त्रिमूर्ति का साहसिक कारनामा
मुझे बाल साहित्य पढने का खूब शौक है। अगर बाल साहित्य रोचक और साहसिक कार्य से भरा हो तो उसका आनंद तो अदभुत है। बच्चों के रोचक कारनामें मुझे आकृष्ट करते रहे हैं।
अनुराग कुमार सिंह का एक बाल उपन्यास 'मुखौटे का रहस्य' पढने को मिला जो काफी रोचक है।
मुखौटे का रहस्य कहानी है तीन साहसी बालकों की जो अपनी हिम्मत से एक खतरनाक गैंग से टकरा जाते हैं और उसे अपने साहस और दिमाग से धूल चटा देते हैं।
सदियों पूर्व इस पृथ्वी पर राक्षस और देवता रहते थे। समय अनुसार देव शक्ति के आगे राक्षस हार गये लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो सदियों पूर्व खत्म हो गये इस रहस्य को खोजना चाहते हैं। ऐसे ही एक वैज्ञानिक है अनिल सहाय। अनिल सहाय के हाथ दुर्लभ, अदभुत किंतु जानलेवा 'मुखौटा' हाथ लगता है।
जैसा की उपन्यास का शीर्षक है 'मुखौटे का रहस्य' उपन्यास में एक मुखौटा है वह जिसके भी हाथ लगा उसका कत्ल हो गया। लेकिन फिर भी लोग उस मुखौटे का मोह त्याग नहीं पाते।
- क्या है उस अदभुत मुखौटे में?
- क्यों लोग उस मुखौटे के लिए जान देने पर तुले हैं?
- किस को मिला वह मुखौटा?
- आखिर क्या रहस्य है मुखौटे का?
यह कहानी है अरण्य नामक शहर की - अरण्य एक छोटा सा शहर था यहाँ शहर की आधुनिकता भी थी और गाँव की हरियाली भी। (पृष्ठ-12) यह शहर उस जगह पर स्थित है जहाँ से कभी पाताल लोक जाने का राक्षसों का रास्ता होता था। समय बदला, राक्षस तो न रहे पर उनकी शैतानी ताकतों को प्राप्त करने के लिए कुछ शैतान जाग उठे। लेकिन इन शैतानों का सामना करने के लिए कुछ देव शक्तियाँ 'गरूड़' आदि उपस्थित होती हैं और उनके साथ है त्रिमूर्ति।
तीव्र, सिया और चतुर्भुज की यह त्रिमूर्ति उन शैतानों से जा टकरायी।
तीव्र- उसकी उम्र अभी मात्र 16 वर्ष की थी और वो दसवीं कक्षा का छात्र था। उसका शरीर लंबा और छरहरा था पर नियमित योगाभ्यास के कारण सुडौल और स्वस्थ था। (पृष्ठ-09)
वहीं सिया कराटे में माहिर है तो चतुर्भुज पहलवान शरीर का है।
उपन्यास में जहाँ एक्शन है तो वहीं तीनों बच्चों के बीच का हास परिहास भी उपस्थित है।
उपन्यास में आधुनिक टेक्नोलॉजी का जिस तरह से बच्चों ने इस्तेमाल किया है वहाँ लेखक महोदय प्रशंसा के पात्र है। इससे उपन्यास में कुछ नयी संभावनाएँ पैदा होती है जैसा की इस श्रृंखला का आगामी उपन्यास 'मंगल के हत्यारे' है तो उम्मीद है उसमें में टेक्नोलॉजी के कुछ रंग-ढंग पढने को मिलेंगे।
अगर यह उपन्यास बच्चों के लिए है तो इसका मूल्य कुछ ज्यादा है। यह लेखक और प्रकाशक को देखना चाहिए की अगर वो इस उपन्यास को बच्चों तक पहुंचाना चाहते हैं तो इसका मूल्य भी उनके अनुरूप होना चाहिए।
निष्कर्ष-
'मुखौटे का रहस्य' एक बाल उपन्यास है, जो तीन बालकों के साहसिक कार्य को वर्णित करती है। देव और राक्षस प्रवृत्ति के इस सदियों से चले आ रहे संघर्ष का आधुनिक रूप में वर्णन करता यह बाल उपन्यास आदि से अंत तक रोचक है।
उपन्यास पठनीय है।
उपन्यास- मुखौटे का रहस्य
लेखक- अनुराग कुमार सिंह
प्रकाशक- सूरज पॉकेट बुक्स- मुंबई
पृष्ठ - 162
मूल्य- 150₹
