीति को एक नयी दिशा प्रदान करता है। कैसे दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के प्रति लोगों में जागृति फैलाता है। कैसे एक इंसान सामान्य इंसान से महात्मा कहलाता है।
एक महत्वपूर्ण कथन-
गाँधी जी जानते थे कि स्वतंत्रता शांति की जुड़वा बहन है और निर्भयता दोनों की जननी है। (पृष्ठ-46)
इस रचना के द्वितीय खण्ड में गाँधी जी के विभिन्न विषयों पर विचारों का संकलन है। उनके समय-समय पर लिखे गये आर्टिकल, पुस्तकों में से महत्वपूर्ण विचारों को प्रस्तुत किया गया है।
गाँधी को समझने के लिए यह पुस्तक उपयोगी है। गाँधी जी चाहे आज नहीं रहे पर उनके विचार आज भी जनता के लिए उपयोगी हैं।
गाँधी जी की भौतिक काया का अंत हो गया, पर मानवता के इतिहास में उनका नाम सदा-सर्वदा के लिए अमर हो गया।(पृष्ठ-49)
पुस्तक- साबरमती का संत
लेखत- यशपाल जैन
प्रकाशक- हिन्द पॉकेट बुक्स
पृष्ठ- 170
'साबरमती के संत' पुस्तक गाँधी जी के जीवन और विचारों का संक्षिप्त संकलन है, इस पुस्तक के लेखक हैं यशपाल जैन।
इस पुस्तक के दो खण्ड हैं प्रथम खण्ड है जीवन झाँकी और द्वितीय खण्ड है में विचार, शिक्षा और आज के प्रश्न समाहित हैं।
हालांकि इस रचना में गाँधी जी के जीवन का संक्षिप्त वर्णन है फिर भी बहुत कुछ समेटा गया है। गाँधी जी के जीवन का आरंभ, दक्षिण अफ्रीका का संघर्ष, भारतीय राजनीति में प्रवेश, स्वतंत्रता संग्राम और मृत्यु तक। मुझे लगता है गाँधी जी करीब के आगे की कड़ी थे, जिन्हें समझा थोड़ा सा मुश्किल अवश्य है लेकिन असंभव नहीं। लेखक महोदय लिखते हैं-गाँधी जी अब राजनेता नहीं, स्वेच्छा से अपनाई गरीबी, सादगी, विनम्रता और साधुता आदि गुणों के कारण अतीत काल के ऋषि जैसे लगते थे। (पृष्ठ-36)
जब गाँधी जी राजनीति में आये तो वे एक नये प्रयोग सत्याग्रह के साथ आये। जब ब्रिटिश सरकार ने भारत में हिन्दू, मुस्लिम और दलित वर्ग में पृथक निर्वाचन की व्यवस्था की तो गांधी जी इसके खिलाफ आमरण अनशन पर उतर आये। गांधी जी के इस साहसिक निर्णय पर गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था- "भारतीय समाज का अंग-विच्छेद रोकने के लिए गांधी जी एक व्यक्ति की, स्वयं अपनी, बलि दे रहे हैं। यह अहिंसा की भाषा है। क्या इसीलिए पश्चिम इसका अर्थ नहीं लगा सकता?" (पृष्ठ-39)
महात्मा गाँधी ने मात्र राजनीति पर ही नहीं और भी विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये हैं। निर्धन और असहाय जनता के लिए उनके विचार देखें- - "दुनिया के सभी धर्मों में ईश्वर को मित्र-विहीनों का मित्र, बेसहारों का सहारा और दुर्बलों का रक्षक कहा गया है। भारत के अछूत कहे जाने वाले चार करोड़ हिंदुओं से अधिक मित्र-विहीन, बेसहारा और दुर्बल कौन हो सकता है।" (पृष्ठ-39)
इस पुस्तक में गाँधी जी के जीवन संघर्ष को समझने में बहुत कुछ मिल सकता है। कैसे एक सामान्य इंसान उस बर्बर समय में अहिंसा और सत्याग्रह के दम पर राजनीति को एक नयी दिशा प्रदान करता है। कैसे दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के प्रति लोगों में जागृति फैलाता है। कैसे एक इंसान सामान्य इंसान से महात्मा कहलाता है।
एक महत्वपूर्ण कथन-
गाँधी जी जानते थे कि स्वतंत्रता शांति की जुड़वा बहन है और निर्भयता दोनों की जननी है। (पृष्ठ-46)
इस रचना के द्वितीय खण्ड में गाँधी जी के विभिन्न विषयों पर विचारों का संकलन है। उनके समय-समय पर लिखे गये आर्टिकल, पुस्तकों में से महत्वपूर्ण विचारों को प्रस्तुत किया गया है।
गाँधी को समझने के लिए यह पुस्तक उपयोगी है। गाँधी जी चाहे आज नहीं रहे पर उनके विचार आज भी जनता के लिए उपयोगी हैं।
गाँधी जी की भौतिक काया का अंत हो गया, पर मानवता के इतिहास में उनका नाम सदा-सर्वदा के लिए अमर हो गया।(पृष्ठ-49)
पुस्तक- साबरमती का संत
लेखत- यशपाल जैन
प्रकाशक- हिन्द पॉकेट बुक्स
पृष्ठ- 170
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