मुजरिम फरार है...
भगोड़ा अपराधी- वेदप्रकाश कांबोज
विजय सीरीज, थ्रिलर उपन्यास
अपराधी हमेशा कानून की पकड़ से दूर भागने की कोशिश करता है। वह जितनी संभव कोशिश होती है, अपने अपराध को छुपाने और फिर कानून की गिरफ्त से दूर होने की कोशिश में रहता है। लेकिन कानून के पहरेदार भी इस कोशिश में रहते हैं की अपराधी पकड़ा जाये और उसे अपराध की सजा मिले।
अपराध, अपराधी और कानून का यह खेल सतत चलता रहता है। अपराध होते रहते हैं और कानून मुजरिमों को पकड़ता रहता है। 'भगोड़ा अपराधी' भी इसी तरह का उपन्यास है। यह एक फरार मुजरिम की कहानी है जिसे कानून के रक्षक पकड़ने के लिए सघर्षरत हैं।
भगोड़ा अपराधी- वेदप्रकाश कांबोज |
सितंबर 2020 में मैंने वेदप्रकाश कांबोज जी के सतत दस उपन्यास पढे हैं। जिनके क्रमश नाम हैं- मुँहतोड़ जवाब, मैडम मौत, सात सितारे मौत के, गद्दार, मुकदर मुजरिम का, आखरी मुजरिम, आसमानी आफत, शहर बनेगा कब्रिस्तान, फाॅरेस्ट आफिसर, भगोड़ा अपराधी।
इनमें से कुछ थ्रिलर- एक्शन, मर्डर मिस्ट्री हैं तो कुछ विजय सीरीज के हैं।
अब चर्चा करते हैं प्रस्तुत उपन्यास 'भगोड़ा अपराधी' की। यह विजय सीरीज का एक रोमांच श्रेणी का उपन्यास है। कहानी है फ्रेजर नामक एक खतरनाक अपराधी की।
फ्रेजर एक अंतरराष्ट्रीय तस्कर था। मुख्य रूप से वह भारत में सोने की तस्करी करता था। विभिन्न देशों में विभिन्न नामों से उसकी कई फर्में थी। कई छद्म नाम थे उसके। (पृष्ठ-10) जासूस विजय ने उसे कई बार गिरफ्तार किया लेकिन वह हर बार किसी न किसी तरीके से पुलिस की पकड़ से फरार हो गया। इस बार भी वह जेल से फरार हो गया और विजय-रघुनाथ उसे पकड़ने के लिए उसे के पीछे दौड़ रहे हैं।
फ्रेजर को पकड़ने के लिए शहर की पुलिस व्यस्त थी। कंट्रोल रूम से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार दनादन आदेश प्रसारित किये जा रहे थे। शहर की जबरदस्त नाकेबंदी की जा रही थी। (पृष्ठ-10)
लेकिन फ्रेजर था की हर जगह से पुलिस को चकमा देकर निकल जाता था। इसलिए तो विजय को भी कहना पड़ा -"गजब का जीवट आदमी है।"
- फ्रेजर जेल से कैसे फरार हुआ?
- उसकी फरारी किस वजह से हुयी?
- क्या विजय-रघुनाथ उसे गिरफ्तार कर पाये?
यह सब तो वेदप्रकाश कांबोज जी के उपन्यास 'भगोड़ा अपराधी' को पढकर ही जाना जा सकता है।
मूलतः यह कथानक सिर्फ फ्रेजर के फरार होने और उसके पीछे पुलिस, विजय-रघुनाथ आदि के उसे पकड़ने के कार्य पर ही आधारित है।
फ्रेजर कैसे भागता है कैसे वह पुलिस को चकमा देता है। यह उपन्यास में पठनीय है। उपन्यास का कथानक इससे आगे कहीं है। पूरे उपन्यास में पुलिस फ्रेजर को तलाश करती है।
फ्रेजर के कारनामे रोचक है वह कभी साधू, कभी सामान्य राहगीर तो कभी कुछ वेष बदल कर भागता रहता है। कभी सामान्य जनता को, कभी पुलिस को तो कभी आर्मी को धोखा देकर भाग जाता है। फ्रेजर कभी कार से , कभी घोड़े से तो कभी हेलिकॉप्टर से फरार हो जाता है।
चूहे-बिल्ली के इस खेल में यही रोचकता है।
उपन्यास में पुलिस के कुछ कर्मी कुंदन कबाड़ी, तातारी और मदारी आदि के रोचक किस्से हैं लेकिन वह संक्षिप्त हैं।
यह एक मध्यम स्तर का उपन्यास है। जिसे एक बार पढा जा सकता है। उपन्यास में कुछ विशेष या नयापन नहीं है। उपन्यास- भगोड़ा अपराधी
लेखक- वेदप्रकाश कांबोज
प्रकाशक- आरती पॉकेट बुक्स, मेरठ
प्रकाशन वर्ष- 1973
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