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Thursday, 6 June 2019

204. रेड अलर्ट- प्रभात रंजन

विज्ञान के विकास की विनाश की कहानी
रेड अलर्ट- प्रभात रंजन, उपन्यास

प्रभात रंजन का उपन्यास 'रेड अलर्ट' मानव विकास कि उस स्थित का वर्णन करता है जिस पर मनुष्य को गर्व है, लेकिन वह विकास उसके लिए घातक है। प्रकृति को क्षति पहुंचा कर किया गया विकास तो विनाश है।


विश्व इतिहास में 06, 09 अगस्त 1945 का दिन अविस्मरणीय दिन है, यह एक काला दिन है जिसने मानवता को नष्ट करने का प्रयास किया है।
06.8.1945 को हिरोशिमा पर व 09 अगस्त को नागासाकी पर अमेरिका ने एटम बम गिरा कर अपनी हैवानियत का परिचय दिया था। इस विध्वंस से उपजी त्रासदी आज भी अमिट है।

इस कहानी के पात्र चाहे भारतीय हैं लेकिन इस कहानी का मूल वैश्विक है। मनुष्य जो घातक हथियार निर्माण कर रहा है उसके परिणाम संपूर्ण सृष्टि को भुगतना होगा।

          कहानी भारत से आरम्भ होकर जापान-अमेरिका से गुजरते हुए द्वितीय विश्व युद्ध की वीभित्सा का चित्रण करती है। मानव ने आज जो विज्ञान के दम पर विकास किया है, जिस विकास पर उसे गर्व है वह वास्तव में मनुष्य को विनाश की तरफ ले जा रहा है।
            विश्व के राष्ट्रों में हथियार, विकास और भौतिकता की जो अंधी दौड़ है वह सृष्टि को विनाश की तरफ ले जा रही है।
मनुष्य में प्रेम, सहयोग और संवेदनाएं खत्म हो रही है। नफरत, प्रतिस्पर्धा और अति महत्वाकांक्षा बढ रही है। इस दौड़ का कहीं कोई अंत नहीं है।
उपन्यास पात्र देवर्षि भी यही कहते हैं।- ‘‘.. सच्चाई ये है कि परमाणु बम से भी खतरनाक है-मनुष्य की आत्मघाती सोच।"
लेकिन इसके बीच में कहीं न कहीं मानवता के दर्शन हो जाते हैं। उसी मानवता की कहानी है 'रेड अलर्ट'।
रेड अलर्ट- प्रभात रंजन


         पृथ्वी का हर जीव शांति से रहना चाहता है लेकिन कुछ स्वार्थी मनुष्य इस शांति को भंग कर देते हैं। यह हर बार होता रहा है लेकिन कुछ मनुष्य भी हैं। उपन्यास के एक पात्र महर्षि कहते हैं- ‘‘बिल्कुल सही...’’ देवर्षि ने कहा- ‘‘शांति और अमन ही तो इस दुनिया की जरूरत है... दुनिया नासमझ है, इसीलिए इसे ठुकरा रही है; शांति और अमन अपना अस्तित्व भी खत्म नहीं कर सकते, तो आखिर रहेंगे कहाँ?’’

         उपन्यास को दो भागों में रख सकते हैं। एक विनाश से पूर्व की कथा और दूसरी विनाश के पश्चात की कथा। पहले की कथा जहां धरातल से जुड़ी हुयी एक वास्तविक कथा नजर आती वहीं दूसरी कथा एक अतिकाल्पनिक नजर आती है।
उपन्यास के इस दूसरे भाग को किसी और दृष्टि से प्रस्तुत किया जाता तो अच्छा था।

भाषा शैली-
अगर बात करे उपन्यास की भाषा शैली तो इस दृष्टि में उपन्यास बिलकुल कमजोर है। उपन्यास की पृष्ठभूमि द्वितीय विश्वयुद्ध पर आधारित है लेकिन उपन्यास के पात्रों की जो भाषा है वह वर्तमान के ज्यादा नजदीक लगती है।
एक उदाहरण देखें-
बोली-‘‘बरोबर बोलने का है, लफड़ा नई मँगता है मैं।’’
इस प्रकार की भाषा देख कर कहीं से भी नहीं लगता की यह उपन्यास सन् 1945 का है।
      यह कहानी मनुष्य के लिए 'रेड अलर्ट' है अगर मनुष्य अब भी सजग न हुआ तो उसका भविष्य या परिणाम बहुत घातक होगा। हम जिस तरह से प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे हैं, आत्मघाती हथियार निर्माण कर रहे हैं वे सब एक लिए मनुष्य के विनाश के कारण होंगे।

निष्कर्ष-

यह उपन्यास असत्य पर सत्य की कहानी है। यह कहानी विज्ञान के विकास और विनाश से परे अमन और शांति की‌ कथा है। मनुष्य को स्वार्थ त्याग ने जो स्थित स्थापित की है उससे जूझते मनुष्य की कहानी है।

उपन्यास- रेड अलर्ट
लेखक- प्रभात रंजन

प्रकाशक-  अंजुमन प्रकाशन

वेबसाइट - www.anjumanpublication.com
ईमेल : contact@anjumanpublication.com



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