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Tuesday, 26 December 2023

मनोहर कहानियां- नवम्बर 1998

रहस्य-रोमांच विशेषांक
मनोहर कहानियां- नवम्बर 1998

हिंदी रोमांच साहित्य में मनोहर कहानियाँ पत्रिका का कभी अतिविशिष्ट नाम रहा है। इलाहाबाद के मित्र प्रकाशन से सन् 1944 में प्रकाशित होने वाली इस पत्रिका में काल्पनिक रोमांचक कहानियों के साथ-साथ सत्य पर आधारित कहानियाँ भी प्रकाशित होती थी। इन कहानियाँ में  अपराध पर आधारित कहानियाँ ही होती थी। इसके अतिरिक्त छोटी-छोटी रोचक जानकारियाँ भी समाहित थी।
   लम्बे समय पश्चात मनोहर कहानियाँ पत्रिका का एक पुराना अंक 'नवम्बर 1998' पढने को मिला। यह अंक 'रहस्य- रोमांच' विशेषांक है।

        जिसमें कुछ सत्य, कुछ काल्पनिक और कुछ मिश्रित कहानियाँ शामिल हैं। समस्त कहानियाँ रोचक हैं।
इस अंक की प्रथम रचना है 'सलमान खान-मुल्जिम बने शिकार के'
इस रचना में सलमान खान द्वारा जोधपुर में हरिण शिकार प्रकरण का विस्तृत विवरण दिया गया है। फिल्म 'हम साथ-साथ हैं' की शूटिंग के दौरान सलमान खान ने अपने साथी सैफ अली खान,सोनाली बेन्द्रे, करिश्मा कपूर और नीलम के साथ शिकार किया था।
   इस रचना में यह भी पता चला की हरिण की प्रथम पोस्टमार्टम रिपोर्ट में एक डॉक्टर ने सलमान खान के पक्ष मदं रिपोर्ट दी थी और दोनों हरिणों की मृत्यु का कारण कुछ और ही बताया था।
       वहीं जब फिल्म की शूटिंग रुक गयी और टीम वापस चली गयी तो लगभग 12 लाख का होटल बिल सलमान खान के खाते में छोड़ दिया गया था।
   'तनूजा की त्रासदी' एक राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नृत्यांगना तनूजा की कहानी है जिसने मुश्किल समय का सामना करते हुये प्रसिद्ध और सम्मान प्राप्त किया लेकिन चंद सिरफिरे, आवारा और औरत को मात्र जिस्म समझने वाले लड़कों ने खत्म कर दिया।
         'यह कैसा प्यार' मनोहर शुक्ला द्वारा लिखित एक सत्य कथा पर आधारित मर्डर मिस्ट्री है। कथा कोलकाता से पंजाब तक फैली हुयी है। कहानी एक नौजवान रंजीत की है जो एक तरफा प्रेम के चलते जान गवा बैठता है।
वीरेन्द्र नाथ और नरेश गुप्ता द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गयी 'नेताजी का असली धंधा' कहानी एक मेरठ के प्रतिष्ठित व्यवसायी चंद्रप्रकाश सिंघल के अपहरण की कहानी है।
        कैसे एक कथित नेता किसी और अपराधी के नाम का सहारा लेकर अपहरण जैसे कृत्य करता है। सिंघल साहब के अपहरण, पुलिस की सक्रियता और सिंघल साहब की रिहाई की यह कहानी एक नेता की पोल खोलती है।
मनोहर कहानियाँ में एक स्तम्भ था 'जेलर की डायरी' जिसमें पुलिस विभाग के रोचक और सत्य कारनामे दर्जे होते थे।

       वहीं कुछ काल्पनिक कथाएं भी बहुत रोचक और दिलचस्प हैं। मनोहर कहानियाँ अपनी इन्हीं कहानियों के कारण अत्यंत चर्चित भी रही है। और इन कहानिकारों का कहानी लिखने का तरीका बहुत रोचक और पाठक को बांधने वाला होता था।

