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Monday, 6 July 2020

348. खौफनाक आवाजें- एस. एन. कंवल

भूतेश्वर लिंगम और शहजादी सौगानिया की खौफनाक दुनिया
खौफनाक आवाजें- एस. एन. कंवल

धम..धम...धम...मानो किसी ने नगाड़े पर चोट लगा दी हो।
चि...चि...चि...चूहे के बोलने की आवाज आने लगी।
छम...छम...छम...जैसे अनगिनत नर्तकियों की पायलें झनझना उठी हों।
म्याऊ..म्याऊं..म्याऊं...मानों‌ कई बिल्लियां बोल रही हों।
हा...हा...हा... जैसे कोई जोर से अट्टहास कर उठा हो।
उसके बाद भयावह स्वर से चीख पड़ा हो....फिर कराहटों की आवाज सुनाई देने लगी....तत्पश्चात् वातावरण सिसकियों से भर गया।
.....और इंस्पेक्टर कैलाश इन विभिन्न डरावनी आवाजों को सुनकर सहमा जा रहा था...आज पहला दिन था....पिछले पांच दिन से रात के ठीक बारह बजे उसके कमरे में इसी प्रकार के विभिन्न स्वर गूंजते थे।
(उपन्यास अंंश)
उक्त दृश्य है एस.एन. कंवल जी के जासूसी उपन्यास 'खौफनाक आवाजें' का।
- वह आवाजें क्यों गूंज रही थी?
- उन आवाजों का क्या रहस्य था?
- इंस्पेक्टर कैलाश का उन आवाजों से क्या संबंध था? 



    जैसे जैसे हम उपन्यास को पढते चलेंगे वैसे -वैसे यह रहस्य पाठक के समक्ष खुलते चलेंगे।
प्रस्तुत उपन्यास रहस्य- रोमांच से भरपूर एक मनोरंजन उपन्यास है। एस. एन. कंवल जी का मेरे द्वारा पढे जाने वाला यह प्रथम उपन्यास है। इसकी कहानी खौफनाक आवाजों और जासूसी विभाग के इर्द-गिर्द घूमती दिलचस्प कथा है।
अब चर्चा करते है कथानक पर। उपन्यास की कहानी इंस्पेक्टर कैलाश से होती है जिनके कमरे पर रात को बहुत ही अजीबोगरीब आवाजें आती हैं। इंस्पेक्टर कैलाश इन आवाजों के कारण हैरान और आश्चर्यचकित भी है लेकिन वह बहुत कोशिश करने के पश्चात भी इनका रहस्य नहीं जान पाता।
जासूसी विभाग की सुलेख इंस्पेक्टर कैलाश को बताती है की उसके घर उसे एक पाण्डुलिपि मिली जिसमें लिखा गया है की सिहली पहाड़ियों की पिछली चोटियों के दामन में शहजादी के बाप भूतेश्वर लिंगम का राज्य था। उसकी बेटी शहजादी सौगानिया ...जिस युवक पर आसक्त हो जाती है, जब तक उसका खून न पीवें, तब तक भूतों की इस दुनिया में चैन का सांस नहीं लिया जाता। (पृष्ठ-14)
       शहर में एक प्रसिद्ध जादूगर जमाल पाशा उर्फ जमाली का चमत्कारी कार्यक्रम होता है। प्रोफेसर जमाली नौजवान था...लाल चेहरे पर खूबसूरत फ्रेंच कट दाढी उसके व्यक्तित्व को अधिक आकर्षक बना रही थी...।
       जमाली का कार्यक्रम जनता को अत्यंत आकर्षक लगता है। जादूगर तो यहाँ तक कहता है की वह इंसान को जानवर और जानवर को इंसान बना देता है।- प्रोफेसर ने जोर से हाथ ऊँचा किया...बंद मुट्ठी को खोला...आग की लपट निकल कर हवा में गायब हो गयी।
         शहजादी सौगानिया प्रोफेसर जमाली के माध्यम से कैप्टन अशोक को अपना गुलाम बनाना चाहती है। लेकिन कैप्टन अशोक कहां गायब है यह जासूस विभाग को भी नहीं पता।
दूसरी तरफ इंस्पेक्टर कैलाश को धमकी मिलती है अगर वह निर्धारित समय में कैप्टन अशोक का पता न बता पाया तो शहर पर कहर बरसेगा।
और एक दिन जादूगर की जादुई दुनिया और शहज़ादी सौगानिया के गुलामों का कहर शहर पर टूट पड़ा।
       खूनी बादल भयानक और विचित्र आवाजों अए गरज रहे थे...बिजली की नीली लहरें चमक कर लुप्त हो रही थी और बादलों में खौफनाक आवाजें गूंज रही थी-"भूतेश्वर लिंगम‌ के सामने सिर झुकाने वालो, तुम्हें मुँह मांगी मुरादें मिलेंगी।" (पृष्ठ-84)
- कौन थी शहजादी सौगानिया?
- कौन था भूतेश्वर लिंगम?
- कौन था जासूगर जमाली?
- वह कैप्टन अशोक को क्यों ढूंढे रहे थे?
- कैप्टन अशोक कहां गायब था?
- क्या इंस्पेक्टर कैलाश इन परिस्थितियों से टकरा पाया?
        इन रहस्यमय प्रश्नों के उत्तर तो उपन्यास पढने पर ही‌ मिलेंगे।
      उपन्यास का कथानक रोचक है। कहानी आरम्भ से ही आकर्षण के जाल में आबद्ध कर लेती है और पाठक आगे यही सोचता है की यह रहस्य क्या है?
       खौफनाक आवाजों से शुरूआत होती है और फिर जादूगर जमाल पाशा अपना प्रभुत्व स्थापित कर लेता है। शहजादी सौगानिया का प्रभाव और आकर्षण उपन्यास में निरंतर रहता है पाठक इनके रहस्य को जानने को व्यग्र रहता है।
इंस्पेक्टर कैलाश के जासूसी अंदाज और मेहनत बहुत रोचक है। जादूगर जमाल पाशा का रहस्य भी आकर्षण का केन्द्र है।
कहानी आदि से अंत तक रोमांच से भरपूर है।

उपन्यास के प्रमुख पात्र एक नजर में
कैप्टन अशोक- जासूसी विभाग का कैप्टन
इंस्पेक्टर कैलाश- जासूस विभाग का इंस्पेक्टर
सुलेखा- जासूसी विभाग के सदस्य
स्वर्णा- जासूसी विभाग के सदस्य
प्रोफेसर जमाली- एक जादूगर
रीवा- जमाली की सहयोगी
भूतेश्वर लिंगम- सिहली पहाडियों का रहस्यम भूत
सौगानिया- भूतेश्वर की पुत्री
अन्य गौण पात्र

प्रस्तुत उपन्यास रहस्य-रोमांच से परिपूर्ण एक मनोरंजक उपन्यास है। कम पृष्ठों का यह उपन्यास कहीं से भी नीरस नहीं है। पाठक को अच्छा मनोरंजन करने में सक्षम है।
उपन्यास- खौफनाक आवाजें
लेखक- एस. एन. कंवल, बी.ए., साहित्यरत्न
प्रकाशक- रंगमहल कार्यालय, लाहौरी गेट, दिल्ली-6  

पृष्ठ- 108


लेखक परिचय-
एस. एन. कंवल
   

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