तीन दोस्त, तीन यात्राएं और तीन कहानियां
तीन अनजाने जो मित्र बने।
पहली मुलाकात और पहली ही मुलाकात में रोड ट्रिप की योजना।
तीन यात्राएं, तीन पड़ाव, तीन कहानियां, लेकिन मंजिल एक।
जिंदगी की परेशानियों और उलझनों से जूझ रहे तीन अनजाने दुनिया जहान को भूला कर एक अनोखे सफर पर निकल पड़े, एक ऐसे अनुभव के लिए जिसने उन्हें बदल कर रख दिया।
यात्रा जो मुम्बई के मैदानों से आरम्भ होकर उत्तराखण्ड की बर्फिली चोटियों तक पहुँच जाती है, जहाँ उनका सामना नियति से होता है। नियति जो जीवन मरन से मरे जाकर उनके अस्तित्व को ही बदल कर रख देती है।
रास्तों में मंजिल खोजने की कहानी।
युवा लेखक देवेन्द्र पाण्डेय जी ने कम समय में अपनी रचनाओं में विविधता के चलते पाठकवर्ग में एक विशेष पहचान स्थापित की है। देवेन्द्र पाण्डेय जी ने यात्रा वृतांत लिखा है, पौराणिक मिथकों पर लिखा है, मिस्ट्री पर भी हाथ आजमाया है।
प्रस्तुत रचना भी एक नये प्रयोग की तरह है, जिसमें याता वृतांत भी है और कहानियां भी।
और फिर निकल पड़ते हैं तीन अलग-अलग यात्राओं पर जो रोचकता से परिपूर्ण है।
प्रथम यात्रा वैष्णो देवी की है, द्वितीय हरिद्वार और ऋषिकेश की है और तृतीय यात्रा चोपता की है। लेकिन इस यात्रा के साथ-साथ उनके जीवन वृतांत भी चलते हैं। तीनों दोस्तों की कुछ समस्याएं भी हैं। इस यात्रा के दौरान एक विशेष परिवर्तन उनके जीवन में आता है जो उन्हें जीवन संघर्ष की प्रेरणा बनता है।
वहीं इस रचना में कुछ समस्याओं को भी रेखांकित किया गया है।
जैसे गंगा किनारे श्रद्धालु से कलावा, तिलक ने नाम पर ठगना, गंगा जी को प्रदूषित करना।
और यह प्रदूषण यहीं तक सीमित नहीं है आप किसी भी पर्यटन स्थल पर चले जाओ वहाँ आपको कचरा, प्रदूषण, गंदगी अवश्य मिलेगी।
इन विषयों को इस रचना में बखूबी उठाया गया और कथित धार्मिक लोगों पर गहरा कटाक्ष भी।
देवेन्द्र पाण्डेय जी का एक यात्रा वृतांत 'कण-कण केदार' शीर्षक से प्रकाशित हो चुका है।
यह रचना मात्र यात्रा वृतांत ही नहीं है। तीनों मित्रों की कुछ समस्या हैं, उनके अतीत में घटित हो चुकी कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो उनके वर्तमान को प्रभावित करती हैं। वह भी इस रचना में कथा के माध्यम से अलग-अलग समय पर रेखांकित की गयी हैं।
यात्राएं क्यों आवश्यक हैं?
यात्राएं हमारी सोच को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करती हैं, हमारी समझ को विकसित करती हैं, हमें समाज के अलग-अलग पक्ष से मिलने का अवसर प्रदान करती हैं।
इन्हीं अवसरों के चलते तीन मित्र अपने अतीत को सुखद पहलुओं से संघर्ष कर एक नये जीवन की शुरूआत करते हैं। क्योंकि उनके द्वारा की गयी यात्राएं उनके जीवन को एक नयी दृष्टि प्रदान करती हैं।
रोड़ ट्रिप- देवेन्द्र पाण्डेय
तीन अनजाने जो मित्र बने।
पहली मुलाकात और पहली ही मुलाकात में रोड ट्रिप की योजना।
तीन यात्राएं, तीन पड़ाव, तीन कहानियां, लेकिन मंजिल एक।
जिंदगी की परेशानियों और उलझनों से जूझ रहे तीन अनजाने दुनिया जहान को भूला कर एक अनोखे सफर पर निकल पड़े, एक ऐसे अनुभव के लिए जिसने उन्हें बदल कर रख दिया।
यात्रा जो मुम्बई के मैदानों से आरम्भ होकर उत्तराखण्ड की बर्फिली चोटियों तक पहुँच जाती है, जहाँ उनका सामना नियति से होता है। नियति जो जीवन मरन से मरे जाकर उनके अस्तित्व को ही बदल कर रख देती है।
रास्तों में मंजिल खोजने की कहानी।
