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Monday, 18 December 2023

किताब के खूनी- आरिफ मारहर्वी

जासूस कैसर निखट्टू का कारनामा
किताब के खूनी- आरिफ मारहर्वी

कैसर ने चारों हाथ पैर तानकर एक लम्बी अंगड़ाई ली और किताब पर नजरें जमा दीं, जो उसे अभी-अभी भेज पर पड़ी हुई दिखाई दी थीं । थोड़ी देर पहले ही कैसर बाहर से आया था। उसके चेहरे पर हल्की सी थकान थी। लेकिन किताब देखते ही सारी थकान गायब हो गई। उसने आँखों को दायरे की शक्ल में घुमाया और हाथ बढ़ाकर किताब उठा ली ।
किताब के ऊपरी पेज पर लिखा था- 'लेडी चेटर्लीज लवर ।'
  ऐसी ही एक किताब सब इंस्पेक्टर इरफान को भी मिलती है।
अचानक इर्फान की निगाह सोफे के सामने वाली मेज पर चली गईं। एक मोटी सी किताब देखकर वह जरा सा श्रागे को झुका । उसने किताव के टाइटिल पेज पर निगाह डाली और फिर एकदम सीधा होकर बैठ गया ।
किताब के टाइटिल पेज पर लिखा था- 'लेडी चेटर्लीज लवर ।'
इस बदनाम किताब से वह भली भाँति परिचित था ।
 लेकिन जब जासूस कैसर और सब इंस्पेक्टर इरफान ने उस किताब को खोल कर देगा तो दोनों के होश उड़ गये, वह कल्पना भी नहीं कर सकते थे।

     हिंदी रोमांच कथा साहित्य में आरिफ मारहर्वी साहब का नाम एक सशक्त लेखक के तौर पर जाना जाता है। जहाँ उन्होंने जासूसी साहित्य की रचना की वहीं सामाजिक उपन्यास लेखक भी किया है।  आरिफ साहब को विशेष प्रसिद्धि 'राजवंश' नाम से मिली थी, राजवंश नाम से उन्होंने सामाजिक उपन्यास लिखे हैं।
        इसके अतिरिक्त आरिफ मारहर्वी साहब ने कुछ फिल्मों के लिए लेखक भी किया है। मिथुन चक्रवर्ती अभिनीत फिल्म सुरक्षा (1979) की कहानी आरिफ मारहर्वी साहब ने 'राजवंश' नाम से ही लिखी थी।
   उपन्यास साहित्य में आरिफ मारहर्वी साहब ने सीक्रेट सर्विस के जासूस कैसर हयात 'निखट्टू' को लेकर उपन्यास लिखे हैं।
प्रस्तुत उपन्यास कैसर 'निखट्टू' सीरीज का एक जासूसी उपन्यास है।
  जासूस कैसर और सब इंस्पेक्टर इरफान को फोन कर कोई अज्ञात महिला होटल पर मिलने के लिए बुलाती है।
'तो फिर कब मिल रहे हो ?'
'जब तुम कहो ।'
'आज ही ।'
'कब ?'
'ठीक साढ़े आठ बजे ।'
'कहाँ ?'
'इम्पायर होटल कमरा नम्बर सोलह।'

   जब दोनों अलग-अलग और एक समय वहाँ पहुंचे तो कमरा उन्हें खुला मिला, और वहाँ था सन्नाटा।
इन्स्पेक्टर इर्फान बैडरूम की ओर बढ़ गया। बैडरूम के अन्दर भी रोशनी थी। दरवाजा बन्द था। इर्फान ने दरवाजे के पास पहुँचकर दरवाजे पर धीरे से हाथ रखा। दरवाजा खुलता चला गया ।
इर्फान रिवाल्वर निकालकर फुर्ती से अन्दर चला गया ।
लेकिन बैड पर निगाह पड़ते ही उसके मस्तिष्क को एक जबर्दस्त झटका लगा। बैड पर एक लाश पड़ी थी, जिसका सिर, दोनों हाथों के पंजे और टखनों तक पैर गायब थे। लाश सीधी थी। उस पर कोई कपड़ा न था। बिस्तर पर और बिस्तर से नीचे ढेर सारा खून जमा हुआ था।

    अब दोनों के मस्तिष्क में यही प्रश्न थे की यह लाश किसकी है? फोन पर यहाँ बुलाने वाली महिला कहां गायब है? और वह महिला कौन थी?
इस रहस्य का पता लगाने के लिए सीक्रेट सर्विस का जासूस कैसर 'निखट्टू' कोशिश करता है और अपने उद्देश्य में सफल होता।
कैसर के परिश्रम से अंत में वास्तविक अपराधी पकड़ा जाता है।
   आरिफ मारहर्वी साहब द्वारा लिखित उपन्यास 'किताब के खूनी' कथास्तर पर अत्यंत कमजोर उपन्यास है। उपन्यास को आरम्भ में रोचक बनाने के लिए किताब और मानव अंगों का जिक्र किया गया है लेकिन जब उनके तर्क सामने आते हैं तो वह पूर्णतः गलत प्रतीत होते हैं।
अपराधी जब अपराध करता है तो वह अपराध छुपाने की कोशिश करता है न की उस अपराध के सबूत पुलिस विभाग को भेजने की कोशिश करता है।
   वहीं अपराधी वर्ग कैसर को पकड़ना चाहता है और उसे पकड़ने का तरीका ऐसा है जैसे हाथ को उल्टा घूमाकर कान पकड़ना हो।
   उपन्यास में अपराधी वर्ग तस्करी से जुड़ा हुआ है और वह कैसर को उलझाने के लिए अजीबोगरीब परिस्थितियाँ पैदा करता नजर आता है।
  ऐसी अतार्किक बातों/घटनाओं के कारण उपन्यास बहुत ही कमजोर महसूस होता है।
उपन्यास में छोटे-छोटे कथन देकर पृष्ठों की बढोतरी की गयी है, मुझे ऐसा लगता है।
उदाहरण देखें-

एक समय था जब उपन्यासों में पात्र कर्नल, कैप्टन आदि होते थे। यहाँ भी कुछ पात्रों के ऐसे नाम हैं।
जैसे-
कैप्टन रहमान, लेफ्टिनेंट दीपक, मेजर राणा।
यह सब कैसर के अधीनस्थ हैं।
'उस इमारत की निगरानी पर केप्टिन रहमान और लेफ्टिनेन्ट दीपक को नियुक्त कर दिया जाए ।'
'ओ० के० सर ।'
'इसके बाद मेजर राना को इम्पायर होटल पहुंचना है।

पाठक मित्रो,
यह चर्चा थी आरिफ मारहर्वी जी के उपन्यास 'किताब के खूनी' की। जो की एक सामान्य से भी कम स्तर का उपन्यास है।
अगर आपने यह उपन्यास पढा है तो अपने विचार अवश्य शेयर करें।
धन्यवाद

उपन्यास-   किताब के खूनी
लेखक-      आरिफ मारहर्वी
प्रकाशक-  स्टार पॉकेट बुक्स, दिल्ली
पृष्ठ-            124
प्रकाशन तिथि-  may 1971

उपन्यास का एक पृष्ठ


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