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Sunday, 31 December 2023
Saturday, 30 December 2023
Tuesday, 26 December 2023
मनोहर कहानियां- नवम्बर 1998
रहस्य-रोमांच विशेषांक
मनोहर कहानियां- नवम्बर 1998
हिंदी रोमांच साहित्य में मनोहर कहानियाँ पत्रिका का कभी अतिविशिष्ट नाम रहा है। इलाहाबाद के मित्र प्रकाशन से सन् 1944 में प्रकाशित होने वाली इस पत्रिका में काल्पनिक रोमांचक कहानियों के साथ-साथ सत्य पर आधारित कहानियाँ भी प्रकाशित होती थी। इन कहानियाँ में अपराध पर आधारित कहानियाँ ही होती थी। इसके अतिरिक्त छोटी-छोटी रोचक जानकारियाँ भी समाहित थी।
लम्बे समय पश्चात मनोहर कहानियाँ पत्रिका का एक पुराना अंक 'नवम्बर 1998' पढने को मिला। यह अंक 'रहस्य- रोमांच' विशेषांक है।
इस अंक की प्रथम रचना है 'सलमान खान-मुल्जिम बने शिकार के'
Monday, 18 December 2023
किताब के खूनी- आरिफ मारहर्वी
जासूस कैसर निखट्टू का कारनामा
किताब के खूनी- आरिफ मारहर्वी
कैसर ने चारों हाथ पैर तानकर एक लम्बी अंगड़ाई ली और किताब पर नजरें जमा दीं, जो उसे अभी-अभी भेज पर पड़ी हुई दिखाई दी थीं । थोड़ी देर पहले ही कैसर बाहर से आया था। उसके चेहरे पर हल्की सी थकान थी। लेकिन किताब देखते ही सारी थकान गायब हो गई। उसने आँखों को दायरे की शक्ल में घुमाया और हाथ बढ़ाकर किताब उठा ली ।
किताब के ऊपरी पेज पर लिखा था- 'लेडी चेटर्लीज लवर ।'
ऐसी ही एक किताब सब इंस्पेक्टर इरफान को भी मिलती है।
अचानक इर्फान की निगाह सोफे के सामने वाली मेज पर चली गईं। एक मोटी सी किताब देखकर वह जरा सा श्रागे को झुका । उसने किताव के टाइटिल पेज पर निगाह डाली और फिर एकदम सीधा होकर बैठ गया ।
किताब के टाइटिल पेज पर लिखा था- 'लेडी चेटर्लीज लवर ।'
इस बदनाम किताब से वह भली भाँति परिचित था । लेकिन जब जासूस कैसर और सब इंस्पेक्टर इरफान ने उस किताब को खोल कर देगा तो दोनों के होश उड़ गये, वह कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
हिंदी रोमांच कथा साहित्य में आरिफ मारहर्वी साहब का नाम एक सशक्त लेखक के तौर पर जाना जाता है। जहाँ उन्होंने जासूसी साहित्य की रचना की वहीं सामाजिक उपन्यास लेखक भी किया है। आरिफ साहब को विशेष प्रसिद्धि 'राजवंश' नाम से मिली थी, राजवंश नाम से उन्होंने सामाजिक उपन्यास लिखे हैं।इसके अतिरिक्त आरिफ मारहर्वी साहब ने कुछ फिल्मों के लिए लेखक भी किया है। मिथुन चक्रवर्ती अभिनीत फिल्म सुरक्षा (1979) की कहानी आरिफ मारहर्वी साहब ने 'राजवंश' नाम से ही लिखी थी।
उपन्यास साहित्य में आरिफ मारहर्वी साहब ने सीक्रेट सर्विस के जासूस कैसर हयात 'निखट्टू' को लेकर उपन्यास लिखे हैं।
प्रस्तुत उपन्यास कैसर 'निखट्टू' सीरीज का एक जासूसी उपन्यास है।
जासूस कैसर और सब इंस्पेक्टर इरफान को फोन कर कोई अज्ञात महिला होटल पर मिलने के लिए बुलाती है।
'तो फिर कब मिल रहे हो ?'
'जब तुम कहो ।'
'आज ही ।'
'कब ?'
'ठीक साढ़े आठ बजे ।'
'कहाँ ?'
'इम्पायर होटल कमरा नम्बर सोलह।'
जब दोनों अलग-अलग और एक समय वहाँ पहुंचे तो कमरा उन्हें खुला मिला, और वहाँ था सन्नाटा।
इन्स्पेक्टर इर्फान बैडरूम की ओर बढ़ गया। बैडरूम के अन्दर भी रोशनी थी। दरवाजा बन्द था। इर्फान ने दरवाजे के पास पहुँचकर दरवाजे पर धीरे से हाथ रखा। दरवाजा खुलता चला गया ।
इर्फान रिवाल्वर निकालकर फुर्ती से अन्दर चला गया ।
लेकिन बैड पर निगाह पड़ते ही उसके मस्तिष्क को एक जबर्दस्त झटका लगा। बैड पर एक लाश पड़ी थी, जिसका सिर, दोनों हाथों के पंजे और टखनों तक पैर गायब थे। लाश सीधी थी। उस पर कोई कपड़ा न था। बिस्तर पर और बिस्तर से नीचे ढेर सारा खून जमा हुआ था।
अब दोनों के मस्तिष्क में यही प्रश्न थे की यह लाश किसकी है? फोन पर यहाँ बुलाने वाली महिला कहां गायब है? और वह महिला कौन थी?
इस रहस्य का पता लगाने के लिए सीक्रेट सर्विस का जासूस कैसर 'निखट्टू' कोशिश करता है और अपने उद्देश्य में सफल होता।
कैसर के परिश्रम से अंत में वास्तविक अपराधी पकड़ा जाता है।
आरिफ मारहर्वी साहब द्वारा लिखित उपन्यास 'किताब के खूनी' कथास्तर पर अत्यंत कमजोर उपन्यास है। उपन्यास को आरम्भ में रोचक बनाने के लिए किताब और मानव अंगों का जिक्र किया गया है लेकिन जब उनके तर्क सामने आते हैं तो वह पूर्णतः गलत प्रतीत होते हैं।
अपराधी जब अपराध करता है तो वह अपराध छुपाने की कोशिश करता है न की उस अपराध के सबूत पुलिस विभाग को भेजने की कोशिश करता है।
वहीं अपराधी वर्ग कैसर को पकड़ना चाहता है और उसे पकड़ने का तरीका ऐसा है जैसे हाथ को उल्टा घूमाकर कान पकड़ना हो।
उपन्यास में अपराधी वर्ग तस्करी से जुड़ा हुआ है और वह कैसर को उलझाने के लिए अजीबोगरीब परिस्थितियाँ पैदा करता नजर आता है।
ऐसी अतार्किक बातों/घटनाओं के कारण उपन्यास बहुत ही कमजोर महसूस होता है।
उपन्यास में छोटे-छोटे कथन देकर पृष्ठों की बढोतरी की गयी है, मुझे ऐसा लगता है।
उदाहरण देखें-
एक समय था जब उपन्यासों में पात्र कर्नल, कैप्टन आदि होते थे। यहाँ भी कुछ पात्रों के ऐसे नाम हैं।
जैसे-
कैप्टन रहमान, लेफ्टिनेंट दीपक, मेजर राणा।
यह सब कैसर के अधीनस्थ हैं।
'उस इमारत की निगरानी पर केप्टिन रहमान और लेफ्टिनेन्ट दीपक को नियुक्त कर दिया जाए ।'
'ओ० के० सर ।'
'इसके बाद मेजर राना को इम्पायर होटल पहुंचना है।
पाठक मित्रो,
यह चर्चा थी आरिफ मारहर्वी जी के उपन्यास 'किताब के खूनी' की। जो की एक सामान्य से भी कम स्तर का उपन्यास है।
अगर आपने यह उपन्यास पढा है तो अपने विचार अवश्य शेयर करें।
धन्यवाद
उपन्यास- किताब के खूनी
लेखक- आरिफ मारहर्वी
प्रकाशक- स्टार पॉकेट बुक्स, दिल्ली
पृष्ठ- 124
प्रकाशन तिथि- may 1971
Monday, 4 December 2023
Saturday, 2 December 2023
महाबली टुम्बकटू- वेदप्रकाश शर्मा
चीन में टुम्बकटू और विकास का हंगामा
महाबली टुम्बकटू- वेदप्रकाश शर्मा
लम्बे, तगड़े और शक्तिशाली इन्सान ने सिगरेट में अंतिम कश लगाया और फिर ध्यान से उस सात-मंजिली इमारत को देखा। इस समय वह उस इमारत से लगभग पचास गज दूर झाड़ियों में खड़ा हुआ था। उसके जिस्म पर एक स्याह पतलून और गर्म लम्बा ओवरकोट था। सिर पर एक अजीब-सी गोल कैप थी। हाथों पर सफेद दस्ताने चढ़े हुए थे। समय रात्रि के दो बजे का था और सरदी नलों में जल को जमा देने वाली थी। आसपास गहरी निस्तब्धता का साम्राज्य था। यह सात-मंजिली इमारत राजनगर से थोड़ा अलग एकान्त में थी। अतः यहां यह केवल एक ही इमारत थी। (महाबली टुम्बकटू के प्रथम पृष्ठ से)
वेदप्रकाश शर्मा उपन्यास साहित्य में एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके द्वारा रचित पात्र आज भी अमर हैं, उनके पात्रों को आधार बना कर बहुत से उपन्यासकारों ने उपन्यास लिखे हैं और आज भी लिखे जा रहे हैं। हालांकि यह पात्र स्वयं वेदप्रकाश शर्मा जी ने आदरणीय वेदप्रकाश काम्बोज जी के उपन्यासों से लिये हैं और उनमें कुछ अपने पात्र भी शामिल किये हैं।
वेदप्रकाश शर्मा जी के आरम्भिक उपन्यास स्थापित पात्रों कर क्रियाकलाप ही वर्णित होते रहे हैं, ज्यादातर कथानक अंतरराष्ट्रीय अपराधी वर्ग, विदेशी जासूसों से टकराव आदि।