युवा लेखक देवेन्द्र पाण्डेय जी ने कम समय में अपनी रचनाओं में विविधता के चलते पाठकवर्ग में एक विशेष पहचान स्थापित की है। देवेन्द्र पाण्डेय जी ने यात्रा वृतांत लिखा है, पौराणिक मिथकों पर लिखा है, मिस्ट्री पर भी हाथ आजमाया है।
प्रस्तुत रचना भी एक नये प्रयोग की तरह है, जिसमें याता वृतांत भी है और कहानियां भी।
और फिर निकल पड़ते हैं तीन अलग-अलग यात्राओं पर जो रोचकता से परिपूर्ण है।
प्रथम यात्रा वैष्णो देवी की है, द्वितीय हरिद्वार और ऋषिकेश की है और तृतीय यात्रा चोपता की है। लेकिन इस यात्रा के साथ-साथ उनके जीवन वृतांत भी चलते हैं। तीनों दोस्तों की कुछ समस्याएं भी हैं। इस यात्रा के दौरान एक विशेष परिवर्तन उनके जीवन में आता है जो उन्हें जीवन संघर्ष की प्रेरणा बनता है।
वहीं इस रचना में कुछ समस्याओं को भी रेखांकित किया गया है।
जैसे गंगा किनारे श्रद्धालु से कलावा, तिलक ने नाम पर ठगना, गंगा जी को प्रदूषित करना।
और यह प्रदूषण यहीं तक सीमित नहीं है आप किसी भी पर्यटन स्थल पर चले जाओ वहाँ आपको कचरा, प्रदूषण, गंदगी अवश्य मिलेगी।
इन विषयों को इस रचना में बखूबी उठाया गया और कथित धार्मिक लोगों पर गहरा कटाक्ष भी।
देवेन्द्र पाण्डेय जी का एक यात्रा वृतांत 'कण-कण केदार' शीर्षक से प्रकाशित हो चुका है।
यह रचना मात्र यात्रा वृतांत ही नहीं है। तीनों मित्रों की कुछ समस्या हैं, उनके अतीत में घटित हो चुकी कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो उनके वर्तमान को प्रभावित करती हैं। वह भी इस रचना में कथा के माध्यम से अलग-अलग समय पर रेखांकित की गयी हैं।
यात्राएं क्यों आवश्यक हैं?
यात्राएं हमारी सोच को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करती हैं, हमारी समझ को विकसित करती हैं, हमें समाज के अलग-अलग पक्ष से मिलने का अवसर प्रदान करती हैं।
इन्हीं अवसरों के चलते तीन मित्र अपने अतीत को सुखद पहलुओं से संघर्ष कर एक नये जीवन की शुरूआत करते हैं। क्योंकि उनके द्वारा की गयी यात्राएं उनके जीवन को एक नयी दृष्टि प्रदान करती हैं।
रोड़ ट्रिप' कहानी है तीन दोस्तों की विनय (मुम्बई), मानव (पटना) से और अनिकेत (दिल्ली) की जो सोशल मीडिया के माध्यम से मित्र बने हैं और एक यात्रा का प्लान बनाते हैं।
लेखक महोदय स्वयं समय-समय पर विभिन्न जगहों की यात्राएं करते रहते हैं। और उन्होंने की गयी यात्राओं का इस रचना में अच्छी तरह से प्रयोग किया है।
ताजगी का अनुभव कराती इस पुस्तक के कमजोर पक्ष की बात करें तो वह है शाब्दिक त्रुटियाँ।
प्रस्तुत रचना एक नये ढंग की कहानी प्रस्तुत करती है, जिसमें यात्रा का रोमांच है, धार्मिक और आध्यात्मिकता का समावेश है और साथ में जीवन संघर्ष का संदेश भी प्रस्तुत करती है।
सभी वर्ग के लिए पठनीय रचना है।
रचना- रोड ट्रिप
लेखक- देवेन्द्र पाण्डेय
प्रकाशन- सूरज पॉकेट बुक्स
पृष्ठ- 267
मूल्य- 240₹
अमेजन लिंक- रोड ट्रिप
लेखक महोदय स्वयं समय-समय पर विभिन्न जगहों की यात्राएं करते रहते हैं। और उन्होंने की गयी यात्राओं का इस रचना में अच्छी तरह से प्रयोग किया है।
ताजगी का अनुभव कराती इस पुस्तक के कमजोर पक्ष की बात करें तो वह है शाब्दिक त्रुटियाँ।
प्रस्तुत रचना एक नये ढंग की कहानी प्रस्तुत करती है, जिसमें यात्रा का रोमांच है, धार्मिक और आध्यात्मिकता का समावेश है और साथ में जीवन संघर्ष का संदेश भी प्रस्तुत करती है।
सभी वर्ग के लिए पठनीय रचना है।
रचना- रोड ट्रिप
लेखक- देवेन्द्र पाण्डेय
प्रकाशन- सूरज पॉकेट बुक्स
पृष्ठ- 267
मूल्य- 240₹
अमेजन लिंक- रोड ट्रिप
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