क्या था वेद मंत्र।
वेद मत्र- वेदप्रकाश शर्मा, थ्रिलर ।
वेद प्रकाश शर्मा को 'सस्पेंश का बादशाह' क्यों कहा जाता है। अगर किसी के दिमाग में यह प्रश्न उठता है तो उसे वेदप्रकाश शर्मा का उपन्यास 'वेद मंत्र' पढ लेना चाहिए। हालांकि वेदप्रकाश शर्मा जी के और भी बहुत से उपन्यास ऐसे हैं जो सस्पेंश से भरपूर हैं। उपन्यास की भाषा में कहें तो वेद जी के उपन्यास 'दिमाग के परखच्चे' उठाने में सक्षम होते हैं।
उपन्यास के आरम्भिक पृष्ठ पर लिखे कथन भी तो यही कहते हैं- एक ऐसी कहानी जो मुश्किल से दो-चार पृष्ठ बाद ही आपको इस कदर अपने मोहपाश में बांध लेगी कि इस उपन्यास को पूरा पढना आपको दुनिया का सबसे जरूरी काम लगने लगेगा।
प्रस्तुत उपन्यास एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसकी पहचान बदल जाती है। इसी बदली हुयी पहचान के कारण वह मुसीबत में फंस जाती है। उस पर आरोप लगता है 'दस करोड़ डाॅलर' की धोखाधड़ी का।
एक है कविता भटनागर, जिसे स्वयं कविता भटनागर के अलावा और कोई भी उसे कविता भटनागर के नाम से नहीं पहचानता। मजे की बात यह की उस कथित कविता भटनागर पर कविता भटनागर की हत्या का आरोप है।
"कितनी बार कहूं...कितनी बार कहूं कि मैं कविता हूँ। कविता भटनागर।" वह चीखी-"मेरे पेरेंट्स ने मेरा यही नाम रखा था।"
"उसी की तो तुमने हत्या की है।"
"ऐसा गजब मत कीजिए.......आप कविता भटनागर के हत्या के इल्जाम कविता भटनागर को ही फांसी पर लटका देंगे।" (पृष्ठ-08,09)
यह कैसे संभव है। मरने और मारने वाला एक ही व्यक्ति हो। लेकिन यह तो हो गया।
वहीं कथित कविता पर दस करोड़ डाॅलर के गबन का आरोप है। जिसे कथित कविता स्वीकार नहीं करती।
".....जिस बच्ची ने मेरी कम्पनी के एकाउंट से दस करोड़ डाॅलर किसी और के एकाउंट में ट्रास्फोर कर लिए हों,वह इस सवाल का अर्थ ही न समझे।"
वह चीख पड़ी-"मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया।"(पृष्ठ-123)
क्या यह संभव है। खैर कविता भटनागर इस विषय पर क्या कहती है वह भी देख लीजिएगा- बस इतना कह सकती हूं कि किसी ने मुझे इतनी बुरी तरह से फंसाया है कि.... (पृष्ठ-174)
क्या किसी ने कविता भटनागर के लिए जाल फैलाया है या फिर कविता भटनागर ही एक फ्राॅड है, लेकिन यह भी अनोखा रहस्य है की कथित कविता भटनागर भी स्वयं को कविता भटनागर साबित नहीं कर पाती। तो फिर क्या रहस्य है कविता भटनागर का। अब यह समझने के लिए तो उपन्यास पढना होगा।
हां, यह सत्य है की उपन्यास की कहानी रहस्य के एक ऐसे जाल की तरह है जिसमें एक बार बंध जाने पर बाहर निकलना मुश्किल है। एक ऐसा जाल है जिसमें पुलिस और कम्पनी तक का दिमाग घूम गया की आखिर हो गया रहा है।
वैसे भी वेदप्रकाश शर्मा जी यह विशेषता है की वे कहानी को बहुत घुमावदार बनाते हैं। और हां कहानी का अंत भी उतना ही रोचक है जितना की बाकी कहानी।
कहानी के विषय में ज्यादा चर्चा करने का अर्थ होगा कहानी का आनंद खत्म करना। बस एक बार आप उपन्यास उठा कर देखें।
निष्कर्ष-
वेद मंत्र 'दस करोड़ डाॅलर' की धोखाधड़ी के साथ-साथ एक कथित लड़की की पहचान खोने की कहानी है। रूसी हथियार सप्लायर्स, अमेरिका की खूफिया विभाग और भारतीय कम्प्युटर एक्सपर्ट तीनों को उलझाने वाले एक अनोखे शख्स की यह कहानी पाठक को जितना आरम्भ में चौंकाती है उतना ही अपने अंत में।
आदि से अंत तक सस्पेंश से भरपूर एक दिलचस्प कहानी। उपन्यास भरपूर मनोरंजन करने में सक्षम है।
उपन्यास- वेद मंत्र
लेखक- वेदप्रकाश शर्मा
पृष्ठ- 347
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स
