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Friday, 24 July 2020

354. मास्टरमाईन्ड- हरचरण सिंह बावा

एक पुत्र की प्रतिशोध कहानी
मास्टर माइण्ड- हरचरण सिंह बावा

      लड़ाई के मुख्यतः तीन कार माने जाते हैं- जर, जोरू और जमीन। अगर लोकप्रिय जासूसी साहित्य में देखे तो अशिकांश घटनाएं इन तीन विषयों पर ही आधारित हैं। प्रस्तुत उपन्यास 'मास्टरमाइण्ड' भी जर अर्थात् धन पर आधारित है।
      जैसा की लेखक महोदय ने उपन्यास के अंतिम आवरण पृष्ठ पर लिखा है- सनसनी खेज, हैरत अंगेज कारनामों से भरपूर, रोंगटे खड़े़ कर देने वाली वाली डकैती जो इजिप्ट देश में एक पिरामिड में डाली गी।
       लेकिन पाठक मित्रो कहानी बस इतनी सी नहीं है, यह तो उपन्यास की भूमिका है वास्तविक कहानी तो कुछ और ही है।
उत्तरप्रदेश से मित्र प्रेम मौर्य जी ने उपन्यास 'मास्टरमाइण्ड' मुझे सप्रेम भेजा है, मैं उनका धन्यवाद करता हूँ। 
      अब चर्चा करते हैं, उपन्यास के विषय वस्तु पर। सर्वप्रथम स्पष्ट कर दूं यह एक लघु उपन्यास है जिसके लेखक हरचरण सिंह बावा हैं। मेरे द्वारा पढा गया इनका यह प्रथम उपन्यास है।
यह कहानी आरम्भ होती है चार दोस्तों से। जो बदमाश प्रवृत्ति के हैं। 
माउंट आबू, सिरोही
       होटल के एक कमरे में चार बचपन के यार, जिनका काम चोरी चकारी करना है, आज इकट्ठे हुए हैं। इन सब में जो मास्टर माइंड कहलाता है, उस का नाम आनंद है। उसी के कहने पर यह मिटिंग रखी है।     आनंद के बाकी दोस्त हैं- बशीर, दलीप और विनोद।
आनंद- हां यारो आज मैंने तुम सब को इसलिए यहाँ बुलाया है कि छोटे-मोटे चोरी के धंधे छोड़ कर एक बड़ा सा हाथ मारा जाए और फिर शरीफ लोगों की तरह बढिया काम धंधे किये जायें और सफेदपोशों की तरह जिया जाये। (पृष्ठ-05)
        उपन्यास में शीघ्र ही एक और किरदार का प्रवेश होता है। हालांकि उसका किरदार कम है लेकिन वह उपन्यास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
दो अलग- अलग नस्लों‌ की पैदावार, हरामी टाइप, जिसका नाम है एनटोनियो।
     डकैती के बाद सब अलग-अलग देशो में चले जाते हैं लेकिन कहते हैं ना गुनाह की सजा आह नहीं तो कल अवश्य मिलती है।
        सूरज और स्वीटी उपन्यास के नायक और नायिका कहे जा सकते हैं जो इन अपराधियों को ढूंढकर सजा देते हैं।
        उपन्यास का रोमांच आरम्भ में इजिप्ट की डकैती और उसके पश्चात सूरज और स्वीटी द्वारा अपराधियों को खोजने में है। लेकिन यहाँ भी लेखक महोदय ने अतार्किक ढंग अपराधियों को खोजा और सजा दी है।

         लेखक महोदय ने उपन्यास का कथानक वास्तव में बहुत रोचक चुना था लेकिन वे कथानक के साथ न्याय नहीं कर पाये। कहानी का प्रस्तुतीकरण बहुत निराशाजनक है, लेखक वर्तमान शब्दों का प्रयोग करता है, जैसे- माधुरी को विदा करके सूरज सीधा एक एजेंट के पास जाता है और उसे अर्जेंट पासपोर्ट बनाने के लिए कहता है और इजिप्ट देश का वीजा लगवाने को कहता है। (पृष्ठ-21)
      उपन्यास में कथानक के स्तर पर बहुत सी गलतियाँ है जो कहानी का रोमांच खत्म कर देती हैं। और बाकी की कमी मुद्रण ने कर दी प्रथम पृष्ठ पर ही पांच-सात शाब्दिक गलतियाँ हैं और यह प्रत्येक पृष्ठ पर हैं।
      अगर लेखक महोदय और प्रकाशक अतिरिक्त परिश्रम करते तो यह लघु उपन्यास पढनीय हो सकता था।

     कुछ लेखक के कारण, कुछ असंपादन और कुछ प्रकाशन के कारण यह लघु उपन्यास अपनी अच्छी स्थिति न बना पाया।
   उपन्यास लघु कलेवर होने के कारण एक बार पढा जा सकता है।

उपन्यास- मास्टरमाइण्ड
लेखक-    हरचरण सिंह बावा
प्रकाशक- RIGI PUBLICATION, KHANNA, PUNJA
पृष्ठ-   ‌     100
ISBN-  978-93-86447-76-0

2 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद सर जी ।

    प्रेम कुमार

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  2. आप की समीक्षा काबिले तारीफ

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