उपन्यासकार टाइगर का उपन्यास 'गोलियों की बरसात' एक रोचक व थ्रिलर उपन्यास है। उपन्यास की कहानी में कई रोचक मोङ हैं जो पाठक को प्रभावित करते हैं। पाठक जैसे -जैसे आगे बढता है वैसे -वैसे उसके सामने नये-नये रहस्य आते जाते हैं।
उपन्यास का आधार एक कत्ल है, जिसमें एक युवक अनायास ही फस जाता है, और असली अपराधी आजाद घूमता है। युवक का दोस्त इस षडयंत्र को बेनकाब करने के लिए निकलता है तो उसे चौंकाने वाले कई रहस्य बता चलते हैं।
जब वह कत्ल की वजह पता लगाने के लिए निकलता है तो दूसरी तरफ खलनायक भी इस युवक को मारने के लिए व्यग्र हो उठता है।
लेकिन जीत सत्य की होती है।
उपन्यास बहुत ही रोचक है।
उपन्यास की कहानी की बात करें तो प्रशांत और संतराम दो चोर-जेबकतरे हैं। छोटी-मोटी चोरी कर अपना पेट पालने वाले हैं। एक रात संतराम उर्फ संतु एक घर में चोरी करने घुसता है। तिजोरी से रुपये निकालने के समय कोई अन्य व्यक्ति, उसी कमरे में सोये घर के मालिक ' दीवान साहब' का खून कर देता है और इल्जाम आ जाता है चोर संतु पर।
जब संतु के दोस्त प्रशांत को इस बात का पता लगता है तो वह सत्य का पता लगाने की कोशिश करता है।
प्रशांत को पता चलता है की संतु जिस व्यक्ति की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार है, वह दीवान साहब वही है जिसकी फैक्ट्री में प्रशांत का भाई मैनेजर था।
यह वही दीवान है जिसकी बेटी कभी प्रशांत को प्यार करती थी।
प्रशांत का भाई फैक्ट्री में काम करते वक्त एक ऐसा रहस्य जान गया था जिसके कारण उसकी जान चली गयी, और उसके पास जो महत्वपूर्ण कागज थे वे गायब हैं।
प्रशांत जब दीवान साहब के घर जाता है तब दीवान साहब की बेटी, प्रशांत की प्रेयसी, उसे बताती है की दीवान साहब कुछ ऐसी बात जान गये थे जिसके कारण उनकी जान को खतरा पैदा हो गया था।
-आखिर वह क्या बात थी?
-क्या रहस्य था?
-जिसके कारण पहले फैक्ट्री का मैनेजर जान गवा बैठा और फिर फैक्ट्री का मालिक?
-कौन था असली कातिल?
-क्या था फैक्ट्री का राज?
-क्या प्रशांत उस रहस्य को जान सका?
-क्या संतु बेगुनाह साबित हो सका?
इस रहस्य ने और किस-किस की जान ली।
इन सब बातों का पता तो टाइगर का उपन्यास 'गोलियों की बरसात' पढ कर ही चलेगा।
उपन्यास के कथन-
"रिश्ता जब जोङा जाता है- तब तोङा नहीं जा सकता। जो तोङ देते हैं- वे रिश्ता जोङने के काबिल ही नहीं होते।"
"पुलिस जनता की हिफाजत के लिए बनाई गयी है- लेकिन सरकारी वर्दी पहन लेने के बाद .........वही लोग रक्षा की आङ में स्वयं ही जनता को लूटते चले जाते हैं।
" पांचों उंगलियाँ तो एक समान नहीं होती......
मैं नहीं जानता । ये जरूर जानता हूँ, दोनों हाथों के अंगूठे एक बराबर होते हैं।"
उपन्यास की एक संक्षिप्त झलक- जो उपन्यास की कहानी को स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है।
"आप सोच रहें है- आपको जिंदा देखकर मुझे हैरानी क्यों नहीं हुयी?"-प्रशांत मुस्कुराया- " और फिर वह लाश किसकी थी- जिसका कत्ल किया गया था। आखिर एक हत्या तो हुयी थी। कोठी में गोली चली थी- किसी इन्सान का खून भी बहा था, और उस आदमी की सूरत हू-ब- हू आपसे कैसे मिलती थी। उस आदमी ने कोई मास्क नहीं पहना था। पहना होता तो पोस्टमार्टम के समय यह भेद जरूर खुल जाता। वह लाश किसकी थी मैं जानता हू।"
थ्रिलर उपन्यास है जिसमें एक के बाद एक घटना घटती चली जाती है। प्रशांत के साथ-साथ भी इस रहस्य में उलझ जाता है की कातिल कत्ल क्यों कर रहा है।
हालांकि उपन्यास की गति धीमी है जिसके कारण पढने का स्वाद कम हो जाता है, लेकिन फिर भी कहानी पढी जा सकती है।
उपन्यास में किसी का कोई उलझाव या बिखराव नहीं है, यह उपन्यास की विशेषता है। पूरी कहानी एक ही सीध में निरंतर बिना रुकावट के चलती है।
उपन्यास में ज्यादा पात्र नहीं हैं। जितने भी पात्र हैं सब कहानी के अनुसार उचित हैं। उपन्यास में कहीं भी अनावश्यक वार्ता या दृश्य नहीं है।है।
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उपन्यास- गोलियों की बरसात
लेखक- टाइगर
प्रकाशक- राजा पाॅकेट बुक्स- दिल्ली
पृष्ठ- 208
मूल्य- 15₹
(वर्तमान कीमतों में मूल्य परिवर्तन संभव है)