प्रस्तुत उपन्यास की कहानी भारत और चीन के जासूसों के बीच संघर्ष की कहानी है।
Thursday, 30 November 2023
बोलने वाली खोपड़ी- चंदर (आनंदप्रकाश जैन)
अदृश्य मानव का द्वितीय भाग
बोलने वाली खोपड़ी- चंदर (आनंदप्रकाश जैन)
चंदर द्वारा लिखित उपन्यास 'बोलने वाली खोपड़ी' एक शृंखला का भाग है जो 'अदृश्य मानव' सीरीज से जानी जाती है। 'अदृश्य मानव' सीरीज भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित एक रोचक और क्रांतिकारी सीरीज है।पाठक मित्रो, हमने 'अदृश्य मानव' उपन्यास के विषय में बात की थी, जहाँ कोटद्वार रियासत ध्वस्त कर दी जाती है। वहाँ के राजा और रानी सुरक्षित बच सके या नहीं कुछ पता नहीं चलता, अदृश्य मानव के साथी प्रमोद का क्या हुआ, गोपालशंकर को एक ब्रिटिश सहयोगी जूली मिलती है, जैसे कुछ तथ्य अदृश्य मानव में अधूरे रह गये थे। प्रस्तुत उपन्यास 'बोलने वाली खोपड़ी' में हमें उन अधूरे प्रश्नों के उत्तर भी मिलेंगे और प्रस्तुत उपन्यास में रोचक कहानी भी।अदृश्य मानव उपन्यास में कोटद्वार रियासत ध्वस्त होने का बाद अंग्रेज सरकार और पण्डित गोपालशंकर को यह लगता है कि उन्होंने ने अदृश्य मानव को खत्म कर दिया परंतु उस घटना के चार वर्ष पश्चात अदृश्य मानव फिर जबरदस्त वापसी करता है।
उपन्यास का आरम्भ एक ज्वैलर्स के यहां डकैती से होता है और फिर पता चलता है की शहर में चार बड़ी डकैतियां हुयी है, जिनके पीछे अदृश्य मानव का हाथ। और अदृश्य मानव क्रांति के लिए अंग्रेजों के सहायक, धनपति लोगों को लूटना है।
'बड़ा बुरा समाचार है। आज से चार साल पहले मरा हुआ दानव आज फिर जी उठा है।' जॉन निकल्सन ने कहा।
अदृश्य मानव- चंदर
स्वतंत्रता सेनानियों की गाथा और पण्डित गोपालशंकर
अदृश्य मानव- चंदर (प्रथम भाग)
प्रिय भारत वासियों
गुलाम भारत के लिये समय का कुछ मूल्य नहीं होना चाहिये। उन दिनों की प्रतीक्षा कीजिए जिस दिन हम पूर्ण आजाद होकर समय को पहचाना सीखेंगे। अंगरेजों की प्रभुता की वह पुरानी यादगार हमारी गुलामी की घड़ियों को डंके की चोट बजाकर घोषित कर रही थी। इसको मिटाने के साथ-साथ अंग्रेजों के विरुद्ध 'अदृश्य मानव' की ओर से अनवरत युद्ध की पूर्ण घोषणा है। सावधान उपयुक्त समय के लिये तुम्हारी आवश्यकता पड़ेगी । (अदृश्य मानव- उपन्यास अंश) अदृश्य मानव उपन्यासकार चंदर द्वारा लिखित उपन्यास का घटनाक्रम सन् 1947 से पूर्व का है। जब भारत पर ब्रिटेन का शासन था। ब्रिटेन के अत्याचारों से तंग आकर भारतीय जनमानस ने उनके विरुद्ध संघर्ष का ऐलान किया था।
यह कहानी ऐसे ही कुछ शूरवीरों की है जिन्होंने अपने प्राणों का मोह त्याग कर भारत की स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व त्याग दिया था।Wednesday, 29 November 2023
भटके हुये- चंदर
नीले फीते के शिकारी
भटके हुये- चंदर
अपराधी दुनिया में 'ब्लू फ़िल्मों' का एक देशव्यापी व्यापार चल रहा है । चन्दर का पहला उपन्यास 'नीले फ़ीते का जहर' जो पाठक पढ़ चुके हैं, वे अपराधी संसार की इस महामारी से अच्छी तरह परिचित हैं। अब इस उपन्यास में दिल थाम कर, थ्रिल-पर-थ्रिल का आनन्द लेते हुए, इसके नायक आनन्द और आशा के साथ डूबते-उतराते चले चलिए अपराधों के उस बड़े अड्डे पर, जहां हत्या, बलात्कार और वासना के नग्न नृत्यों के बीच निर्दोषों की आत्माओं को सताया जाता है, और जहां कभी-कभी यह भी प्रतीत होता है कि अनवर जैसे सच्चे दोस्त की जांफ़िशानी से पाप का घड़ा अचानक फूट जाता है । (उपन्यास के आवरण पृष्ठ से)
प्रसिद्ध बाल पत्रिका 'पराग' के संपादक श्री आनंद प्रकाश जैन जी ने 'चंदर' के नाम से उपन्यास लेखक किया है।Friday, 24 November 2023
मौत घर- चंदर (आनंद प्रकाश जैन)
भोलाशंकर का 16वां उपन्यास
मौत घर- चंदर (आनंद प्रकाश जैन)
भोलाशंकर चार दिन से परेशान था।
परेशानी की वजह थी नारीत्व की वह पूर्ण प्रतिमा, जिसे वह दिलोजान से चाहता था। वह उसके नाज-नखरे बर्दाश्त करता था । यह भी सही है कि जब उसे कोई एसाइनमेंट मिलता था, तो कभी- कभी वह उसे गचका देकर भी गोल हो जाता था। मगर अक्सर वह उसे कहकर जाता था कि वह कम-से-कम चार दिन, पांच दिन, हफ्ता-दो हफ्ता उसका इंतज़ार न करे, क्योंकि उसकी कम्पनी का मैनेजर बहुत 'हरामी' है, और उसे सूंघ लग गई है कि वह किसी से प्रेम करने लगा है। इसलिए वह कम्पनी का माल बेचने के लिए अपने सबसे बड़े सेल्समैन को लम्बे-लम्बे मोर दूर-दूर के एसाइनमेंट देता है।
जो भी हो, सविता ने कभी उसके सैल्समैन होने पर विश्वास नहीं किया- खास तौर से इतने बड़े सेल्समैन होने पर कि उसे बार- बार विदेशों का दौरा करना पड़े। मगर वह समझदारी में साधारण लड़कियों को कहीं पीछे छोड़ देती थी, इसलिए उसने कभी भोला- शंकर को ज़िद करके झुठलाया नहीं था, और कभी यह कोशिश भी नहीं की थी कि उसकी असलियत नकलियत का पता लगाए। उसने अपना नियम बना रखा था कि वह रोज सुबह छह बजे और रात को नौ बजे उसे फोन करती थी, और उसका नौकर रामू खुशामदी स्वर में फोन पर उत्तर देता था- 'हाय, बीबी जी, अगर भगवान ने कभी मेरा शादी बनाया, तो हम कभी अपनी बीबी को छोड़कर परदेस नहीं जाएगा।" (मौत घर उपन्यास के प्रथम पृष्ठ से)
जासूसी कथा साहित्य में चंदर के उपन्यास काफी रोचक रहे हैं। चंदर का मूल नाम आनंदप्रकाश जैन था जो टाइम्स ऑफ इण्डिया समाचार पत्र में कार्यरत थे और प्रसिद्ध बाल पत्रिका 'पराग' के संपादक रहे हैं। बाल साहित्य के साथ-साथ चंदर ने जासूसी उपन्यास लेखक में नाम कमाया है।Wednesday, 22 November 2023
मौत की घाटी में- चंदर ( आनंदप्रकाश जैन)
भोलाशंकर की चीन यात्रा
मौत की घाटी में- चंदर ( आनंदप्रकाश जैन)
उस खूबसूरत घाटी में एक पुराना किला था और किले में एक बौद्ध मठ । दूर-दूर से धार्मिक लोग आते और मठाधीश को माथा नवाते । लेकिन वे बेचारे नहीं जानते थे कि पर्दे के पीछे कौन-सा नाटक चल रहा है; दुनिया भर में फैली चीन की भयानक जासूसी का उस किले से क्या सम्बन्ध है ! इन प्रश्नों के सही उत्तर पाने और चीन के जासूसी षड्यन्त्र को समाप्त करने के लिए भोलाशंकर उस मौत की घाटी में पहुंचा
लोकप्रिय जासूसी उपन्यासकार चन्दर ने अपने इस नवीनतम उपन्यास में राजनैतिक जासूसी के कुछ ऐसे हथकंडों पर प्रकाश डाला है, जो अब तक रहस्य बने हुए थे।जासूसी उपन्यास साहित्य में चंदर का नाम काफी चर्चित रहा है। उनके द्वारा सृजित पात्र पण्डित गोपालशंकर और भोलाशंकर को पाठक याद करते हैं। चंदर महोदय ने भोलाशंकर को भारतीय जेम्स बॉण्ड बनाने की हल्की सी कोशिश की है, लेकिन विशेष कोशिश नहीं की गयी। इन दिनों में चंदर द्वारा लिखित कुछ उपन्यास पढे हैं, जैसे- चांद की मल्का, मकड़ा सम्राट, कोहरे में भोलाशंकर, रूस की रसभरी इत्यादि। उपन्यास मुझे रोचक लगे।
अब बात करते हैं भोलाशंकर सीरीज के उपन्यास 'मौत की घाटी में'।
"चीन के प्रधानमंत्नी चाऊ एन-लाई भारत आ रहे हैं।"
"क्यों आ रहे हैं ?"
"किसलिए आ रहे हैं ?"
"क्या अब भी हमसे 'हिन्दी चीनी भाई-भाई' का नारा लगाने को कहा जाएगा ?"
"हूं, दोस्ती का ढोंग रचकर पीठ में छुरा भौंकने वाले क्या अब भाड़ झोंकने आ रहे हैं ?"
"नेहरूजी को भी क्या कहा जाए, शांति के दुश्मन से शांति-वार्ता की सोच रहे हैं !"
