टुकङो में विभक्त एक दर्द भरी प्रेम कहानी।
सूरज का सातवाँ घोङा- धर्मवीर भारती, साहित्यिक उपन्यास, रोचक, पठनीय, उत्तम।
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धर्मवीर भारती द्वारा लिखा गया उपन्यास सूरज का सातवाँ घोङा एक प्रयोगात्मक उपन्यास है। कथा और शिल्प दोनों स्तरों पर इसमें अपने समय में प्रयोग किये गये थे। यह प्रयोग सफल भी रहा। क्योंकि सन् ..में प्रकाशित इस उपन्यास को आज भी पाठक उतने ही चाव से पढता है जितना इसके प्रकाशन के वक्त पढा गया था।
निर्देशन श्याम बेनेगल द्वारा इस उपन्यास पर इसी शीर्षक से निर्मित फिल्म सफल भी रही और उसे राष्ट्रीय...पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
सूरज का सातवाँ घोङा एक प्रेम कथा है। यह एक कहानी है या उपन्यास ऐसा पाठक को लग सकता है । मूलतः यह उपन्यास है लेकिन इसके प्रस्तुतीकरण का तरीका कहानी जैसा ही है। यह स्वयं में एक प्रयोग है।
पूरा घटनाक्रम माणिक मुल्ला के कथित है।
सूरज का सातवाँ घोङा- धर्मवीर भारती, साहित्यिक उपन्यास, रोचक, पठनीय, उत्तम।
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धर्मवीर भारती द्वारा लिखा गया उपन्यास सूरज का सातवाँ घोङा एक प्रयोगात्मक उपन्यास है। कथा और शिल्प दोनों स्तरों पर इसमें अपने समय में प्रयोग किये गये थे। यह प्रयोग सफल भी रहा। क्योंकि सन् ..में प्रकाशित इस उपन्यास को आज भी पाठक उतने ही चाव से पढता है जितना इसके प्रकाशन के वक्त पढा गया था।
निर्देशन श्याम बेनेगल द्वारा इस उपन्यास पर इसी शीर्षक से निर्मित फिल्म सफल भी रही और उसे राष्ट्रीय...पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
सूरज का सातवाँ घोङा एक प्रेम कथा है। यह एक कहानी है या उपन्यास ऐसा पाठक को लग सकता है । मूलतः यह उपन्यास है लेकिन इसके प्रस्तुतीकरण का तरीका कहानी जैसा ही है। यह स्वयं में एक प्रयोग है।
पूरा घटनाक्रम माणिक मुल्ला के कथित है।
गर्मि का समय है, दोपहर का। कुछ बच्चे माणिक मुल्ला के कमरें में हर रोज एकत्र होते हैं और माणिक मुल्तान उन्हें हर रोज एक प्रेम कहानी सुनाता है। ये कहानियाँ प्रथम दृष्टया अलग -अलग नजर आती है लेकिन अंत में जाकर एक हो जाती हैं। लेकिन किसी भी कहानी में कॊई बिखराव नहीं है। सभी एक दूसरे से आबद्ध है। इन सभी कहानियाँ को आपस में आबद्ध करने का कार्य स्वयं माणिक मुल्ला ही करता है क्योंकि वह प्रत्येक कहानी से स्वयं भी जुङा हुआ है।
कहानी चाहे जमुना की हो, चाहे लिली या सती की। सभी से माणिक मुल्ला का संबंध रहा है और सभी कहानियाँ में एक टीस भी है। एक ऐसी टीस जो पाठक के हृदय को चीर जाती है।
उपन्यास में माणिक मुल्ला के माध्यम से क ई कहानियों व्यक्त हुयी हैं लेकिन कोई भी प्रेम कहानी अपने लक्ष्य तक न पहुंची। यही जीवन की विडंबना है और इसी विडंबना को विभिन्न पात्रों के माध्यम से व्यक्त किया गया है।
जमुना को तन्ना बहुत पसंद है, वह उससे शादी की इच्छुक है। लेकिन समाज की मर्यादा इस प्रेम में बाधक है। तन्ना का बाप महेसर भी इस प्रेम को स्वीकृति नहीं दे पाता। जमुना माणिक मुल्ला के प्रति भी बहुत लगाव रखती है लेकिन इसका प्रेम कहीं भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाता।
