वह जो पानी में आग लगा देता था।
पानी के धमाके -अनीस मिर्जा
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में एक समय था जब उपन्यास मासिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होते थे। ऐसे उपन्यास लगभग 100 से 150-70 पृष्ठ के होते थे। इन पत्रिकाओं का मुख्य उद्देश्य मात्र उपन्यास प्रकाशित करना ही होता था लेकिन ये थी तो पत्रिका ही, इसलिए इनमें एक दो पृष्ठों पर समाचार भी प्रकाशित कर दिये जाते थे और अंतिम पृष्ठों पर उपन्यास विज्ञापन।
ऐसी ही एक मासिक पत्रिका थी- इंस्पेक्टर जासूस। इस पत्रिका में जासूसी उपन्यास प्रकाशित होते थे और इनके स्थायी लेखक थे अनीस मिर्जा। सन् 1965 में अनीस मिर्जा का एक उपन्यास प्रकाशित हुआ 'पानी के धमाके'। यह उपन्यास आकार में चाहे छोटा है लेकिन है मनोरंजक।
शहर के डी.आई.जी. (पुलिस) का फोन प्रसिद्ध गुप्तचर तनवीर सुलेमानी और आदिल के पास आता है।
डी.आई. जी. उन्हे बताते हैं- कल शाम को प्रोफेसर जगदीश की बेटी बेला तफरीह के लिए पिंग पोंग क्लब गई थी। सुबह तक वापस नहीं लौटी। प्रोफेसर जगदीश बहुत परेशान है। वह उनकी इकलौती बेटी है। (पृष्ठ-17)
दोनों जासूस एक-एक सूत्र को पकड़ते हुए अपराधी की खोज में निकलते हैं। उन्हें पता चलता है की बेला को अंतिम बार- एक बूढे के साथ नाचते हुए देखा था। (पृष्ठ-17)
लेकिन इस खोज के दौरान जो भी व्यक्ति उनके हाथ लगता है वह जिंदा नहीं बचता। - "...क्या अपराधी इतना भयानक है कि लोग उसका नाम बताते हुए डरते हैं, यहाँ तक कि अपनी जान दे देते हैं।" (पृष्ठ-85)
मुख्य अपराधी के बारे में तो अपराधी के साथी भी तनवीर को यही कहते हैं।- " वह...जो सबसे बड़ा है। और जो सब कुछ जानता है। जो तुम्हें कुत्ते की तरह भौंकने पर विवश कर सकता है। वह जो महान है। हर एक के मन को जानता है।"(पृष्ठ-82)
यह कहानी एक खतरनाक अपराधी की है जो एक बहुत बड़ा खेल खेलता है और उसका प्रथम मोहरा है प्रोफेसर की बेटी बेला। और इसी बेला की तलाश में निकले दो जासूस तनवीर सुलेमानी और आदिल। इन दोनों का अपराधी को खोजना और उसे पकड़ना वास्तव में रोचक और पठनीय है।
उपन्यास में अपराधी को अजीब और बहुत खतरनाक दिखाया गया है। वहीं जासूस तनवीर को तीव्र बुद्धि का और आदिल को हास्य प्रवृत्ति का दिखाया गया है। आदिल का एक उदाहरण देखें।-
"आ...अच्छा... चलो प्यारे...खूब पियो...तहखाने में पियो या आसमान में उड़न खटोले पर पियो, लेकिन पियो जरूर, क्योंकि यही मेरी जिंदगी है यही मेरी बंदगी है।"-आदिल ने झूमते हुए कहा।
अपराध कथा पर लिखा गया अनीस मिर्जा का यह लघु आकार का उपन्यास पठनीय है। हालांकि कहानी में लघु रखने के चक्कर में कुछ बातें और घटनाएं छूट गयी सी प्रतीत होती हैं। वहीं एक अन्य अपहरण की घटनाएं का आरम्भ में वर्णन है लेकिन अंत में कोई हल या वर्णन नहीं मिलता।
उपन्यास एक बार मनोरंजन के लिए पढा जा सकता और इसे चाहे तो विस्तार देकर और मनोरंजक बनाया जा सकता है। कम पृष्ठ और रोचक कहानी। अच्छा उपन्यास।
उपन्यास- पानी के धमाके
लेखक- अनीस मिर्जा
पत्रिका- इंस्पेक्टर जासूस
प्रकाशक- जी.के. पब्लिकेशन, लाजपत नगर, नई दिल्ली
पृष्ठ- 103