"मैं कहता हूं, हम लोगों में पुरुषत्व ही नहीं रह गया है। इस देश में महात्मा गांधी जैसी महान् आत्माओं को गोली मार देने वाले लोग तो पैदा हो गए, मगर ऐसे विश्वासघाती मज़े से आकर सही- सलामत लौट जाते हैं।"
Monday, 20 November 2023
रूस की रसभरी- चंदर
अपराधी संगठन सपेरा और भोलाशंकर
रूस की रसभरी- चंदर
प्रथम भाग
प्रसिद्ध बाल पत्रिका 'पराग' के संपादन अच्छे जासूसी उपन्यासकार भी थे। उन्होंने अपने वास्तविक नाम आनंद प्रकाश जैन के अतिरिक्त 'चंदर' नाम से भी उन्होंने उपन्यास रचना की है।जेम्स बाण्ड जैसा प्रसिद्ध पात्र पण्डित भोलाशंकर उनका प्रसिद्ध पात्र है। प्रस्तुत उपन्यास 'रूस की रसभरी' भोलाशंकर का उपन्यास है। जिसका कथानक अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर आधारित है। जहाँ कुछ कुख्यात लोग भारत के वैज्ञानिक फार्मूलों को चुराना चाहते हैं और उनके सामने खड़ा है भारतीय जेम्स बाण्ड पण्डित भोलाशंकर ।
भारत की अन्यतम स्पाई-संस्था 'स्वीप' का नंबर वन कार्ड, भोला शंकर अपने पिता तथा 'स्वीप' के अधिष्ठाता कर्णधार पं० गोपालशंकर की प्रायवेट सेक्रेटरी मिस अशरफ की केबिन के पास पहुंचा, तो उसने वहां सुन्दर सिंह ब्रह्मचारी को टहलते पाया उसने भोलाशंकर को देखते ही धीरे से कहा, ''गुरु, जल्दी अन्दर पहुंचो।''
''क्यों, क्या बात है ?''- भोलाशंकर ने पूछा ।
जब भोलाशंकर अंदर पहुंचा तो उसने जाते ही प्रश्न किया- 'हाँ, तो भई, क्या मसला है । जिसमें हमारी दखलबाजी की जरूरत आ पड़ी ?'
Sunday, 12 November 2023
टापू का शैतान - चंदर (आनंदप्रकाश जैन)
कहानी रहस्यमयी टापू की
टापू का शैतान - चंदर (आनंदप्रकाश जैन)
हिंदी जासूसी कथा साहित्य के प्रसिद्ध लेखक 'चंदर'(आनंद प्रकाश जैन) ने भोलाशंकर शृंखला के काफी उपन्यास लिखे हैं। और नवम्बर माह (2023) में मैं सतत् चंदर के उपन्यास पढ रहा हूँ। इनमें से कुछ रोचक, कुछ मध्यम और कुछ औसत उपन्यास पढने को मिले हैं।
चंदर द्वारा लिखित 'टापू के शैतान' तात्कालिक समय में लिखे जा रहे उपन्यासों की शृंखला का ही एक उपन्यास है। इस विषय पर आगे चर्चा करते हैं।
अत्यंत गोपनीय जासूसी संस्था के चीफ पण्डित गोपालशंकर और उनके जासूस पुत्र भोलाशंकर शृंखला के इस प्रस्तुत उपन्यास की बात करते हैं।
भोला शंकर ने पर्दा उठाकर कमरे में प्रवेश किया ।
गोपाल शंकर रुककर पलटे !
जब उसने उनके पैर छुये तो मुस्करा कर पंडित जी ने आशिर्वाद दिया । तत्पश्चात उसे बैठने का संकेत करके स्वय भी बैठ गये ।
अपना बुझा हुआ सिगार सुलगा कर उन्होंने गहरा कश खींचा और उसका नीला धुवा भोलाशंकर के चेहरे की ओर छोड़ते हुए बोले- 'बहुत आराम कर लिया बरखुदार।'
'जी हां कुछ बोरियत भी महसूस करने लगा था ।'
'अब तुम्हारी बोरियत भी समाप्त हो जायेगी, साथ हो कुछ काम भी कर लोगे ।'
'हुक्म कीजिये ।'
'नम्बर वन तुम्हें एक केस साँप रहा हूं ।'
Saturday, 11 November 2023
कोहरे में भोलाशंकर- चंदर
स्वीप के गुप्तचर का कारनामा
भोलाशंकर कोहरे में - चंदर
उसके मस्तिष्क में जैसे जबरदस्त शाॅट लगा हो। एक के बाद एक कई दृश्य उसके मस्तिष्क में उभरने लगे। उसके एक हाथ में रिसीवर था जो उसके कान से सटा हुआ था ।उसकी आँखों के सामने एक चेहरा मंडराने लगा।
एक खूबसूरत चेहरा-
यह चेहरा शीरी के अलावा किसी का नहीं था ।
शीरी - एक खूबसूरत युवती जिसकी मुलाकात लगभग एक सप्ताह पहले हुई थी और तभी से वह उसके साथ ही रहता था ।
लेकिन टेलीफोन पर कहे जाने वाले शब्दों पर उसे विश्वास नहीं हो रहा था। अभी वह कुछ सोच ही रहा था कि चौंक पड़ा ।
'खामोश क्यो हो गये बरखुर्दार ?' उसके कानों से भारी आवाज टकराई। यह आवाज और किसी की नहीं वरन् उसके चीफ पंडित गोपालशंकर की थी।
अभी वह कुछ कह भी नहीं पाया था कि कानों से फिर वहीं स्वर टकराया- 'तुम्हें उसी शीरी का पीछा करना है जिसके बारे में तुम सोच रहे हो और यह तो तुम जानते हो कि इस समय में तुम वह कहां ठहरी हुई है ।'
'जी हां वह तो जानता हूँ लेकिन।'
उसकी बात काटकर पंडित गोपालशंकर बोले लेकिन वेकिन नहीं चलेगा। तुम्हे ठीक ग्यारह बजे होटल पहुंच जाना है। उसी समय शीरी नाम की वह युवती बाहर निकलेगी तुम्हें बड़ी सतर्कता से उसका अनुसरण करना है।'
उसके चीफ उसे उसी युवती का अनुसरण करने को कह रहे थे जो उससे खुद सहायता मांग रही थी । उसकी समझ में नहीं था रहा था कि वह क्या करे। वैसे उसके चीफ की कही बात पत्थर की लकीर थी। उसने आज तक अपने चीफ के आदेश का उल्लंघन नहीं किया था। (कोहरे में भोलाशंकर )
अत्यंत गुप्त भारतीय सीक्रेट सर्विस 'स्वीप' के चीफ का नाम गोपालशंकर हैं। और उनका पुत्र भोलाशंकर इस संस्था का श्रेष्ठ जासूस है।
Friday, 10 November 2023
Wednesday, 8 November 2023
चांद की मल्का- चंदर
पण्डित भोलाशंकर की चन्द्र यात्रा
चाँद की मल्का- चंदर
वर्तमान उपन्यास साहित्य में जहां मर्डर मिस्ट्री का समय है, वहीं इस क्षेत्र में एक समय ऐसा भी था जहां लेखक पाठकों को काल्पनिक दुनिया की यात्रा करवाते थे। ऐसा ही एक उपन्यास प्रसिद्ध लेखक चंदर का 'चाँद की मल्का' है, जो पाठकों को चांद पर रहने वाले लोगों से मिलाता है।
भारतीय लोगों का विश्वास है की चंद्रमा पर एक बुढिया बैठी चरखा कातती है। और गुप्त भारतीय जासूस संस्था 'स्वीप' का प्रसिद्ध जासूस पण्डित भोलाशंकर जब उस बुढिया से मिला तो....
हिंदी जासूसी साहित्य में चंदर का एक विशेष नाम रहा है। चंदर के उपन्यासों में गोपालशंकर नामक गुप्तचर है। प्रस्तुत उपन्यास इन्हीं गोपालशंकर की चन्द्र यात्रा की कहानी है।
पृथ्वी से दो लाख अड़तीस हजार मील दूर हमारा रहस्यपूर्ण पड़ोसी चांद है | चांद को देखक हमारे क्षेत्र शीतल हो जाते हैं। हमारे बच्चे चांद को मामा कहते हैं। चांद पृथ्वी का मित्र है, उसका अभिन्न सखा है । चाद के प्रकाश के लिए प्रेमियों के हृदय बेचैन रहते हैं और जब उन्हें चांदनी में एक बार एक दूसरे से मिल पाने का सौभाग्य मिल जाता है, तो वे हृदय और भी बेचैन हो जाते हैं। ऐसा इस चांद में क्या है ? मां बच्चों को चांद की ओर संकेत करके कहती है- देखो, चांद में एक बुढ़िया बैठी चरखा कात रही है। लाखों बरसों से यह बुढ़िया काततो जा रही है—न सूत खत्म होता है, न कातना रुकता है, न बुढ़िया मरती है । कैसी रहस्यपूर्ण है यह बुढ़िया।
इस बुढ़िया से भेंट करने के लिये पण्डित गोपालशंकर का राकिट तेजी के साथ चांद के निकटतर आता जा रहा है । (उपन्यास अंश)
Friday, 20 October 2023
Wednesday, 18 October 2023
576. कौन है मेरा कातिल- राकेश पाठक
तलाश अपने ही कातिल की
कौन है मेरा कातिल- राकेश पाठक
कोई इन्वेस्टीगेटर कत्ल होने के पश्चात् जब कातिल की तलाश करता है तो उसकी चेष्टा होती है कि वो जल्द-से-जल्द कातिल को पकड़े और अपने काम से छुट्टी पाये। वो अगर कानून का मुहाफिज है तो उसकी खोज के पीछे कर्त्तव्यनिष्ठता होती है, या कानून की सेवा करने के जज्बात। जबकि पेशेवर जासूस को अपनी फीस से सरोकार होता है।
परन्तु - किसी को अपने ही कातिल की तलाश हो, वो अपने कातिल को ढूंढकर उससे बदला लेने को तड़प रहा हो तो... तो उसके मनोभाव क्या होंगे? उसके दिल और दिमाग में सोचों के कौन-कौन से आंधी-तूफान चल रहे होंगे?