मुझे बाल साहित्य पढने का खूब शौक है। अगर बाल साहित्य रोचक और साहसिक कार्य से भरा हो तो उसका आनंद तो अदभुत है। बच्चों के रोचक कारनामें मुझे आकृष्ट करते रहे हैं।
अनुराग कुमार सिंह का एक बाल उपन्यास 'मुखौटे का रहस्य' पढने को मिला जो काफी रोचक है।
मुखौटे का रहस्य कहानी है तीन साहसी बालकों की जो अपनी हिम्मत से एक खतरनाक गैंग से टकरा जाते हैं और उसे अपने साहस और दिमाग से धूल चटा देते हैं।
सदियों पूर्व इस पृथ्वी पर राक्षस और देवता रहते थे। समय अनुसार देव शक्ति के आगे राक्षस हार गये लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो सदियों पूर्व खत्म हो गये इस रहस्य को खोजना चाहते हैं। ऐसे ही एक वैज्ञानिक है अनिल सहाय। अनिल सहाय के हाथ दुर्लभ, अदभुत किंतु जानलेवा 'मुखौटा' हाथ लगता है।
जैसा की उपन्यास का शीर्षक है 'मुखौटे का रहस्य' उपन्यास में एक मुखौटा है वह जिसके भी हाथ लगा उसका कत्ल हो गया। लेकिन फिर भी लोग उस मुखौटे का मोह त्याग नहीं पाते।
- क्या है उस अदभुत मुखौटे में?
- क्यों लोग उस मुखौटे के लिए जान देने पर तुले हैं?
- किस को मिला वह मुखौटा?
- आखिर क्या रहस्य है मुखौटे का?
यह कहानी है अरण्य नामक शहर की - अरण्य एक छोटा सा शहर था यहाँ शहर की आधुनिकता भी थी और गाँव की हरियाली भी। (पृष्ठ-12) यह शहर उस जगह पर स्थित है जहाँ से कभी पाताल लोक जाने का राक्षसों का रास्ता होता था। समय बदला, राक्षस तो न रहे पर उनकी शैतानी ताकतों को प्राप्त करने के लिए कुछ शैतान जाग उठे। लेकिन इन शैतानों का सामना करने के लिए कुछ देव शक्तियाँ 'गरूड़' आदि उपस्थित होती हैं और उनके साथ है त्रिमूर्ति।
तीव्र, सिया और चतुर्भुज की यह त्रिमूर्ति उन शैतानों से जा टकरायी।
तीव्र- उसकी उम्र अभी मात्र 16 वर्ष की थी और वो दसवीं कक्षा का छात्र था। उसका शरीर लंबा और छरहरा था पर नियमित योगाभ्यास के कारण सुडौल और स्वस्थ था। (पृष्ठ-09)
वहीं सिया कराटे में माहिर है तो चतुर्भुज पहलवान शरीर का है।
उपन्यास में जहाँ एक्शन है तो वहीं तीनों बच्चों के बीच का हास परिहास भी उपस्थित है।
उपन्यास में आधुनिक टेक्नोलॉजी का जिस तरह से बच्चों ने इस्तेमाल किया है वहाँ लेखक महोदय प्रशंसा के पात्र है। इससे उपन्यास में कुछ नयी संभावनाएँ पैदा होती है जैसा की इस श्रृंखला का आगामी उपन्यास 'मंगल के हत्यारे' है तो उम्मीद है उसमें में टेक्नोलॉजी के कुछ रंग-ढंग पढने को मिलेंगे।
अगर यह उपन्यास बच्चों के लिए है तो इसका मूल्य कुछ ज्यादा है। यह लेखक और प्रकाशक को देखना चाहिए की अगर वो इस उपन्यास को बच्चों तक पहुंचाना चाहते हैं तो इसका मूल्य भी उनके अनुरूप होना चाहिए।
निष्कर्ष-
'मुखौटे का रहस्य' एक बाल उपन्यास है, जो तीन बालकों के साहसिक कार्य को वर्णित करती है। देव और राक्षस प्रवृत्ति के इस सदियों से चले आ रहे संघर्ष का आधुनिक रूप में वर्णन करता यह बाल उपन्यास आदि से अंत तक रोचक है।
उपन्यास पठनीय है।
उपन्यास- मुखौटे का रहस्य
लेखक- अनुराग कुमार सिंह
प्रकाशक- सूरज पॉकेट बुक्स- मुंबई
पृष्ठ - 162
मूल्य- 150₹
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