पानी के धमाके -अनीस मिर्जा
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में एक समय था जब उपन्यास मासिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होते थे। ऐसे उपन्यास लगभग 100 से 150-70 पृष्ठ के होते थे। इन पत्रिकाओं का मुख्य उद्देश्य मात्र उपन्यास प्रकाशित करना ही होता था लेकिन ये थी तो पत्रिका ही, इसलिए इनमें एक दो पृष्ठों पर समाचार भी प्रकाशित कर दिये जाते थे और अंतिम पृष्ठों पर उपन्यास विज्ञापन।
ऐसी ही एक मासिक पत्रिका थी- इंस्पेक्टर जासूस। इस पत्रिका में जासूसी उपन्यास प्रकाशित होते थे और इनके स्थायी लेखक थे अनीस मिर्जा। सन् 1965 में अनीस मिर्जा का एक उपन्यास प्रकाशित हुआ 'पानी के धमाके'। यह उपन्यास आकार में चाहे छोटा है लेकिन है मनोरंजक।
शहर के डी.आई.जी. (पुलिस) का फोन प्रसिद्ध गुप्तचर तनवीर सुलेमानी और आदिल के पास आता है।
डी.आई. जी. उन्हे बताते हैं- कल शाम को प्रोफेसर जगदीश की बेटी बेला तफरीह के लिए पिंग पोंग क्लब गई थी। सुबह तक वापस नहीं लौटी। प्रोफेसर जगदीश बहुत परेशान है। वह उनकी इकलौती बेटी है। (पृष्ठ-17)
दोनों जासूस एक-एक सूत्र को पकड़ते हुए अपराधी की खोज में निकलते हैं। उन्हें पता चलता है की बेला को अंतिम बार- एक बूढे के साथ नाचते हुए देखा था। (पृष्ठ-17)
लेकिन इस खोज के दौरान जो भी व्यक्ति उनके हाथ लगता है वह जिंदा नहीं बचता। - "...क्या अपराधी इतना भयानक है कि लोग उसका नाम बताते हुए डरते हैं, यहाँ तक कि अपनी जान दे देते हैं।" (पृष्ठ-85)
मुख्य अपराधी के बारे में तो अपराधी के साथी भी तनवीर को यही कहते हैं।- " वह...जो सबसे बड़ा है। और जो सब कुछ जानता है। जो तुम्हें कुत्ते की तरह भौंकने पर विवश कर सकता है। वह जो महान है। हर एक के मन को जानता है।"(पृष्ठ-82)
यह कहानी एक खतरनाक अपराधी की है जो एक बहुत बड़ा खेल खेलता है और उसका प्रथम मोहरा है प्रोफेसर की बेटी बेला। और इसी बेला की तलाश में निकले दो जासूस तनवीर सुलेमानी और आदिल। इन दोनों का अपराधी को खोजना और उसे पकड़ना वास्तव में रोचक और पठनीय है।
उपन्यास में अपराधी को अजीब और बहुत खतरनाक दिखाया गया है। वहीं जासूस तनवीर को तीव्र बुद्धि का और आदिल को हास्य प्रवृत्ति का दिखाया गया है। आदिल का एक उदाहरण देखें।-
"आ...अच्छा... चलो प्यारे...खूब पियो...तहखाने में पियो या आसमान में उड़न खटोले पर पियो, लेकिन पियो जरूर, क्योंकि यही मेरी जिंदगी है यही मेरी बंदगी है।"-आदिल ने झूमते हुए कहा।
अपराध कथा पर लिखा गया अनीस मिर्जा का यह लघु आकार का उपन्यास पठनीय है। हालांकि कहानी में लघु रखने के चक्कर में कुछ बातें और घटनाएं छूट गयी सी प्रतीत होती हैं। वहीं एक अन्य अपहरण की घटनाएं का आरम्भ में वर्णन है लेकिन अंत में कोई हल या वर्णन नहीं मिलता।
उपन्यास एक बार मनोरंजन के लिए पढा जा सकता और इसे चाहे तो विस्तार देकर और मनोरंजक बनाया जा सकता है। कम पृष्ठ और रोचक कहानी। अच्छा उपन्यास।
उपन्यास- पानी के धमाके
लेखक- अनीस मिर्जा
पत्रिका- इंस्पेक्टर जासूस
प्रकाशक- जी.के. पब्लिकेशन, लाजपत नगर, नई दिल्ली
पृष्ठ- 103
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