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Friday, 29 October 2021

470. हत्यारे- सुरेन्द्र मोहन पाठक

सात मौतें और बीस लाख के हीरे
हत्यारे- सुरेन्द्र मोहन पाठक
रहस्य के धागे, सुनील सीरीज का ग्यारहवां उपन्यास

    प्रस्तुत उपन्यास सुनील सीरीज का ग्यारहवां उपन्यास है जो बीस लाख की लूट पर आधारित एक थ्रिलर उपन्यास है। उपन्यास का कथानक तीव्र गति और रोचकता लिये हुये है। 
     यह कहानी है चार दोस्तों की जीवन, चौधरी, तिवारी और मोहन लाल नामक चार लूटेरों की। उन्हें एक सूचना मिली। - “सेठ गूजरमल के नौकर ने उसे विशालगढ़ में किसी को ट्रंक काल करके यह कहते सुना था कि वह आज रात की गाड़ी से बीस लाख रुपये का माल लेकर विशालगढ़ आ रहा था।”
       और इन चारों मित्रो ने उस बीस लाख की रकम को लूटने का एक फुलप्रूफ प्लान निर्मित किया।
      लेकिन जैसा की लूट के दौरान होता है, एक मित्र के हृदय में बेईमानी आ गयी। और उसने बीस लाख रूपये का वह माल गायब कर दिया।
     इन मित्रों की आपसी भाग दौड़ के दौरान एक दुर्घटना में संयोग से सुनील भी इन से टकरा जाता है। और वहीं सुनील को मिलता है सी. बी. आई. कैप्टन पिंगले जो सुनील से कहता है- “यह पुलिस केस है। हत्यारों की इस पार्टी में, जिनका एक सदस्य चौधरी अभी मारा गया है, किन्हीं विशिष्ट कारणों से सी बी आई के लोग भी दिलचस्पी ले रहे हैं,....।" 

Wednesday, 27 October 2021

469. दिमाग की हत्या- सजल कुशवाहा

एक थ्रिलर उपन्यास
दिमाग की हत्या- सजल कुशवाहा
कुशवाहा कांत का भतीजा
Hindi Pulp Fiction में पचास के दशक में‌ कुशवाहा कांत जी का नाम सर्वाधिक चर्चित रहा है। जहाँ एक तरफ कुशवाहा कांत जी ने रोमांस धारा के उपन्यास लिखे वहीं लाल रेखा जैसा प्रसिद्ध क्रांतिकारी उपन्यास लिख कर वे अमर हो गये।
    कुशवाहा कांत जी के परिवार के अन्य सदस्य भी उपन्यास लेखन में सक्रिय रहे। कुशवाहा कांत जी की पत्नी रानी कुशवाहा के नाम से भी कुछ उपन्यास प्रकाशित हुये। कुशवाहा कांत जी के भाई जयंत कुशवाहा ने भी उपन्यास लिखे और फिर जयंत कुशवाहा के पुत्र सजल कुशवाहा ने भी उपन्यास लेखन में अपनी प्रतिभा दिखायी। 
      सजल कुशवाहा जी ने सामाजिक और जासूसी दोनों तरह के उपन्यास लिखे हैं। मैंने काफी समय पूर्व सजल कुशवाहा जी का उपन्यास 'मेरी हुई औरत' पढा था। लम्बे समय पश्चात उनका उपन्यास 'दिमाग की हत्या' पढा।
    अब चर्चा करते हैं उपन्यास 'दिमाग की हत्या' की। 

Monday, 25 October 2021

468. रस्टी के कारनामे- रस्कीन बाॅण्ड

नन्हें रस्टी की कुछ रोचक शरारतें
रस्टी के कारनामे- रस्कीन बाॅण्ड

रस्किन बॉण्ड का नाम बाल साहित्य में अद्वितीय स्थान रखता है। रस्किन बॉण्ड मूलतः अंग्रेजी के लेखक हैं। उनका साहित्य जितना अंग्रेजी में प्रसिद्ध है उतना ही लोकप्रिय हिंदी में भी है।
        रस्किन बॉण्ड का जितना साहित्य मैंने पढा है, उसमें मुख्य पात्र रस्टी नामक एक बच्चा होता है, या यूं‌ कह सकते हैं वह पात्र रस्किन बॉण्ड के बचपन का प्रतिनिधित्व करता है। 
      'रस्टी के कारनामे' रस्कीन बॉण्ड की कुछ चर्चित कहानियों का संकलन है। यह दो भागों में विभक्त है।
   प्रथम भाग 'केन काका' शीर्षक से है और द्वितीय भाग 'स्कूल से भागना' शीर्षक से है।
     प्रथम भाग में रस्टी, केन काका और दादी के जीवन के कुछ रोचक प्रसंग यहाँ दिये गये हैं। जिनमें मुख्य केन‌ काका के जीवन से संबंधित घटनाएं हैं। 

