Thursday, 26 June 2025

अधूरी औरत- कर्नल रंजीत

सात हत्याओं की अनोखी कहानी
अधूरी औरत- कर्नल रंजीत

नकाबपोश ने अपनी बाईं बांह मिसेज जैसवाल की पीठ पर लपेट ली और दायां हाथ अपने चौगे से निकालकर नकाब उठाया। मिसेज जैसवाल ने तड़पकर नकाबपोश से अलग होने की कोशिश की। नकाबपोश के हाथों में काले दस्ते का चाकू था।
"आखिरी का !" यह कहकर नकाबपोश ने वह चाकू पूरे जोर से मिसेज जैसवाल की पीठ में घोंप दिया और फिर एक बार उन्हें अपने सीने से सटाकर अलग कर दिया।

प्रेम और हत्या की अनेक उत्तेजक तथा रोमांचपूर्ण घटनाओं से ओतप्रोत एक जासूसी उपन्यास- 

अधूरी औरत

लड़ाकू सिपाही

गुड़गांव की गणना शहरों में नहीं की जा सकती। वह एक अच्छा-खासा कस्बा है जिसमें पुरानापन अधिक है। नयापन अभी धीरे-धीरे उभर रहा है। गुड़गांव क्योंकि देश की राजधानी दिल्ली के निकट है इसलिए लोगों का रहन-सहन बहुत तेजी से परिवर्तित हो रहा है। दिल्ली-निवासी स्त्री-पुरुषों का फैशन रिस-रिसकर वहां पहुंच चुका है। इसलिए किसी बड़े शहर के निवासी को वहां किसी प्रकार की उकताहट महसूस नहीं हो सकती।
मेजर बलवन्त, सोनिया, सुधीर, मालती और डोरा पिछली रात ही वहां पहुंचे थे। लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार की ऊब अनुभव न हो रही थी। उन्हें सुप्रसिद्ध लड़ाकू और देशभक्त राव परिवार का एक आलीशान हवेली में ठहराया गया था, जिसमें बड़े शहरों जैसी हर सुख-सुविधा थी। आज सवेरे जब डोरा क्रोकोडायल को सैर कराने के लिए ले गई तो क्रोकोडायल के हावभाव से स्पष्ट मालूम हो रहा धा कि उसे भी गुड़गांव और विशेष रूप से हवेली के आस-पास का वातावरण बहुत पसंद आया है।
राव ब्रजेन्द्रसिंह स्वयं मुम्बई जाकर मेजर बलवन्त और उसकी टीम को अपने साथ लेकर आए थे। मेजर बलवन्त उनके निवेदन पर गुड़गांव आने से इन्कार न कर सका था, क्योंकि वह जानता था कि राव ब्रजेन्द्रसिंह के खानदान ने ऐसे अनेक देशभक्तों को जन्म दिया था जो अपने त्याग, बलिदान और वीरता के कारण देश के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में अमर हो गए हैं।
मेजर बलवन्त के इन्कार न करने का एक कारण और भी था। राव ब्रजेन्द्रसिंह ने एक साथ दो ऐसे केसों का विवरण उसे सुनाया था जो अपने ढंग से अनोखे और अद्वितीय केस थे।
इसके अतिरिक्त मेजर के गुड़गांव आने का एक कारण और भी था। पेचीदा केसों को सुलझाने के लिए उसे अब लोग देश के कोने-कोने से बुलाने लगे थे। वह स्वयं राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सरगर्मियां आरम्भकरना चाहता था।
(अधूरी औरत- कर्नल रंजीत)

यह था उपन्यास 'अधूरी औरत' का प्रथम दृश्य जहां आपको राव ब्रजेन्द्र सिह का परिचय मिल गया होगा। राव ब्रजेन्द्र का एक मैकेनिक ब्रजलाल जो उनके खेत पर ही एक पत्थर के मकान में रहता था और वह एक दिन अपने मकान पर मृत्य पाया गया। वहीं शहर में दो लड़कियों की हत्या ठीक उसी ढंग से की गयी थी जिस ढंग से ब्रजलाल की हत्या की गयी थी।
इस हत्या के केस को सुलझाने के लिए राव ब्रजेन्द्र सिंह ने मुम्बई के प्रसिद्ध जासूस मेजर बलवंत की मदद ली। और मेजर बलवंत राव ब्रजेन्द्र सिंह के साथ जा पहुंचा उस पत्थर के मकान में-
"अब इस मकान में कौन रहता है?"
"इसमें ट्रैक्टर-मैकेनिक ब्रजलाल रहता था, जिसकी एक सप्ताह पूर्व हत्या कर दी गई। उसी की हत्या की छानबीन के लिए मैं आपको मुम्बई से यहां लाया हूं।"
  ब्रजलाल के हत्यारे की खोजबीन करते- करते मेजर को पता चलता है की ब्रजलाल स्वयं एक रहस्यमयी व्यक्ति था और उसका औरतों से संपर्क ज्यादा था ।
    और रहस्यमयी आदमी ब्रजलाल की हत्या क्यों और किसने की इन प्रश्नों के उत्तर खोजते हुये मेजर बलवंत को पता चला की अज्ञात अपराधी द्वारा एक विशेष तरीके से पीठ में खंजर भोंक कर हत्या की जा रही है ।

