Tuesday, 22 November 2022

544. सुलग उठे अंगारे- परशुराम शर्मा

कहानी वारसिला की राजकुमारी की

सुलग उठे अंगारे- परशुराम शर्मा

'जी.. मैं...मगर आप यहां कब तशरीफ ले आए सर?"
"मैं तुम लोगों को कभी भी अनजाने खतरे में नहीं छोड़ता और यदि मैं लापरवाह होता तो आज तुम अवश्य दूसरे लोक में पहुंच जाते। तुम्हारे डिनर पर मौत का पूरा सामान मौजूद था।"

यह सीक्रेट सर्विस के बास पवन का भर्राया स्वर था। पवन...!

वह इन्सान, जिससे सीक्रेट सर्विस के सभी एजेण्ट कांपते थे। पवन उस फरिश्ते के समान था, जो हर समय साए के समान अपने एजेण्टों को अनजान खतरों से बचाया करता था । मदन अक्सर राजेश पर पवन होने का सन्देह करता था, लेकिन अनेक अवसर ऐसे भी आए जबकि राजेश की मौजूदगी में पवन उसके सामने आ चुका था ।

वास्तव में खुद राजेश ही सीक्रेट सर्विस का चीफ पवन था, किन्तु अवसर आने पर 'फाइव टू' भी पवन का रोल अदा करना था। इस रहस्य को 'फाइव टू' के अलावा और कोई भी नहीं जानता था ।

मदन सोचने लगा-क्या राजेश की मृत्यु की सूचना बाॅस को मिल चुकी होगी ? यदि नहीं मिली तो वह किन शब्दों में सूचना दे। पवन के सामने ऐसी सूचना सुनाना अपने मुँह पर तमाचा मारना था, लेकिन तुरन्त ही उसे अपने विचारों पर हँसी आ गयी। (उपन्यास अंश)

नमस्कार पाठक मित्रो,
   आज आपके समक्ष परशुराम शर्मा जी के थ्रिलर उपन्यास 'सुलग उठे अंगारे' की समीक्षा प्रस्तुत है। इस उपन्यास की कहानी का संबद्ध परशुराम शर्मा जी के उपन्यास 'वारसिला की राजकुमारी' से है। भारत से जुड़ा हुआ एक देश है वारसिला। वारसिला की राजकुमारी गायब हो गयी। राजा ने घोषणा की कि जो भी व्यक्ति राजकुमारी को ढूंढकर लायेगा, वहीं राज्य का भावी शासक और राजकुमारी का पति होगा।
     कुछ समय पश्चात राजा की मृत्यु हो जाती है और नवनियुक्त शासक प्रिंस रिवान भी वारसिला से गायब हो जाता है और वहीं वारसिला में देशद्रोही लोग सक्रिय हो जाते हैं।
    वहीं भारत में जासूस कर्नल विनोद भी वारसिला के रहस्य को सुलझाने और राजकुमारी रोमी और राजकुमार रिवान को ढूंढने में व्यस्त हो जाता है।
   प्रस्तुत उपन्यास 'सुलग उठे अंगारे' में कर्नल विनोद को राजकुमारी रोमी तो मिल जाती है पर राजकुमार का कुछ पता नहीं चलता। कर्नल विनोद का साथी है हमीद।  हमीद को जिम्मेदारी दी जाती है राजकुमारी रोमी‌ की सुरक्षा की।
    वहीं कुछ खतरनाक शक्तियां वारसिला में सक्रिय हैं, जो राजकुमार और राजकुमारी को खत्म कर वारसिला पर अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहती हैं।
कर्नल विनोद और राजेश इन शक्तियों को खोजकर उन्हें बेनकाब करते हैं।
   उपन्यास रोचक है। कथा स्तर पर हो सकता है कुछ न्यून लगे पर रोचकता बहुत है। हर पल नये किरदार, नये घटनाक्रम प्रभावित करते हैं।
पुराने उपन्यासों में एक विशेषता यह भी होती थी कि कुछ घटनाएं अस्पष्ट होती थी, बस कथानायक को ही पता होता था। कथा नायक कब, क्या कर दे यह भी कभी स्पष्ट नहीं होता था। यहां राजेश का भी एक किरदार है।

    उपन्यास में जासूस राजेश भी उपस्थित हैं। लेकि‌न उसका किरदार अचानक सामने आता है, वास्तविकता में वह नेपथ्य में सक्रिय होता है।
    पत्रकार रमेश- वह ऐसा व्यक्ति था कि धन के लालच में किसी के भी मामले की छानबीन कर सकता था। क्राइम रिपोर्टर होने के साथ-साथ रमेश प्राइवेट जासूसी भी करता था।
  उपन्यास में मादाम फ्रेंटासिया की भूमिका भी अच्छी है। मादाम फ्रेंटासिया परशुराम शर्मा जी का मौलिक किरदार है, जिस पर अन्य लेखकों ने भी खूब लिखा है।
  कासिम एक हास्यपात्र है। उपन्यास में इसकी भूमिका कोई विशेष नहीं है पर फिर भी यह उपस्थित है।
  उपन्यास में एक बात अलग हटकर लगी वह है हमीद और मादाम फ्रेंटासिया का मांसल प्रेम। ज्यादातर उपन्यास में ऐसा होता नहीं है।
दृश्य अंश देखें-
- वह दोनों एक दूसरे के प्यार में रात किसी दूसरी दुनिया में उतर गये। (पृष्ठ-142)

'सुलग उठे अंगारे' उपन्यास का मूल कथानक है वारसिला की राजकुमारी को सुरक्षित वारसिला पहुंचाना और वारसिला में चल रहे षड्यंत्र का पर्दाफाश करना। इस कार्य में कर्नल विनोद का साथ हमीद,मदन, सरला, राजेश और पत्रकार रमेश  देते हैं। वहीं उपन्यास में मादाम‌ फ्रेंटासिया, प्रोफेसर कुमार और कासिम भी उपस्थित हैं।

'सुलग उठे अंगारे' परशुराम शर्मा जी द्वारा लिखित एक रोचक उपन्यास है। वारसिला देश के राजकुमार और राजकुमारी की तलाश और उन्हें वापस उनके देश पहुंचाना, दुश्मनों से सुरक्षा करना और वारसिला में‌पनप रहे षड्यंत्र का रहस्य खोलना यह सब उपन्यास के रोचक तत्त्व हैं।
    उपन्यास रोमांच से परिपूर्ण है।
उपन्यास- सुलग उठे अंगारे
लेखक -   परशुराम शर्मा
प्रकाशक- पवन पॉकेट बुक्स

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