Saturday, 23 October 2021

467. अंतिम अरण्य- निर्मल वर्मा

मृत्यु से पूर्व....
अंतिम अरण्य- निर्मल वर्मा
             हिन्दी साहित्य में निर्मल वर्मा एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। इनका रचना कर्म पाठक को एक अलग संसार की यात्रा करवाता है,वह संसार जो हम सब के अंदर है लेकिन‌ हम व्यक्त नहीं कर पाते। और निर्मल वर्मा इसलिए भी जाने जाते हैं‌ की उनका 'कहने' का ढंग बहुत अलग है। 
निर्मल वर्मा

  एक ऐसे लेखक जो पात्रों की जगह वातावरण और दृश्यों के माध्यम से ज्यादा प्रभावशाली ढंग से बात को व्यक्त करते हैं।
    निर्मल वर्मा जी का उपन्यास 'अंतिम अरण्य' पढा।
जिसे हम अपनी ज़िन्दगी, अपना विगत और अपना अतीत कहते हैं, वह चाहे कितना यातनापूर्ण क्यों न रहा हो, उससे हमें शान्ति मिलती है। 

Wednesday, 20 October 2021

466. डायमण्ड क्वीन- एस. सी. बेदी

हीरों के स्मग्लर
डायमंड क्वीन- एस. सी. बेदी
जेम्स बॉण्ड, विनय और भगत कुमार‌
एस. सी. बेदी का नाम सामने आते ही बाल पॉकेट बुक्स और राजन-इकबाल की याद ताजा हो जाती है। एस. सी. बेदी(सुभाषचंद्र बेदी) ने राजन-इकबाल और बाल पॉकेट बुक्स के अतिरिक्त फुल लैंथ उपन्यास भी लिखे हैं, हालांकि वे उपन्यास अब पाठकों के सामने नहीं हैं। 
    हिंदी उपन्यासों का एक दौर था जब नायक जेम्स बॉण्ड होता था। सुरेन्द्र मोहन पाठक जी ने भी जेम्स बॉण्ड को लेकर सात उपन्यास लिखे थे। एक बार मैंने कहीं पढा था, एस. सी. बेदी जी ने जेम्स बाण्ड लेखन को एक चैलेंज के रूप में स्वीकार किया था। और जेम्स बॉण्ड पर उन्होंने लिखा भी, हालांकि उन्होंने जेम्स बाण्ड पर कितने उपन्यास लिखे यह तो पता नहीं। 
   प्रस्तुत उपन्यास 'डायमण्ड क्वीन' जेम्स बाण्ड सीरीज का उपन्यास है। जिसमें बाण्ड के अतिरिक्त जासूस विनय और अंतरराष्ट्रीय ठग भगत कुमार भी उपस्थित हैं। 
     अब चर्चा करते हैं उपन्यास कथानक की। 

Sunday, 17 October 2021

465. आवाज का भेद- इब्ने सफी

कैप्टन विनोद- हमीद का कारनामा
आवाज का भेद- इब्ने सफी

   जासूसी उपन्यास साहित्य में इब्ने सफी युग रोचक उपन्यासों के लिए जाना जाता है। इब्ने सफी मूलतः उर्दू उपन्यासकार थे, इनके उपन्यासों का जितना विस्तृत बाजार उर्दू में था उस से कहीं ज्यादा हिंदी में था।
    इब्ने सफी के उपन्यास नकहत प्रकाशन के अन्तर्गत जासूसी दुनिया पत्रिका में प्रकाशित होते थे, जिनका अनुवाद प्रेम प्रकाश जी द्वारा किया जाता था। 

