Monday 29 May 2023

564. खाली आंचल- सुरेश चौधरी

एक मार्मिक रचना 'खाली आंचल'
लेखक- सुरेश चौधरी

वर्तमान रोमांटिक उपन्यासों के समय में एक सामाजिक उपन्यास का आना एक आश्चर्य की तरह है। अगर आपने लोकप्रिय साहित्य में 'राजहंस, राजवंश,मनोज' जैसे लेखकों को पढा है तो सुरेश चौधरी जी का प्रस्तुत उपन्यास आपको उस दौर की याद दिला देगा।

शाम का धुंधलका धीरे-धीरे गहरे अन्धेरे में तब्दील हो गया। परन्तु सेठ मुरारीलाल की कोठी इस गहरे अन्धेरे में भी इस तरह से जगमग कर रही थी, जैसे कोई दुल्हन अपने असीम रूप की छटा बिखेरती हो। (खाली आंचल उपन्यास के प्रथम पृष्ठ से)

जीवन परिवर्तन और संघर्षशील है। ऐसा ही जीवन जीता है प्रस्तुत उपन्यास का नायक आकाश। एक अमीर घराने युवक आकाश जब एक रात अपने घर लौटता है तो एक घटना ने उसका जीवन ही बदल दिया था। आकाश चाहकर भी उस घटना की पुष्टि नहीं कर पाता। लेकिन उसका हृदय इतना परिवर्तित हो चुका था की उसे घर का हर सदस्य अब बेगाना नजर आने लगा था।


        आकाश का प्रेम अनुपमा नामक एक युवती से होता है लेकिन आकाश के पिता ठाकुर राघवेन्द्र सिंह उसकी शादी सेठ दीनदयाल की बेटी आरती से करना चाहते हैं।
   आकाश का जीवन अनुपमा और पिता के आग्रह के मध्य झूलता रहता है। वह अपनी प्रेयसी से किये गये वादे नहीं भूल सकता तो दूसरी तरफ मृत्यु की तरफ अग्रसर पिता की भावना को भी नहीं ठुकरा सकता। अंततः आकाश को पाषाण हृदय से एक ऐसा निर्णय लेना पड़ता है जो उसके जीवन को ही बदल देता है।
    बदली परिस्थितियों में आकाश का जीवन एक ऐसा चक्रवात में उलझ जाता है, जहां उसे कोई रास्ता नजर नहीं आता। इस कठिन समय में घर का पुराना नौकर ...काका उसे अपने घर पर आश्रय देता है।
   मनुष्य का समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता। समय और कठिन परिस्थितियों से जूझता हुआ आकाश अपने मित्र चंदर के सहयोग से पुनः उठ खड़ा होता है। वह आर्थिक दृष्टि से चाहे सशक्त हो जाता है लेकिन जो दिल में घाव था वह खत्म नहीं होता बल्कि वह तो हर रोज ताजा होता जाता है।
       उपन्यास का अंत में ऐसा प्रतीत होता है जैसे सब कुछ ठीक हो गया। दुख के भंवर में डूबते पाठक के चेहरे पर एक हल्की सी हँसी के रेखा उभरती है लेकिन यह ज्यादा समय तक टिक नहीं पाती।
  उपन्यास का अंत बहुत ही मार्मिक है जो पाठक को प्रभावित करने में सक्षम है।
उपन्यास के कुछ महत्वपूर्ण और प्रभावित करने वाले संवाद-
- प्यार की कोई सीमा नहीं होती। प्यार शब्दों में बंधने वाला कोई शब्द नहीं होता। (पृष्ठ-231)
- इंसान की जिंदगी में न जाने कितने मोड़ ऐसे आते हैं, जिन पर वह अपने आपको अकेला खड़ा पाता है, लेकिन इसका यह मतलब बिलकुल नहीं होता कि जिंदगी खत्म हो गयी। (पृष्ठ- 131)
- जिंदगी की आखिरी मंजिल मौत ही है, यही सच्चाई है। (पृष्ठ-63)
  उपर्युक्त संवादों को अगर देखा जाये तो लेखक महोदय ने बहुत कम शब्दों में जीवन को परिभाषित किया है। यह संवाद चाहे कथा नायक के जीवन को दर्शाते हैं पर वास्तविकता तो यह है की यह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर लागू होते हैं।
       अगर आप सामाजिक उपन्यास पढना पसंद करते हैं तो प्रस्तुत उपन्यास एक मन को छू लेने वाला पारिवारिक और प्रेम कथानक है। हालांकि उपन्यास का प्रथम भाग सामाजिक और पारिवारिक परिस्थितियों को ज्यादा वर्णित करता है। लेकिन मध्य पश्चात प्रेम और विरह का जो वर्णन है, घटनाएं है वह आँखों में आंसू पैदा करती हैं‌। 

