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Thursday, 1 June 2023

565. मृगनयनी- जेठा लाल सोमैया

एक वकील जब फंसा कत्ल केस में
मृगनयनी- जेठा लाल सोमैया

लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में हिंदी भाषी क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य किसी राज्य का नाम लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में आता है तो वह है गुजरात। एक समय था जब गुजरात से 'गाइड' जैसी प्रसिद्ध पत्रिका का प्रकाशन होता था। वहीं सूरत से 'साहित्य संगम' नामक प्रकाशन से भी जासूसी उपन्यास प्रकाशित होते रहे हैं।
   साहित्य संगम से जेठालाल सोमैया नामक लेखक की जानकारी मिलती है, जिन्होंने 'लाट साहब' नाम से भी उपन्यास लिखे हैं। इनका प्रसिद्ध नायक एडवोकेट संदीप सेन है।
    जेठालाल सोमैया द्वारा रचित 'मृगनयनी' उपन्यास इन दिनों पढा, यह एक रोचक और तीव्रगति का मर्डर मिस्ट्री उपन्यास है।

मृगनयनी- जेठा लाल सोमैया

धंधे में तेजी की तरह मंदी के दिन भी आते हैं। पुरजोश में चलते व्यवसायों में भी कभी-कभी मंदी की बयार बहने लगती है। तेजी-मंदी का यह नियम कमोबेश लगभग सभी व्यवसाय को लागू होता है।
       जब हर धंधे में मंदी आती है तो मुम्बई जैसा शहर भी इस मंदी से नहीं बच सकता और इस मुंबई शहर का प्रसिद्ध वकील संदीप सेन भी मंदी से नहीं बच सका।

एडवोकेट सन्दीप सेन की भी इन दिनों यही हालत थी । थोड़े से मामूली केसों के अलावा कोई खास काम उनके पास नहीं था। रीटा कदम उनकी नौजवान और चंचल सेक्रेटरी भी आफिस में ज्यादा काम न होने के सबब से महीने भर की छुट्टी गई थी। और सेन साहब खुद भी शाम का समय गुजारने के लिए रेडियो क्लब में पहुँचने लगे थे।