वेद मत्र- वेदप्रकाश शर्मा, थ्रिलर ।
वेद प्रकाश शर्मा को 'सस्पेंश का बादशाह' क्यों कहा जाता है। अगर किसी के दिमाग में यह प्रश्न उठता है तो उसे वेदप्रकाश शर्मा का उपन्यास 'वेद मंत्र' पढ लेना चाहिए। हालांकि वेदप्रकाश शर्मा जी के और भी बहुत से उपन्यास ऐसे हैं जो सस्पेंश से भरपूर हैं। उपन्यास की भाषा में कहें तो वेद जी के उपन्यास 'दिमाग के परखच्चे' उठाने में सक्षम होते हैं।
उपन्यास के आरम्भिक पृष्ठ पर लिखे कथन भी तो यही कहते हैं- एक ऐसी कहानी जो मुश्किल से दो-चार पृष्ठ बाद ही आपको इस कदर अपने मोहपाश में बांध लेगी कि इस उपन्यास को पूरा पढना आपको दुनिया का सबसे जरूरी काम लगने लगेगा।
प्रस्तुत उपन्यास एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसकी पहचान बदल जाती है। इसी बदली हुयी पहचान के कारण वह मुसीबत में फंस जाती है। उस पर आरोप लगता है 'दस करोड़ डाॅलर' की धोखाधड़ी का।
एक है कविता भटनागर, जिसे स्वयं कविता भटनागर के अलावा और कोई भी उसे कविता भटनागर के नाम से नहीं पहचानता। मजे की बात यह की उस कथित कविता भटनागर पर कविता भटनागर की हत्या का आरोप है।
"कितनी बार कहूं...कितनी बार कहूं कि मैं कविता हूँ। कविता भटनागर।" वह चीखी-"मेरे पेरेंट्स ने मेरा यही नाम रखा था।"
"उसी की तो तुमने हत्या की है।"
"ऐसा गजब मत कीजिए.......आप कविता भटनागर के हत्या के इल्जाम कविता भटनागर को ही फांसी पर लटका देंगे।" (पृष्ठ-08,09)
यह कैसे संभव है। मरने और मारने वाला एक ही व्यक्ति हो। लेकिन यह तो हो गया।
वहीं कथित कविता पर दस करोड़ डाॅलर के गबन का आरोप है। जिसे कथित कविता स्वीकार नहीं करती।
".....जिस बच्ची ने मेरी कम्पनी के एकाउंट से दस करोड़ डाॅलर किसी और के एकाउंट में ट्रास्फोर कर लिए हों,वह इस सवाल का अर्थ ही न समझे।"
वह चीख पड़ी-"मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया।"(पृष्ठ-123)
क्या यह संभव है। खैर कविता भटनागर इस विषय पर क्या कहती है वह भी देख लीजिएगा- बस इतना कह सकती हूं कि किसी ने मुझे इतनी बुरी तरह से फंसाया है कि.... (पृष्ठ-174)
क्या किसी ने कविता भटनागर के लिए जाल फैलाया है या फिर कविता भटनागर ही एक फ्राॅड है, लेकिन यह भी अनोखा रहस्य है की कथित कविता भटनागर भी स्वयं को कविता भटनागर साबित नहीं कर पाती। तो फिर क्या रहस्य है कविता भटनागर का। अब यह समझने के लिए तो उपन्यास पढना होगा।
हां, यह सत्य है की उपन्यास की कहानी रहस्य के एक ऐसे जाल की तरह है जिसमें एक बार बंध जाने पर बाहर निकलना मुश्किल है। एक ऐसा जाल है जिसमें पुलिस और कम्पनी तक का दिमाग घूम गया की आखिर हो गया रहा है।
वैसे भी वेदप्रकाश शर्मा जी यह विशेषता है की वे कहानी को बहुत घुमावदार बनाते हैं। और हां कहानी का अंत भी उतना ही रोचक है जितना की बाकी कहानी।
कहानी के विषय में ज्यादा चर्चा करने का अर्थ होगा कहानी का आनंद खत्म करना। बस एक बार आप उपन्यास उठा कर देखें।
निष्कर्ष-
वेद मंत्र 'दस करोड़ डाॅलर' की धोखाधड़ी के साथ-साथ एक कथित लड़की की पहचान खोने की कहानी है। रूसी हथियार सप्लायर्स, अमेरिका की खूफिया विभाग और भारतीय कम्प्युटर एक्सपर्ट तीनों को उलझाने वाले एक अनोखे शख्स की यह कहानी पाठक को जितना आरम्भ में चौंकाती है उतना ही अपने अंत में।
आदि से अंत तक सस्पेंश से भरपूर एक दिलचस्प कहानी। उपन्यास भरपूर मनोरंजन करने में सक्षम है।
उपन्यास- वेद मंत्र
लेखक- वेदप्रकाश शर्मा
पृष्ठ- 347
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स
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