    उपन्यास में जहां कथानायक आकाश तो प्रभावित करता ही है वहीं आकाश का मित्र चंदर भी एक अच्छे मित्र का दायित्व निभाकर पाठकों को प्रभावित करता है और एक सच्चे दोस्त का उदाहरण प्रस्तुत करता है। आकाश की प्रेयसी अनुपमा का चरित्र उपन्यास के अंत में मन को छू जाता है।
 

अब के एक दृश्य का आनंद लीजिए-
"तुम केवल अपने प्यार को तो पा सकोगे... बाकी सब कुछ हार जाओगे... हम तुम्हें कभी क्षमा नहीं कर पायेंगे... हम तुम्हें कभी क्षमा नहीं कर पायेंगे..।" ये शब्द बार-बार आकाश के कानों में गूंजने लगे, जिनकी जुबान कभी पत्थर की लकीर हुआ करती थी... क्या जवाब देंगे... क्या जवाब देंगे... हम तुम्हें कभी क्षमा नहीं कर पायेंगे...।' आकाश के मस्तिष्क में जबर्दस्त उथल-पुथल मच गई, क्या करे... क्या न करे- आकाश उलझ कर रह गया। आकाश सोचने लगा, अगर प्यार को छोड़ता हूँ तो अनुपमा का क्या होगा... क्या मैं बिना अनुपमा के रह पाऊँगा.... शायद नहीं... मैं... नहीं रह पाऊँगा... लेकिन अनुपमा की मोहब्बत के कारण घर वालों की नफरत... क्या होगा...?' यह सोचते-सोचते आकाश स्वयं में ही बड़बड़ाने लगा। (खाली आंचल- उपन्यास के अंतिम आवरण पृष्ठ से)

उपन्यास के मुख्य पात्र
आकाश- कथानायक
ठाकुर राघवेन्द्र सिंह-
मनोज- आकाश का भाई
मीनू/ मोनिका- आकाश की बहन
अनु/  अनुपमा- आकाश की प्रेयसी
आरती- आकाश की पत्नी
ठाकुर हरदेव सिंह- आरती का पिता
सेठ दीनदयाल- अनुपमा के पिताजी
चंदर-  आकाश का मित्र
अनुष्का-  अनुपमा की बहन

उपन्यास का सकारात्मक पक्ष
- सामाजिक उपन्यास पाठकों के लिए कहानी मार्मिक, रोचक है।
- उपन्यास मध्यांतर भाग पश्चात पाठक को स्वयं में बांधती है।
- सफेद पृष्ठ, बड़े अक्षर होने के कारण पढने में आसानी।

उपन्यास का नकारात्मक पक्ष-
-उपन्यास मध्यांतर भाग से पूर्व विस्तृत है इसलिए बोझिल प्रतीत होती है।
- उपन्यास का मूल्य 423₹ कुछ ज्यादा ही है। उस पर 70₹ डिलीवरी चार्ज अलग से।
- उपन्यास की बाइंडिंग कमजोर है। मेरे उपन्यास के अधिकांश पृष्ठ अलग हो गये।
- उपन्यास का यह कौनसा संस्करण है, कहीं कोई जानकारी नहीं दी गयी।

सुरेश चौधरी द्वारा लिखित 'खाली आंचल' एक सामाजिक भावपूर्ण उपन्यास है। यह एक युवक की कथा है जिसके जीवन में त्रासदी ही त्रासदी है।
   उपन्यास अत्यंत मार्मिक है।

उपन्यास- खाली आंचल
लेखक-   सुरेश चौधरी
पृष्ठ-        261
मूल्य-      423
प्रकाशक- shopizen.com

5 comments:

  1. शानदार समीक्षा। आपकी समीक्षा वाकई बिना बनावट के होती हैं और लेखक को आगे बढ़ने में भी मदद करती है,,,,,दिलशाद सिटी ऑफ इविल वाले

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  2. उपन्यास के प्रति उत्सुकता जगाती समीक्षा। शोपिजन के साथ ये दिक्कत मुझे भी आती है। कीमत के हिसाब से प्रति में वो गुणवत्ता नहीं रहती।

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  3. नकारात्मक पक्ष प्रकाशक की तरफ से है लेखक, उपन्यास की इसमें सिर्फ मध्यांतर से पूर्व भाग की लम्बाई ज्यादा और कम रोचकता वाली छोटी खता है।
    ज्यादा कीमत और बाईडिंग प्रकाशक की तरफ से है लेखक की इसमें क्या खता!
    उपन्यास पढ़ने की कोशिश रहेगी👍

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  4. शॉपिजन में लेखक ही प्रकाशक होता है ये ध्यान रहे। कीमत से लेकर बाइंडिंग तक लेखक ही जिम्मेदार है।

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