    यहाँ संदीप सेन अपने नियमित मित्रों के साथ रमी खेलता है। रमी की टेबुल पर एड्वोकेट सन्दीप सेन, पुलिस प्रोसीक्यूटर जोसफ मनवेल और एक सरकारी वकील सुदर्शन त्रिपाठी - एक ही व्यवसाय के तीन महारथी अड्डा जमाये बैठे थे ।
   खेलते समय, तीनों में खेल के अतिरिक्त अन्य कोई चर्चा नहीं होती लेकिन उस दिन जोसेफ मनवेल ने धंधे की बात आरम्भ कर दी।
हाँ, तो एड्वोकेट सन्दीप सेन जब शाम को रेडियो क्लब में रमी खेलने में मशगूल थे, तब पुलिस प्रोसीक्यूटर जोसफ मनवेल ने पत्ते बाँटते हुए वहा, 'मिस्टर सेन, अगर एतराज न हो तो आज मैं आप को विमला देवधर के यहाँ ले जाना चाहूँगा...।'
    संदीप सेन एक प्राइवेट वकील है, जिसे डिटेक्टिव का भी शौक है। पुलिस प्रोसीक्यूटर जोसफ मनवेल और उसका अधीनस्थ सरकारी वकील सुदर्शन त्रिपाठी दोनों को कुछ पुलिस अधिकार भी प्राप्त हैं। इसलिए एक ही पेशे के होने के कारण जोसफ मनवेल और संदीप सेन अच्छे मित्र है।
   जोसफ मनवेल के आग्रह पर तीनों विमला देवधर के घर पहुंचे। जहाँ विमला देवधर ने बताया की-  "गीता मेरी सगी बहन है मि. सेन । उम्र में मुझ थोड़ी ही छोटी है। शांताक्रुज में अपने डेन्टिस्ट पति के साथ  रहती है, पर पिछले दो एक हफ़्ते से गायब हो गई है । मुझे शक होता है कि कहीं उस बेचारी का खून न कर दिया गया गया हो।"
      इस केस की जाँच घूमकर मिस्टर संदीप सेन के पास आ जाती है क्योंकि सन्दीप सेन केवल मात्र वकील ही नहीं, डिटेक्टिव भी है।
    वहीं शहर के दो प्रसिद्ध नेता जयमल दलाल (नवनिर्माण संघ का प्रमुख) और प्रमोद कामदार (अखिल भारतीय सेना पार्टी का अध्यक्ष) का भी इस केस से संबंध निकल आता है। दोनों परस्पर प्रतिद्वंदी हैं इनका संबंध गीता और उसकी बहन विमला से भी है।
   इस की जाँच के दौरान अशिकांश पात्र गायब हो जाते हैं और उनको गायब करने का आरोप संदीप सेन पर लगता है इसलिए गीता रंगनाथन का पति डेंटिस्ट दुष्यंत रंगनाथन संदीप सेन की हत्या करने पहुँच जाता है। उसे शक है की संदीप और गीता का अफेयर है और संदीप ने ही गीता को गायब किया है।
    वहीं एक रात एक गुप्त जांच के दौरान रंजना सरदेसाई को एक कत्ल वाली जगह पहुँच जाती है और मदद के लिए संदीप सेन को बुला लेती है।
   आगामी दिन पुलिस संदीप सेन को कत्ल के आरोप में गिरफ्तार कर लेती है। लेकिन मृतक का चेहरा देखकर स्वयं संदीप हैरान रह जाता क्योंकि उसे जिस कत्ल में कथित कातिल के तौर पर गिरफ्तार होने की उम्मीद थी लेकिन यहाँ तो मृतक ही कोई और था।
    अब संदीप सेन को इस कत्ल केस से बाहर होना था और दो मृतकों के कातिल को गिरफ्तार भी करना था लेकिन यह इतना आसान न था क्योंकि स्थानीय नेता प्रमोद कामदार और पुलिस आदि उसके खिलाफ घात लगाये बैठे थे।
    आखिर कैसे संदीप सेन इस जाल से बाहर निकला और असली कातिल तक पहुंचा यह पठनीय है।
   'मृगनयनी' उपन्यास रोचक मर्डर पर आधारित है। कथा आरम्भ से ही पाठक को बांध लेती है। एक छोटे से अपहरण से आरम्भ यह कथा अंत में दो कत्लों तक पहुँच जाती है  और लोगों की मदद करता- करता स्वयं वकील संदीप सेन भी इस जाल में उलझ जाता है।
   उपन्यास में विमला देवधर के मित्र सुधीर नायक का वर्णन है लेकिन उसकी भूमिका स्पष्ट नहीं होती। एक जगह वह विमला से रुपये मांगता है लेकिन क्यों यह स्पष्ट नहीं।
     वहीं प्रमोद कामदार के चरित्र और उभारा जाना चाहिये था क्योंकि उसकी नेपथ्य में भूमिका गजब रही है।  संदीप सेन की कार्यप्रणाली भी अच्छी है और विशेष कर जब वह विमला के साथ 'मृगनयनी' वाला खेल खेलता है।

उपन्यास के शीर्षक की बात करें तो यह कथा के अनुरूप नहीं है। मात्र एक दृश्य में मृगनयनी शब्द लिखकर शीर्षक से समानता दर्शायी गयी है।
  वह दृश्य देखें-
ओ मेरी, मृगनयनी ! तेरे मृगी जैसे नयनों का रसपान करने दे  डार्लिंग' - कहते-कहते संदीप सेन ने उसकी आँखों पर की चुंबनों  छड़ी लगा दी ।

उपन्यास के पात्र
संदीप सेन- कथानायक, वकील
जोसफ मनवेल- पब्लिक प्रोक्सिक्यूसर
सुदर्शन त्रिपाठी- सरकारी वकील, जोसफ मनवेल का अधीनस्थ
रीटा - संदीप सेन की सेक्रेटरी
निरंजना सरदेसाई- संदीप सेन की अन्य सेक्रेटरी

जयमल दलाल- नवनिर्माण संघ का प्रमुख
प्रमोद कामदार- अखिल भारतीय सेना पार्टी का अध्यक्ष
गीता-
विमला देवधर- एक तेज तर्रार स्त्री
गीता- विमला की बहन
डेंटिस्ट दुष्यंत रंगनाथ - गीता का पति
सुधीर नायक- विमला का मित्र
जदूनाथ- जयमल दलाल का नौकर
जगदीश  सरदेसाई - निरंजना का पिता

मृगनयनी एक तेज रफ्तार मर्डर मिस्ट्री उपन्यास है। दो कत्लों की इस उलझन में मुख्य संदिग्ध कथानायक डिटेक्टिव एडवोकेट संदीप सेन ही है।
   उपन्यास आदि से अंत तक पूर्णतः रोचक है।

उपन्यास-  मृगनयनी
लेखक -   जेठालाल सोमैया (लाट साहब)
प्रकाशक-  साहित्य संगम, सूरत
मूल्य      ‌-  दो रुपये
पृष्ठ -         222
प्रकाशन तिथि- ...

- जेठा लाल सोमैया के अन्य उपन्यास
विषलता

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