Sunday, 20 August 2017

58. गुलाबी अपराध - एम. इकराम फरीदी

गुलाबी अपराध- एक अनसुलझी मर्डर मिस्ट्री
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एक हिंदू स्त्री सुनीता का प्रेमविवाह एक मुस्लिम व्यक्ति फुरकान से हो जाता है। इस विवाह से सुनीता के घरवाले व फुरकान के घरवाले दोनों नाराज हैं। दोनों परिवार अपने लिए अपने बच्चों को मरे हुए मान लेते हैं।
सुनीता की सहेली की लङकी पल्लवी के दो बाॅयफ्रेण्ड एक बार पल्लवी की मम्मी के कानों से झुमका व गले से चेन लूट लेते हैं। बाद में सुनीता उन दिनों लङकों को पहचान लेती है। और ये दोनों लङके किसी तरह सुनीता की हत्या कर स्वयं को सुरक्षित करना चाहते हैं।
पल्लवी का एक और बाॅय फ्रेण्ड है डाक्टर आदिल खान, वह किसी कारणवश सुनीता की हत्या करना चाहता है।
सुनीता का पति भी सुनीता की हत्या का इच्छुक है।
और एक शाम को घर पर सुनीता की हत्या हो जाती है।
हत्यारा कौन है?
- पल्लवी के बाॅय फ्रेण्ड अनन्य- रोहित?
- सुनीता का पति फुरकान?
- डाॅक्टर आदिल खान?
- फुरकान का छोटा भाई?
- सुनीता का भाई?
इस मर्डर मिस्ट्री को हल करने के लिए पुलिस विभाग के आॅफिसर इंस्पेक्टर बुट्टर और सब इंस्पेक्टर जाखङ मैदान में आते हैं, लेकिन अंत तक कोई भी इस मर्डर मिस्ट्री को हल नहीं कर पाता।
अगर पाठक को हत्यारे का नाम पता है तो वह वह हत्यारे का नाम व सिचुवेशन(स्थिति) बताये और नगद ईनाम दस हजार प्राप्त कर सकता है।
     उपन्यास जगत का यह एक बेहतरीन प्रयोग है। इस प्रकार एक बार प्रयोग टाइगर अपने उपन्यास 'किसका कत्ल करुं?' में कर चुके हैं।
   लेकिन टाइगर ने अपने आगामी किसी उपन्यास में  हत्यारे के जिक्र का कोई वर्णन किया या नहीं ऐसा 'किसका कत्ल करुं? ' में कोई क्लू नहीं दिया।
गुलाबी अपराध उपन्यास बहुत ही रोचक व सस्पेंशपूर्ण है।
पाठक के सामने एक स्थिति स्पष्ट होती है और उसे लगता है की यह हत्यारा है लेकिन तब स्थिति बदल जाती है और शक दूसरे, तीसरे, चौथे व्यक्ति तक क्रमशः सतत चलता रहता है।
गुलाबी अपराध-  एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री है जिसने तेजतर्रा इन्वेस्टीगेटर का दिमागी संतुलन बिगाङ दिया। वह मानसिक शांति माने के लिए बुद्ध की शरण में जाने को तैयार हो गया।
        भौतिक सुख सुविधाओं को हासिल करने के लिए सही-गलत हर तरह के रास्ते अपना कर हर तरह की खुशियाँ अपने दामन में भर लेने को आतुर आधुनिक महानगर के ऐसे पात्रों की रोमांचक खून आलूदा दास्तान जिनके हाथ अंत में खाली के खाली रह जाते हैं....और रह जाते हैं सिर्फ टीसते जख्म, जो ताउम्र उन्हें अहसास दिलाते हैं कि वो इस अंधी दौड़ में शामिल हुए तो क्यों हुए।

