मनुष्य जीवन की फिसलन
कगार और फिसलन- विमल मित्र
कगार और फिसलन- विमल मित्र
कभी कभी जिंदगी में अजीब घटनाएं घटित हो जाती हैं। मनुष्य देखता रह जाता है और घटना घटित हो जाती है। कभी मनुष्य मझधार में डूब जाता है और कभी कगार पर आकर फिसल जाता है। स्वयं मनुष्य को भी अहसान नहीं होता की वह जो कर रहा है वह सही है या गलत।
इन दिनों विमल मित्र जी का उपन्यास 'कगार और फिसलन' पढा, जो जीवन में आने वाले कुछ घटनाओं का वर्णन करता है।
उपन्यास 'कगार और फिसलन' में दो अलग-अलग कहानियाँ है। प्रथम कहानी को हम लंबी कहानी कह सकते हैं और द्वितीय को एक लघु उपन्यास कहा जा सकता है। दोनों में कुछ समानताएं अवश्य हैं और समापन भी एक जैसा है।
कगार और फिसलन- विमल मित्र |
जीवन में अकेली श्राॅफ आण्टिया का मिस नमिता सेन के साथ विशेष लगाव हो गया और यह लगाव बढते-बढते रेशम के फंदे की तरह बन गया।
श्राफ आण्टिया का नमिता से इतना लगाव क्यों मिस सेन इस फंदे से कैसे निकली और इसका क्या परिणाम निकला।
यह उपन्यास में पढनीय है।
प्रस्तुत कहानी एकाकी जीवन जीने वाली एक महिला पर आधारित है। जो अपने जीवन में नीड़र और दबंग है लेकिन कुछ उसके सीने में धड़कता दिल भी किसी का सामीप्य ढूंढता है। वही सामीप्य उसके जीवन की फिसलन साबित होता है।
दूसरी कहानी एक लघु उपन्यास की है। यह कहानी है अदल दा की। अदल दा मौहल्ले के सबसे सजीदा, सम्मानित लड़के थे। मौहल्ले के लड़के उनका अनुचर बनना पसंद करते थे। लेकिन अटल दा के जीवन में कुछ ऐसा घटित हुआ की वे सबसे अलग हो गये वे एक अकेलेपन की एक उदास जिंदगी जीने लगे।
अटल दा के जीवन में ऐसा क्या घटित हुआ की उन्होंने ऐसा जीवन जीना पड़ा?
यह विमल मित्र के उपन्यास 'कगार और फिसलन' को पढकर जाना जा सकता है।
प्रस्तुत कहानी के दो पक्ष हैं। एक पक्ष जहाँ अटल दा के जीवन के एक त्याग को वर्णित करता है वहीं दूसरा उनके उदासीन व्यवहार और पल-पल मृत्यु के नजदीक होते जीवन को।
उपन्यास में आये प्रसिद्ध क्रांतिकारी खुदीराम बोस के गुरू सत्येन के मित्र ब्रजेन की भूमिका कहानी को रोचकता प्रदान करती है।
उपन्यास में कुछ कथन/ सुक्तियां प्रेरणादायक और सकारात्मक है।
उपन्यास में साहित्य की अच्छी परिभाषा दी गयी है।
- मनुष्य के भीतर जो देवता छिपा है उसी का आविष्कार करना साहित्य का कार्य है।
- देवत्व और पशुत्व के मिश्रण से जो जीव बनता है उसी का नाम है मनुष्य।
यह एक मध्यम स्तर का उपन्यास है। जिसे एक बार पढा जा सकता है।
उपन्यास- कगार और फिसलन
लेखक- विमल मित्र
अनुवाद- रंगनाथ राकेश
प्रकाशक- सन्मार्ग प्रकाशन- दिल्ली
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