      इंस्पेक्टर नवाज खा का लघु उपन्यास 'तस्वीर का दूसरा रुख' एक अत्यंत रोचक लघु उपन्यास है।
शहबाज पहलवान जो कुछ कर चुका था, उसके बाद लाजिमी हो गया था कि उसे गिरफ्तार किया जाये। कैसे किया जाये, यह सोचना हमारा काम था। आला अफसरों को तो बस हुक्म देना था और 'लाइन हाजिर' की धमकियां देनी थीं।
       यह कहानी दो पहलवानों से आरम्भ होती है। वह समय था, जब पहलवानी ताकत का प्रतीक थी और दंगल लोगों के मनोरंजन का।
     यहां एक पहलवान अपने गुरु की हार का बदला लेने के लिए जब मैदान में उतरता है तो कहानी बदल जाती है। पहलवान के दांव से लेकर कहानी कत्ल तक पहुँच जाती है और शहबाज पहलवान एक कातिल भगोड़ा घोषित हो जाता है।
और फिर आरम्भ होता है 'चूहे बिल्ली का खेल'। एक तरफ पुलिस और दूसरी तरफ डाकुओं से जा मिला पहलवान शहबाज है।
   यह तो कहानी वह थी जो नजर आती थी लेकिन कहानी का दूसरा पक्ष कुछ और ही कहता था।
इस रोचक उपन्यास का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किया है 'सुरजीत' ने।
      प्रेमेन्द्र मित्र द्वारा लिखित 'गिट्टी' एक रोचक-रोमांच और हास्त से परिपूर्ण कहानी है। कथा पात्र का कहना है उसके एक गिट्टी हिलाने से ही एक टापू खत्म हो गया था।
"एक टापू फटकर चकनाचूर हो गया? सिर्फ एक कंकड़ उठाने के  कारण?"- अपने अनजाने ही हम लोग यह सवाल कर बैठे।
घनादा ने उपेक्षा से हमारी और देखते हुये कहा,-" हां, उसी से तो फटकर चकनाचूर हो गया और समुद्र में डूब गया।"
(पृष्ठ-74)
एक और काल्पनिक कहानी है 'सपनों की परछाइयां', जिसके लेखक हैं कुमार मित्र।

यह एक अद्भुत कत्ल पर आधारित कथा है।
इस अंक में एक अलौकिक कहानी है 'चांद की सत्ताइसवी रात', जिसके लेखक हैं वजीहा अंसारी।

     प्रेम, धोखा और उसके बाद प्रतिशोध पर आधारित यह कहानी कई पढियों तक चलती है और प्रेम में धोखा खायी आत्मा अपना प्रतिशोध लेती है।
आखिर वह धोखा क्या था और इस कहानी का अंत क्या हुआ, यह जानना रोचक है।
       शसीम अख्तर द्वारा 'हिसाब बराबर' पराधीन भारत की कहानी है, जहाँ एक नेत्रहीन साधु भलाई का बदला भलाई से देता है।
अंग्रेज हनीसन ने अपने अंधे योगी पर जो उपकार किया था, योगी ने उसका बदला शीघ्र ही चुकाकर हिसाब बराबर कर दिया।
  छोटी सी कहानी में रोचकता खूब है।

 'लेट लतीफ' कहानी के लेखक हैं डा. प्रवीण कुमार राय।
'हरबंस हर जगह लेट-लतीफ साबित होता था, पर उसने अपना पहला जुर्म सही समय पर किया और वक्त की यही पाबंदी उसके जीवन का अभिशाप बन गयी‌।
  इस कहानी का अंत पाठक को बहुत ज्यादा प्रभावित करने वाला है।
       यह कहानी एक ऐसे युवक की है जो हर समय, हर जगह लेट हो ही जाता है, और उसका उसे खामियाजा भी भुगतना पड़ता है और अपने पहले जुर्म के समय वह लेट नहीं हुआ। समय पर पहुंचा, समय पर जुर्म किया और उसका जो खामियाजा उसे भुगतना पड़ा, उसकी उसने कल्पना ही नहीं की थी।
और वह खामियाजा कानूनन न होकर अभी तक मानसिक ही था।

