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Wednesday, 2 November 2022

541. यामी- आलोक सिंह खालौरी

प्यारा हमारा अमर रहेगा...
यामी- आलोक सिंह खालौरी
महत्वाकांक्षा जब एक सीमा से आगे बढ़ जाती है, तो वो एक जिद, एक जुनून का रूप ले लेती है। ऐसी ही एक महत्वाकांक्षा की कहानी है-ईसा से 500 वर्ष पूर्व एक तांत्रिक तुफैल और उसकी शिष्या कूटनी माया की, जिन्होंने ईश्वरीय सृष्टि के समांतर एक सृष्टि निर्मित करने की महत्वाकांक्षा पाल ली थी। उनकी इस महत्वाकांक्षा में जाने अंजाने ही सहायक बन गई भोली भाली गंधर्व कन्या यामी। यामी-जो अपने प्रेम की तलाश में गंधर्व लोक से पृथ्वी पर आई थी। विधि के विधान ने माया, तुफैल और यामी को समय से 2500 साल आगे सन 2022 में ला फेंका। सन 2022 – जहाँ चाहे अनचाहे दो अन्य व्यक्ति भी माया, तुफैल और यामी के इस द्वंद का मोहरा बन गए -एक युवा आई०पी०एस० और दूसरे इस किताब के लेखक आलोक सिंह खुद। फिर क्या हुआ 2022 में ? कौन जीता ये जंग ? माया या यामी ? क्या यामी अपनी मोहब्बत की तलाश कर पाई ? तुफैल और माया समांतर सृष्टि की स्थापना के अपने उद्देश्य में कहाँ तक सफल हुए ? ऐसे ही अनेक प्रश्नों का उत्तर है यामी। (किंडल से)
   आलोक सिंह खालौरी उत्तर प्रदेश के मेरठ के निवासी हैं। अपनी पाँच रचनाओं के दम पर पाठक वर्ग में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर चुके हैं।
   प्रस्तुत कहानी 'यामी' समय यात्रा पर आधारित है। एक युग से दूसरे युग में प्रवेश की कथा है। प्रेम और प्रकृति के समांतर सत्ता स्थापना की कथा है यामी।  समयरहित गंधर्वलोक की यामी को यश से प्रेम है। अगर आज के समय के प्रेमी होते यह गीत अवश्य गाते -"प्यार हमारा अमर रहेगा..." पर यहाँ तो यामी का प्रश्न ही अलग था।
“क्या हुआ है हमें ?”–यामी ने अपनी बड़ी-बड़ी आँखें यश पर टिका दीं। 
“कदाचित तुम्हें भी वही हुआ है, जो मुझे हुआ है।”–यश बोला।
“परंतु क्या ?”
“प्रेम।”–यश बोला।
“प्रेम ?”–यामी के चेहरे पर सोचने वाले भाव आ गये।
लेकिन इस प्रेम की परिणीति नहीं हो पाती और यश समयबंधन वाले पृथ्वी लोक पर पहुँच जाता है।
    अपने यश को पाने के‌ लिए यामी को भी पृथ्वी लोक पर आना पड़ता है। पर वह नाबालिग यामी के लिए आसान न था, यामी स्मयंतक मणी की मदद से अपने प्रेम के लिए पृथ्वी पर आती है।
     ईसा से क़रीब पाँच सौ वर्ष पूर्व मगध की राजधानी–गिरिवज्र। यह कहानी का द्वितीय पक्ष। जहाँ एक यामी अपने प्रिय अजातशत्रु को प्राप्त करने की कोशिश करती है।
अजातशत्रु, जी हाँ, बिम्बिसार के पुत्र अजातशत्रु का ही वर्णन है यहाँ पर। लेखक महोदय ने 'यामी' की कहानी को अजातशत्रु से संबंद्ध करके इसी ऐतिहासिकता प्रदान करने का एक रोचक प्रयोग किया है। 
       अजातशत्रु, जी हाँ, बिम्बिसार के पुत्र अजातशत्रु का ही वर्णन है यहाँ पर। लेखक महोदय ने 'यामी' की कहानी को अजातशत्रु से संबंद्ध करके इसी ऐतिहासिकता प्रदान करने का एक रोचक प्रयोग किया है।
