मर्मस्पर्शी कहानियों का संग्रह- स्वेटर
स्वेटर- अशोक जमनानी, कहानी संग्रह
साहित्यकार अशोक जमनानी जी का कहानी संग्रह 'स्वेटर' पढने को मिला यह एक रोचक और मर्मस्पर्शी कहानियों का संग्रह है।
इस संग्रह में वे कहानियाँ हैं, जिन्हें आकाशवाणी भोपाल ने पिछले कुछ वर्षों में प्रसारित किया है। मेरे विचार से इसी कारण इस संग्रह की कहानियों में एक सरलता है।
अशोक जमनामी का कहानी संग्रह स्वेटर कुछ रोचक और मर्म स्पर्शी कहानियों का संग्रह है। कहानियों की जो खुशबू है वह हल्की सी है जो आपके हृदय को एक शांति प्रदान करती है। कहानियों में कहीं भी जबरदस्त पैदा किया गया यथार्थवाद नहीं है, ओढी गयी गंभीरता नहीं है। जो कुछ भी इन कहानियों में व्यक्त है वह बहुत सहज और सरल है। वहीं लिखा गया है जो सामान्य समाज का एक अंग है।
इस संग्रह में कुल पन्द्रह कहानियाँ है।
इस संग्रह की प्रथम कहानी है '
स्वेटर' जो यह दर्शाने में कामयाब रही है की हम किसी घटना की वास्तविक जाने बिना अपने-अपने दृष्टिकोण से उसकी व्याख्या आरम्भ कर देते हैं।
जैसे अमोल ने स्वेटर पहना तो सभी ने अपने -अपने अनुमान लगाने आरम्भ कर दिये। यह कहानी हमारे दृष्टिकोण को एक नया आयाम देती है, हमारी पूर्वधारणाओं को त्यागने का संदेश भी देती है।
कहानी '
चोर' एक हास्य रचना के साथ-साथ एक चालाक आदमी के स्वभाव को भी रेखांकित करती नजर आती है। और ऐसी ही एक कथा है बन्ने मियाँ की। आदतन बातूनी बन्ने मियाँ की रोचक कहानी का नाम है '
लफ़्फ़ाज'।
बन्ने मियां के कारनामों से तो उनकी बेगम भी परेशान है।
"क्या बात है बेगम, ऐसा क्या कह दिया मैंने जो तुम कयामत बरपा रही हो?"
"कहा नहीं तुमने कर दिया बन्ने मियाँ कर दिया। वो कर दिया जिसके बारे में सोचकर मेरी पूरी जिंदगी जहन्नूम हो जायेगी।" (पृष्ठ-44)
बुआ जो भी कहानियाँ सुनाती है उसमें भूत-प्रेत बहुत सुंदर होते हैं। यही बात कार्तिक को अच्छी नहीं लगती।
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अब आप ही बताओ कि चुडैलें, डायनें और भूत-प्रेत का इतने सुंदर हो सकते हैं जितने सुंदर आपकी कहानियों में होते हैं?"(पृष्ठ-24)
यह कथन है कहानी 'सुंदर' का। बुआ जब इस कथ्य को साबित करती है की तो आँखें नम हो जाती हैं। ऐसी ही एक और कहानी है '
कुंभ दादी'। वहाँ बुआ का दर्द था यहाँ दादी का दर्द है। दोनों कहानियाँ मर्मस्पर्शी हैं।
आज भी मानवता जिंदा है, आज भी संवेदनाएं हैं। '
टिकिट' कहानी ऐसी है मानवीय संवेदनाओं को व्यक्त करती एक रोचक कहानी है।
'परकम्मा वासिनी' कहानी हमारे पारिवारिक संबंधों में व्याप्त स्वार्थ को रेखांकित करती है। यह कहानी है कनेर की।
कनेर का सुहाग उजड़ा तो क ई दिनों तक वो समझ नहीं पायी कि जिंदगी अब कौन सी राह पर चलेगी। (पृष्ठ-30)
कनेर का जो राह था वो था नर्मदा की परिक्रमा का और वो अंत तक परकम्मा वासिनी बनी रही। और घर वालों के लिए वह अब माँ न रही 'परकम्मा वासिनी' और कनेर माँ होना चाहती थी।
इस संग्रह की जो मुझे विशेष कहानी लगी वह है लाल चीटियाँ। स्वार्थ मनुष्य को किस स्तर तक गिरा देता है इसका जीवंत उदाहरण है कहानी '
लाल चीटियाँ'।
"
..बस मेरा घर ही एक ऐसी जगह है जहां मुझे चीटियों का बिलकुल डर नहीं है। (पृष्ठ-100)
उस कहानी का अंत ऐसा एहसास करवा देता है जैसे आपके शरीर पर चींटियाँ रेंग रही हो, पाठक सिहर उठता है।
'
ग्लोबल वार्मिंग' कहानी दर्शाती है की प्रदूषण सिर्फ पर्यावरण में ही व्याप्त नहीं है अपितु वह समाज और धर्म में इस कदर समाहित है की वहाँ से खत्म करना मुश्किल है।
लेकिन बदलते समय ले साथ बदलती शिक्षा ने हमारी जड़ बुद्धि को क्रियाशील किया है और इसी का परिणाम है की लोग धर्म के आडम्बर से बाहर निकलने लगे हैं।
"धरम जब धंधा बन जायेगा तो जैसे दूसरे धंधे के उसूल हैं वही धरम के धंधे में भी होंगे। (पृष्ठ-111)
अशोक जमनानी जी अपनी रचनाओं में जो भाषा शैली प्रयुक्त करते हैं वह रचनाओं की रोचक को बढाने में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
कुछ उदाहरण देखें।
- सुबह होने ही सूरज को इतनी ठण्ड लगी कि उसने काम पर जाने के बजाय बादलों की चादर ओढकर सोना बेहतर समझा। (पृष्ठ-07)
इस संग्रह में कुल 15 कहानियाँ है। कुछ पर यहाँ चर्चा कर ली और कुछ का अहसास आप पढकर लीजिएगा।
मैं इससे पूर्व अशोक जमनानी जी की एक काल्पनिक डायरी विधा में 'बूढी डायरी' और उपन्यास 'खम्मा' पढ चुका हूँ। अशोक जी में जो कहानी कहने की कला है और जो भाषा शैली है वह बहुत रोचक है। कहीं कोई बनावटीपन नहीं है। सहजता और सरलता इनकी विशेषता है जो पाठक को सहज ही अपनी तरफ आकृष्ट कर लेती है।
प्रस्तुत कहानी संग्रह में अलग-अलग परिवेश की कहानियाँ है। ये कहानियाँ हमारे समाज के विभिन्न अंगो का एक चित्र प्रस्तुत करती हैं।
यह संग्रह पठनीय है।
कहानी संग्रह- स्वेटर
लेखक- अशोक जमनानी
ISBN- 978-81-904999-7-2
संस्करण- 2018
प्रकाशक- संदर्भ प्रकाशन, भोपाल
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