आवाज- चन्द्रप्रकाश पाण्डेय,
हाॅरर उपन्यास, पारलौकिक
यही सच 'आवाज' के रूप में पाठकों के सामने लाये हैं युवा लेखक चन्द्रप्रकाश पाण्डेय।
यह कहानी है सेंट ऑगस्टीन गर्ल्स हॉस्टल, शिमला में रहने वाली छात्रा कैथरिन की।
अप्रैल 2009 वह सायरन की आवाज थी, जो इतनी तेज और कर्कश थी कि उसके शोर में अन्य आवाज़ें दब गयी थीं। कैथरीन को लग रहा था कि उसके आस-पास सायरन के उस शोर के अलावा और कोई शोर है ही नहीं। जब शोर बर्दाश्त की हद से अधिक बढ़ गया तो उसने अपनी दोनों हथेली कान पर रख ली लेकिन फिर भी आवाज से पीछा नहीं छुड़ा पाई क्योंकि आवाज कहीं बाहर से नहीं आ रही थी बल्कि उसके जेहन में ही थी, उसके अपने जेहन में।कैथरीन के साथ अक्सर ऐसा होता है। कैथरीन को नहीं पता कि वह आवाज किसकी है, बस उसे तो यह पता है यह रहस्यमय आवाज उसे भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं से बचाती है।




