मस्ती से भरा एक का रोमांटिक उपन्यास।
मेरी मदहोशी के दुश्मन- आबिद रिजवी, रोमांटिक-थ्रिलर उपन्यास।
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मेरी मदहोशी के दुश्मन- आबिद रिजवी, रोमांटिक-थ्रिलर उपन्यास।
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जासूसी उपन्यास जगत का जब से सुनहरी दौर बिता उसी के साथ बहुत से लेखक गुमनामी के अंधेरे में खो गये।
इन्हीं लेखकों में से एक लेखक है आबिद रिजवी साहब जिन्होंने वक्त के साथ स्वयं को बदला और लेखन क्षेत्र में सतत सक्रिय रहे।
लेकिन उपन्यास के क्षेत्र में इन्होंने लगभग बीस साल बाद पुन: पदार्पण किया। इनके इस आगमन का आगाज होता है रवि पाकेट बुक्स से प्रकाशित इनके उपन्यास 'मेरी मदहोशी के दुश्मन' उपन्यास से।
इन्हीं लेखकों में से एक लेखक है आबिद रिजवी साहब जिन्होंने वक्त के साथ स्वयं को बदला और लेखन क्षेत्र में सतत सक्रिय रहे।
लेकिन उपन्यास के क्षेत्र में इन्होंने लगभग बीस साल बाद पुन: पदार्पण किया। इनके इस आगमन का आगाज होता है रवि पाकेट बुक्स से प्रकाशित इनके उपन्यास 'मेरी मदहोशी के दुश्मन' उपन्यास से।
नीलू कक्षा दस की एक विद्यार्थी है। कुछ असामाजिक तत्व नीलू का अपहरण करना चाहते हैं। तब जासूस कामिनी बट उनसे जा टकराती है और दुश्मनों को मात देती है।
हालांकि उपन्यास की कहानी मात्र इतनी है पर लेखक ने अपनी कल्पना शक्ति से इसमें विविध रंग भरे हैं। ये रंग एक्शन और रोमांस के हैं।
उपन्यास रोचक और हल्का-हल्का प्रेम रस लिए हुये है। इस प्रेम रस में वह ताजगी है जो पाठक को आनंदित करती है और इस आनंद सागर में बहता हुआ पाठक उपन्यास के पृष्ठ दर पृष्ठ पढता चला जाता है।
वर्तमान में जहां अधिकांश उपन्यास मर्डर मिस्ट्री और दिमागी उलझन वाले हैं वहीं आबिद रिजवी साहब का यह उपन्यास सावन की हल्की सी बरसात की उस फुहार की तरह हैं जो तन के साथ मन को भी भीगों देती हैं।
भाषा शैली
इस उपन्यास की सबसे बङी विशेषता है इसकी भाषा शैली। आबिद रिजवी साहब एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं, साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न विषयों पर लिख चुके हैं। अत: स्वाभाविक ही है कि इनकी भाषा शैली बहुआयामी होगी।
एक एक्शन उपन्यास में इन्होंने कोमलकांत शब्दावली का प्रयोग किया है। ऐसी शब्दावली जो पाठक को सहज की आकर्षित कर लेती है।
उस दिन मौसम बहुत रोमांटिक था। सुरम ई बादलोंके नन्हें -मुन्ने टुकङे, धुनी हुयी रूई की तरह आसमान पर बिखरे हुए थे।
ठण्डी हवा थी, लेकिन चुपके-चुपके धीमे-धीमे इस तरह चल रही थी, जैसे महबूब के बेडरूम में पहुँचकर अचानक चौंका देना चाहती हो। (पृष्ठ- 07)
उपन्यास में लेखक महोदय ने कहानी पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया इसलिए कहानी अपने मूल विषय से भटक जाती है।
उपन्यास में मुख्य खलनायक का किरदार हावी रहता है लेकिन खलनायक संपूर्ण उपन्यास में एक बार दृष्टिगोचर होता है और वह भी पीठ किये हुए।
उपन्यास
निष्कर्ष-
उपन्यास के विषय में उपन्यास के अंतिम कवर पृष्ठ पर लिखी हुयी इबारत प्रकाश डालती है।
शहद की चाशनी कीमधुरिमा में डूबा एक ऐसा थ्रिलर उपन्यास, जिसमें हुस्न की चाहत के साथ देश प्रेम की भावना से लबरेज एहसासात भी हैं।
अगर पाठक वर्तमान एक्शन, मर्डर मिस्ट्री से अलग हटकर कुछ रोमांटिक पढना पसंद करते हैं तो यह उपन्यास आपका मनोरंजन करेगा। हालांकि कहानी के स्तर पर उपन्यास काफी पीछे रह गया।
फिर भी रोमांस और एक्शन पसंद पाठकों को उपन्यास पसंद आयेगा।
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उपन्यास- मेरी मदहोशी के दुश्मन
लेखक- आबिद रिजवी
पृष्ठ- 269
मूल्य- 80₹
प्रकाशक- रवि पॉकेट बुक्स- मेरठ
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अन्य लिंक
1. आबिद रिजवी जी का परिचय
2. आबिद रिजवी जी से साक्षात्कार
उपन्यास- मेरी मदहोशी के दुश्मन
लेखक- आबिद रिजवी
पृष्ठ- 269
मूल्य- 80₹
प्रकाशक- रवि पॉकेट बुक्स- मेरठ
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1. आबिद रिजवी जी का परिचय
2. आबिद रिजवी जी से साक्षात्कार
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