Friday 15 March 2019

179. जिप्सी- कंवल शर्मा

एक घुमक्कड़ की खतरनाक यात्रा
जिप्सी-कंवल शर्मा, उपन्यास,
         
'जिप्सी' कंवल शर्मा का पांचवां मौलिक उपन्यास है। कंवल शर्मा ने अपने प्रथम उपन्यास 'वन शाॅट' से 'जिप्सी' तक का जो सफर किया है वह वास्तव में प्रशंसनीय है।
           कंवल जी के उपन्यासों में जो रोमांच होता है वह आदि से अंत तक यथावत बना रहता है।
‌‌‌‌         प्रस्तुत उपन्यास 'जिप्सी' एक थ्रिलर रचना है। थ्रिलर भी ऐसा है जो पाठक को अपने साथ बांधे रखता है।
‌ अगर उपन्यास के कथानक की बात करें तो यह एक रिटायर्ड नौसैनिक की कथा। वह रिटायर नौ सैनिक है, इसलिए यह को 'सैन्य-कथा' नहीं है।

        गगनदीप चौधरी नौसेना से रिटायर एक नौसैनिक था, जिसकी ट्रेजडी ये थी कि उसकी तकदीर का उसके साथ एक्स्ट्रा बैर था।

         गगनदीप के साथ तकदीर का बैर तो था ही साथ में उसका जीवन एक जिप्सी का भी था।‌ जिप्सी अर्थात जो एक जगह स्थायी न रहे, घूमता रहे। मैं फितरन एक खानाबदोश बूँद, एक जिप्सी हूँ, जिसका एक जगह टिककर बैठ जाना मुमकिन नहीं। (पृष्ठ-200)

        नौसेना से, ट्रक ड्राइवर और ट्रक ड्राइवर से एक नये सफर की ओर चला पड़ा गगनदीप चौधरी। बस यही नया सफर उसके जीवन में एक खतरनाक मोड़ ले आया। गगनदीप चौधरी की मुलाकात एक बैंड म्यूजिशियन हैरी से होती है। इस नये सफर पर उन्हें एक अनजान लड़की कार में लिफ्ट देती है।
"क्या पणजी जा रही हैं?"
............
"हाँ' लडकी स्वर समान्य था।
" हमें लिफ्ट की तलाश है।" हैरी ने बात आगे बढाई और बोला।

हैरी और गगन को लिप्ट तो मिली लेकिन साथ में एक ऐसी मुसीबत भी मिली जिसका उन्हें कोई अनुमान भी न था।


- अंधेरी रात में अचानक मिली वह लड़की कौन थी?
- क्या उसने झूठ बोला था, वह तीन घण्टे से ड्राईव कर रही है?
- क्या वह सिर्फ गगन से कार चलवाना चाहती थी?
- वह ड्राईव से फ्री होकर कार की पिछली सीट पर सोना चाहती थी या कोई और कारण था?
- क्या वह कार चोरी की थी?
ये सब प्रश्न गगन चौधरी और हैरी को परेशान करते हैं

         कुछ लोगों की जिंदगी ऐसी होती है की वे एक जगह स्थायी रूप से नहीं रह सकते, बस फितरत। ऐसी ही फितरत का मारा है गगनदीप चौधरी। एक नौकरी से मन भरा तो दूसरी, दूसरी से तीसरी। एक जगह से मन ऊब गया तो दूसरी जगह और दूसरी से तीसरी जगह।‌ ऐसे ही गगनदीप चौधरी को एक बैंड म्यूजिशियन हैरी‌ मिल गया और वह उसके साथ पणजी चल दिया। जहाँ मुसीबतें उसका पलक बिछा कर इंतजार कर रही थी। स्वयं गगनदीप चौधरी भी कम न था। ऐसा आदमी जो सब्र नहीं रखता, मुसीबत के आने का इंतजार नहीं करता बल्कि खुद उसे बुलाता है। (पृष्ठ-108)
          'जिप्सी' उपन्यास रोचक और दिलचस्प घटनाओं से भरपूर एक पठनीय उपन्यास है। यह एक थ्रिलर कारनामा है जिसमें घटनाएं महत्व रखती हैं। इन्हीं घटनाओं से मिलकर जो कथानक बना है वह अविस्मरणीय है। घटनाएं भी इतने जबरदस्त तरीके से घटित होती हैं की पाठक हैरान रह जाता है। उपन्यास में कसावट और तेज प्रवाह हथ जो सतत पठनीय है।

उपन्यास में एक दो जगह गगनदीप चौधरी स्वयं कहते हैं- मैं फितरन एक खानाबदोश हूँ। (पृष्ठ-200) और एक जगह इस जिंदगी से परेशान भी दिखते हैं- "मैं अपनी इस दर-दर करती बंजारों सी जिंदगी से आजाद हो सकता हूँ।" (पृष्ठ-110)
देखा जाये तो दोनों कथनों में विरोधाभास है।

       उपन्यास में पृष्ठ संख्या 08-28 तक का एक लंबा लेखकिय है और मजे की बात तो ये है की उस लेखकिय का संबंध उपन्यास से तो बिलकुल भी नहीं है। लेखकिय पर तो 'पूर्व का सफर और पश्चिम का रास्ता' वाली उक्ति चरितार्थ होती है। अगर यह लेखकिय उपन्यास जगत से संबंधित होता तो बहुत अच्छा लगता।


मैं‌ फितरन एक खानाबदोश हूँ, एक जिप्सी हूँ, जिसका एक जगह टिककर बैठ जाना मुमकिन नहीं।
(पृष्ठ-200)
अब आगामी कारनामा क्या होगा यह पढना दिलचस्प होगा।

निष्कर्ष-
कंवल शर्मा का उपन्यास 'जिप्सी' एक जबरदस्त थ्रिलर उपन्यास है। उपन्यास नायक गगनदीप चौधरी के घुमक्कड़ जीवन की एक यादगार गाथा।
उपन्यास की कहानी रोचक और दिलचस्प है।

उपन्यास- जिप्सी
लेखक- कंवल शर्मा
प्रकाशक- रवि पॉकेट बुक्स
पृष्ठ- 254
मूल्य- 100₹


2 comments:

  1. रोचक। मेरे पास तो अभी तक आया ही नहीं। प्री आर्डर करवाया था। न जाने कब आएगा।

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  2. Highly obliged Sir.
    It takes a lot to write anything but then that means nothing if the READER is not satisfied. As an author - i was successful to satisfy you this time - and that makes me feel very proud.

    Thanks for your encouragement Sir.
    Highly obliged.

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