आखिर कौन था ब्लैकमेलर?
काॅलगर्ल की हत्या- प्रकाश भारती
काॅलगर्ल की हत्या- प्रकाश भारती
#अजय_सीरीज
सहसा उन्हें बायीं ओर गली के दहाने के पास भागते कदमों और सीटियों की आवाज सुनाई दी।
अजय ने नीलम को दायीं और धकेल दिया।
"भाग जाओ।"
नीलम स्वयं को मकानों के साये में रखती हुयी तेजी से मगर दबे पांव दौड़ती चली गयी।
अजय जानबूझकर जोर-जोर से कदमों की आहट करता हुआ गली में बायीं ओर चल दिया।
कदमों की आहटें सुनाई दे रही थी।
चंद क्षणोंपरांत शक्तिशाली टाॅर्चों की रोशनी उस पर पड़ी साथ ही इमारत की दिशा से ठोस अधिकारपूर्ण स्वर में चेतावनी दी गयी-"रुक जाओ, वरना शूट कर दूंगा। जासूसी उपन्यास साहित्य में प्रकाश भारती जी एक चर्चित उपन्यासकार रहे हैं, जिसका कारण है इनके उपन्यासों का कथानक। प्रकाश भारती जी के उपन्यास काल्पनिक होते हुये भी यथार्थ के नजदीक होते हैं। कहानी अति काल्पनिक नहीं होती। इन्होंने विभिन्न सीरीज के उपन्यास लिखे हैं। इन दिनों मेरे पास प्रकाश भारती जी के तीन उपन्यास हैं 'तीसरा खून', 'गहरी साजिश' और प्रस्तुत उपन्यास 'काॅलगर्ल की हत्या।'
अजय ने नीलम को दायीं और धकेल दिया।
"भाग जाओ।"
नीलम स्वयं को मकानों के साये में रखती हुयी तेजी से मगर दबे पांव दौड़ती चली गयी।
अजय जानबूझकर जोर-जोर से कदमों की आहट करता हुआ गली में बायीं ओर चल दिया।
कदमों की आहटें सुनाई दे रही थी।
चंद क्षणोंपरांत शक्तिशाली टाॅर्चों की रोशनी उस पर पड़ी साथ ही इमारत की दिशा से ठोस अधिकारपूर्ण स्वर में चेतावनी दी गयी-"रुक जाओ, वरना शूट कर दूंगा। जासूसी उपन्यास साहित्य में प्रकाश भारती जी एक चर्चित उपन्यासकार रहे हैं, जिसका कारण है इनके उपन्यासों का कथानक। प्रकाश भारती जी के उपन्यास काल्पनिक होते हुये भी यथार्थ के नजदीक होते हैं। कहानी अति काल्पनिक नहीं होती। इन्होंने विभिन्न सीरीज के उपन्यास लिखे हैं। इन दिनों मेरे पास प्रकाश भारती जी के तीन उपन्यास हैं 'तीसरा खून', 'गहरी साजिश' और प्रस्तुत उपन्यास 'काॅलगर्ल की हत्या।'
काॅलगर्ल की हत्या अजय सीरीज का मर्डर मिस्ट्री उपन्यास है। जो काफी रोचक और पठनीय रचना है।
चर्चा कथानक की।
रेलवे स्टेशन की इमारत में दाखिल होते ही अजय ने अपनी रिस्टवाच पर निगाह डाली- छ: बजकर सत्ताइस मिनट हुये थे।
अजय जो की 'थंडर' नामक समाचार पत्र का खोजी पत्रकार है। (हालांकि पूरे उपन्यास में 'थंडर' को 'भंडर' ही लिखा गया है। यह शाब्दिक गलती है।) वह अपनी सहयोगी नीलम को लाने रेल्वे स्टेशन जाता है। वहीं पर उसका पर्स चोरी हो जाता है। वह नीलम को कहता है-
"वह लड़की पॉकेटमार थी। मेरा पर्स मार कर ले गई।"
अजय ने इसे एक सामान्य घटना माना। लेकिन जल्दी ही उसका यह विचार बदल गया,क्योंकि उस पर्स में मौजूद उसके कार्ड को आधार बना कर कोई ब्लैकमेलिंग का खेल खेलना चाहता था।
हरनाम दास एक खतरनाक गुण्डा है। हालांकि दिखावे के तौर पर उसने सब गलत धंधे छोड़ दिये हैं, पर यह सब दिखावा ही था। वह आज भी अपराधिक मामलों में लिप्त है।
हरनाम दास अजय को ब्लैकमेलिंग के सिलसिले में बुलाया है। तब अजय को पता चलता है की उसका पर्स किस उद्देश्य से चोरी किया गया था।