कहानी-
           अगर उपन्यास की कहानी की बात करें तो यह सामाजिक मर्डर मिस्ट्री है। सुनीता नामक एक ऐसी महिला की कहानी है जिसकी मृत्यु के  कई इच्छुक हैं। और एक दिन सुनीता की उसी के घर में हत्या हो जाती है।
यहीं से कहानी में पुलिस विभाग का प्रवेश होता है जो की हत्यारे की तलाश में असफल रहती है।
अब हत्यारा कौन है ये लेखक के आगामी किसी उपन्यास में रहस्य खुलेगा।
हालांकि उपन्यास का कोई अन्य भाग नहीं है। मात्र ऐसा प्रयोग इमाम के तौर पर किया गया एक अच्छा प्रयोग है।
लेखक के आगामी उपन्यास ' ए टरेरिस्ट' के अंत में ' गुलाबी अपराध' के हत्यारे का नाम पर उसके कत्ल करने की वजह और कत्ल के वक्त की परिस्थिति का वर्णन होगा।
एक संदेश-
               कहानी लेखन का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन ही होता है, लेकिन एक अच्छा लेखक मनोरंजन के साथ-साथ समाज को एक संदेश भी देता है। क्योंकि वह कहानी का चयन भी समाज से करता है तो कहीं न कहीं उसका एक नैतिक दायित्व भी है की वह समाज के लिए एक अच्छा संदेश दे सके। अगर इस दृष्टिकोण से देखा जाये तो लेखक एम. इकराम फरीदी इस दृष्टिकोण से खरे उतरे हैं।
प्रस्तुत उपन्यास में उन्होंने एक नहीं कई छोटे-छोटे विषयों को उठाता है जो समाज के लिए घातक हैं।
1. युवावर्ग का व्यवहार-
              वर्तमान युवा वर्ग अपने ऐशो आराम व फिजुल खर्ची के लिए किस तरह अपराध की दुनिया में जा रहा है इसका एक उदाहरण उपन्यास के दो पात्र अनन्य और रोहित हैं।
2. अभिभावकों का उत्तरदायित्व-
             बच्चों के गलत राहे पर जाने में उनके अभिभावकों का भी अप्रत्यक्ष योगदान है। वे अपने बच्चों पर उचित नजर नहीं रख पाते जिसका परिणाम ये निकलता है की बच्चे गलत राह पकङ लेते हैं।
3. मुस्लिम समाज में तलाक प्रथा-
                मुस्लिम समाज में तलाक प्रथा का कितना गलत प्रयोग हो रहा है इसकी भी एक छोटी सी छलक उपन्यास में देखने को मिलती है।
जब उपन्यास का एक पात्र जाने- अनजाने तीन बार तलाक शब्द बोल देता है तो उसका अपनी पत्नी से तलाक हो जाता है।
" कभी तो इतना गुस्सा आता कि इससे तीन बार बोलू तलाक़, तलाक, तलाक और घर से रवाना कर दूं।" - (पृष्ठ- )
और देखिए पाठक महोदय यहाँ तलाक भी हो गया। ऐसी प्रथा के विरुद्ध लेखक ने आवाज उठायी है।
4. स्वार्थपूर्ति के सामाजिक संगठन-
                  उपन्यास में कुछ ऐसे संगठनों का चित्रण भी है जो अवसर आने पर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने से बाज नहीं आते।
5. प्रेम विवाह-
            लेखक एक ओर बात की तरफ इशारा किया है- वह है प्रेम विवाह।
ज्यादातर इस प्रकार के प्रकरण में युवक- युवती अपने घर-परिवार, समाज से विद्रोह कर कर शादी तो कर लेते हैं  लेकिन जब इश्क का बुखार उतरता है तब वे बहुत पश्चाताप करते हैं।
  लेकिन इस तात्पर्य यह भी न लें की लेखक प्रेम विवाह के खिलाफ है। वह मात्र उन लोगों का विरोध करता है जो प्रेम विवाह के पश्चात उसे निभा नहीं सकते।

उपन्यास के पात्र-
          उपन्यास में पात्रों की संख्या कहानी अनुसार उचित है। कोई भी पात्र अनावश्यक नहीं है।
सुनीता- वह मुख्य पात्र है जिसकी मौत के कुछ लोग इच्छुक हैं। हिंदू स्त्री।
फुरकान- मुस्लिम, सुनीता का पति। सुनीता की मौत का इच्छुक ।
अनन्य, रोहित- पल्लवी के बाॅय फ्रेण्ड। अपनी ऐशो आराम की जिंदगी जीने के लिए अपराध की दलदल में धंस गये।
पल्लवी- सुनीता की सहेली की बेटी, जो पैसे वाले व्यक्ति से ही प्यार जताती है।
डाॅक्टर आदिल खान- सुनीता का प्रेमी और चालाक किस्म का व्यक्ति ।
इंस्पेक्टर बुट्टर व सब इंस्पेक्टर जाखङ- पुलिस विभाग के तेज तर्रार आॅफिसर। सुनीता मर्डर केस की जांचकर्ता।
इन मुख्य पात्रों के अलावा भी सुनीता- फुरकान के घरवाले, पल्लवी का परिवार, पुलिस विभाग, आदिल के मित्र व अन्य कई पात्र उपन्यास में उपस्थित हैं।

