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Thursday, 23 July 2020

353. लाश का रहस्य - गुप्तदूत

किसकी थी वह लाश
लाश का रहस्य- गुप्तदूत

सब इन्सपेक्टर फिर लाश को ध्यानपूर्वक देखने लगा। लाश इतनी फूल चुकी थी कि न तो उसकी रंगत का अनुमान लगाया जा सकता था और न ही राष्ट्रीयता का। कपड़ों से कुछ अनुमान सम्भव था, लेकिन उसके शरीर पर तो बनियान और अंडर वियर ही थे, जो अब काफ़ी फट चुके थे और उनकी अब धज्जियां ही रह गई थीं। चेहरा तो पहचान योग्य था ही नहीं, बल्कि इतना भयानक हो गया था कि सिपाही तो उस पर नज़रें भी नहीं टिका सकते थे। - इसी उपन्यास में से
           लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में Ghost writing का एक विशेष दौर रहा है, और यह दौर काफी लम्बा चला है। इसी समय 'स्टार पब्लिकेशन' ने अपना एक छद्म लेखक 'गुप्तदूत' प्रस्तुत किया। गुप्तदूत के उपन्यास जासूसी और मनोरंजन से परिपूर्ण होते थे। गुप्तदूत नाम से किन-किन लेखकों ने लेखन किया है यह तो नहीं पता चला, लेकिन जो भी लिखा है वह पठनीय है।
   'गुप्तदूत' रचित उपन्यास 'लाश का रहस्य' पढने को मिला। यह एक मर्डर मिस्ट्री आधारित रचना है।
    उपन्यास का कथानक एक नदी में लाश मिलने से होता है। लाश भी इस अवस्था में मिलती है की उसकी पहचान करना भी मुश्किल है।
     
     इस लाश के रहस्य को हल करने‌ की जिम्मेदारी इंस्पेक्टर गिरीश करनाड और सब इंस्पेक्टर डिसूजा।  और दोनों मनोयोग से इस केस को हल करने की कोशिश करते हैं। इस कोशिश में उन्हें कुछ लापता व्यक्तियों की एक सूची मिलती है और उस सूची में से उन्हें मृत व्यक्ति का पता चलने की संभावना थी, परंतु प्राप्त लाश की स्थिति यह थी की उसकी पहचान पूर्णतः मुश्किल थी।
    दोनों इंस्पेक्टर ऐसे लोगों को बुलाते हैं जिनके परिवार के सदस्य लापता हैं,पर लाश की स्थिति देखकर कोई भी यह तय नहीं कर पाता की यह लाश उनके परिवार के किसी सदस्य की है, और इस तरह से 'लाश का रहस्य' और गहरा हो जाता है। आखिर किसकी थी वह लाश?
      यहाँ लाश की पहचान करने वाले तीन परिवार सामने आते हैं। 
    हालांकि इससे आगे के कथानक में पात्रों का नाम उजागर होने से कथारस खत्म हो सकता है, इसलिए इसे यही विराम देते हैं।
     लड़ाई के तीन‌ मुख्य कारण होते हैं। 'जर, जमी और जोरू' यहाँ तीनों परिस्थितियों परस्पर मिल जाती हैं। वह जमीन-जायदाद बेचकर शहर में बस गया था और फिर अपने एक मित्र से पार्टनरशिप में व्यापार आरम्भ कर दिया। और दोनों मित्र वेश्यालय की सीढियां चढने लगे। घनिष्ठ दोस्ती वेश्यालय की सीढियों पर ही खत्म हो गयी। 
  कहते हैं वेश्या मात्र पैसे से प्यार करती है और यहाँ भी यही स्थिति बन गयी। 
एक तरफ कथित प्यार और दूसरी तरफ पैसा। इसके मध्य परिवार और मित्रता का संबंध कहानी को नये- नये मोड़ देता है। 
  उपन्यास के आरम्भ में एक मछली पकड़ने वाली युवती का चित्रण किया गया है जो सर्वप्रथम लाश को देखती है। उस युवती का उपन्यास में कहीं कोई महत्वपूर्ण किरदार नहीं लेकिन उपन्यास आरम्भ में उसके परिवार और पति का अनावश्यक वर्णन दे रखा है। आरम्भ में तो यही प्रतीत होता है यह उपन्यास इसी युवती से संबंधित है।
उपन्यास में इंस्पेक्टर तीन ऐसे परिवारों को थाने बुलाता है जिनके परिवार के सदस्य गायब थे। यहाँ इंस्पेक्टर उन परिवार के सदस्य को लाश दिखाने की बजाय उनके बयान पहले लेता है जो की पूर्णतः अतार्किक है। तीन चार पृष्ठ के बयानबाजी पश्चात दो परिवार तो पूर्णतः मना कद देते है की मृतक हमारे परिवार का सदस्य नहीं है और वहीं तृतीय परिवार इंस्पेक्टर को फटकारा लगाता है की जब तक हम लाश न देख ले तब तक आप अनावश्यक बयानबाजी न लें।
   उक्त दोनों प्रसंग उपन्यास के पृष्ठ बढोतरी करने के अतिरिक्त और कोई कार्य के नहीं हैं।
        Ghost writer गुप्तदूत द्वारा लिखित 'लाश का रहस्य' उपन्यास एक अज्ञात लाश मिलने से आरम्भ होता है। पुलिस विभाग उस अज्ञात लाश की हत्या के कारणों को ढूंढती है और वास्तविक हत्यारे का पकड़ती है। उपन्यास काफी रोचक और घुमावदार है। उपन्यास में पुलिस की कार्यशैली का वर्णन वास्तविक के अत्यंत निकट है जो उनके परिश्रम को व्यक्त करता है।
उपन्यास - लाश का रहस्य
लेखक -     गुप्तदूत
प्रकाशक - स्टार पब्लिकेशन
प्रकाशन वर्ष- 1978
पृष्ठ - 148
       

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