    'आवाद का भेद' इब्ने सफी जी का कैप्टन विनोद और हमीद सीरीज का एक रोचक उपन्यास है। उर्दू में कैप्टन फरीदी होता है हिंदी अनुवाद में फरीदी को विनोद कर दिया जाता है। हालांकि कुछ उपन्यासों में हिंदी में‌ भी 'कैप्टन फरीदी और हमीद' ही मिलते हैं। इनका एक और साथी है कासिम। कासिम एक हास्य पात्र है। उसका जासूसी में कोई योगदान नहीं होता।
        प्रस्तुत उपन्यास के आरम्भ में संपादकीय (संपादक- अब्बास हुसैनी) में‌ लिखा प्रस्तुत उपन्यास में कासिम का हास्यपूर्ण अंदाज खूब मिलेगा।
   कहानी का आरम्भ हमीद और कासिम से होता है। दोनों कुछ दिनों के लिए यात्रा पर निकले हैं। रास्ते में इनकी मुलाकात शाहिदा और उसके भाई नासिर तथा इनकी माँ से होती है। शाहिदा एक हँसमुख लड़की है।
  वह अपनी माँ से कहती है-
"यह भी मेरे बाप के बेटे हैं- आदम‌ की औलाद। मैं तो इनको हजारों सालों से जानती हूँ।" (पृष्ठ-19)
लेकिन वहाँ की कुछ घटनाएं हमीद को आश्चर्यजनक लगती हैं। जैसे हमीदा का बिल्ली की आवाद से हद से ज्यादा डरना।
       लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी हमीद इस आवाज के  रहस्य को नहीं समझ पाता। आगे सफर के दौरान हमीद और कासिम गायब हो जाते हैं। 

Friday, 15 October 2021

464. सरहदी तूफान- प्रेम प्रकाश

सरहद पर उठा एक खतरनाक तूफान
सरहदी तूफान- प्रेम प्रकाश
    
      Hindi Pulp Fiction में प्रेम प्रकाश का नाम पाठकों के लिए अपरिचित नहीं है। हालांकि पाठकवर्ग इन्हें लेखक के तौर पर कम और अनुवादक के रूप में ज्यादा जानते हैं। हिंदी जासूसी साहित्य को एक नया आयाम देने वाले इब्ने सफी के उर्दू उपन्यासों को हिंदी में अनुदित करने का कार्य प्रेम प्रकाश ही किया करते थे।
     बहुत से लेखक अनुवादक से लेखक बने हैं और इसी क्रम में नाम आता है प्रेमप्रकाश का। प्रेम प्रकाश का जितना नाम अनुवादक के तौर पर चर्चित रहा उतना एक लेखक के तौर पर चर्चित न रहा। 
     नकहत प्रकाशन -इलाहाबाद से सन् 1976 में प्रकाशित उपन्यास 'सरहदी तूफान' पढा‌ जो एक रोचक जासूसी उपन्यास है।
    शहर का एक चर्चित क्लब- प्रिंस नाइट क्लब।
    जासूस राजन भी इसी क्लब में था, जहाँ उसे कुछ संदिग्ध आदमी दिखे थे और वह उनका पीछा करता हुआ घने जंगल में पहुँच गया।
वे तीन आदमी थे। लेकिन जब राजन वहाँ पहुंचा तो उसे वहाँ एक आदमी की लाश मिली। यह उसी आदमी की लाश थी जिसे वह विचित्र आदमी प्रिंस नाइट क्लब में बराबर घूरे जा रहा था और जिसे वह अपने साथ यहाँ तक लाया था। (पृष्ठ-10) 

463. अनोखी रात- सुरेन्द्र मोहन‌ पाठक

अपनी पत्नी की तलाश में भटकते पति की कहानी
अनोखी रात- सुरेन्द्र मोहन पाठक

Hindi Pulp Fiction में सुरेन्द्र मोहन पाठक जी का एक विशिष्ट स्थान है। मर्डर मिस्ट्री उनका लेखन अद्वितीय है। लेकिन मर्डर मिस्ट्री के अतिरिक्त थ्रिलर उपन्यासों में जो उन्होंने कमाल किया है, जो लेखन है वह मुझे विशेष रूप से प्रभावित करता है।
     निरंजन चौधरी जी द्वारा लिखा गया एक उपन्यास मैंने पढा जिसकी कहानी पाठक जी के एक उपन्यास से मिलती थी। वहीं कुछ पाठक मित्रों ने बताया की तीन उपन्यासों की एक ही कहानी है। तो मैंने वह तीसरा उपन्यास भी पढ लिया। दो उपन्यासों की कहानी पूर्णत एक जैसी है और एक में कुछ परिवर्तन है। 