बस, इसी सवाल के दिमाग में आने पर इस उपन्यास का आइडिया अंगड़ाइयां लेने लगा और फिर एक हैरतअंगेज कथानक का जन्म हो गया, जिसमें रहस्य व रोमांच के साथ इन्वेस्टीगेशन का नया आयाम भी सम्मिलित हो गया।
कमल नामक एक ऐसे पात्र की संरचना हो गयी जो अपने कातिल के बारे में जानने के लिये व्याकुल है-उसे पकड़कर इन्तकाम लेने को बेताब है। क्या वो जान पायेगा कि उसका कातिल कौन है और उसके कातिल ने उसे क्यों कत्ल किया है? क्या वो अपने कातिल को पकड़कर उससे अपने कत्ल का इन्तकाम ले पायेगा?
मुझे पूरा विश्वास है कि जब कातिल का चेहरा सामने आयेगा तो आपको एकबारगी तो यकीन ही नहीं होगा- जब यकीन होगा तो आप मारे हैरत के उछल ही पड़ेंगे। आपने बहुत से उपन्यास पढ़े होंगे, बहुत-सी फिल्में भी देखी होंगी, लेकिन इस उपन्यास के जैसा 'क्लाईमैक्स' या अन्त नहीं पढ़ा होगा, नहीं देखा होगा, नहीं सुना होगा ।
Sunday, 1 October 2023
575. रहस्यमय लड़कियां- सुरेन्द्र इलाहाबादी
मेरा नाम ही मेजर नहीं, मैं काम में भी मेजर हूँ।
रहस्यमय लड़कियां- सुरेन्द्र इलाहाबादी
एक समय था जब उपन्यास साहित्य का केन्द्र इलाहाबाद था। इलाहाबाद का 'पुष्पी कार्यालय' उपन्यास प्रकाशन में अग्रणी था। जहाँ से बहुत अच्छे जासूसी उपन्यास प्रकाशित होते रहे हैं।सुरेन्द्र इलाहाबादी के उपन्यास भी यहीं से प्रकाशित होते थे। यह नाम वास्तविक है या छद्म यह तो कहना संभव नहीं है। इनका एक उपन्यास 'रहस्यमयी लड़कियां' पढने को मिला, जो एक रोचक मर्डर मिस्ट्री उपन्यास है।
मेजर का नया अदभुत कारनामा
रहस्यमय लड़कियां
जो भी लड़की मरी हुई मिलती उसके गले में नायलोन का मोजा होता आँखें बाहर को उछली हुई होतीं मुँह से जिह्वा की नोक दिखाई देती !
चारों लड़कियाँ एक-से-एक सुन्दर थीं चारों सुशिक्षिता थीं; आधुनिक थीं उन पर कोई भी प्यार करने को अकुला जाता मगर न जाने हत्यारे को उन पर क्यों तरस नहीं आया ।
हत्याओं की यह अनोखी कहानी है। इसे पढ़ कर रोंगटे खड़े हो जाएँगे यह निराला ही कारनामा है । मेजर का अनोखा कारनामा।
- सुरेन्द्र इलाहाबादी
जासूस मेजर लखनऊ के अपने ऑफिस में बैठा शीरी ओर विजय के साथ मेरठ के हत्याकांड पर विचार विनिमय कर रहा था । तभी मेजर के पास वंदना का फोन आया। मिसेज वन्दना त्रिपाठी को मेजर 'भाभी' कहा करता था । वह उसके अभिन्न मित्र और देश के यशस्वी सर्जन ओमप्रकाश त्रिपाठी की पत्नी थी।
वन्दना बोली - "आप इसी क्षण शिवाजी मार्ग २६ की ऊपरी मंजिल के फ्लैट में चले जाइये । इस इमारत के नीचे 'बंसल एण्ड कम्पनी' का आफिस है। आज इतवार है इसलिए दुकाने बन्द हैं। ऊपरी मंजिल के फ्लैट के बाहर ताला लगा हुआ है। और मैं अन्दर कैद हूँ ।"
Tuesday, 19 September 2023
574. साधु, संत और फकीर- बिमल चटर्जी
अत्याचार और बदले की कहानी
साधु, संत और फकीर - बिमल चटर्जी
हिंदी जासूस कथा साहित्य में बहुत से लेखक हुये हैं जिन्होंने बहुत कुछ लिखा है और अपने समय में प्रसिद्धि भी प्राप्त की है। ऐसे ही एक लेखक हुये है बिमल चटर्जी, बिमल चटर्जी ने टैंजा सीरीज लिखी थी, जो काफी प्रसिद्ध रही है।बिमल चटर्जी का मेरे द्वारा पढा गया यह प्रथम उपन्यास है जो एक बदला प्रधान कथा पर आधारित एक्शन उपन्यास है।
सेन्ट्रल जेल
वह एक लम्बा तड़ंगा जवान था । लम्बोत्तरा चेहरा, भरी दाढ़ी मुछें, लाल लाल सुर्ख आँखें। सिर के बाल काले किन्तु छोटे छोटे, चेहरा विचित्र सी कठोरता लिए हुए, हाथ और पैर मजबूत।
Sunday, 17 September 2023
573. विकास और चीनी दरिंदे- अशोक तरुण
विकास और चीनी दरिंदे - अशोक तरुण
लेखक अशोक तरुण का नाम भी पहली बार सामने आया है और उनका लिखा उपन्यास भी पहली बार ही पढा है। प्रस्तुत उपन्यास 'विकास और चीनी दरिंदे' विजय-विकास सीरीज का अंतरराष्ट्रीय कथानक पर आधारित है। और इसी कथानक पर एक और उपन्यास भी पढा था।
बादल इतनी जोरों से गर्ज मानो आसमान फट पड़ा हो । बिजली की तीव्र चमक ने सम्पूर्ण आसमान को एकबारगी प्रकाशित किया और फिर बादलों में ही लुप्त हो गई । इसके साथ पड़ने बाली वर्षा की बूंदों की मोटाई कुछ और बढ़ गई ।
सड़कों पर चारों तरफ पानी इस प्रकार से बह रहा था मानो किसी बांध को तोड़ दिया गया हो । चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा था । यह मूसलाधार बारिश शाम से ही आरम्भ हो गई थी फिर ज्यों-ज्यों समय बीतता गया वर्षा में निरन्तर तेजी आती चली गई । इस समय रात के दो बजने जा रहे थे। शाम छः बजे से हो रही इस मूसलाधार बारिश ने जल-थल एक कर दिया था। चारों तरफ गहरी खामोशी व सन्नाटे का साम्राज्य छाया हुआ जिसमें तेजी से पड़ती बूंदों और बादलों की गर्ज ने अत्यधिक भयंकर बना दिया था । (उपन्यास के प्रथम पृष्ठ से)
उपन्यास का आरम्भ प्रसिद्ध वैज्ञानिक अय्यर के सहयोगी मोहन के कत्ल से होता है। मोहन एस.पी. रघुनाथ और जासूस विजय का सहपाठी रहा है।Wednesday, 23 August 2023
572. करिश्मा आँखों का - टाइगर
आखिर क्या रहस्य था उन नीली आँखों का
करिश्मा आँखों का - टाइगर
"यानि तुम अंधे नहीं हो ?"
"नहीं ।'
"तुम... तुम शुरू से ही अंधे नहीं थे फिर भी तुम मुझे धोखा देते रहे ? सारी दुनिया को धोखा देते रहे? क्यों ? क्यों किया तुमने यह नाटक ?” - सोना तिलमिलाकर बोली - "क्यों किया तुमने ऐसा ?"
"यह नाटक मुझे करने पर मजबूर होना पड़ा।"- अशोक इस बार दांत भींचकर गुर्रा उठा- "अगर यह नाटक नहीं किया होता तो मैंने इस दुनिया का असली रूप शायद आज भी न पहचाना होता। यह सच है सोना, आज मैं अंधा नहीं हूं । लेकिन मैं अंधा था, आंखें होते हुए भी मैं अंधा था। तभी तो इस दुनिया की हकीकत को नहीं देख रुका था मैं तभी तो मैं सांप को भी रस्सी समझता रहा— तभी तो मैं नागों को अपनी आस्तीन में पालकर दूध पिलाता रहा।" (उपन्यास अंश)
प्रस्तुत उपन्यास का कथानक डाक्टर कामत के द्वारा अशोक प्रधान के किये गये ऑप्रेशन से होता है। डॉक्टर कामत का यह ऑप्रेशन तो सफल हो जाता है लेकिन वह अशोक प्रधान के शांत जीवन में तूफान खड़ा कर देता है, अशोक का विश्वास और दुनिया दोनों ही खत्म हो जाते हैं।Saturday, 19 August 2023
571. लाश की जिंदा आँखें- टाइगर
कैसा अनसुलझा रहस्य था वो, आंखें तो जिन्दा थी, मगर इन्सान लाश में तबदील हो चुका था। (उपन्यास के अंतिम आवरण पृष्ठ से)
राजा पॉकेट बुक्स के लेखक 'टाइगर' के उपन्यास रहस्य-रोमांच के साथ-साथ हास्य से परिपूर्ण होते हैं। इनका रहस्य जितना कथा में होता है उतना ही उपन्यास शीर्षक में भी। उपन्यास शीर्षक देखें- लाश की जिंदा आँखें, मुँह बोला पति जैसे शीर्षक पाठक को सहज ही आकृष्ट कर लेते हैं। उस पर अगर आप टाइगर के नियमित पाठक हैं तो आपको पता ही है टाइगर के उपन्यासों में जो कथा कहने का तरीका, हास्य रस और आमजन पात्रों का वर्णन होता है वह बहुत प्रभावित करता है।
प्रस्तुत उपन्यास 'लाश की जिंदा आँखें' अपने समय का अत्यंत चर्चित उपन्यास रहा है। इसका कथानक एक बैंक डकैती से आरम्भ होता है।
कथा का मुख्य पात्र है बाबू राव पेंडरकर जो एक सजाप्राप्त, उम्रदराज व्यक्ति है और उसके साथ है उस जैसे ही तीन और सदाबहार दोस्त।
Monday, 14 August 2023
570. मौत सस्ती है - राज भारती
क्या विनोद खन्ना ने की थी एक हेरोइन की हत्या?