एक है लिली उर्फ लीला जो माणिक मुल्ला से स्नेह रखती है। लेकिन आधुनिक विचारों की समर्थक है। लीला का विवाह तन्ना से हो जाता है। लेकिन एक बच्चे के पश्चात भी दोनों में दाम्पत्य प्रेम की कमी दिखाई देती है।
सती जो की एक आत्मनिर्भर महिला की भूमिका में है लेकिन उसकी पारिवारिक स्थिति उसे इस स्थिति में ले आती है जहाँ वह न जी सकती है न मर सकती है। सती और माणिक मुल्ला में स्नेह की डोर है। लेकिन परिस्थितिया इस डोर को तोङ देती हैं। दूसरी तरफ तन्ना का बाप महेसर सती की आर्थिक व पारिवारिक परिस्थितियों का भरपूर फायदा उठाने की सोचता है।
एक तरह से सभी कहानियाँ माणिक मुल्ला से संबंध रखती हैं और अपना स्वतंत्र अस्तित्व भी।
कहानी चाहे जमुना की हो, चाहे लिली या सती की। सभी से माणिक मुल्ला का संबंध रहा है और सभी कहानियाँ में एक टीस भी है। एक ऐसी टीस जो पाठक के हृदय को चीर जाती है।
उपन्यास में माणिक मुल्ला के माध्यम से क ई कहानियों व्यक्त हुयी हैं लेकिन कोई भी प्रेम कहानी अपने लक्ष्य तक न पहुंची। यही जीवन की विडंबना है और इसी विडंबना को विभिन्न पात्रों के माध्यम से व्यक्त किया गया है।
जमुना को तन्ना बहुत पसंद है, वह उससे शादी की इच्छुक है। लेकिन समाज की मर्यादा इस प्रेम में बाधक है। तन्ना का बाप महेसर भी इस प्रेम को स्वीकृति नहीं दे पाता। जमुना माणिक मुल्ला के प्रति भी बहुत लगाव रखती है लेकिन इसका प्रेम कहीं भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाता।
एक है लिली उर्फ लीला जो माणिक मुल्ला से स्नेह रखती है। लेकिन आधुनिक विचारों की समर्थक है। लीला का विवाह तन्ना से हो जाता है। लेकिन एक बच्चे के पश्चात भी दोनों में दाम्पत्य प्रेम की कमी दिखाई देती है।
सती जो की एक आत्मनिर्भर महिला की भूमिका में है लेकिन उसकी पारिवारिक स्थिति उसे इस स्थिति में ले आती है जहाँ वह न जी सकती है न मर सकती है। सती और माणिक मुल्ला में स्नेह की डोर है। लेकिन परिस्थितिया इस डोर को तोङ देती हैं। दूसरी तरफ तन्ना का बाप महेसर सती की आर्थिक व पारिवारिक परिस्थितियों का भरपूर फायदा उठाने की सोचता है।
एक तरह से सभी कहानियाँ माणिक मुल्ला से संबंध रखती हैं और अपना स्वतंत्र अस्तित्व भी।
इस उपन्यास में मात्र प्रेम कहानियाँ ही नहीं है, इनके साथ-साथ भारत के मध्यवर्गीय समाज का चित्रण, प्रेम की पीर, मार्क्सवाद और आधुनिक कहानी के संबंध में भी बहुत कुछ पढने को मिलता है।
आजकल के लेखक जिस प्रकार कहानी के शीर्षक को अति आकर्षक बनाने में लगे रहतॆ हैं उस पर माणिक मुल्ला के माध्यम से व्यंग्य किया गया है- "...तुम लोग कहानी सुनने आये हो या शीर्षक सुनने? या मैं उन कहानी लेखकों में से हूँ जो आकर्षक विषयवस्तु के अभाव में आकर्षक शीर्षक देकर पत्रों के संपादकों और पाठकों का ध्यान खींचा करते हैं।" (पृष्ठ-43)
"टेकनीक पर ज्यादा जोर वही देता है जो कहीं न कहीं अपरिपक्व है...फिर भी टेकनीक पर ध्यान देना बहुत स्वस्थ प्रवृत्ति है बशर्ते वह अनुपात से अधिक न हो।" (पृष्ठ-84)
मध्यमवर्गीय समाज के संबंध में लिखा है- " हम सभी निम्न मध्य श्रेणी के लोगों की जिंदगी में हवा का ताजा झोंका नहीं है...।"(पृष्ठ-42)