संवाद-
             उपन्यास के संवाद काफी अच्छे हैं और कहीं-कहीं तो रोचक व प्रेरक भी हैं।
फरीदी जी के पिछले उपन्यास ' ट्रेजडी गर्ल' के संवाद भी बहुत अच्छे थे।
संवाद (Dialogue) ही वह तत्व है जो किसी कहानी को आगे बढाने का कार्य करता है और इस कार्य में फरीदी जी ने अच्छा कार्य किया है।
" और उन परेंट्स को होश है जिनकी जवान लङकियां टाइम-बे- टाइम घर से बाहर रहती हैं। आप माॅर्डन कल्चर के नाम पर कितनी छूट दे सकते हैं।"- (पृष्ठ 153)
हिंदू शब्द की बहुत व्यापक परिभाषा दी है लेखक ने जो की  प्रशंसनीय कार्य है।
"शायद आपको जानकारी में ये बात नहीं की भारत में बसने वाला हर व्यक्ति हिंदू होता है- चाहे उसका मजहब कोई सा हो।"-(पृष्ठ-220)
शीर्षक-
     उपन्यास का शीर्षक नया व कहानी के अनुसार उचित है। यह भी पहली बार है की फरीदी के किसी उपन्यास का नाम हिंदी में है। इनके पूर्व दो व आगामी दोनों उपन्यासों का नाम अंग्रेजी में है।
   ऐशो आराम, फिजुलखर्ची जैसी एक बार अच्छी लगने वाली चीजें जो युवाओं को गुलाबी सपने दिखाती है लेकिन अनतः वे उसे अपराध की ओर धकेल देती है।
उपन्यास में कमी-
उपन्यास में कुछ खामियां भी हैं, हालांकि ज्यादा नहीं है इससे कहानी के प्रवाह व भाव पर कोई असर नहीं पङता। अगर लेखक चाहता तो थोङी सी कोशिश और चंद पंक्तियाँ का विस्तार कर उन गलतियों से बच सकता था।
जैसे पृष्ठ संख्या 67 पर रोहित व अनन्य सुनीता और फुरकान को देख कर पति-पत्नी घोषित कर देते हैं।
"जिस हैसियत से दोनों साथ में चल रहे हैं, उसके मुताबिक पति- पत्नी होने चाहिए।"
"यानि सुनीता ने एक  मुस्लिम से शादी की है।"
इसी प्रकार सुनीता की हत्या पर उनके घर से बाहर बहता खून देख कर एक राहगीर ने शोर मचा दिया - "खून.....।"
क्या यह दृश्य इस प्रकार दिखाना जरूरी था। एक राहगीर ने मात्र खून देख कर हत्या की घोषणा कर दी और वह सत्य साबित हुयी।
मेरे विचार से उक्त दोनों दृश्य किसी अन्य तरीके से दिखाये जाते तो ज्यादा उचित रहता।
   उपन्यास पठनीय है। पाठक को किसी भी स्तर पर निराश नहीं करेगी। उपन्यास की भाषा शैली और प्रवाह अच्छा है जो पाठक को उपन्यास से आबद्ध रखता है।
    उपन्यास एक मर्डर के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी देता है और दस हजार का नगद इनाम भी।
लेकिन मुख्य प्रश्न यही उठता है की सुनीता का हत्यार कौन? तो इसका उत्तर -
SP बलविंद्र सिंह के शब्दों में- " देखिए, ये एक मर्डर मिस्ट्री है, एकदम क्लियर नहीं है कि हत्यारा कौन है। क ई पात्र सामने आते हैं, हम पूरी जांच और सेटिस्फेक्शन के बाद ही कोई फैसला लेंगे।"-(पृष्ठ 223)
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उपन्यास - गुलाबी अपराध
ISBN 81-7789-509-5
लेखक - एम. इकराम फरीदी
प्रकाशन- रवि पॉकेट बुक्स- मेरठ
पृष्ठ- 260
मूल्य - 80₹
संपर्क-
एम. इकराम फरीदी
मीरगंज, बरेली
उत्तर प्रदेश- 243504
Email- moikramfareedi@gmail.com
Mob/Wtp- 9911341862

1 comment:

  1. awesome review.
    infact i dnt remember when i read this kind of detailed review of any book last time.

    Just awesome Gurpreet ji.

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