मौत सस्ती है- राज भारती
'सब झूठ है ।' आवेश में उसकी आवाज कांपने लगी 'पाल पहले ही कहता था कि ऐसा होगा वह जानता था कि उसको जीवित नहीं छोड़ा जायेगा। मैं जानती हूं कि तुम्हारे ही किसी आदमी उसकी जिन्दगी का सौदा कर डाला होगा।' - उसकी आंखों में अब आंसू झलक आये - 'वह पहले ही कहता था... तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिये।'
विजय बोला - 'वह महज दुर्घटना ही है। मैं खुद बाथरूम के बाहर मौजूद था । बाथरूम में दरवाजे के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं है।'-
कमल उसे घूरती रही, उसके होंठ अब भी कांप रहे थे । (मौत सस्ती है- राज भारती)
अनिता एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थी। उसका एक फिल्म अभिनेता से और एक खतरनाक अपराधी से अच्छा संपर्क था। लेकिन एक दिन अनिता अपने घर के स्वीमिंग पूल में मृत अवस्था में पायी गयी। आखिर उसकी हत्या किसने और क्यों की?
पुलिस सुपरिडेटेंड रघुनाथ और जासूस विजय जब अभिनेत्री सुनीता के घर पहुँचे तो वहाँ का दृश्य अत्यंत वीभत्स था। अनीता के साथ-साथ घर के नौकरों का लाशें यहाँ-वहाँ पड़ी थी।
एक साथ इतने कत्ल।
इतना भयंकर हत्याकांड।
कितनी सस्ती नजर आ रही थी उसे मौत । कार में बैठा विजय वापस जाते समय वह यही सोच था।
Tuesday, 11 July 2023
569. वह कौन था- कर्नल रंजीत
किस्सा चार सौ साल पुराने अभिशाप का
वह कौन था- कर्नल रंजीत
हिंदी जासूसी साहित्य में कर्नल रंजीत का एक अलग ही अंदाज रहा है। इब्ने सफी के बाद कर्नल रंजीत ने ही वह लोकप्रियता प्राप्त की और अपना एक विशेष अंदाज बनाया था।
कर्नल रंजीत के उपन्यासों का नायक मेजर बलवंत है और उसके साथ उसके साथी और प्रिय कुत्ता क्रोकोडायल होता है।प्रस्तुत उपन्यास 'वह कौन था' एक रहस्य कथा है, जिसमेम एक जमींदार परिवार की कथा,कहां लगभग चार सौ साल से एक रहस्य बराबर चल रहा है और वह रहस्य है 'ठाकुर' की उपाधि प्राप्त व्यक्ति की हत्या का होना और यह पिछ्ले चार सौ साल से हो रहा है। क्या यह संभव था? अगर संभव था तो कैसे?
नमस्ते, मैं गुरप्रीत सिंह, श्रीगंगानगर, राजस्थान से पाठक मित्रों के लिए लेकर उपस्थित हूँ कर्नल रंजीत के उपन्यास 'वह कौन था' की समीक्षा।
Friday, 30 June 2023
568. जाल - विकास सी एस झा
क्राइम ब्राच का इंस्पेक्टर उलझा एक जाल में
जाल- विकास सी एस झा
ट्रिपल मर्डर की एक ऐसी गुत्थी, जिसके तारों में क्राइम ब्रांच का एक ऑफिसर चंद्रशेखर त्यागी, खुद उलझ बैठा, और ऐसा उलझा की पनाह मांग गया। लोभ, महत्वाकांक्षा और हवस की एक ऐसी कहानी जिसमें क़ातिल तक पहुंचना तमाम पुलिस और क्राइम ब्रांच के लिए निहायत दुश्वारियों भरा था। ये कहानी क्राइम ब्रांच के उस ऑफिसर, चंद्रशेखर त्यागी के खुद को पाक-साफ साबित करने और उस जद्दोजहद की कहानी है, जिसमें वो गले तक फंसा पड़ा था। ये कहानी एक ऐसी बेइंतहा हुस्न की मल्लिका उर्वशी कालरा की भी कहानी है जिसने पति के होते हुए भी पराये मर्दों से संबंध रखे, बाद में जिसका अंजाम खुद उसके कत्ल के तौर पर सामने आया, और फिर शुरू हुआ कत्ल का एक सिलसिला। क्या क़ातिल पकड़ा गया ? कौन था क़ातिल ? जानने के लिए पढ़ें ये रहस्यमयी कथानक-जाल।
विकास सी एस झा जी का नाम 'लाॅकडाउन' के समय उनकी रचना 'लाॅकडाउन एक उडान' के माध्यम से चर्चा में आया था। प्रथम रचना की सफलता के साथ ही विकास झा साहब लेखन को समर्पित हो गये।मेरे द्वारा विकास सी एस झा जी का पढा गया प्रथम उपन्यास 'जाल' है। जो कथानक के तौर पर जाल है जिसमें क्राइम ब्रांच का एक ऑफिसर उलझकर अपनी नौकरी तक गवा देता है।
जाल उपन्यास का आरम्भ मुंबई के एक स्थान कर्जत से होता है जहाँ मुंबई क्राइम ब्रांच का ऑफिसर चन्द्रशेखर त्यागी अपने दोस्तों के साथ एंजोय कर रहा था।
चंद्रशेखर त्यागी- मुंबई क्राइम ब्रांच का एक दिलेर और जांबाज ऑफिसर, जिसने महज 27 साल की उम्र में ही अपनी सूझबूझ और कार्यकुशलता के बल पर अपने ढाई साल के छोटे से कार्यकाल में ही डिपार्टमेंट के अंदर अपने नाम का सिक्का जमा लिया है । आज की तारीख में चंद्रशेखर त्यागी, मुंबई क्राइम ब्रांच का एक ऐसा नाम है जिसे सुनकर अपराधी पनाह माँग जाते हैं ।
Sunday, 18 June 2023
567. नवाब मर्डर केस - राज भारती
और इस तरह मारे गये छोटे नवाब जी
नवाब मर्डर केस- राज भारती
नवाब स्टील रौलिंग कम्पनी के मालिक के बड़े नवाब साहब के शाहबजादे छोटे नवाब फारुख शेख साहब जरा रंगीन मिजाज आदमी थॆ। अपनी कम्पनी की लड़कियों को बहला-फुसला कर अपने फार्म हाउस ले जाना, उनके साथ मनमर्जी या जबरदस्ती के साथ अपनी विषय पूर्ति करना उनका शौक था। काम मनमर्जि से हो गया तो ठीक नहीं तो छोटे नवाब साहब जबर्दस्ती कर ही लेते थे।
इसी के कामों के चलते एक दिन अपने फार्म हाउस पर छोटे नवाब साहब मरे हुये पाये गये। उनकी पीठ पर किसी ने खंजर ठक दिया था।
अब विषय यह था कि छोटे नवाब साहब का कत्ल किसने किया और क्यों किया?
खैर, क्यों किया यह तो बहुत जल्दी पता चल गया था पत किसने किया यह पता उपन्यास के अंत में चलता है।
नवाब स्टील कम्पनी की एक कर्मचारी आरती तलवार प्रसिद्ध वकील अभय वर्मा से मिलती है। और वकील अभय वर्मा को बताती है की रात नवाब स्टील कम्पनी के मालिक बड़े नवाब का पुत्र फारूख शेख उसे धोखे से फार्म हाउस ले गया और उसके साथ गलत हरकत करने की कोशिश की, वासना का अंधा खेल खेलना चाहा पर वह किसी तरह वहाँ से बच कर निकल आयी।
Friday, 16 June 2023
566. वतन के आंसू- धीरज
1984 के आतंकवाद पर आधारित उपन्यास
वतन के आंसू- धीरज
राजा पॉकेट बुक्स, दिल्ली द्वारा प्रकाशित छद्म लेखक 'धीरज' का एक 'वतन के आंसू' पढने को मिला। उपन्यास की कथावस्तु स्वयं में अद्वितीय है क्योंकि इस विषय में लोकप्रिय साहित्य में, मेरी जानकारी अनुसार तो नहीं लिखा गया। हाँ, यह एक सज्जन ने बताया था कि इसी विषय पर प्रेम बाजपेयी जी ने एक उपन्यास लिखा था। यह भी अच्छी बात है।
अब बात करते हैं धीरज द्वारा लिखित 'वतन के आंसू' की। यह एक सत्य घटना पर आधारित एक थ्रिलर उपन्यास है।
नब्बे का दशक भारत और विशेष कर पंजाब के लिए एक काला दौर था। पंजाब में आतंकवाद चरम पर था। सन् 1984 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या इन चरमपंथियों द्वारा की गयी और उसके बाद दिल्ली में जो सिक्खों के साथ नरसंहार हुआ वह अमानवीय कृत्य था। आतंकवादियों का शीर्ष नेतृत्व खत्म हो चुका था लेकिन बाद में छोटे-छोटे समूहों में विभक्त आतंकवादियों ने आतंकी घटनाओं का कृत्य जारी रखा था।
'वतन के आंसू' की पृष्ठभूमि में आतंकवाद है और कहानी है दिल्ली की। जहाँ एक आतंकी संगठन बम विस्फोट द्वारा निर्दोष लोगों की जान ले लेते हैं।
आतंकी सिखों के विरोध में एक अज्ञात 'कनपटी मार' पैदा होता है जो सिख लोगों को निशान बनाता है और कनपटी पर प्रहार कर जान ले लेता है।
Thursday, 1 June 2023
565. मृगनयनी- जेठा लाल सोमैया
एक वकील जब फंसा कत्ल केस में
मृगनयनी- जेठा लाल सोमैया
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में हिंदी भाषी क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य किसी राज्य का नाम लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में आता है तो वह है गुजरात। एक समय था जब गुजरात से 'गाइड' जैसी प्रसिद्ध पत्रिका का प्रकाशन होता था। वहीं सूरत से 'साहित्य संगम' नामक प्रकाशन से भी जासूसी उपन्यास प्रकाशित होते रहे हैं।
साहित्य संगम से जेठालाल सोमैया नामक लेखक की जानकारी मिलती है, जिन्होंने 'लाट साहब' नाम से भी उपन्यास लिखे हैं। इनका प्रसिद्ध नायक एडवोकेट संदीप सेन है।