आजकल के लेखक जिस प्रकार कहानी के शीर्षक को अति आकर्षक बनाने में लगे रहतॆ हैं उस पर माणिक मुल्ला के माध्यम से व्यंग्य किया गया है- "...तुम लोग कहानी सुनने आये हो या शीर्षक सुनने? या मैं उन कहानी लेखकों में से हूँ जो आकर्षक विषयवस्तु के अभाव में आकर्षक शीर्षक देकर पत्रों के संपादकों और पाठकों का ध्यान खींचा करते हैं।" (पृष्ठ-43)
"टेकनीक पर ज्यादा जोर वही देता है जो कहीं न कहीं अपरिपक्व है...फिर भी टेकनीक पर ध्यान देना बहुत स्वस्थ प्रवृत्ति है बशर्ते वह अनुपात से अधिक न हो।" (पृष्ठ-84)
मध्यमवर्गीय समाज के संबंध में लिखा है- " हम सभी निम्न मध्य श्रेणी के लोगों की जिंदगी में हवा का ताजा झोंका नहीं है...।"(पृष्ठ-42)
कुछ विशेष कथन-
- प्यार आत्मा की गहराइयों में सोये हुए सौन्दर्य के संगीत को जगा देता है। (पृष्ठ-69)
- प्यार आत्मा की गहराइयों में सोये हुए सौन्दर्य के संगीत को जगा देता है। (पृष्ठ-69)
उपन्यास खण्ड और शीर्षक-
उपन्यास को सात खण्डों में विभक्त किया गया है। प्रत्येक खण्ड का नाम दोपहर दिया गया है, क्योंकि यह कहानियाँ गर्मी की दोपहर में सुनायी गयी हैं। हिंदी साहित्य में विभिन्न ग्रंथों में खण्डों के नाम अलग-अलग मिलते हैं, जैसे समय( पद्मावत में), अंक, भाग, इत्यादि।
प्रत्येक खण्ड से पूर्व एक छोटा सा अध्याय भी अनध्याय नाम से मिलता है।
उपन्यास को सात खण्डों में विभक्त किया गया है। प्रत्येक खण्ड का नाम दोपहर दिया गया है, क्योंकि यह कहानियाँ गर्मी की दोपहर में सुनायी गयी हैं। हिंदी साहित्य में विभिन्न ग्रंथों में खण्डों के नाम अलग-अलग मिलते हैं, जैसे समय( पद्मावत में), अंक, भाग, इत्यादि।
प्रत्येक खण्ड से पूर्व एक छोटा सा अध्याय भी अनध्याय नाम से मिलता है।
निष्कर्ष-
धर्मवीर भारती द्वारा लिखा गया उपन्यास सूरज का सातवाँ घोङा एक प्रयोगशील उपन्यास है।
कथा स्तर पर यह उपन्यास मानव के अंतर का चित्रण करता है। यह उस मध्यमवर्गीय समाज का चित्रण करता है जो करना कुछ और चाहता है लेकिन उसकी परिस्थितियां उसे करने नहीं देती। ऐसी ही विषम परिस्थितियों में घिरे माणिक मुल्ला, जमुना, लिली, सती और तन्ना का चित्रण इस उपन्यास में मिलता है।
कहानी रोचक और मन को छू लेने वाली है। उपन्यास का कलेवर लघु है और कहानी में तीव्रता भी है जो पाठक को स्वयं में समेटे रखती है।
अगर आप यथार्थवादी प्रेम कहानी पढना पसंद करते हो तो यह उपन्यास अवश्य पढें ।
धर्मवीर भारती द्वारा लिखा गया उपन्यास सूरज का सातवाँ घोङा एक प्रयोगशील उपन्यास है।
कथा स्तर पर यह उपन्यास मानव के अंतर का चित्रण करता है। यह उस मध्यमवर्गीय समाज का चित्रण करता है जो करना कुछ और चाहता है लेकिन उसकी परिस्थितियां उसे करने नहीं देती। ऐसी ही विषम परिस्थितियों में घिरे माणिक मुल्ला, जमुना, लिली, सती और तन्ना का चित्रण इस उपन्यास में मिलता है।
कहानी रोचक और मन को छू लेने वाली है। उपन्यास का कलेवर लघु है और कहानी में तीव्रता भी है जो पाठक को स्वयं में समेटे रखती है।
अगर आप यथार्थवादी प्रेम कहानी पढना पसंद करते हो तो यह उपन्यास अवश्य पढें ।
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उपन्यास- सूरज का सातवाँ घोङा
लेखक- धर्मवीर भारती
प्रकाशक-
वर्ष-
पृष्ठ- 114
मूल्य-
उपन्यास- सूरज का सातवाँ घोङा
लेखक- धर्मवीर भारती
प्रकाशक-
वर्ष-
पृष्ठ- 114
मूल्य-
इस उपन्यास को इस लिंक पर निशुल्क पढा जा सकता है।- सूरज का सातवाँ घोङा
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