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Monday, 4 November 2024

606. टाॅप सिक्रेट - राहुल

आखिर क्या था- टाॅप सिक्रेट
टाॅप सिक्रेट- राहुल

प्राइवेट डिटेक्टिव भास्कर शेट्टी चोर की तरह अपने ऑफिस में पिछले दरवाजे से दाखिल हुआ ताकि उसकी चुलबुली सैक्रेटरी सोनाली उसे देखकर टोक न दे।
अपने कैमरे में आकर उसने राहत की सांस ली ही थी कि दरवाजे की आहट सुनकर चौंक पड़ा।
(टाॅप सिक्रेट- उपन्यास की प्रथम पंक्ति)
मुझे जासूसी उपन्यास बहुत पसंद हैं लेकिन आजकल पढने का समय कम‌ मिलता है और उस पर भी पढना और फिर समीक्षा लिखना तो न के बराबर ही हो गया। हालांकि मैंने इस साल कुछ अच्छे उपन्यास पढे हैं पर संयोग से उन पर लिख नहीं सका, समय मिला तो फिर कोशिश करेंगे, अभी तो हम प्रस्तुत उपन्यास 'टाॅप सिक्रेट' की चर्चा करते हैं।

राहुल द्वारा लिखित 'टाॅप सिक्रेट' उपन्यास डायमण्ड पॉकेट बुक्स दिल्ली से प्रकाशित हुआ था। 'राहुल' नाम डायमण्ड का Ghost लेखन है। पता नहीं कितने लेखकों की प्रतिभा और परिश्रम को Ghost लेखन ने खत्म कर दिया ।
   अब बात करते हैं 'टाॅप सिक्रेट' की कहानी की, दर असल यह कहानी 'टाॅप सीक्रेट' है इसलिए यहाँ बतायी नहीं जा सकती और जब बता ही दी तो टाॅप सिक्रेट क्या रह जायेगा। तो फिर क्या करें...?
तो चलो फिर इस उपन्यास पर थोड़ी चर्चा कर लेते हैं ताकि टाॅप सीक्रेट तो सीक्रेट ही रहे।
यह कहानी है माया बलसावर की...नहीं...नहीं... यह कहानी  है प्राइवेट डिटेक्टर भास्कर शेट्टी की । या कहें यह कहानी माया और भास्कर दोनों की है। अब दोनों की तो क्या कहानी होगी कुछ खल पात्र और सहायक पात्र भी होंगे, हाँ, है ना ।
प्राइवेट डिटेक्टिव भास्कर शेट्टी अपने कार्यालय में अपनी चुलबुली सेक्रेटरी सोनाली के साथ चुहलबाजी करता है तभी वहां एक लड़की आती है और भास्कर शेट्टी से कहती है-
'मेरा नाम रीटा है। मैं कमला नगर में रहती हूं और मुझे एक आदमी के बारे में जानकारी चाहिए।'
'सिर्फ जानकारी ?'
'हां...।'
'किस तरह ही जानकारी ?'
'यही कि वह क्या करता है ? कहां जाता है ? कहां रहता है ?'
'अच्छा... यह भी नहीं मालूम कि वह रहता कहां है ?' 'नहीं... सब-कुछ आपको ही मालूम करना होगा।'
'लेकिन इतने बड़े शहर में मैं उसे कैसे तलाश करूंगा ?'
'यह उसकी फोटो है।' कथित रीटा ने एक धुंधली-सी फोटो अपने पर्स से निकालकर भास्कर शेट्टी के सामने रख दी।
शेट्टी ने फोटो देखी। (पृष्ठ- 13,14)
  
भास्कर शेट्टी कथित रीटा के अनुसार उस आदमी की जानकारी एजत्र करता है और फिर अपनी क्लाइंट रीटा को सूचना देता है। लेकिन इस दौरान उस व्यक्ति की हत्या हो जाती है।
   स्थानीय विधायक बजरंगी लाल का पुत्र जीतू उस मृतक व्यक्ति का विशेष मित्र था । और जीतू इंवेस्टीगेटर इंस्पेक्टर रावत को धमकी दी की वह मृतक के हत्यारे को खोजकर सूचित करे ।
खाकी वाला खादी वाले पुत्र से भयभीत रहता है और इस केस में जुड़े डिटेक्टिव भास्कर शेट्टी से मदद की गुहार लगाता है।
इंस्पेक्टर रावत और डिटेक्टिव भास्कर शेट्टी की बातचीत आप भी पढ ही लीजिये-
'मंत्री बजरंगी लाल का प्रेशर होगा ?'
'नहीं शेट्टी... मंत्रीजी का प्रेशर होता तो मैं उसे सहन कर लेता लेकिन उनके एकमात्र लड़के का मामला है। तुम तो मौजूद थे जब उसने मुझे धमकी दी थी।'
'हां... मौजूद था।'
'उसके बाद से अब तक दो बार वह थाने आकर उथल-पुथल मचा चुका है और आठ-नौ बार उसका फोन आ चुका है।'
'आप उसे कह दें कि अजीत वर्मन का हत्यारा पकड़ लिया जाएगा।'
'एक और मुसीबत है।'
'वह क्या ?'
'उसका कहना है कि मैं हत्यारे को गिरफ्तार न करूं।' 'गिरफ्तार न करूं तो क्या करूं ?'
'उसे हत्यारे का नाम-पता बता दूं।'
'ताकि वह अपने गुण्डों से उसकी हत्या करवा दे ?'
'हाँ ।'
    मृतक अजीत वर्मन का केस खत्म भी नहीं हुआ था कि कथित रीटा शास्कर शेट्टी को एक और आदमी की फोटो देकर उसकी निगरानी करवाती है लेकिन यह आदमी भी एक दिन एक निर्माणाधीन बिल्डिंग में मृत पाया जाता है। अब भास्कर शेट्टी का सीधा शक कथित रीटा पर जाता पर रीटा का उत्तर कुछ और ही होता है। वह मृतक अजीत वर्मन के खून का भी पता लगवाना चाहती है।
'ठीक है। एक बात आपसे और कहनी थी।
'कहो ।'
'मलकागंज वाले मकान में वो जो खून हुआ था... समझ रहे हैं न आप किसका ?'
'हां... समझ रहा हूं।'
'उसके खूनी को पता लगाना है।'
'तुम्हें ?' आश्चर्य से शेट्टी के माथे पर बल पड़ गए।
'हां... मुझे।'
'क्या करोगी खूनी का ?'
'मुझे सिर्फ खूनी की जानकारी चाहिए।'
'लेकिन, किसलिए ?'
'बस चाहिए।'
'उफ्फ... मेरे लिए तुम एक विचित्र पहेली बनकर रह गई हो।'