जेठालाल सोमैया द्वारा रचित 'मृगनयनी' उपन्यास इन दिनों पढा, यह एक रोचक और तीव्रगति का मर्डर मिस्ट्री उपन्यास है।
धंधे में तेजी की तरह मंदी के दिन भी आते हैं। पुरजोश में चलते व्यवसायों में भी कभी-कभी मंदी की बयार बहने लगती है। तेजी-मंदी का यह नियम कमोबेश लगभग सभी व्यवसाय को लागू होता है।
जब हर धंधे में मंदी आती है तो मुम्बई जैसा शहर भी इस मंदी से नहीं बच सकता और इस मुंबई शहर का प्रसिद्ध वकील संदीप सेन भी मंदी से नहीं बच सका।
एडवोकेट सन्दीप सेन की भी इन दिनों यही हालत थी । थोड़े से मामूली केसों के अलावा कोई खास काम उनके पास नहीं था। रीटा कदम उनकी नौजवान और चंचल सेक्रेटरी भी आफिस में ज्यादा काम न होने के सबब से महीने भर की छुट्टी गई थी। और सेन साहब खुद भी शाम का समय गुजारने के लिए रेडियो क्लब में पहुँचने लगे थे।
Monday, 29 May 2023
564. खाली आंचल- सुरेश चौधरी
एक मार्मिक रचना 'खाली आंचल'
लेखक- सुरेश चौधरी
वर्तमान रोमांटिक उपन्यासों के समय में एक सामाजिक उपन्यास का आना एक आश्चर्य की तरह है। अगर आपने लोकप्रिय साहित्य में 'राजहंस, राजवंश,मनोज' जैसे लेखकों को पढा है तो सुरेश चौधरी जी का प्रस्तुत उपन्यास आपको उस दौर की याद दिला देगा।
शाम का धुंधलका धीरे-धीरे गहरे अन्धेरे में तब्दील हो गया। परन्तु सेठ मुरारीलाल की कोठी इस गहरे अन्धेरे में भी इस तरह से जगमग कर रही थी, जैसे कोई दुल्हन अपने असीम रूप की छटा बिखेरती हो। (खाली आंचल उपन्यास के प्रथम पृष्ठ से)
जीवन परिवर्तन और संघर्षशील है। ऐसा ही जीवन जीता है प्रस्तुत उपन्यास का नायक आकाश। एक अमीर घराने युवक आकाश जब एक रात अपने घर लौटता है तो एक घटना ने उसका जीवन ही बदल दिया था। आकाश चाहकर भी उस घटना की पुष्टि नहीं कर पाता। लेकिन उसका हृदय इतना परिवर्तित हो चुका था की उसे घर का हर सदस्य अब बेगाना नजर आने लगा था।
Tuesday, 25 April 2023
563. सुप्रीम जस्टिस- परशुराम शर्मा
और जीरोलैण्ड तबाह हो गया
सुप्रीम जस्टिस- परशुराम शर्मा
'जीरोलैण्ड' उपन्यास में आपने पढा की विश्व के श्रेष्ठ जासूस जीरोलैण्ड को तबाह करने निकले थे। वहीं जीरोलैण्ड की आंतरिक कलह भी जीरोलैण्ड को कमजोर कर रही थी।जीरोलैण्ड का संचालन करने वाली पांच मुख्य ताकतों के ऊपर 'सुप्रीम जस्टिस' नामक एक रहस्यमयी का अस्तित्व भी है, जिसे कभी किसी ने नहीं देखा। वह ताकत जीरोलैण्ड का संविधान है, वही जीरोलैण्ड का न्यायालय है, वही जीरोलैण्ड का संचालन करती है।
'जीरोलैण्ड' उपन्यास के अंत में जीरोलैण्ड को तबाह करने निकले श्रेष्ठ जासूस तक भी वहाँ जाकर बर्फ के बुत बन जाते हैं और एक रहस्य यह भी खुलता है की 'सुप्रीम जस्टिस' के पीछे विश्व का एक श्रेष्ठ भारतीय जासूस है। यह तथ्य कितना सही है और कितना गलत है उपन्यास 'सुप्रीम जस्टिस' में पता चलता है।
हिंदी जासूसी कथा साहित्य में 'जीरोलैण्ड' की कल्पना इब्ने सफी साहब ने की थी पर उन्होंने कभी 'जीरोलैण्ड के रहस्य का खुलासा नहीं किया। और भी बहुत से लेखकों ने 'जीरोलैण्ड' की अवधारणा पर उपन्यास लेखन किया पर इब्ने सफी के अतिरिक्त प्रसिद्ध अगर किसी लेखक को मिली तो वह है परशुराम शर्मा।
परशुराम शर्मा जी ने न केवल जीरोलैण्ड पर उपन्यास लेखन किया बल्कि उन्होंने 'जीरोलैण्ड' के रहस्य को भी पाठकों के समक्ष उजागर किया।
Sunday, 23 April 2023
562. जीरोलैण्ड- परशुराम शर्मा
जानिये रहस्य जीरोलैण्ड का
जीरोलैण्ड- परशुराम शर्मा
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में कुछ ऐसे विषय हैं जिन पर विभिन्न लेखकों ने लिखा है। और यह विषय भी स्वयं इस क्षेत्र के लेखकों द्वारा पैदा किये गये काल्पनिक विषय हैं। या यूं कहें लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में एक काल्पनिक संसार की रचना की गयी और उस संसार पर विभिन्न लेखकों ने अपने-अपने अनुसार लेखन किया। जैसे- जीरोलैण्ड, मर्डरलैण्ड, मैकाबर।
आज यहाँ हम बात कर रहे है परशुराम शर्मा जी द्वारा लिखे गये उपन्यास 'जीरोलैण्ड' की। जीरोलैण्ड एक काल्पनिक कथा संसार है जिसकी रचना इब्ने सफी साहब ने की थी।'जीरोलैण्ड' उपन्यास का आरम्भ एक रहस्यमयी इमारत से होता है।
इमारत का नाम था ‘पागल महल’।
गेट पर जहां ‘पागल महल’ की प्लेट लगी थी उसी के नीचे इमारत के स्वामी का नाम लिखा था।
‘राजेश बिहारी एम. एस. सी. पी. एच. डी. आक्ससन।’
राजाराम दयाल फटी-फटी आंखों से इस इमारत को देख रहा था।
Friday, 21 April 2023
561. चाल पर चाल- जेम्स हेडली चेइज़ , विकास नैनवाल
कहानी एक झूठी औरत की
चाल पर चाल- जेम्स हेडली चेइज़
अनुवाद- विकास नैनवाल
छः माह से खाली बैठे प्राइवेट डिटेक्टिव डेविड फेनर को जब उस खूबसूरत युवती के आने की खबर मिली तो उसे लगा था कि शायद अब उसे कोई केस मिलेगा। वह कहाँ जानता था कि वह औरत अपने साथ मुसीबतों और रहस्यों का ऐसा झंझावात लेकर आएगी कि उसका अपनी जान बचाना दूभर हो जाएगा। अब हर चाल पे उसे ऐसी चाल चलनी पड़ेगी जो उसे मौत से दूर और सच्चाई के करीब लेकर आएगा। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा था… वह हर चाल पर मौत के नजदीक और सच्चाई से दूर जाता जा रहा था… सुप्रसिद्ध क्राइम लेखक जेम्स हेडली चेइज़ के उपन्यास डॉल्स बैड न्यूज़ का विकास नैनवाल द्वारा किया उत्कृष्ट हिन्दी अनुवाद।
विकास नैनीताल जितने अच्छे एक पाठक हैं, उतने ही अच्छे एक अनुवादक भी हैं। विकास नैनवाल जी के ब्लॉग पर लिखे इनके आर्टिकल/ समीक्षा आदि पढने को मिल जाती हैं और अक्सर में पढता भी रहता हूँ। अनुवादक के रूप में मैंने इनकी यह प्रथम रचना पढी है जो काफी रोचक है।प्राइवेट डिटेक्टिव डेविड फेनर अपनी असिस्टेंट पाॅला के साथ अपने ऑफिस में थे अभी एक घबरायी हुयी ने वहाँ प्रवेश किया।
वह औसत से थोड़ी लंबी थी और छरहरे बदन की मालकिन थी। उसकी टाँगे बहुत लंबी, हाथ और पैर पतले और उसका शरीर किसी डाली-सा तना हुआ था। उसके बादल से काले बाल उसकी हैट के नीचे से दिख रहे थे। उसने एक बेहद खूबसूरत टू-पीस ड्रेस पहनी हुई थी और इसमें वह परी चेहरा बेहद जवान और डरी हुई लग रही थी।
Monday, 17 April 2023
560. सालाजार सेक्टर- अज्ञात
मंगल ग्रह का खतरनाक अपराधी
सालाजार सेक्टर-
खान-बाले सीरीज का उपन्यास
उन सबके दिल धड़क रहे थे जुबानें खामोश थीं। हरेक के दिल में एक हलचल सी मची हुई थी और उनको अपने सामने मौत खड़ी हुई नजर आ रही थी । बाले सोच रहा था कि यदि वह खान के साथ आने से इन्कार कर देता तो अच्छा था । वह उस घड़ी को कोस रहा था कि जब उसने खान के साथ उस अंतरिक्ष यान पर मंगल के लिए रवाना हुआ था । (सालाजार सैक्टर- उपन्यास अंश)
हिंदी जासूसी कथा साहित्य में अनुवाद का भी अच्छा समय रहा है और आज भी अनुवाद हो रहे हैं। एक समय था जब उर्दु से हिंदी में अनुवाद होते थे, उर्दू से हिंदी मात्र लिपी परिवर्तन होता था क्योंकि दोनों भाषाओं में नाममात्र ही अंतर है। बाद में अंग्रेजी से भी अच्छे अनुवाद होते रहे और आज भी जारी हैं।
Tuesday, 11 April 2023
559. रहस्य की एक रात- ओमप्रकाश शर्मा
रहस्य की एक रात- ओमप्रकाश शर्मा
'क्लब में हत्या' के बाद क्रमशः यह द्वितीय उपन्यास है जो मैंने जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा का इन दिनों पढा है। जहाँ 'क्लब में हत्या' 'राजेश- जयंत' श्रृंखला का मर्डर मिस्ट्री उपन्यास था वहीं 'रहस्य की एक रात' 'जगत- राजेश' श्रृंखला का एक रोमांचक उपन्यास है।
अब प्रथम प्रश्न तो यही हो सकता है की आखिर जगत पाकिस्तान क्यों गया? और जब प्रसिद्ध ठग जगत पाकिस्तान पहुंच गया तो उसने वहाँ 'रहस्य की एक रात' में क्या कारनामे किये?