  पहले चर्चा करते हैं पाठक जी के उपन्यास 'अनोखी रात' की।
      देवेन्द्र पराशर ने अपनी बीवी के अतीत को कभी महत्व नहीं दिया। उसकी दृष्टि में यही महत्वपूर्ण था की वह उसे अथाह प्रेम करती थी। लेकिन एक रात, उस अनोखी रात में उसकी बीवी घर से गायब हो गयी। जब देवेन्द्र पराशर उसकी तलाश में निकला तो उसके सामने अपनी बीवी माया के अतीत की ऐसी काली परतें सामने आयी की वह सहम उठा। 

Wednesday, 13 October 2021

462. और वह भाग गयी- निरंजन चौधरी

आखिर क्यों?
और वह भाग गयी- निरंजन चौधरी
थ्रिलर उपन्यास

उसका बहुत ही शांत जीवन था, बंधी-बंधाई लीक पर चलने वाला। कोई उथल-पुथल नहीं, कोई हलचल नहीं। दो प्राणियों का जीवन। वह और उसकी पत्नी। आपस में प्यार, एक-दूसरे के लिए तड़प। बहुत ही सुखी जीवन।

    यह कहानी है सेन्ट्रल सेक्रेटेरियट में सुपरिन्टेन्डेंट  दीपंकर और उसकी पत्नी सुलोचना की।
   दीपंकर और सुलोचना की शांत जिंदगी में एक दिन एक तूफान आता है और उनका सुखमय जीवन अशांत हो उठता है। सुलोचना घर से भाग जाती है। दीपंकर के लिए यह घटना उसके शांत जीवन में हलचल पैदा कर देती थे।


 आखिर सुलोचना घर से क्यों भाग गयी?
                "सुलोचना को मैं इतना प्यार करता हूँ कि उसके बिना अब जीवित ही नहीं रह सकता।"-दीपंकर बोला,- "और अब मैं उसकी तलाश में निकलता हूँ। वह जहां भी होगी, मैं उसे खोज निकालूंगा।" 

Tuesday, 12 October 2021

461. बकरे की करामात- एस. सी. बेदी

राजन-इकबाल का कारनामा
बकरे की करामात- एस. सी. बेदी

नमस्कार पाठक मित्रो।
       लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में बहुत अजीब शीर्षक से उपन्यास भी प्रकाशित हुये हैं। और उम्मीद है आपने पढे भी होंगे। माननीय सुरेंद्र मोहन पाठक जी का उपन्यास 'बंदर की करामात' तो काफी चर्चित उपन्यास है। ऐसा ही एक उपन्यास एस. सी. बेदी जी ने लिखा था जिसका शीर्षक है- बकरे की करामात। 
    अब 'बंदर की करामात' और 'बकरे की  करामात' एक जैसे उपन्यास है या दोनों का कथानक अलग है। यह आप इस पोस्ट को पढकर जान जायेंगे।
   उपन्यास प्रसिद्ध जासूस 'राजन-इकबाल' पर आधारित है। राजन एक बार इकबाल को कलवाड़ की पहाड़ियों में‌ जाने को कहता है। इकबाल अपने साथ नफीस को ले जाता है।
      एस.सी. बेदी जी का एक खास पात्र है नफीस। नफीस को ज्यादातर उपन्यासों में हास्य और कम बुद्धि के पात्र के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है।
"आप भी कमाल करते हैं भाईजान।"-इकबाल मुस्कुराता हुआ बोला,-" अगर इसी तरह डरते रहे तो खाक जासूसी करेंगे। मैं तो आपको पक्का जासूस बनाना चाहता हूँ।"
"जासूसी गयी भाड़ में और तेल लेने भी। अपुन को अपनी जान प्यारी है। तुमको मरना है तो जाओ मरो।"

   इकबाल को यहाँ एक स्त्री मिलती है लेकिन‌ इस दौरान नफीस गायब  हो जाता है।
    इकबाल के हाथ यहाँ नेन्सी‌ लगती है और नफीस खो जाता है। राजन-इकबाल के हाथ नेन्सी एक प्रमुख गवाह है, लेकिन एक दिन वह भी रहस्यम तरीके से मृत पायी जाती है।
"समझ नहीं आया।"- इकबाल बोला," चादर पर खून के धब्बे थे और लाश पर एक भी घाव नहीं है।"