तांत्रिक पण्डित की हाॅरर सीरिज।
तांत्रिक पण्डित, हाॅरर उपन्यास, एकदम बकवास।
हिंदी लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में हाॅरर उपन्यास बहुत कम लिखे गये हैं, और उनमें से भी रोचक उपन्यास तो नाम मात्र ही उपलब्ध होते हैं।
हाॅरर उपन्यासकार राज भारती, शैलेन्द्र तिवारी के पश्चात अगर किसी हाॅरर लेखक का नाम सुना था तो वह है तांत्रिक बहल।
तांत्रिक बहल एक लेखक होने के साथ-साथ यौगिक क्रियाओं के ज्ञाता भी हैं और देश भर में इनके अनुयायियों की संख्या भी खूब है। समय -समय ओर विभिन्न जगहों पर अनुष्ठान आदि भी करते रहते हैं।
तांत्रिक बहल आज भी फेसबुक पर सक्रिय हैं।
तांत्रिक बहल का प्रस्तुत उपन्यास 'तांत्रिक पण्डित' मित्र शशि भूषण से प्राप्त हुआ। मेरी हार्दिक इच्छा थी तांत्रिक बहल के उपन्यास पढने की पर इस उपन्यास के पश्चात यह इच्छा समाप्त हो गयी।
प्रस्तुत उपन्यास के नायक तांत्रिक पण्डित हैं। इस उपन्यास में उनके जीवन की विभिन्न घटनाओं का जिक्र है, बस।
उपन्यास में कोई एक कहानी नहीं है, बस छोटी-छोटी घटनाएं है और वह भी अव्यवस्थित। कहीं कोई पात्रों का या घटनाओं का तारतम्य नहीं है।
उपन्यास का नायक है तांत्रिक पण्डित जो की एक सदमार्ग पर चलने वाला तांत्रिक है।
"मैं तांत्रिक पण्डित हूँ । कायाकल्प साधना कर मैं इस रूप में आ गया। दुखी, असहाय लोगों के हितों की रक्षा के लिए मैंने तंत्र शास्त्रों क सहारा लिया है। अन्याय, अत्याचार को समाप्त करने के लिए मैंने शस्त्र का नहीं शास्त्र का सहारा लिया है। मेरा पक्का विश्वास है- सद्विचार वाला मनुष्य कभी अकेला नहीं होता है।"-(पृष्ठ-157)
पाठक को पढते वक्त यह भी पता नहीं चलता की वह क्या पढ रहा है। आधी-अधूरी घटनाओं और पात्रों को एकत्र कर एक उपन्यास का नाम दे दिया।
उपन्यास के प्रारंभ में कुछ घटनाएं ऐसी दर्शायी गयी हैं जो पूर्णतः अधूरी है और बाद में पूरे उपन्यास में उन घटनाओं का और उन पात्रों का कहीं कोई नाम भी नहीं आता।
मुझे समझ में नहीं आता की लेखक ने ऐसा उपन्यास लिख कैसे दिया और उस पर प्रकाशन महोदय ने प्रकाशित भी कर दिया।
कहीं-कहीं तो पात्र पुरुष होता है वहीं बाद में उसे स्त्रीलिंग शब्दों से संबोधित किया गया है।..अजीब है।
- तांत्रिक पण्डित बदमाश रामू भईया को पीटते हैं, क्यो? इसका कोई कारण समझ में नहीं आता। (पृष्ठ- 11-13)
- गुल खान का भी ऐसा ही दृश्य है।(पृष्ठ 32-33)
- पृष्ठ संख्या 38-39 पर पहले जिस शख्स को पुरुष लिंग से संबोधित किया जाता है बाद में उसे स्त्री लिंग से संबोधित कर दिया गया।
- पूरे उपन्यास में यह भी पता नहीं चलता की तांत्रिक पण्डित की पत्नी कौन है।
- एक पत्नी को तो काली यादव मार देता है। (पृष्ठ 45-47)
- बाद में शीनू नामक तांत्रिक पण्डित की एक और पत्नी दिखा दी। वह भी कुछ पृष्ठों बाद गायब हो जाती है। (पृष्ठ 100 के आसपास की घटनाएं)
हालांकि उपन्यास पढने पर पता चलता है की अपने परिवार के खत्म होने के पश्चात रामाश्रय प्रसाद योग सिद्धि से तांत्रिक पण्डित बन गया।
- अब पता नहीं उसकी कौन सी पत्नी है।
ऐसी एक नहीं अनेक गलतियां उपन्यास में भरपूर है।
उपन्यास में अगर कुछ अच्छा कहा जा सकता है तो वह है कुछ तांत्रिक जानकारी या जीवन- मरण संबंधित कुछ अनमोल कथन।
" जन्म एवं मरण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जन्म जीव की निरंतर यात्रा का क्रियाशील भाग है तो मृत्यु विश्राम हेतु पङाव। दोनों की उत्पति का हेतु भी एक ही है। मृत्यु सत्य, शिवं, सुंदर है।"- (पृष्ठ-90)
" जन्म अर्ध सत्य है और और मरण पूर्ण सत्य है। शरीर में आत्मा के प्रवेश को जन्म तथा प्रस्थान को मृत्यु कहा जाता है।"(पृष्ठ 90)
"विधाधरों की तीन प्रमुख साधनायें मानी गयी हैं- जैन साधना, वैष्णव साधना और मुस्लिम साधना।"-(पृष्ठ-235)
प्रस्तुत उपन्यास किसी भी दृष्टि से पठनीय उपन्यास नहीं है। यह मात्र तात्कालिक समय में पाठकों की हाॅरर उपन्यास पढने की इच्छा का फायदा उठाने का प्रकाशक का एक जरिया है।
लेखक और प्रकाशन अगर मेहनत करते तो अच्छे हाॅरर उपन्यास लिखे जा सकते है।
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उपन्यास- तांत्रिक पण्डित
लेखक- तांत्रिक बहल
प्रकाशक- रवि पॉकेट बुक्स- मेरठ
पृष्ठ- 280
मूल्य- 25₹
श्रृंखला- तांत्रिक पण्डित सीरिज।
तांत्रिक पण्डित के उपन्यास
1. तंत्र भैरवी
2. तांत्रिक पण्डित
3. कपाल भैरवी
ये उपन्यास मेरे पास है. लेकिन अब तक पढ़ा नहीं. अपने प्रिय उपन्यासकारों के उपन्यास ही बार बार पढ़ता रहता हूँ. इससे अन्य लेखकों के उपन्यास पास होते हुए भी नहीं पढ़ पाता. हिंदी में ड्रेक्युला स्तर के अच्छे उपन्यास हों तो बताइयेगा गुरप्रीत भाई. अवश्य पढ़ना चाहूँगा.
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