खैर, इन प्रश्नों के उत्तर तो प्रस्तुत उपन्यास पढकर ही जाने जा सकते हैं। और अब हम बात करते हैं उपन्यास के विभिन्न पक्षों पर।
जनप्रिय ओमप्रकाश शर्मा जी का लेखन का एक अलग तरीका है। कथा चाहे धीमी चलती हो पर वह वास्तविकता के अत्यंत करीब प्रतीत होती है।
जगत प्रसिद्ध ठग जगत जब राजेश से मिलने पहुंचा।
जगत अम्बाद्वीप से नई दिल्ली पहुंचा, परन्तु नई दिल्ली से सारी यार- पार्टी गायब थी।
Sunday, 9 April 2023
558. क्लब में हत्या- ओमप्रकाश शर्मा
क्लब में हत्या- जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा
उपन्यास साहित्य में जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा का नाम विशेष सम्मान के साथ लिया जाता है। जितना सम्मान पाठक ओमप्रकाश शर्मा का करते हैं उतने ही सम्मानजनक इनके पात्र होते हैं। शर्मा जी का एक विशेष पात्र है राजेश। प्रस्तुत उपन्यास 'क्लब में हत्या' राजेश -जयंत शृंखला का है। जो की एक मर्डर मिस्ट्री कथा है।राजेश और जयन्त संयोगवश इस मामले में सम्बन्धित हुये । वह दोनों झाँसी से लौट रहे थे और घटना रात के ग्यारह बजे की है जब उनकी कार दिल्ली की सीमा में प्रविष्ट होकर मथुरा रोड पर दौड़ रही थी। जयन्त कार चला रहा था और राजेश पिछली सीट पर बैठे एक उपन्यास पढ़ने में तल्लीन थे । रास्ते में एक एक्सीडेंट देखकर दोनों को रुकना पड़ा था। जयंत ने राजेश को भी वहाँ बुला लिया।
" राजेश, जरा आओ तो ।”
- "क्या बात है ?"
-"एक्सीडेंट है एक, बिल्कुल अजीब-सा एक्सीडेंट ।” राजेश उठे। उनकी कार के आगे लगभग दस कारें खड़ी थीं । उसके बाद...... उसके बाद था एक ट्रक और ट्रक के पिछले पहियों में दबा हुआ था एक नवयुवक।
वहाँ उपस्थित सब इंस्पेक्टर चतरसेन का मानना था की यह एक दुर्घटना है। लेकिन परिस्थितियों का विश्लेषण करने के पश्चात राजेश ने घोषणा की कि यह महज एक दुर्घटना नहीं बल्कि सोच- समझकर किया गया कत्ल है।
चतुर चतुरसेन ने राजेश से अनुरोध न किया की वह इस मामले में उसकी मदद करे। वहीं बाद में केन्द्रीय खूफिया विभाग ने भी राजेश को इस केस पर नियुक्त कर दिया था।
मृतक का नाम प्रमोद कुमार था और वह 'विश्राम लोक क्लब, नई दिल्ली' में असिस्टेंट मैनेजर था। राजेश- जयंत और सब इंस्पेक्टर की जाँच का केन्द्र अब विश्राम क्लब था। क्लब प्रमोद कुमार की शोक सभा में ही जब राजेश ने यह घोषणा की कि कातिल इस क्लब में ही उपस्थित है तो एक बार वहां सन्नाटा छा गया।
क्लब के अवैतनिक मैनेजर रंगबिहारी लाल और मालकिन मोहिनी देवी नहीं चाहते थे की क्लब की बदनामी हो। लेकिन उनके चाहने न चाहने से कुछ नहीं होने वाला था।
राजेश की जाँच अभी चल ही रही थी कि क्लब में हत्या हो गयी। इस बार हत्यारे ने क्लब के सदस्य को क्लब में ही मार दिया, हंगामा तो होना ही था।
और राजेश ने यह प्रण किया की वह शीघ्र असली अपराधी तक पहुंच जायेगा।
राजेश तनिक मुस्कराए— “ आप बिल्कुल बजा फरमाते हैं. मिर्जा साहब, सवाल सिर्फ हत्यारे की खोज का नहीं है। सवाल यह है कि शमा ने खुद जलकर कितने परवाने जला दिए ? मुझे इसका हिसाब जानना है और यकीन कीजिए मिर्जा साहब ! हिसाब जानकर ही रहूंगा।
और एक हंगामें के चलते राजेश भी अपराधियों की गिरफ्त में आ गया। और यही अपराधियों के लिए खतरनाक साबित हुआ।
उपन्यास मर्डर मिस्ट्री कथा पर आधारित है। उपन्यास में कुल तीन हत्याएं होती हैं।
उपन्यास का जो सशक्त पक्ष है वह है जासूस राजेश। शर्मा जी द्वारा रचित पात्रों में राजेश सबसे अलग है। अन्य जासूस साथी भी राजेश का अत्यंत सम्मान करते हैं।
राजेश का नैतिक पक्ष अत्यंत मजबूत है। वह अपराधी के साथ भी क्रूरता नहीं करता।
राजेश का प्रमोद की पत्नी को बहन कहकर संबोधित करना, उस के साथ यह वायदा करना की प्रमोद से संबंधित कोई भी अनुचित बात जनता नहीं पहुंचेगी।
राजेश एक जासूस है और जासूस अपने बुद्धिबल से कार्य करता है। राजेश की जो कार्यशैली वह इसलिए भी प्रभावित करती है की वह एक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़कर शेष अपराधियों तक अपने चातुर्य और बुद्धि से पहुंचता है।
उपन्यास के अंत में राजेश और प्रमोद की पत्नी रत्ना का संवाद अत्यंत प्रभावशाली है। (पृष्ठ संख्या 105)विशेष कथन-
धरती का आकर्षण, जो भी आवारा घुमक्कड़ तारा धरती की आकर्षण परीक्षा में आ जाता है, बिना जले रहता नहीं । जलता है और फिर राख होकर धरती के अंक में समा जाता है ।
- कौन जान सकता है, पुरुष के भाग्य को और स्त्री के चरित्र को ?
जनप्रिय ओमप्रकाश शर्मा जी द्वारा लिखित 'क्लब में हत्या' एक मर्डर मिस्ट्री रचना होने के साथ-साथ एक सामाजिक संदेश भी है। हत्या क्यों होती है? इसका कारण जो प्रत्यक्ष होता है, आवश्यक नहीं की वही हो, अप्रत्यक्ष कारण भी बहुत होते हैं।
एक पठनीय मार्मिक मर्डर मिस्ट्री है।
" राजेश, जरा आओ तो ।”
- "क्या बात है ?"
-"एक्सीडेंट है एक, बिल्कुल अजीब-सा एक्सीडेंट ।” राजेश उठे। उनकी कार के आगे लगभग दस कारें खड़ी थीं । उसके बाद...... उसके बाद था एक ट्रक और ट्रक के पिछले पहियों में दबा हुआ था एक नवयुवक।
वहाँ उपस्थित सब इंस्पेक्टर चतरसेन का मानना था की यह एक दुर्घटना है। लेकिन परिस्थितियों का विश्लेषण करने के पश्चात राजेश ने घोषणा की कि यह महज एक दुर्घटना नहीं बल्कि सोच- समझकर किया गया कत्ल है।
चतुर चतुरसेन ने राजेश से अनुरोध न किया की वह इस मामले में उसकी मदद करे। वहीं बाद में केन्द्रीय खूफिया विभाग ने भी राजेश को इस केस पर नियुक्त कर दिया था।
मृतक का नाम प्रमोद कुमार था और वह 'विश्राम लोक क्लब, नई दिल्ली' में असिस्टेंट मैनेजर था। राजेश- जयंत और सब इंस्पेक्टर की जाँच का केन्द्र अब विश्राम क्लब था। क्लब प्रमोद कुमार की शोक सभा में ही जब राजेश ने यह घोषणा की कि कातिल इस क्लब में ही उपस्थित है तो एक बार वहां सन्नाटा छा गया।
क्लब के अवैतनिक मैनेजर रंगबिहारी लाल और मालकिन मोहिनी देवी नहीं चाहते थे की क्लब की बदनामी हो। लेकिन उनके चाहने न चाहने से कुछ नहीं होने वाला था।
राजेश की जाँच अभी चल ही रही थी कि क्लब में हत्या हो गयी। इस बार हत्यारे ने क्लब के सदस्य को क्लब में ही मार दिया, हंगामा तो होना ही था।
और राजेश ने यह प्रण किया की वह शीघ्र असली अपराधी तक पहुंच जायेगा।
राजेश तनिक मुस्कराए— “ आप बिल्कुल बजा फरमाते हैं. मिर्जा साहब, सवाल सिर्फ हत्यारे की खोज का नहीं है। सवाल यह है कि शमा ने खुद जलकर कितने परवाने जला दिए ? मुझे इसका हिसाब जानना है और यकीन कीजिए मिर्जा साहब ! हिसाब जानकर ही रहूंगा।
और एक हंगामें के चलते राजेश भी अपराधियों की गिरफ्त में आ गया। और यही अपराधियों के लिए खतरनाक साबित हुआ।
उपन्यास मर्डर मिस्ट्री कथा पर आधारित है। उपन्यास में कुल तीन हत्याएं होती हैं।
उपन्यास का जो सशक्त पक्ष है वह है जासूस राजेश। शर्मा जी द्वारा रचित पात्रों में राजेश सबसे अलग है। अन्य जासूस साथी भी राजेश का अत्यंत सम्मान करते हैं।
राजेश का नैतिक पक्ष अत्यंत मजबूत है। वह अपराधी के साथ भी क्रूरता नहीं करता।
राजेश का प्रमोद की पत्नी को बहन कहकर संबोधित करना, उस के साथ यह वायदा करना की प्रमोद से संबंधित कोई भी अनुचित बात जनता नहीं पहुंचेगी।
राजेश एक जासूस है और जासूस अपने बुद्धिबल से कार्य करता है। राजेश की जो कार्यशैली वह इसलिए भी प्रभावित करती है की वह एक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़कर शेष अपराधियों तक अपने चातुर्य और बुद्धि से पहुंचता है।
उपन्यास के अंत में राजेश और प्रमोद की पत्नी रत्ना का संवाद अत्यंत प्रभावशाली है। (पृष्ठ संख्या 105)विशेष कथन-
धरती का आकर्षण, जो भी आवारा घुमक्कड़ तारा धरती की आकर्षण परीक्षा में आ जाता है, बिना जले रहता नहीं । जलता है और फिर राख होकर धरती के अंक में समा जाता है ।
- कौन जान सकता है, पुरुष के भाग्य को और स्त्री के चरित्र को ?