और सच में कथित रीटा एक एक पहेली थी, जिसे सुलझाने के चक्कर में स्वयं भास्कर शेट्टी भी उलझ गया था ।
         एक हत्या के बाद कथित रीटा जहां भास्कर शेट्टी को नये आदमी की जानकारी के लिए कहती है वहीं मृतक के कातिल के विषय में भी वह जानकरी जुटाना और रोचक बात तो यह भी है कि रीटा जिस भी आदमी की जानकारी चाहती है वह व्यक्ति मारा जाता है।
अब पुलिस इंस्पेक्टर के लिए मृतक के कातिल को ढूंढना जहाँ चुनौती है वहीं मंत्री पुत्र जीतू के कहर से भी बचना है क्योंकि मृतक जीतू के परम मित्र हैं।
वहीं डिटेक्टिव के लिए कातिल को ढूंढना इतना महत्वपूर्ण नहीं जितना वह रीटा के काम के अतिरिक्त यह जानना चाहता ही आखिर रीटा का रहस्य क्या है? वह क्यों इस आदमियों की जानकारी चाहती है?
  उपन्यास में चाहे कत्ल पर कत्ल हो रहे हैं पर उपन्यास वास्तव में थ्रिलर ही है।
  खतरनाक लोगों का पीछा करते वक्त जहाँ एक सोनाली का दो बार अपहरण हो जाता है वहीं सहायता के लिए भास्कर शेट्टी टोनी बोरकर नामक एक अन्य डिटेक्टिव की मदद लेता है। यह पात्र काफी रोचक और दिलचस्प है। टोनी का बोलने का लहजा मुझे काफी पसंद आया।
  भास्कर शेट्टी एक प्राइवेट डिटेक्टिव है पर वह कानून का सम्मान करता है । सोनाली का दो बार अपहरण और दोनों बार वह उसको छुड़ा कर लाता है पर किसी भी खलपात्र को घातक चोट भी नहीं पहुंचाता, वहीं दूसरी तरफ उसे यह भी पता है पानी में रहकर मगर (विधायक पुत्र और खतरनाक गुण्डे) से बैर अच्छा नहीं है।
राहुल द्वारा लिखित टाप सिक्रेट एक रोचक उपन्यास है। जिसमें यह सारा घटनाक्रम बस टाॅप सीक्रेट्स को लेकर ही घटित होता है। आखिर वह टाॅप सिक्रेट क्या था और रीटा का उस से क्या संबंध था। क्या कारण था डिटेक्टिव भास्कर शेट्टी जिन लोगों की जानकारी जुटाता था वह मारे जाते थे।
         यह उपन्यास मैंने दूसरी बार 20.06.2002 को पढा था और तीसरी बार 05.11.2024 को पढा है। और पहली बार कब पढा यह याद नहीं । मैं अकसर उपन्यास पढने पर उसके अंतिम पृष्ठ पर समापन की दिनांक लगा देता हूँ।
  काफी समय से इस उपन्यास की तलाश थी और जैसे ही मिला दो बैठक में इस पढ दिया।
     डिटेक्टिव भास्कर शेट्टी को लेकर अगर राहुल ने अन्य कोई और उपन्यास लिखा हो ऐसी जानकारी नहीं है, अगर लिखा है तो मेरी पढने की इच्छा है।
  कहानी के स्तर पर चाहे पाठक को सामान्य प्रतीत हो पर लेखन में जो सरलता और प्रवाह है वह मुझे बहुत अच्छा लगा और इसीलिये इस उपन्यास को तीन बार पढा है।
कहीं को उलझाव नहीं, कोई अनावश्यक विस्तार या डायलॉगबाजी नहीं है। बस यही बात मुझे इस उपन्यास की सबसे अच्छी लगी ।
  
उपन्यास- टाॅप सिक्रेट
लेखक-    राहुल
प्रकाशक- डायमंड पॉकेट बक्स, दिल्ली
पृष्ठ-       220


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