Tuesday, 29 May 2018

116. करमजली- धरम राकेश

एक मासूस युवक की खतरनाक कहानी।
करमजली- धरम राकेश, सामाजिक उपन्यास, पठनीय।
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     धरम-राकेश अपने समय की चर्चित उपन्यासकारों की जोङी थी। जिन्होंने अपने समय में काफी सामाजिक-थ्रिलर उपन्यास साहित्य को प्रदान किये। यह भी एक कौशल था की दो व्यक्ति मिलकर एक उपन्यास लिखें।
    धरमा-राकेश जी का बहुत समय पूर्व उपन्यास पढा था 'नये जमाने की बहू' जो की एक बैंक डकैती पर आधारित था।
    ‌‌‌    प्रस्तुत उपन्यास 'करमजली' मुझे आबू रोङ (सिरोही, राजस्थान) के लेखक मित्र अमित श्रीवास्तव जी से मिला।
    जब मेरा धरम-राकेश जी की चर्चित जोङी के एक लेखक धरम (धरम बारिया) जी से परिचय हुआ तो मेरी इच्छा हुयी की धरम-राकेश जी के उपन्यास पढने की। तब यह एक उपन्यास सामने आया।

  प्रस्तुत उपन्यास की कहानी-
* एक परिवार पर घिर आये दुख के काले बादलों‌ की करूण कहानी।
* मासूम‌ युवतियों पर जालिमों के अत्याचार की कसक भरी कथा।
* दो भयानक गैंगस्टर्स की खूनी साजिश टकराहट की अद्भुत गाथा।

                मनमोहन कुमार शर्मा एक सीधे-सादे इंसान हैं।‌ ईमानदार और मेहनती मनमोहन शर्मा की का परिवार थोङा बङा है। जिसमें उनके बीवी बच्चों के अतिरिक्त भाई विजय शर्मा और दो जवान बहनें कविता और रेखा भी है।
      अच्छा और खुश परिवार है लेकिन सदा स्थिति कुछ समय बाद बदल जाती है और जब स्थिति बदलती है तो एक के बाद परेशानियां मनमोहन शर्मा के परिवार को घेर लेती हैं।
             विजय शर्मा एक कत्ल के इल्जाम‌ में जेल चले जाते हैं और एक बहन घर से गायब हो जाती है।
    इसी शहर में दो खतरनाक गैंगस्टर हैं। एक है के.के. और दूसरा है मास्टर । जिनकी आपसी गैगंवार से पुलिस भी परेशान है।
              परिस्थितियाँ एक बार फिर बदलती हैं और इन दोनों गैंगस्टर के बीच में फंस जाता है विजय शर्मा।
          और फिर बहुत तेजी से घटनाक्रम बदलते हैं जिसे पाठक बहुत दिलचस्पी से पढता चला जाता है।

- विजय शर्मा ने किसका व क्यों कत्ल किया?
- क्या वास्तव में विजय शर्मा ने कत्ल किया या उसे किसी‌ ने फंसा दिया।
- मनमोहन शर्मा के परिवार का क्या हुआ?
- मनमोहन शर्मा की बहनों पर क्या बीती?
- कौन थी करमजली?
- दो गैंगस्टर कौन थे?
- दोनों गैंगस्टर के बीच में विजय शर्मा कैसे फंस गया?
      ऐसे अनेक प्रश्न है जिनका स्पष्ट उत्तर तो धरम-राकेश जी के उपन्यास 'करमजली' को ही पढकर मिलता है।

के विशेष कथन-
"....पहले जमाने में लोग दिल से दिल, मन से मन मिलाने के लिए गले मिला करते थे, लेकिन‌‌ अब जमाना बदल चुका है। आज पिच्यानवें प्रतिशत दोस्त गले मिलते समय पीठ में वह स्थान ढूंढा करते हैं, जहाँ आसानी से चाकू घोंपा जा सके।"- (पृष्ठ-114)

गलतियाँ-
उपन्यास में एक दो जगह शाब्दिक गलतियाँ हैं।
जैसे। राजीव और अरूण नाम‌ में है।

- और फिर मनमोहन कुमार शर्मा ने रामप्रकाश शर्मा के लङके राजीव से रेखा की शादी तय कर दी। (पृष्ठ-78)

- "तुम...तुम यहाँ रहते हो, अरूण?"- जैसे ही रेखा के पति अरूण ने दस्तक की आवाज सुनकर दरवाज़ा खोला।(पृष्ठ-131)
          अब यहाँ पता नहीं कब, कैसे राजीव का नाम अरूण हो गया।
      

उपन्यास के पात्र-
हालांकि प्रथमदृष्टि उपन्यास के पात्र बहुत ज्यादा नजर आते हैं लेकिन इतने पात्र उपन्यास में निरंतर नजर नहीं आते।
पुलिस विभाग से संबंधित पात्र हैं उनका या तो एक दो बार कहीं‌ नाम आया है या मात्र एक से आधे पृष्ठ तक उनकी भूमिका है।

मनमोहन कुमार शर्मा-    उपन्यास का मुख्य पात्र।
रुक्मणी-         मनमोहन शर्मा की पत्नी
विजय शर्मा-    मनमोहन शर्मा का भाई।
बबलू और नीलू- मनमोहन शर्मा के बच्चे।
रेखा-           मनमोहन शर्मा की बहन। काॅलेज स्टूडेंड।
कविता-        मनमोहन शर्मा की बहन। हाई स्कूल विद्यार्थी।
अशोक-      विजय शर्मा का मित्र।
सुभाष-      कविता का प्रेमी।
संध्या-        विजय की प्रेयसी।
प्रताप कुमार/ PK-       एक बदमाश।
गोगा,  राॅकी, शाकाल-  गुण्डे
नकाबपोश-               शाकाल का बाॅस।
निकल्सन-                 एक बदमाश।
शर्मा, सेवक राम, धूलिया  - पुलिस इंस्पेक्टर।
राणा, खन्ना, जोशी, हजूर सिंह, रोहिल्ला -  एस. आई./ पुलिस विभाग।
आशा- राणा आआभाखङी सिंह, पूरण सिंह,- काॅंस्टेबल
राम प्रसाद कुकरेजा- जेलर
चतुर्वेदी- पुलिस कमिश्नर  
अवस्थी-          डाॅक्टर
श्यामनाथ तिवारी- ब्लू स्टार होटल‌ का मैनेजर।
गिरधारी लाल/ तीर्थ राम - मनमोहन शर्मा का सेठ।
अनूप दत्ता-         वकील।
मिस्टर गुप्ता-       मनमोहन शर्मा के मित्र।
रमा-                  मिस्टर गुप्ता की पत्नी ।
रामप्रकाश शर्मा-  मिस्टर गुप्ता के मित्र।
राजीव-              रामप्रकाश शर्मा का पुत्र। रेखा का पति।
कांता-               राजीव की‌ माँ।

निष्कर्ष-
          उपन्यास रोचक और सरल भाषा -शैली में लिखा गया है। उपन्यास सामाजिक है जो की भावना प्रधान है। जिसे पढकर पाठक की आँखें सहज ही नम हो जाती है।
    उपन्यास पठनीय है।
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उपन्यास- करमजली
लेखक द्वय- धरम-राकेश
प्रकाशन- 1986 (प्रथम संस्करण)
प्रकाशक- अभिनव पॉकेट बुक्स, जी. टी. रोङ, शाहदरा-दिल्ली।

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