जनप्रिय ओमप्रकाश शर्मा जी द्वारा लिखित 'क्लब में हत्या' एक मर्डर मिस्ट्री रचना होने के साथ-साथ एक सामाजिक संदेश भी है। हत्या क्यों होती है? इसका कारण जो प्रत्यक्ष होता है, आवश्यक नहीं की वही हो, अप्रत्यक्ष कारण भी बहुत होते हैं।
एक पठनीय मार्मिक मर्डर मिस्ट्री है।
उपन्यास- क्लब में हत्या
लेखक- ओमप्रकाश शर्मा- जनप्रिय लेखक
प्रकाशक- मारुति प्रकाशन, मेरठ
पृष्ठ- 110
Friday, 10 March 2023
557. काला जादू- इश्तियाक खान
प्रेम, प्रतिशोध और जादू
काला जादू- इश्तियाक खान (अनुवादक)
....शौकत स्कूल से आया और खाना खा कर उठा ही था कि गिर पड़ा। उसकी हालत वैसी हो गई जैसी दो दिन पहले हुई थी। यह देखने में वैसा ही मिर्गी का दौरा लगता था। उसके हाथ और पांव मुड़ गए। शरीर जोर-जोर से कांपने लगा और उसके मुंह से हल्के हल्के खर्राटे निकलने लगे। इसके साथ ही आंगन में एक पत्थर गिरा जो टेनिस की गेंद जितना बड़ा था। नसीमा इतनी डरी कि उसने बाहर जाकर ना देखा और कमरे का दरवाजा बंद कर लिया। दूसरा पत्थर धमाके से दरवाजे को लगा। इतनी तेज़ आवाज आई कि नसीमा सर से पांव तक हिल गई और उस पर बेहोशी जैसीछाने लगी। उसमें इतनी-सी हिम्मत भी नहीं थी कि शौकत को उठाकर पलंग पर लिटा देती। आंगन में तीन चार और पत्थर एक दूसरे के बाद गिरे। नसीमा ने 'जल तू जलाल तू' -पढ़ना शुरू कर दिया।Wednesday, 22 February 2023
556. खून की बौछार- इब्ने सफी
क्या था कुएं का राज
खून की बौछार- इब्ने सफी
विनोद- हमीद शृंखला
हिंदी रोमांच कथा साहित्य में इब्ने सफी साहब अपने समय के श्रेष्ठ कथाकार रहे हैं। एक युग उनके नाम रहा है। रोमांच और रहस्य का मिश्रण उनके उपन्यासों को पढने के लिए पाठकवर्ग को विवश कर देता था।
इब्ने सफी द्वारा लिखा गया 'खून की बौछार' भी एक रहस्य और रोमांच से परिपूर्ण कथानक है।
ठाकुर धरमपाल सिंह अपने एक अतिथि रमेश के साथ बाग में बैठे थे। अधेड़ावस्था के रमेश के साथ ठाकुर साहब की मुलाकात भी एक रहस्यमयी कहानी की तरह है। देश -विदेश भ्रमण के शौकीन रमेश कुमार ठाकुर साहब और उनकी पुत्री रंजना को विभिन्न किस्से सुना रहे थे।
अभी ये लोग बातें कर ही रहे थे कि सहसा सारे बाग में प्रकाश हो गया। रंजना ने पलट कर देखा और चीख मार कर उछल पड़ी ।
पुराने अन्धे कुएं से अंगारों का फव्वारा सा छूट रहा था । चिंगारियाँ अधिकाधिक ऊंचाई तक जा रही थी । एक विचित्र प्रकार की झन्नाटेदार आवाज से सारा बाग गूंज रहा था । (उपन्यास अंश- खून की बौछार- इब्ने सफी)
Sunday, 19 February 2023
555. बदमाशों की बस्ती- वेदप्रकाश काम्बोज
कोटाम्बू के खतरनाक बदमाशों की कथा
बदमाशों की बस्ती- वेदप्रकाश काम्बोज
विजय दबे पांव रघुनाथ के पलंग के पास आया इस समय उसके हाथ में एक बड़ा सा गुब्बारा था जो कि हवा भरी होने के कारण और भी बड़ा हो गया था। वह रघुनाथ के पलंग के सिराहने आया, खड़ा हो गया और कुछ करना ही चाहता था कि तभी रैना ने रसोई घर की ओर वाले द्वार से प्रवेश किया। (उपन्यास प्रथम पृष्ठ से)
यह दृश्य है वेदप्रकाश काम्बोज द्वारा रचित उपन्यास 'बदमाशों की बस्ती' का। प्रस्तुत उपन्यास एक्शन-रोमांच से परिपूर्ण एक रोचक रचना है।बदमाशों की बस्ती ये विजय-रघुनाथ सीरीज का एक मशहूर उपन्यास है। इस उपन्यास को पढ़ते हुए आपको 'वेस्टर्न-क्लासिक्स' की याद बरबस ही आ जाएगी। एक्शन के साथ मजेदार घटनाओं से भरपूर नॉवल। साथ में है आशा, अशरफ और पवन। 'नीलम जासूस कार्यालय' की स्थापना लाला श्री सत्यपाल वार्ष्णेय ने आज से 60 साल पहले की थी। ये 1960 के दशक की एक बहुत मशहूर प्रकाशन संस्था रही है। इस संस्था ने कई दिग्गज उपन्यासकारों और लेखकों के शुरुआती दौर के उपन्यास प्रकाशित किए। इस संस्था से एक ‘नीलम जासूस’और ‘राजेश’ नाम की मासिक पत्रिकाएँ निकलती थीं। नीलम जासूस मुख्यत: श्री वेद प्रकाश काम्बोज के और राजेश में जनप्रिय ओम प्रकाश शर्मा जी के उपन्यास निकलते थे। इसके अलावा श्री सत्यपाल वार्ष्णेय ने एक फिल्मी मैगजीन —‘फिल्म अप्सरा’ भी निकली थी, जोकि बेहद मशहूर हुई। सुनहरे दौर के क्लासिक उपन्यासों को पुनः प्रकशन के उद्देश्य से नीलम जासूस ने दो शृंखलाएँ 'सत्य-वेद'और 'सत्य-ओम’ शुरू की हैं। (अंतिम आवरण पृष्ठ से)
Thursday, 16 February 2023
554. लखिमा की आँखें- रांगेय राघव
मैथिल कोकिल विद्यापति का जीवन वृतांत
लखिमा की आँखें - रांगेय राघव
हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार रांगेय राघव ने विशिष्ट कवियों, कलाकरों और चिंतकों के जीवन पर आधारित उपन्यासों की एक शृंखला लिखकर साहित्य की एक बड़ी आवश्यकता को पूर्ण किया है। प्रस्तुत उपन्यास महाकवि विद्यापति के जीवन पर आधारित अत्यंत रोचक मौलिक रचना है।
विद्यापति का काव्य अपनी मधुरता, लालित्य तथा गेयता के कारण पूर्वोत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय हुआ और आज भी लोकप्रिय है। लेखक ने स्वयं मिथिला जाकर कवि के गांव की यात्रा करके गहरे शोध के बाद यह उपन्यास लिखा है। मिथिला के राजकवि, विद्यापति ठाकुर कुछ समय मुसलमानों के बंदी भी रहे। उन्होंने संस्कृत में भी बहुत कुछ लिखा परन्तु अपनी मैथिल भाषा में जो लिखा वह अमर हो गया।
आदि से तक अत्यंत रोचक यह उपन्यास उस युग के समाज, राजनीति और धार्मिक जीवन का भी सजीव चित्रण करता है। (किंडल से- लखिमा की आँखें- रांगेय राघव)
553. जुर्म का आगाज- जयदेव चावरिया
अण्डरवर्ल्ड और एक लाल सूटकेस
जुर्म का आगाज- जयदेव चावरिया
दावत होटल में एक बिजनेस पार्टी के दौरान हीरा वर्मा और नाजिम खान, राजनगर के दो बड़े बिजनेसमैन, रेड सूटकेस की डील कर रहे थे पर कोई तीसरा मास्टरमाइंड उनकी नाक के नीचे से रेड सूटकेस उड़ा ले गया। लोग सिर्फ यह जानते थे कि रेड सूटकेस के मालिक का नाम डेविल है जिसे किसी ने कभी नहीं देखा और जिसने डेविल को देखा वह किसी को बताने के लिए जिन्दा नहीं बचा। हीरा वर्मा और नाजिम खान को अब जल्द से जल्द रेड सूटकेस ढूँढना था वरना उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ता।
- कौन था वह मास्टरमाइंड जिसने हीरा वर्मा और नाजिम खान की नाक के नीचे से रेड सूटकेस उड़ा लिया ?- रेड सूटकेस में ऐसा क्या था जिसे हासिल करने के लिए सारा माफिया पीछे पड़ा था ?
- हीरा वर्मा और नाजिम खान का रेड सूटकेस से क्या संबंध था ?
- क्या वे रेड सूटकेस को हासिल कर सके ?
- रेड सूटकेस का मालिक डेविल आखिर कौन था ? जानने के लिए पढ़िए ये उपन्यास।