टाइगर के अन्य उपन्यासों की समीक्षा पढने के लिए यहाँ क्लिक करें।
जुर्म का चक्रव्यूह
उपन्यास का आधार एक कत्ल है, जिसमें एक युवक अनायास ही फस जाता है, और असली अपराधी आजाद घूमता है। युवक का दोस्त इस षडयंत्र को बेनकाब करने के लिए निकलता है तो उसे चौंकाने वाले कई रहस्य बता चलते हैं।
जब वह कत्ल की वजह पता लगाने के लिए निकलता है तो दूसरी तरफ खलनायक भी इस युवक को मारने के लिए व्यग्र हो उठता है।
लेकिन जीत सत्य की होती है।
उपन्यास बहुत ही रोचक है।
उपन्यास की कहानी की बात करें तो प्रशांत और संतराम दो चोर-जेबकतरे हैं। छोटी-मोटी चोरी कर अपना पेट पालने वाले हैं। एक रात संतराम उर्फ संतु एक घर में चोरी करने घुसता है। तिजोरी से रुपये निकालने के समय कोई अन्य व्यक्ति, उसी कमरे में सोये घर के मालिक ' दीवान साहब' का खून कर देता है और इल्जाम आ जाता है चोर संतु पर।
जब संतु के दोस्त प्रशांत को इस बात का पता लगता है तो वह सत्य का पता लगाने की कोशिश करता है।
प्रशांत को पता चलता है की संतु जिस व्यक्ति की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार है, वह दीवान साहब वही है जिसकी फैक्ट्री में प्रशांत का भाई मैनेजर था।
यह वही दीवान है जिसकी बेटी कभी प्रशांत को प्यार करती थी।
प्रशांत का भाई फैक्ट्री में काम करते वक्त एक ऐसा रहस्य जान गया था जिसके कारण उसकी जान चली गयी, और उसके पास जो महत्वपूर्ण कागज थे वे गायब हैं।
प्रशांत जब दीवान साहब के घर जाता है तब दीवान साहब की बेटी, प्रशांत की प्रेयसी, उसे बताती है की दीवान साहब कुछ ऐसी बात जान गये थे जिसके कारण उनकी जान को खतरा पैदा हो गया था।
-आखिर वह क्या बात थी?
-क्या रहस्य था?
-जिसके कारण पहले फैक्ट्री का मैनेजर जान गवा बैठा और फिर फैक्ट्री का मालिक?
-कौन था असली कातिल?
-क्या था फैक्ट्री का राज?
-क्या प्रशांत उस रहस्य को जान सका?
-क्या संतु बेगुनाह साबित हो सका?
इस रहस्य ने और किस-किस की जान ली।
इन सब बातों का पता तो टाइगर का उपन्यास 'गोलियों की बरसात' पढ कर ही चलेगा।
उपन्यास के कथन-
"रिश्ता जब जोङा जाता है- तब तोङा नहीं जा सकता। जो तोङ देते हैं- वे रिश्ता जोङने के काबिल ही नहीं होते।"
"पुलिस जनता की हिफाजत के लिए बनाई गयी है- लेकिन सरकारी वर्दी पहन लेने के बाद .........वही लोग रक्षा की आङ में स्वयं ही जनता को लूटते चले जाते हैं।
" पांचों उंगलियाँ तो एक समान नहीं होती......
मैं नहीं जानता । ये जरूर जानता हूँ, दोनों हाथों के अंगूठे एक बराबर होते हैं।"
उपन्यास की एक संक्षिप्त झलक- जो उपन्यास की कहानी को स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है।
"आप सोच रहें है- आपको जिंदा देखकर मुझे हैरानी क्यों नहीं हुयी?"-प्रशांत मुस्कुराया- " और फिर वह लाश किसकी थी- जिसका कत्ल किया गया था। आखिर एक हत्या तो हुयी थी। कोठी में गोली चली थी- किसी इन्सान का खून भी बहा था, और उस आदमी की सूरत हू-ब- हू आपसे कैसे मिलती थी। उस आदमी ने कोई मास्क नहीं पहना था। पहना होता तो पोस्टमार्टम के समय यह भेद जरूर खुल जाता। वह लाश किसकी थी मैं जानता हू।"
थ्रिलर उपन्यास है जिसमें एक के बाद एक घटना घटती चली जाती है। प्रशांत के साथ-साथ भी इस रहस्य में उलझ जाता है की कातिल कत्ल क्यों कर रहा है।
हालांकि उपन्यास की गति धीमी है जिसके कारण पढने का स्वाद कम हो जाता है, लेकिन फिर भी कहानी पढी जा सकती है।
उपन्यास में किसी का कोई उलझाव या बिखराव नहीं है, यह उपन्यास की विशेषता है। पूरी कहानी एक ही सीध में निरंतर बिना रुकावट के चलती है।
उपन्यास में ज्यादा पात्र नहीं हैं। जितने भी पात्र हैं सब कहानी के अनुसार उचित हैं। उपन्यास में कहीं भी अनावश्यक वार्ता या दृश्य नहीं है।है।
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उपन्यास- गोलियों की बरसात
लेखक- टाइगर
प्रकाशक- राजा पाॅकेट बुक्स- दिल्ली
पृष्ठ- 208
मूल्य- 15₹
(वर्तमान कीमतों में मूल्य परिवर्तन संभव है)
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जुर्म का चक्रव्यूह
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