"पुलिस की छानबीन का विवरण यह है कि जिस किसी ने रत्ना और वीणा की हत्या की, उसने पहले उन्हें सीने से लगाया और फिर पीठ में चाकू घोंप दिया। चाकू की नोक दिल में उतर गई। वीणा और रत्ना पर आक्रमण करने वाले ने उनके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया। उनके कपड़े सही-सलामत थे।"
  कौन था वह हत्यारा जो एक विशेष तरीके से हत्याएं कर रहा था ?
वहीं ब्रजलाल के घर का निरीक्षण करते वक्त मेजर बलवंत का कुछ औरतों से परिचय होता है और यह भी पता चलता है की कुछ औरतें विशेष रूप से ब्रजलाल से मिलने आती थी ।
जिनमें एक थी प्रतिभा - प्रतिभा की आयु बीस वर्ष से अधिक न थी। उसने स्लीव-लैस रेशमी कुर्ता पहन रखा था। उसका कद सात फुट पांच इंच था। बदन काफी छरहरा था। बाल भूरे और घुंघराले थे। रंग बहुत ही गोरा था। आंखें तो बड़ी-बड़ी थीं लेकिन माथा, मुंह और दांत बहुत ही छोटे थे।
दूसरी थी उर्वशी, तीसरी थी शांति देवी और एक थी घुड़सवार औरत उपासना जैसवाल ।
इन्हीं औरतों के माध्यम से कहानी आगे बढती है और जैसे जैसे कहानी आगे बढती वैसे-वैसे कत्ल होने वाले व्यक्तियों की संख्या भी बढती जाती है।
      कहानी में एक ट्विस्ट तब पैदा होता है जब हत्या क्षेत्र में एक संदिग्ध आदमी को देखा गया और वह संदिग्ध आदमी काले दस्ते का चाकू रखता है और संतरे, सेव छील कर खाता है।
कहानी का एक विशेष पक्ष ब्लैकमेलिंग हैं। जिसमें कहानी के कई पात्र उलझते चले जाते हैं। इन्हीं में से एक पात्र है सत्येन्द्र । यह रहस्यमयी भी है और विशेष भी ।
   मेजर बलवंत अपनी साथी सोनिया, डोरा, मालती, सुधीर, सुनील और प्रिय प्रशिक्षित कुत्ते क्रोक्रोडायल तथा पुलिस के सहयोग से आखिरकार उस व्यक्ति का पता लगा ही लेता है जो की वास्तविक हत्यारा और जालसाज था। लेकिन अपराधी को पकड़ना इतना आसान भी न था स्वयं मेजर बलवंत के शब्द देखें- "इस हत्या के केस में हत्यारा विचित्र ढंग से आता है और गायब हो जाता है। यह बहुत ही रहस्यपूर्ण केस है।"
    कर्नल रंजीत के उपन्यासों में कुछ पात्र हमेशा ही रहस्यमयी बने रहते हैं जैसे इस उपन्यास में ' मिस्टर भगत' के पूरे परिवार को ही रहस्यमयी कहा गया है।
वहीं एक पात्र के विशेष में और पढें उसे रहस्यमयी तो कहा ही गया वहीं उसके नाक पर भी रोचक बात कही है-
"यह भी तो हो सकता है कि वह अपने-आपको छिपाने के लिए अपनी नाक को तीखी और नुकीली बनाकर अपना काम करता रहा हो। आपकी रिपोर्ट से प्रकट होता है कि ब्रजलाल भी एक विचित्र और रहस्यपूर्ण व्यक्ति था, और विचित्र-विचित्र प्रकार की स्त्रियां उससे मिलने के लिए आती रहती थीं।" मालती बोली।
 
    उपन्यास में मर्डर मिस्ट्री है और जिसमें लगभग सात-आठ हत्याएं होती हैं। वहीं उपन्यास में ब्लैकमेलिंग जैसे विषय को भी दर्शाया गया है।
   अधूरी औरत के माध्यम से लेखक महोदय ने ऐसी औरतों का वर्णन किया है जिनके शारीरिक अंग कमजोर हैं ऐसी औरतें अपने में हीन भावना पैदा कर लेती हैं‌। उपन्यास में एक ऐसी ही औरत का भावनात्मक चित्रण मिलता है ।
उपन्यास में कुछ पात्रों को बहुत अजीब दर्शाया गया है और कुछ रहस्यमयी घटनाएं भी उपन्यास में शामिल हैं ।
    उपन्यास के एक विशेष कमजोर पक्ष का यहाँ वर्णन करना चाहुंगा वह है एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसके चेहरे पर मेकअप है जिसका किसी को पता भी नहीं चलता अर्थात् मेकअप के कारण उसकी पहचान किसी और व्यक्ति के रूप में होती है। मेजर बलवंत जैसे तेज तर्रार व्यक्ति के होते हुये यह कैसे संभव था ?
      कर्नल रंजीत द्वारा लिखित अधूरी औरत उपन्यास जहाँ एक तरफ मर्डर मिस्ट्री है वहीं एक औरत के खत्म हो चुके सपनों का दर्द भी है। ईश्वर द्वारा निर्मित मनुष्य में कभी कभार कुछ शारीरिक विकार जन्म से ही आ जाते हैं और मनुष्य को उनके दर्द के साथ जीना पड़ता है। ऐसे ही दर्द को इस उपन्यास में लेखक ने मर्डर मिस्ट्री के साथ प्रस्तुत किया है।
उपन्यास रोचक, रहस्यमयी और भावनात्मक है । मर्डर मिस्ट्री और कर्नल रंजीत के पाठकों के लिए अच्छा उपन्यास है।

उपन्यास- अधूरी औरत
लेखक-    कर्नल रंजीत
प्रकाशक- मनोज पॉकेट बुक्स- दिल्ली
पृष्ठ-        120

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