Saturday, 21 May 2022

520.अंधेरे का आदमी - विक्की आनंद

कथा प्रतिशोध की
अंधेरे का आदमी - विक्की आनंद

वह शहर के कथित इज्जतदार व्यक्ति थे। जो समाज के महत्वपूर्ण पदों पर विराजित थे। लेकिन वासना के उन दरिंदों ने मासूम लोगों पर जो कहर बरसाया उसका परिणाम एक न एक दिन सामने आना ही था। और एक दिन 'अंधेरे के आदमी' ने उनके पापों की सजा फलस्वरूप उनकी उनकी जिंदगी से रोशनी छीन ली।
   डायमण्ड पॉकेट बुक्स ने बाजार में कई Ghost writer उतारे थे जिनमें से एक थे विक्की आनंद। विक्की आनंद जो डैडमैन सीरीज के कारण कुछ चर्चा में रहे थे। इन्हीं विक्की आनंद का उपन्यास 'अंधेरे का आदमी' पढने को मिला जो एक रोमांच से परिपूर्ण उपन्यास है।
    कहानी के मुख्य पात्र हैं फिल्म अभिनेता विनोद पाण्डे, कुंवर जमशेद राणा जिसके पिता कभी एक बड़ी रियासते के राजा थे, कई मिलों का मालिक सेठ शहनवाज खान, भूतपूर्व राजा शमशेर सिंह, राजनेता रंजीत वर्मा जो समाज के सामने तो सफेदपोश लोग हैं लेकिन ये सफेदपोश लोग वास्‍तव में वासना के मरीज हैं। समाज में अपने प्रभुत्व और धन के बल पर असंख्य औरतों की इज्जत से खिलवाड़ किया है।
   वहीं एक पत्रकार है विजय प्रभाकर। जो इनके अत्याचार का शिकार है। विजय प्रभाकर की पुत्री इनके कब्जे में है, जिसके चलते विजय प्रभाकर विवश है।
  लेकिन एक दिन 'अंधेरे का आदमी' आता है और सफेदपोश अपराधियों के लिए काल बन जाता है। वह बहुत ही अनोखे ढंग से अपराधियों को सजा देता है। वह स्वयं तो अंधेरे मॆं ही रहता है।- मुझे 'अंधेरे का आदमी' कहा जाता है और मैं अपने बारे में यहीं सुनना पसंद करता हूँ। (पृष्ठ-98)
   लेकिन वह अपने प्रशिक्षित बाज के द्वारा शिकार करता है, यही उसका सजा देने का अनोखा ढंग है।
अंधेरे का आदमी कमरे में उस ओर बढ़ रहा था जिधर फड़फड़ाने की आवाजें आ रही थीं वह खुशी से कपकपाती आवाज में बोला-
" तो तुम आ गए शेरू गुड ! लाओ हमारा उपहार।" - यह कहकर उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया ।
दूसरे ही क्षण उसने अपने हाथ पर नाखूनों की चुभन अनु- भव की और एक गिलगिली-सी चीज उसकी हथेली पर रख दी गई। यह थी शमशेर सिंह नोंची हुई आंख।

     अपने जान बचाने के लिए अपराधी वर्ग पुलिस की मदद लेता है और इंस्पेक्टर इमरान खान 'अंधेरे के आदमी' को पकड़ने की जिम्मेदारी लेता है।
अब एक तरफ इंस्पेक्टर इमरान खान और दूसरी तरफ 'अंधेरे का आदमी' और इनके मध्य है कथित सभ्य कहे जाने वाले अपराधी। 'अंधेरे का आदमी' इनको सजा देना चाहता है और इंस्पेक्टर खान अंधेरे के आदमी को पकड़ना चाहता है। यह खेल चलता रहता है।
  कथास्तर पर उपन्यास सामान्य है लेकिन लेखक महोदय ने प्रस्तुतीकरण अच्छा रखा है तो पाठक उपन्यास पढता चला जाता है। उपन्यास में रोमांच बना रहता है।
  उपन्यास के अंत में मास्क वाले दृश्य कुछ उचित नहीं लगते। एक आदमी तीन -तीन मास्क लगाकर घूम रहा है और तो और एक जगह तो वह यहाँ तक कहता अब मुझे इसी मास्क के साथ बाकी जिंदगी बितानी होगी। "अब इसी रूप में रहना है मुझे जीवन भर।" (पृष्ठ-180)
  विजय प्रभाकर का किरदार एक विवश व्यक्ति क किरदार है। वह एक सशक्त पत्रकार होकर भी बहुत व्यक्ति है। लेकिन अपनी पुत्री के  अपहरण को 14 वर्ष होने तक भी वह चुप है, यहाँ तक की पुलिस की मदद भी नहीं लेता।
  वहीं राजा नामक एक युवक का किरदार काफी रोचक है। राजा के साथ मारग्रेट, राजा के दो दोस्त माइकल और नदीम का चित्रण भी अच्छा है।
  
उपन्यास का एक कथन-
इंसाननुमा हैवानों की इस दुनिया का सदियों से एक यह उसूल भी चला आ रहा है कि गुनाह, जुल्म और बर्बरता का नंगा नाच शुरू कोई करता है मगर उसकी सजा केवल उसे नहीं औरों को भी भुगती पड़ती है...
   उपन्यास का कथानक फिल्म स्तर का है। आरम्भ कुछ बलात्कार की घटनाओं से होता है। पाठक को यह भी पता है अपराधी कौन है। यह बात पत्रकार विजय प्रभाकर भी जानता है।
  फिए एक नायक का प्रवेश जो अंधेरे में रहता है और अपने प्रशिक्षित बाज शेरु के द्वारा अपराधियों की आँख निकलवाता है।
   अंत में इंस्पेक्टर इमरान खान का प्रवेश और अंधेरे के आदमी का पता लगाना।
  
'अंधेरे का आदमी' प्रतिशोध पर आधारित एक रचना है। समाज के कथित सभ्यवर्ग द्वारा किये अत्याचार का बदला लेने निकले एक नौजवान की रोमांच से परिपूर्ण कथा है।
उपन्यास- अंधेरे का आदमी
लेखक -   विक्की आनंद
पृष्ठ -      200
प्रकाशक- डायमण्ड पॉकेट बुक्स, दिल्ली
उपन्यास समीक्षा

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