  वहीं अजातशत्रु द्वारा अपने पिता बिम्बिसार की हत्या का कारण जो दर्शाया गया है और उसके पीछे का तर्क चाहे तर्कसंगत न भी हो पर नया और रोचक अवश्य है। यहाँ लेखक महोदय ने जो काल्पनिक कारण दर्शाया है वह उपन्यास के दृष्टि से सार्थक है।
- “माया ! कूटनी माया ! जिसने देवव्रत के साथ मिलकर अजातशत्रु के हाथों सम्राट बिंबिसार की हत्या करवा दी थी ?”
     अब चलते हैं वर्तमान समय में। जहाँ विजय और रिया की प्रेम कथा चलती है।  लेकिन वहीं विजय अपने शरीर में सोलह साल से एक अन्य आत्मा को संभाल रहा था। अब पता नहीं की वह यामी थी या माया।
वही माया जो अपने तांत्रिक साथी के साथ मिलकर समांतर दुनिया बनाने के स्वप्न देखती है।
       ये माया वैदिक काल की सबसे बड़ी कूटनी थी। एक दुष्ट जादूगरनी, जिसने अपने गुरु तुफैल के साथ मिलकर एक समांतर दुनिया बनाने का स्वप्न देखा था। बड़ी विचित्र कथा है इस माया की भी।
     गंधर्व लोक की यामी अजातशत्रु के समय से लेकर वर्तमान तक अपने प्रेम को पाने के लिए भटक रही है। जिसके रास्ते में माया और तुफैल जैसे भयानक लोग खड़े हैं, जिन्हें स्यमंतक मणि की आवश्यकता है। 
अब कौन, कैसे सफल होता है, यह पठनीय है।
    उपन्यास में आतंकवाद का चित्रण भी है और पुलिस विभाग और गुप्तचर एजेंसियों की कार्यशैली का वर्णन भी पठनीय है।
    रिया का किरदार बहुत ही चुलबुला है। वह संशय और स्वयं का प्रभाव एक साथ पैदा करती है।
मुख पात्र 'यामी' की बात करें तो यह पठनीय है की गंधर्व लोक से पृथ्वी पर आयी यामी को अपने प्रेम को पाने में शताब्दियां क्यों बीत गयी। और वर्तमान समय में उसे अपना प्रेम मिला या नहीं? अगर मिला तो आखिर कैसे? क्योंकि इनका प्रेम तो 'प्यार हमारा अमर रहेगा...' की तरह जो है।
     उपयोग में लेखक महोदय श्रीमान आलोक सिंह खालौरी जी स्वयं भी उपस्थित हैं। हाँ, लेखक महोदय के साथ भी एक ट्रेजेडी घटित होती है। 
लेखक आलोक सिंह खालौरी जी के साथ, मेरठ 17.09.2022
अजातशत्रु के समय से संबंधित जो चित्रण है और उसकी भाषाशैली लेखक ने जो प्रयुक्त की है वह प्रशंसनीय तो है ही साथ में लेखक महोदय की समयकाल के प्रति भाषायी प्रतिबद्धता भी दर्शाता है। कहानी के इस खण्ड में शब्द चयन में जो सतर्कता दिखाई देती है वह वास्तव में मुझे बहुत अच्छा लगा।
  वहीं इस खण्ड में तथागत बुद्ध का चित्रण एक नया प्रयोग नजर आता है। बुद्ध के विचारों को बहुत ही संक्षिप्त और सार्थक ढंग से व्यक्त किया गया है।
   उपन्यास में जो समझ में नहीं आया वह है शंशाक मित्तल का किरदार।
आलोक जी अगर पूरे उपन्यास में शंशाक मित्तल न होता तो क्या उपन्यास के कथानक पर प्रभाव पड़ता?
  उपन्यास में कुछ संवाद इतने रोचक हैं जो बरबस आकर्षित कर लेते हैं।
विशेष संवाद-
- पुरुष प्रेम करता है सेक्स के लिए और नारी सेक्स करती है प्रेम के लिये।
मस्तिष्क को जितना शांत रखोगे, सही हल की संभावना उतनी ही बढ़ जाएँगी।
   यामी दो काल खण्डों की एक रोचक प्रेम और रोमांच से परिपूर्ण कथा है। आदि से अंत तक पूर्ण मनोरंजक कहानी ।
उपन्यास- यामी
लेखक-    आलोक सिंह खालौरी
प्रकाशक- शब्दगाथा
प्राप्ति लिंक- यामी
उपन्यास अंश



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