अजय और हरनाम दास के मध्य एक डील होती है। ब्लैकमेलर को ढूंढने की। जब अजय उस पॉकेटमार हसीना को खोजने का प्रयास करता है तो उस पॉकेटमार हसीना की लाश मिलती है। जिसका नाम रजनी था और वह एक पेशेवर काॅलगर्ल थी। आखिर एक काॅलगर्ल हरनाम दास जैसे खतरनाक गुण्डे को ब्लैकमेलिंग की धमकी नहीं दे सकती। अजय को लगा इसके पिछे जरूर कोई शातिर दिमाग अपराधी काम कर रहा है।
यहीं से उपन्यास में प्रवेश होता है इंस्पेक्टर रविशंकर का। जो रजनी के हत्यारे की तलाश में है। रविशंकर एक तेज तर्रार पुलिस वाला है और अजय का अच्छा मित्र भी है।
रविशंकर को पॉकेटमार हसीना रजनी के हत्यारे की तलाश है तो अजय को हत्यारे की तलाश के साथ-साथ ब्लैकमेलर की।
लेकिन अजय यहाँ पुलिस से दो कदम आगे चलता है। वह जैसे ही अगले सूत्र तक पहुंचता है उसकी भी हत्या कर दी जाती है। स्वयं अजय को मारने की भी दो बार भयंकर कोशिश की जाती है।
आखिर अजय भी यह सोचने को विवश हो जाता है की आखिर कौन और क्यों हरनाम दास को ब्लैकमेल करना चाहता है और वह कौन है जो रजनी भी हत्या कर देता है।
और फिर एक से एक सूत्र मिलाता हुआ अजय वास्तविक अपराधी के करीब पहुँच जाता है। बस करीब....।
उपन्यास मर्डर मिस्ट्री आधारित है। आरम्भ में जहाँ ब्लैकमेलिंग की कोशिश नजर आती है वह शीघ्र ही हत्या में बदल जाती है। लेकिन वास्तविक अपराधी नेपथ्य में रहता है। हांँ,उपन्यास का मूल एक ब्लैकमेलिंग ही है। लेकिन उस ब्लैकमेलिंग के चक्कर में कई सूत्र जुड़ते हैं और हत्याएं होती चली जाती हैं।
उपन्यास में हरनाम दास का चरित्र वास्तव में दमदार है और जैसा उसे बताया गया है, वह वैसा ही खतरनाक आदमी है।
उपन्यास में हरदास के दो और साथियों का चित्रण है। एक है मुल्कराज और दूसरा है अरुण वर्मा। हालांकि उपन्यास में मुल्कराज का सिर्फ वर्णन ही है क्योंकि उसकी हत्या पहले ही कर दी जाती है। फिर भी वह पूरे उपन्यास में उसका वर्णन चलता है, वह एक महत्वपूर्ण पात्र है। और रहा अरुण शर्मा तो इस के विषय में आप उपन्यास पढकर ही जाने, यहाँ वर्णन करना उचित नहीं।
उपन्यास में अजय और रविशंकर की तालमेल बहुत अच्छा है। हालांकि कुछ विषयों पर मतभेद बराबर बने रहते हैं। अजय के स्वभाव पर रविशंकर की एक टिप्पणी देखें- "....तुम में और कुत्ते की दुम में कोई अंतर नहीं है।"- वह कड़े स्वर में बोला,- " अपनी खुराफाती आदतों और हरकतों से तुम कभी बाज नहीं आओगे।"(पृष्ठ-111)
और यह सच भी है की अजय का दिमाग खुराफाती है। वह चाहे एक पत्रकार है, पर सत्य की तलाश में वह कुछ भी कर गुजरता है।
उपन्यास में मुल्कराज की हत्या का वर्णन है पर उसकी लाश कहीं नहीं मिलती। अंत में जहाँ से लाश मिलती है और जिस ढंग से मिलती है और जिस ढंग से अजय उसे खोज निकालता है वह पठनीय बिंदु है।
प्रकाश भारती जी द्वारा लिखित 'काॅलगर्ल की हत्या' अजय सीरीज का एक मर्डर मिस्ट्री उपन्यास है। एक ब्लैकमेलिंग से आरम्भ होकर यह कथा तीन कत्ल तक पहुंच जाती है।
उपन्यास पठनीय और रोचक है।
उपन्यास- काॅलगर्ल की हत्या
लेखक- प्रकाश भारती
तिथि- 1986
प्रकाशक - साधना पॉकेट बुक्स, दिल्ली
पृष्ठ- 181
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