Friday 8 June 2018

118. सुनील रैप काण्ड-

एक अनोखा रैप काण्ड
सुनील रैप काण्ड- , जासूसी उपन्यास, रोचक, पठनीय, लघु कलेवर।
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सुनील कोठारी‌ ने टैक्सी रुकवाई।
वह टैक्सी से नीचे उतरा और ड्राइविंग सीट पर बैठे ड्राइवर की ओर बढ गया।
"कितने पैसे?"- उसने पूछा।
" साहब...यहाँ? "- ड्राइवर ने हैरानी ने हैरानी से उसके चेहरे की ओर देखा था-" इस निर्जन तट पर क्या करेंगे आप?"
सुनील कोठारी के होंठों पर क्षीण सी मुस्कान उभरी।
"थोङी देर टहलूंगा ड्राइवर।"
"इतनी रात गए!"
"चांदनी रात का आनंद रात गए ही लिया जा सकता है।"- सुनील के होंठों पर मुस्कान गहरी हो गयी थी- " और फिर अभी तो शाम विदा ही हुई है।"

               निर्जन सागर किनारे रात को घूमने गये सुनील कोठारी की अगले दिन लाश मिली।
आखिर क्या वजह रही थी सुनील कोठारी की मौत की। इंस्पेक्टर तेंदुलकर और खोजी पत्रकार अमर भी इस केस में उलझ कर रह गये।
"इतनी मामूली नोच-खसोट से 'हष्ट-पुष्ट लंबे तगङे' युवक की मौत तो दूर, बेहोश भी नहीं किया जा सकता।"
"ओह!"- तेंदुलकर के मुँह से निकला था।
" और ये युवक मर गया।"- अमर आहिस्ता से बोला-"जबकि इसके जिस्म पर कोई भी ऐसा जख्म नहीं, जो जानलेवा हो सके।"

        और जब सुनील कोठारी की हत्या के कारण का रहस्य खुला तो पूरा शहर चौंक उठा।
- क्या वजह थी सुनील कौठारी की मौत की?
- निर्जन तट पर सुनील कौठारी क्यों घूमने गया?
- ऐसा क्या कारण था मौत का की  पूरा शहर चौंक उठा?

ऐसे सभी प्रश्नों के उत्तर इस लघु उपन्यास को पढकर ही जाने जा सकते हैं।
   उपन्यास चाहे कलेवर में छोटा है पर है बहुत ही रोचक।

उपन्यास के संवाद रोचक और उपन्यास के पात्रों के अनुकूल हैं। कुछ संवाद पठनीय और स्मरणीय हैं।
 
- कानून की नजर में अमीर की गर्दन भी उतनी ही नरम हुआ करती है जितनी की गरीब की।

- जो बांह-भर चूङियां पहनाने की हिम्मत रखता हो वह चुटकी भर सिंदूर का बंदोबस्त कर ही लेगा।

- बच्चों को प्यार करने का अर्थ ये नहीं होता की उन्हें अपराध करने की छूट दे दी जाये।
   

यह उपन्यास वेदप्रकाश शर्मा के उपन्यास 'रहस्य के बीच' के पीछे दिया गया है। उपन्यास 'रहस्य के बीच' स्वयं एक लघु उपन्यास है इसलिए पृष्ठ संख्या बढाने के लिए दूसरा लघु उपन्यास 'सुनील रैप काण्ड' इसमें और जोङा गया। प्रकाशक ने दूसरे उपन्यास के लेखक का कहीं‌ कोई वर्णन नहीं किया। हालांकि ऐसा अन्यत्र कभी देखने को नहीं मिला की लेखक का नाम‌ न दिया गया हो यहाँ पता नहीं किस कारण से लेखक का नाम‌ नहीं छापा गया।

निष्कर्ष- 
उपन्यास चाहे लघु कलेवर में है पर है अच्छा और रोचक। पाठक को आकृष्ट करने में सक्षम है। कहानी और प्रस्तुतीकरण शानदार है।

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उपन्यास- सुनील रैप काण्ड
लेखक- .............(कहीं कोई नाम नहीं दिया गया।)
प्रकाशन- राजा पॉकेट बुक्स- दिल्ली

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