       अब बात कर लेते हैं कुछ ऐसी कहानियों की जो कल्पना और सत्य के मिश्रण से लिखी गयी हैं। इनमें सत्य अगर आधार है तो शेष ढांचा काल्पनिक है। सत्य और कल्पना का अद्भुत मिश्रण है ये कहानियाँ ।
डा कृष्ण द्वारा लिखित 'सपना, जो चौदह साल बाद सच हुआ'।
यह कहानी टाइटैनिक जहाज के डूबने से संबंधित है। कथाकार के अनुसार टाइटैनिक जहाज डूबने से चौदह साल पहले एक लेखक को एक सपना आया था जिसमें तात्कालिक समय का सबसे बड़ा जहाज अपनी प्रथम यात्रा में ही डूब जाता है। लेखक ने इस स्वप्न पर एक उपन्यास की रचना भी की थी।
     और जब चौदह साल बाल बाद टाइटैनिक जहाज अपनी प्रथम यात्रा में सच में डूब जाता है तो लेखक को याद आता है आज से चौदह साल पहले का सपना, जो आज सच हो गया था।
अब इसमें सत्य कितना है और कल्पना कितनी है यह पाठक स्वयं तय करें।
नरेन्द्र सिंहा की रचना 'रहस्यमय पलायन' नामक रचना भी सत्य और कल्पना का मिश्रण है।
पाठकों ने राजस्थान के कुलधरा गांव के पालीवाल ब्राह्मणों के रातोरात पलायन की कहानी तो पढी होगी पर दुनिया में ऐसा सनसनीखेज, रहस्यमय पलायन शायद ही कहीं हुआ हो।

भारत के स्वाधीन हो जाने के बाब जब देशी रियासतों का विलय होने लगा, तो हैदराबाद के निजाम और उनके सहयोगियों ने कोशिश की कि उनके राज्य का विलय भारत संघ में न होने पाये। यह एक तूफानी समय था। उस समय हैदराबाद के प्रधान मंत्री मीर लायक अली थे। वे घोर भारत-द्रोही थे।
     यह कहानी इन्हीं मीरलायक अली साहब की है। जिन्हे भारत सरकार ने जनरबंद कर रखा था,उनके महल के चारों तरफ मजबूत पहरा था।  लेकिन इस मजबूत पहरे के बाद भी मीरलायक अली सपरिवार अपने महल, राज्य और भारत देश ये यूं गायब हो गये जैसे बंद मुट्ठी से हवा।
'अनजाने में हुयी अनहोनी' पण्डित नेहरू से बुधनी मेझान का विवाह रचना कर रचनाकार हैं नारायण सान्याल।
इंटरनेट पर खोजने पर इस कहानी से संबंधित बहुत से तथ्य सामने आये। लेकिन यहाँ लेखन ने सत्य के साथ कल्पना की सहायता से बुधनी के दर्द को व्यक्त भी किया है।
      आदिवासी क्षेत्र में 'पंचेत बांध' के उद्घाटन के लिए पण्डित जवाहर लाल नेहरू जब वहाँ आये तो एक छोटी सी भूल के चलते स्थानीय युवती बुधनी मेझान को लोगों ने पण्डित नेहरू की पत्नी मान लिया।
इस छोटी सी भूल की सजा बुधनी मेझान को जो चुकानी पड़ी वह अकल्पनीय है।
      इस के अतिरिक्त इस अंक में और भी बहुत से स्तम्भ और कथाएं शामिल हैं। जिनमें एक कहानी है 'एक थी रीटा', जिसके लेखक हैं जुझार सिंह जंजुअ। लेखक की यह प्रथम कहानी है जो उन्होंने 'संयुक्त अरब अमीरात' प्रवास के दौरान लिखी थी।
        यह कहानी है रीटा नामक युवती की जो संयुक्त अरब अमीरात में काम करती है। भारत से कमाई के लिए आयी इसी युवती की यहाँ जो परिस्थिति होती है उसका मार्मिक वर्णन लेखन ने किया है।
'अब क्या गिरफ्त में आयेगा ददूआ(सुरेश द्विवेदी), 'व्हाइट हाउस की दावतें'(लेटीशिया बेलग्रिज) अन्य अन्य रचनाए हैं।
इसके अतिरिक्त छोटी -छोटी रहस्यमयी रचनाएँ भी शामिल हैं।
मनोहर कहानियाँ का प्रस्तुत अंक अत्यंत रोचक और रहस्य-रोमांच से परिपूर्ण है।
मनोहर कहानियाँ के नियमित पाठक इस पत्रिका को बहुत प्यार करते थे। समय के साथ बहुत कुछ बदल गया। जिसमें इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली यह पत्रिका अब 'दिल्ली प्रेस दिल्ली' से प्रकाशित होने लगी है। लेकिन अब इसमें वह बात नहीं रही, जिसके लिए यह पत्रिका जानी जाती थी।

पत्रिका- मनोहर कहानियाँ
अंक-    नवम्बर- 1998
प्रकाशक-  मित्र प्रकाशन, इलाहाबाद

1 comment:

  1. सभी रचनाएं रोचक लग रही हैं। लेख रचनाओं को पढ़ने की उत्सुकता जगाता है।

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